नारायण दत्त जोशी: सोंठ प्रोसैसिंग से तरक्की

राजधानी लखनऊ में आयोजित  दिल्‍ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ की ओर से  कृषि सम्‍मान अवार्ड 2024 में उत्तराखंड के नारायण दत्त जोशी को  ‘बैस्‍ट फार्मर अवार्ड इन हार्वेस्टिंग ऐंड प्रोसैसिंग’ का सम्‍मान  दिया गया.

नारायण दत्त जोशी लगभग 30 वर्षों से खेती कर रहे हैं, जिस में उन के द्वारा मुख्य रूप से अदरक, गेहूं, मक्का, सरसों और राजमा की खेती की जाती है. इन सभी फसलों में इन के क्षेत्र की सब से महत्त्वपूर्ण व लाभप्रद फसल अदरक है. अदरक एक औषधीय जड़ वाली फसल है. अदरक की फसल को जमीन की खुदाई कर उसे निकाला जाता है, तत्पश्चात उसे प्रोसैस कर के उस से सोंठ बनाई जाती है. सोंठ के मंडी में अच्छे दाम मिलते हैं.

ginger processing

नारायण दत्त जोशी ने बताया कि सोंठ 2 प्रकार की होती हैं. एक सुखझोल सोंठ और दूसरी पनझोल सोंठ.

नारायण दत्त जोशी से प्रेरणा ले कर क्षेत्र के अनेक किसान अदरक की खेती करते हैं. इस के अलावा सोंठ प्रोसैसिंग में कार्य करने वाली अनेक महिलाओं को भी रोजगार प्राप्त होता हैं. सोंठ के द्वारा ही हमारा क्षेत्र तरक्की की ओर अग्रसर होता जा रहा है.

 

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नारायण दत्त जोशी को उन के कामों के लिए अनेक पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

पुष्पा नेगी : गोपालन से प्रकृति संरक्षण और रोजगार सृजन

ग्राम कोटी अठुरर्वाला अठूरवाला, जनपद देहरादून, उत्तराखंड की रहने वाली पशुपालक पुष्पा नेगी पशुपालन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक अपना कर स्थानीय किसानों को भी जागरूक करती हैं. उनके इन्ही योगदानों के लिए उन्हें दिल्‍ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा लखनऊ में आयोजित  कृषि सम्‍मान अवार्ड 2024 में ‘बैस्‍ट  डेयरी ऐंड एनिमल कीपर अवार्फाड ‘ से सम्मानित किया गया.

cow rearing

पशुपालक पुष्पा नेगी के द्वारा साल 2016 से गोपालन किया जा रहा है और इस समय उन के पास लगभग 30 गाय हैं, जिन में होल्सटीन फ्रीसियन और साहीवाल दोनों नस्ल की गई गाय शामिल हैं. पुष्पा नेगी गाय के दूध से घी, छाछ, मक्खन आदि बना कर बाजार में अच्छे दामों पर बेचती हैं और प्रकृति संरक्षण को ध्यान में रखते हुए उन के यहां गाय के गोबर से दीया दीपक, मूर्ति, समरानी कप, गौ काष्ठ एवं वर्मी कंपोस्ट आदि चीजें तैयार की जाती हैं. इस काम में उन्होंने अनेक लोगों को जोड़ रखा है, जिस से उन्हें भी रोजगार मिल रहा है.

 

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प्रगतिशील पशुपालक के रूप में पुष्पा नेगी को मुख्यमंत्री द्वारा ‘किसानश्री सम्मान’, हंस फाउंडेशन और आरडीसी -2024 में केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला द्वारा दिल्ली में सम्मानित किया गया जा चुका है. पुष्पा नेगी अपने खेत में उत्तराखंड का प्रसिद्ध अनाज मंडावा उगा रही हैं, जो अपने पौष्टिक गुणों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. पुष्पा नेगी का कहना है कि उन के इन कामों में परिवार ने सदैव पूरा सहयोग किया है.

कर्नल हरिश्चंद्र सिह: चिया सीड की खेती की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की

कर्नल हरिश्चंद्र सिह लखनऊ, उत्तरप्रदेश से हैं और 54 वर्ष की उम्र में सैन्य सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 2016 में जनपद बाराबंकी से जैविक खेती की शुरुआत की. उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए दिल्‍ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ आयोजित कृषि सम्‍मान अवार्ड 2024 में उन्हें बैस्ट फार्मर अवार्ड इन और्गेनिक फार्मिंग अवार्ड से सम्मानित किया गया.

उन की पारिवारिक पृष्ठभूमि का भी इस में योगदान रहा.

कर्नल हरिश्चंद्र सिंह का उद्देश्य उन फलों, फसलों और सब्जियों को उगाना है, जो स्वास्थ्यवर्धक हों, जिन में कम से कम देखरेख हो, कम से कम लागत लगे और अच्छा मुनाफा हो. इस क्रम में उन्होंने चिया सीड, ड्रैगन फ्रूट, एप्पल बेर, जिमीकंद और कालेबैगनी आलू की खेती से अपने नए शौक की शुरू की. इस में वे काफी हद तक सफल रहे. बाद में उन्होंने अपनी फसलों में केला, लाल गूदे वाले आलू, क्वीनोआ, रामदाना, काले चावल और काले गेहूं आदि को भी सम्मिलित किया.

लगभग 4 साल पहले कर्नल हरिश्चंद्र सिंह के चिया सीड की खेती की प्रशंसा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात कार्यक्रम’ में करते हुए इसे आत्मनिर्भर भारत में एक बड़ा कदम बताया.

स्वास्थ्यवर्धक एवं लाभप्रद फसलों, फलों तथा सब्जियों की जैविक खेती स्वयं करना तथा ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस मुहिम से जोड़ना अब कर्नल हरिश्चंद्र सिंह का जुनून सा बन गया है. उन्होंने बताया कि साल 2023 में भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘कौफी टेबल बुक’ में मुझे एक प्रगतिशील किसान के रूप में स्थान दिया गया है. यह मेरे लिए गर्व की बात है.

 

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कर्नल हरिश्चंद्र सिंह का कहना है कि हमारे इस प्रयास में कृषि क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं, कृषि विशेषज्ञों, प्रगतिशील कृषकों, पत्र पत्रिकाओं एवं मीडियाकर्मियों का बहुत बड़ा योगदान है, जो हमारे मार्ग दर्शक और प्रेरणास्रोत हैं. इन से प्रेरित हो कर अब मैं अपने जैविक खेती के रकबे को बढ़ा रहा हूं, साथ ही श्रीअन्न और नीबू की खेती भी शुरू कर चुका हूं.

किसानों को नई तकनीक से जोड़ उन की आमदनी बढ़ा रहीं डा. पूजा गौड़

उत्‍तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित दिल्‍ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा आयोजित कृषि सम्‍मान अवार्ड 2024 में बैस्ट फार्मर अवार्ड इन मार्केटिंगसे सम्मानित उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में जन्मी पूजा गौड़ की शुरुआती पढ़ाईलिखाई मऊ में और बाद की पढ़ाईलिखाई मुंबई में हुई.

मुंबई में मल्टीनैशनल कंपनी इनफोर्मेशन टैक्नोलौजी में उच्च पद पर वे आसीन रहीं, लेकिन शादी उत्तराखंड में होने के बाद उन का झुकाव वहां के जनजातीय इलाके से हुआ. वहां उन्होंने समाजसेवा का काम शुरू किया, लेकिन लौकडाउन के दौरान जब साल 2020 में वे वर्क फ्रोम होम होने की वजह से जब ससुराल आईं, तब देहरादून के सुंदर आदिवासी इलाके के गांव में समाजसेविका के रूप में काम करना शुरू किया और समाजसेवा के रूप उन्होंने उन आदिवासी किसान  महिला को चुना, जो दिनभर खेत, जंगल और चूल्हा व परिवार में अपनी पूरी जिंदगी काठिन मेहनत और बहुत ही न्यूनतम आय के साथ व्यतीत कर रही थीं.

Dr. Pooja Gaur

डा. पूजा गौड़ व्यावसायिक रूप से सूचना प्रौद्योगिक के क्षेत्र में मुख्य प्रबंधक, पश्चिमी भारत में कार्यरत रही हैं और प्रबंधक में ही डाक्टर औफ फिलौसफी (पीएचडी) की उपाधि हासिल की है, लेकिन 2 मास्टर डिगरी एवं पीएचडी की डिगरी लेने के बावजूद भी एवं सूचना प्रौद्योगिकी में अच्छे पद पर कार्यरत होने के बवजूद भी जिंदगी में उन्हें कहीं न कहीं कमी सी लगती थी और दिल में एक कसक सी थी कि कहीं दूर जा कर गंवई इलाके में काम करने की.  और एक ग्रामीण समाज की सेवा का भाव  ने उन को गांव की तरफ मोड़ दिया.

जब वे गांव लौटीं तो उन्होंने देखा कि किसानों की दशा व दिशा को सुधारने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही दूरदर्शी योजना से किसान व गांव वाले इस के वास्तविक हकदार थे, वे लोग इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे और यही हाल उन के खेतों में उगाई जा रही फसलों और सब्जियों आदि का था, जिस का उन को उन की मेनहत का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा था. इस तरह की विषम परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने लोकतांत्रिक रूप से उन की स्थिति को उभरने के लिए 2 संगठनों की स्थापना की और उन्हें रजिस्टर्ड कराया.

बनाया फेडीज कपसाड वेलफेयर एसोसिएशन

फेडीज कपसाड़ कृषि बहुद्देशीय सहकारी समिति लिमिटेड के माध्यम से किसानों को सुखसुविधाएं प्रदान की गई हैं. यह एक साधरण सहकारी समिति नहीं है. इस समिति के माध्यम से पूजा गौड़ ने अपने वेतन का पैसा खर्च कर तकरीबन 7,000 वर्गफुट की जमीन पर कोऔपरेटिव हाउस बनाया. उन्हें संगठित किया गया और उन के अधिकार को समझाया गया. सरकार की विभिन्न दूरदर्शी इन महत्त्वपूर्ण योजनाओं के बारे में जनजागरूकता अभियान चलाया गया, जिस का परिणाम यह रहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, जनजीवन मिशन और जिला परिषद और ब्लौक एवं ग्राम पंचायत स्तर पर चलाई गई योजना का सीधा लाभ वास्तविक लोगों को पहुंचना शुरू हुआ.

यह डा. पूजा गौड़ की दूरदर्शी सोच थी, जो वर्तमान में अध्यक्ष के रूप में हैं और चकराता प्रखंड के किसानों की भलाई के बारे में सोचा और उन को रोजगार मुहैया कराने की योजना बनाई और पुनर्वास की मुहिम को सफल बनाने में योगदान दिया. डा. पूजा गौड़ की पहली प्रथमिकता है कि किसानों को नई तकनीक से जोड़ कर उन की आमदनी को बढ़ाया जा सके.

 

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डा. पूजा गौड़ ने किसानों और महिलाओं को उन की माली स्थिति को बेहतर करने के लिए कोरोना काल में भी किसानों और महिलाओं द्वारा उत्पादित चीजों का बेहतर मूल्य दिलाने के लिए कंपनियों के साथ अनुबंध किया गया. इस का नतीजा यह हुआ कि ये कंपनियां सीधे कोऔपरेटिव हाउस पहुंचीं एवं किसानों के समस्त उत्पाद जैसे टमाटर, गोभी, शिमला मिर्च, खीरा, सेब, आड़ू और अन्य घरलू उत्पाद आदि को एक अच्छा बाजार दिलाया, जिस से किसानों को इलाके में तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ.

रवि शंकर सिंह: बेस्ट फार्मर अवार्ड इन मेकेनाईजेशन

उत्‍तरप्रदेश के ग्राम चरहुआ, जनपद गोंडा के किसान रवि शंकर सिंह को उन के कृषि कार्यों के लिए अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं. जानते हैं उन के बारे में कुछ और अधिक:

उत्‍तरप्रदेश के ग्राम चरहुआ, जनपद गोंडा के किसान रवि शंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय से परास्नातक हैं और उन के पास कुल खेती योग स्वयं की भूमि 2 हेक्टेयर और लीज पर 4 हेक्टेयर जमीन है. प्रमुख फसलों में धान, मक्का, अरहर, सावा, कोदो, मडुवा, ज्वार, बाजरा, काला नमक धान, गेहूं, गन्ना, मटर, सरसों, जौ, मसूर, आलू, टमाटर, लहसुन, धनिया, गोभी, रामदाना, अदरक आदि की खेती करते हैं. जायद के मौसम में वे मूंग, उड़द, सूरजमुखी और हरी मिर्च और केले की खेती करते हैं.

इस के अलावा खेती से जुड़े कामों में मछलीपालन के लिए 3 हेक्टेयर में तालाब हैं, जिस में बायोफ्लाक्स, फुंगेसियस, रोहू, कतला, ग्रास, सिल्वर किस्म की मछलियों का कारोबार है. रेशम कीट पालन के लिए एक हेक्टेयर में शहतूत के पेड़ एवं 1 एकड़ में नर्सरी भी है. पशुपालन के तहत आप के पास देशी साहिवाल गिर की 10 दुधारू गाएं हैं. मिल्क प्रोसैसिंग कर के आप अनेक प्रोडक्ट भी बनाते हैं. गोमूत्र से आप खेती के लिए वर्मी कंपोस्ट जीवामृत बनाने का काम भी करते हैं.

Ravi Shankar Singh

आधुनिकता के इस दौर में आप का कृषि यंत्रों पर खासा जोर है. आप ने कृषि यंत्र फार्म मशीनरी बैंक बनाया हुआ है, जिस में अनेक छोटेबड़े कृषि यंत्र आप के पास हैं, जिन्हें किसानों को किराए पर मुहैया कराते हैं. उन के पास प्रोसैसिंग यूनिट के तहत आटा मिल, दाल मिल हैं. वे मधुमक्खीपालन के लिए 150 बौक्स के द्वारा शहद उत्पादन भी करते हैं.

सिंचाई साधनों में स्वयं के ट्यूबवैल, सरकारी ट्यूबवैल, 2 सोलर पंप और 2 इंजन हैं.

शुभावरी चौहान: कम उम्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

उत्‍तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित दिल्‍ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा आयोजित कृषि सम्‍मान अवार्ड 2024 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के कोठडी गांव में जन्मी शुभावरी चौहान ने कम उम्र में अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाई. उन की इस उपलब्धि के लिए उन्हें फार्म एन फूड ‘बैस्ट  यंग फार्मर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया. जानिए उन की जीवन यात्रा: 

शुभावरी का जन्म 4 अप्रैल, 2005 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के कोठडी गांव में हुआ था. उन के पिता संजय चौहान ने एमसी एग्रीकल्चर से पढ़ाईलिखाई की है और माता ममता चौहान संस्कृत विषय से एमए हैं.

शुभावरी चौहान की जिंदगी में साल 2015 में तब बड़ा बदलाव आया, जब उन्होंने अपने पिता के साथ खेती में सक्रिय रूप से काम करने का निर्णय लिया. साल 2016 से वे पूरी तरह से खेती में जुट गईं. शुरुआती दौर में रासायनिक पैस्टिसाइड का कम उपयोग होता था, लेकिन खरपतवार की समस्या के कारण उन्हें कुछ समय तक रासायनिक पैस्टिसाइड का इस्तेमाल करना पड़ा.

धीरेधीरे उन्हें समझ आया कि रासायनिक पैस्टिसाइड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और उन्होंने और्गेनिक खेती को अपनाने का फैसला किया. शुरू में लोग उन का मजाक उड़ाते थे, पर अब उन की फसलें दोगुनी कीमतों पर देश और विदेश में बिक रही हैं.शुभावरी चौहान के पास 25-30 गाएं हैं, जिन्हें वे और्गेनिक चारा खिलाती हैं. उन के दूध और घी की बिक्री अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होती है. उन की मुख्य फसल गन्ना है, जिसे वे अपने कोल्हू में प्रोसैस कर गुड़ और शक्कर बनाती हैं.

इन उत्पादों की भी देशविदेश में भारी मांग है. इस के अलावा उन के पास आम के बाग हैं, जिन में मल्लिका, आम्रपाली, दशहरी, लंगड़ा, चौसा जैसी किस्मों के आम उगाए जाते हैं, जिन की बिक्री दिल्लीएनसीआर, लुधियाना और छत्तीसगढ़ में होती है. उन का सालाना टर्नओवर तकरीबन 25 लाख रुपए है और वे 25-30 लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं.

 Shubhawari Chauhan

शुभावरी चौहान ने सहारनपुर कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग से कई प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं, जिन के कारण उन्हें जिला स्तर पर कई पुरस्कार मिले हैं. 23 दिसंबर, 2023 को उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा मुरादाबाद में ‘किसान दिवस’ पर राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया था.

शुभावरी चौहान न सिर्फ एक सफल किसान हैं, बल्कि वे अपने पिता के साथ मिल कर ट्रैक्टर से खेतों की जुताई भी करती हैं और कालेज जाने के लिए मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करती हैं. वर्तमान में वे अपने गांव से 45 किलोमीटर दूर सहारनपुर मुन्ना लाल गर्ल्स डिगरी कालेज में अपने बीए फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रही हैं.

शुभावरी चौहान के काम का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे मिट्टी संरक्षण और जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान देती हैं. वे अपने खेतों में जल संचयन के लिए बंधों और बांस के पौधों का उपयोग करती हैं, जिस से न केवल मिट्टी का क्षरण रुकता है, बल्कि अतिरिक्त आय भी प्राप्त होती है. इस के साथ ही उन्होंने अपने गांव की सड़कों के किनारे नीम और कनेर के पौधे लगाए हैं, जिस से हवा भी शुद्ध रहती है.

शुभावरी चौहान के जल संरक्षण के प्रयासों के कारण उन्हें अक्तूबर, 2024 में ‘वानी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया, जो उन्होंने भारतीय मृदा संरक्षण सोसाइटी से प्राप्त किया. इस के अलावा उन की खेती का एक और अनूठा पहलू यह है कि वे ड्रिप सिंचाई का उपयोग करती हैं, जिस से पानी की बचत होती है और फसलों को पर्याप्त नमी मिलती है.

इस तरह शुभावरी चौहान ने आधुनिक और परंपरागत कृषि विधियों का मिश्रण अपनाते हुए अपनी और अपने गांव की उन्नति की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं. उन के प्रयास, परिवार के सहयोग और दृढ़ संकल्प ने उन्हें सफलता के उस मुकाम तक पहुंचाया, जहां वे न केवल माली रूप से मजबूत हुईं, बल्कि अपने गांव के लिए एक प्रेरणास्रोत भी बनीं.

विज्ञान शुक्ला : आधुनिक तकनीक व नवाचार से खेती कर बनाई पहचान

दिल्‍ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा लखनऊ में आयोजित  कृषि सम्‍मान अवार्ड 2024 में विज्ञान शुक्ला ‘बैस्‍ट फार्मर अवार्ड इन आर्गेनिक फार्मिंग’ से सम्मानित किए गए. उत्‍तरप्रदेश के बांदा जिले के विज्ञान शुक्ला आधुनिक तकनीक व नवाचार से खेती कर अपनी एक खास पहचान बना चुके हैं.

प्राकृतिक तरीके से बागबानी 

विज्ञान शुक्ला 400 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक तरीके से अनेक फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, जिन्हें दोगुना से अधिक दाम पर अपनी उपज बेच रहे हैं. वैदिक और्गेनिक फार्म के जरीए वे अनेक लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं. आप के द्वारा 150 एकड़ जमीन पर बागबानी भी की जा रही है. विज्ञान शुक्ला फलदार पेड़ों से अच्छाखासा मुनाफा ले रहे हैं.

खेतीबारी के साथसाथ वे पशुपालन भी

विज्ञान शुक्ला खेतीबारी के साथसाथ पशुपालन भी कर रहे हैं और उन  के पास 500 से अधिक साहीवाल गिरी, थारपारकर नस्ल की गाएं हैं, जिन के दूध से घी बना कर आप 3,000 रुपए से 3,500 रुपए प्रति लिटर तक लखनऊ, दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों तक अनेक संस्थाओं को बेच रहे हैं.

विज्ञान शुक्ला (Vigyan Shukla)

कई पुरस्कारों से सम्मानित 

विज्ञान शुक्ला का वैदिक फार्म बुंदेलखंड का मौडल बन चुका है, जहां अनेक अधिकारियों और किसानों का आना लगा रहता है. किसान उन के यहां से फार्म की गतिविधियों को जान कर अपने कृषि कार्यों को कर रहे हैं, जिस से उन की आमदनी बढ़ रही है. खेती में अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकी से उन की पहले से कहीं अधिक आमदनी बढ़ गई है. इस नवाचार के लिए भारत सरकार द्वारा ‘जगजीवन राम अभिनव पुरस्कार’ से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. विज्ञान शुक्ला को प्रदेश द्वारा भी, मंडल द्वारा भी और जनपद द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है.

श्रीधर पांडेय: एक सामान्य युवक की असाधारण यात्रा

उत्‍तरप्रदेश के श्रीधर पांडेय दिल्‍ली प्रैस की कृषि पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा आयोजित कृषि सम्‍मान अवार्ड 2024 में ‘बैस्‍ट फार्मर अवार्ड इन हार्वैस्टिंग ऐंड प्रोसैसिंग’ से सम्मानित किए गए.

सिद्धार्थ नगर जनपद के एक छोटे से गांव तेतरी बुजुर्ग में एक सामान्य किसान परिवार में जनमे श्रीधर पांडेय ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिन संघर्ष किया. बचपन से ही उन्होंने पढ़ाई के साथसाथ छोटेछोटे व्यवसाय भी किए, जिस में वाहनों का टायर पंचर बनाना भी शामिल था.

श्रीधर पांडेय का लक्ष्य एक कुशल चिकित्सक बनना था, लेकिन आरक्षण, प्रतिस्पर्धा और आर्थिक संकट के कारण उन्हें अपना रास्ता बदलना पड़ा. इस के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और विज्ञान वर्ग से स्नातक की परीक्षा पास की.

पिता और परिवार की इच्छा थी कि वे एक कुशल उद्यमी बनें, लेकिन श्रीधर की इच्छा थी कि सरकारी सेवा के माध्यम से एक कुशल जनसेवक बनना. इस दिशा में उन्होंने गौतम बुद्ध जागृति समिति नामक एक सामाजिक संस्था की स्थापना की, जिस का उद्देश्य गरीब, वंचित और पीड़ित वर्ग का आर्थिक और सामाजिक उत्थान करना था.

 Shridhar Pandey

उन्होंने कृषि को प्रमुखता से लिया और आपदा जोखिम मुक्त कृषि को बढ़ावा दिया, जिस से हजारों किसानों को अपने फसल चक्र को बदलते हुए आय में वृद्धि करने में मदद मिली. उन्होंने किसानों को बिचौलियों से मुक्त करने के लिए एक किसान उत्पादक कंपनी का गठन किया.

25 वर्षों तक भारत सरकार और राज्य सरकार से पैरवी करने के बाद उन्हें सिद्धार्थ नगर जनपद के विश्व विरासत कालानमक धान को पहचान दिलाने में सफलता मिली.

आज श्रीधर पांडेय को सैकड़ों पुरस्कारों के साथ उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 3 बार पुरस्कार दिया गया है.

किसानों को समय से मिले बीज व उर्वरक (Seeds and Fertilizers)

भोपाल : रबी फसलों के लिए किसानों को समय से उत्तम उर्वरक और बीज मिलना सुनिश्चित किया जाए. प्रदेश में सभी उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. डीएपी के समान ही एनपीके भी गुणवत्तायुक्त है. इस में फसलों के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व हैं.

किसान नरवाई न जलाएं, सुपर सीडर का उपयोग करें.

प्रदेश में कहीं भी खाद, बीज का अवैध भंडारण, कालाबाजारी अथवा अमानक विक्रय न हो, यह सुनिश्चित किया जाए. समर्थन मूल्य पर सोयाबीन विक्रय के लिए किसानों को हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जाए.

एपीसी मोहम्मद सुलेमान ने यह निर्देश पिछले दिनों नर्मदा भवन में संपन्न भोपाल एवं नर्मदापुरम संभागों के लिए खरीफ-2024 की समीक्षा एवं रबी 2024- 25 की तैयारियों के लिए आयोजित समीक्षा बैठक में दिए.

बैठक में कृषि, सहकारिता, पशुपालन, डेयरी, मत्स्यपालन, उद्यानिकी आदि विभागों के कार्यों की समीक्षा की गई.

अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव मत्स्यपालन डीपी आहूजा, प्रमुख सचिव उद्यानिकी अनुपम राजन, सचिव कृषि एम. सेलवेंद्रन, संभागायुक्त भोपाल संजीव सिंह, संभागायुक्त नर्मदापुरम केजी तिवारी, संबंधित जिलों के कलक्टर्स, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे. विभिन्न योजनाओं के सफल हितग्राहियों ने अपने अनुभव भी बैठक में साझा किए.

एपीसी सुलेमान ने कहा कि प्रदेश में सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए किसानों के पंजीयन का कार्य जारी है. आगामी 25 अक्तूबर से सोयाबीन की खरीदी की जाएगी, जो 31 दिसंबर तक चलेगी. खरीदी केंद्रों पर सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें. सोयाबीन खरीदी के लिए किसानों को टोकन दिए जाएं, जिस से उन्हें अनावश्यक इंतजार न करना पड़े. किसानों की सुविधा के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त केंद्र 1-2 दिन में खोल दिए जाएंगे. खरीदी में शासन द्वारा निर्धारित मापदंडों का प्रयोग किया जाए.

सचिव, कृषि, सेलवेंद्रन ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है. दालों के उत्पादन में मध्य प्रदेश देश में 24 फीसदी उत्पादन के साथ प्रथम है. अनाजों के उत्पादन में 12 फीसदी उत्पादन के साथ देश में द्वितीय और तिलहन के उत्पादन में 20 फीसदी उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है. प्रदेश की कृषि विकास दर 19 फीसदी है. देश में मध्य प्रदेश के सर्वाधिक 16.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती होती है.

उन्होंने बताया कि रबी 2024-25 के लिए प्रदेश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. रबी के लिए प्रदेश में कुल 16.43 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है, जिस में 6.88 यूरिया, 1.38 डीएपी, 2.70 एनपीके, 4.08 डीएपी +एनपीके, 4.86 एसएसपी और 0.61 लाख मीट्रिक टन एमओपी उर्वरक उपलब्ध है.

प्रदेश में रबी फसलों के अंतर्गत मुख्य रूप से चंबल एवं ग्वालियर संभागों में सरसों 15 अक्तूबर से 15 नवंबर तक, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, सागर संभागों में चना, मसूर 20 अक्तूबर से 10 नवंबर तक, उज्जैन, इंदौर, भोपाल, चंबल, सागर, नर्मदापुरम में गेहूं 1 नवंबर से 30 नवंबर तक और जबलपुर, रीवा एवं शहडोल संभागों में गेहूं एवं चना की फसलों की बोनी 15 नवंबर से 31 दिसंबर तक की जाती है.

एपीसी सुलेमान ने सभी कलक्टरों को निर्देश दिए गए कि वे सुनिश्चित करें कि उन के जिलों में नरवाई न जलाई जाए. किसानों को सुपर सीडर के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जाए. इस के प्रयोग से फसल कटाई के साथ ही बोनी भी हो जाती है. इस से खेतों में बची हुई नमी का अगली फसल में उपयोग हो जाता है, कम बीज लगता है और फसल पहले आ जाती है, जो किसानों के लिए अत्यधिक लाभदायक है. सभी जिलों में सुपर सीडर मशीन की किसानों को उपलब्धता सुनिश्चित कराएं.

अपर मुख्य सचिव सहकारिता अशोक बर्णवाल ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में रबी फसलों के लिए भी किसानों को शासन की जीरो फीसदी ब्याज पर फसल ऋण योजना का लाभ दिए जाना सुनिश्चित करें. हर जिले में “वन स्टाप सैंटर” बनाए जाएं, जहां किसानों को सारी सुविधाएं मिल सकें. समिति स्तर पर अल्पावधि ऋणों की वसूली बढ़ाई जाए. जो प्राथमिक सहकारी समितियां ठीक से कार्य नहीं कर रही हैं, उन के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए.

उन्होंने निर्देश दिए कि पैक्स के आडिट का कार्य अक्तूबर तक पूरा किया जाए और नवीन पैक्स के गठन की कार्रवाई की जाए.

यह भी बताया गया कि ऋण महोत्सव के अंतर्गत आगामी 6 नवंबर तक किसानों को अ-कृषि ऋण वितरित किए जा रहे हैं.

मत्स्य विभाग की समीक्षा में प्रमुख सचिव डीपी आहूजा ने बताया कि मध्य प्रदेश में 4.42 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र, जिस में से 99 फीसदी भाग में मत्स्यपालन किया जाता है. प्रदेश में 2595 मछुआ समितियां पंजीकृत हैं, जिन से 95417 मत्स्यपालक जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति मत्स्य उपलब्धता 7.5 किलोग्राम है.

प्रदेश का पहला इंटीग्रेटेड एक्वापार्क भदभदा रोड भोपाल में स्थित है. प्रदेश में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना और मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना संचालित हैं. सभी योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य प्राप्ति के निर्देश कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा दिए गए. मछुआपालन की नई तकनीकी के इस्तेमाल के लिए मत्स्यपालक किसानों को प्रेरित किया जाए.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की समीक्षा में बताया गया कि भारत में दुग्ध उत्पादन में मध्य प्रदेश का तीसरा स्थान है. प्रदेश में 591 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दूध का उत्पादन होता है. राष्ट्र का 9 फीसदी दुग्ध उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है. मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता 644 ग्राम प्रतिदिन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 459 ग्राम प्रतिदिन का है. प्रदेश में 7.5 फीसदी पशुधन है, जबकि राष्ट्रीय औसत 5.05 का है.

वर्ष 2019 की पशु संगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में गौवंश पशु संख्या देश में तीसरे स्थान पर 187.50 लाख है, वहीं भैंस वंश पशु संख्या चौथे स्थान पर 103.5 लाख है.

प्रदेश में पशुओं के उपचार के लिए चालित पशु चिकित्सा वाहन (1962) संचालित है, जो कि स्थान पर जा कर पशुओं का इलाज करते हैं.

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश देश में अव्वल है. भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीकी से गायों के नस्ल सुधार कार्यक्रम में प्रदेश में अच्छा कार्य हो रहा है. पशुपालकों से मात्र 100 रुपए के शुल्क पर गायों का नस्ल सुधार किया जाता है. इस से पशुपालकों को अच्छी आय प्राप्त हो रही है.

सभी कलक्टर को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ पशुपालकों को दें. कुक्कुटपालन एवं बकरीपालन से भी पशुपालकों को अच्छी आमदनी होती है, इस के लिए भी उन्हें प्रेरित किया जाए.

उद्यानिकी विभाग की समीक्षा के दौरान बताया गया कि दोनों संभागों में उद्यानिकी फसलों के रकबे में भी वृद्धि हो रही है. यहां के किसान उच्च मूल्य फल जैसे थाई पिंक अमरूद, एवाकाडो एवं ड्रैगन फ्रूट की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं.

संभाग के सभी जिलों में अमरूद, ड्रैगन फ्रूट एवं संतरा फसल का विपणन दिल्ली, मुंबई आदि बड़े महानगरों में किया जा रहा है. गुलाब, जरबेरा एवं उच्च कोटि की सब्जियों की खेती पौलीहाउस एवं शेड नेटहाउस में उच्च तकनीकी से कर के अधिक उत्पादन एवं आय प्राप्त हो रही है.

सांची का नैचुरल नारियल पानी (Coconut Water) लौंच

भोपाल: पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए दुग्ध उत्पादन से बड़ा कोई रास्ता नहीं है. मध्य प्रदेश सहकारी दुग्ध संघ अपने सांची ब्रांड के माध्यम से नएनए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बाजार में ला रहा है. हाल ही में सांची ने नैचुरल नारियल पानी लौंच किया है, जो कि अत्यंत गुणवत्तापूर्ण और स्वास्थ्यवर्धक है.भविष्य में दुग्ध संघ की माइनर मिलेट्स कोदोकुटकी के उत्पाद भी बाजार में लाने की योजना है.

मंत्री लखन पटेल ने भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के मुख्य डेयरी प्लांट में सांची के नवीन उत्पाद पाश्चरीकृत नैचुरल नारियल पानी की बिक्री का शुभारंभ किया. इस अवसर पर वेटरनरी कौंसिल औफ इंडिया के अध्यक्ष डा. उमेश शर्मा, संचालक पशुपालन एवं डेयरी डा. पीएस पटेल आदि उपस्थित थे.

मंत्री लखन पटेल ने स्वयं भी नारियल पानी पिया और उस की सराहना की. कार्यक्रम में उपस्थित सभी ने सांची नारियल पानी का सेवन किया और उसे गुणवत्ता एवं स्वादयुक्त बताया.

उन्होंने कहा कि भोपाल दुग्ध संघ की आय निरंतर बढ़ रही है. इस वर्ष अभी तक लगभग 700 करोड़ रुपए का लाभ दुग्ध संघ को हुआ है. दुग्ध संघ निरंतर किसानों के लाभ के लिए कार्य तो कर ही रहा है, संघ के कर्मचारियों के कल्याण में भी पीछे नहीं है. अब किसानों के साथ ही कर्मचारियों का भी बीमा कराया जाएगा.

मंत्री लखन पटेल ने आगे कहा कि सहकारिता का मूल सिद्धांत है पारदर्शिता और जुड़े हुए हर व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना. हमारी सरकार इसी सिद्धांत पर कार्य कर रही है. हमारा उद्देश्य है दुग्ध उत्पादक किसानों को अधिक से अधिक आमदनी हो और हम इस के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के नेतृत्व में इस वर्ष हमारी सरकार गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन वर्ष मना रही है. इन कार्यक्रमों में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें और अपना योगदान दें.

भोपाल दुग्ध संघ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरपी तिवारी ने बताया कि दूध, दही, श्रीखंड, बृज पेड़ा, केशव पेड़ा, सांची नीर और सांची खीर के बाद अब सांची दुग्ध संघ अपना नया उत्पाद शुद्ध नैचुरल और पाश्चुरीकृत “सांची नारियल पानी” बाजार में लाया है. इसे नारियल उत्पादन क्षेत्र तमिलनाडु के पोलाची (जिला कोयंबटूर) में 200 एमएल की बोतल में पैक कराया जा रहा है. इस का बाजार मूल्य 50 रुपया प्रति बोतल रखा गया है और इस की उपयोग अवधि 9 माह है. इसे तैयार करने के लिए ताजे नारियल से संयंत्र में हैंड्स फ्री तकनीकी से पानी निकाला जाता है और उसे रिटोर्ट मेथड से 99 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान तक गरम कर पाश्चरीकृत कर बोतल में पैक किया जाता है.

उन्होंने बताया कि भविष्य में दुग्ध संघ की ब्रेड, चाय पत्ती, चिप्स आदि भी बाजार में लाने की योजना है.