पशुपालकों के लिए लाभकारी मोबाइल पशु चिकित्सा

जयपुर: पशुपालन, गोपालन, डेयरी और देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि हमारी सरकार पशुओं व पशुपालकों के विकास के प्रति बहुत ही संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है. उन्होंने आगरा रोड स्थित राजस्थान राज्य पशुधन प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान में पिछले दिनों मोबाइल वेटेरिनरी इकाइयों के लिए काल सैंटर के लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि काल सैंटर का संचालन निश्चित रूप से विभाग के लिए एक बहुत ही सराहनीय कदम है. कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य मंत्री, पशुपालन, गोपालन, मत्स्य एवं गृह विभाग जवाहर सिंह बेढम उपस्थित रहे.

मंत्री जोराराम कुमावत ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को धन्यवाद देते हुए कहा कि मोबाइल पशु चिकित्सा एवं काल सैंटर पशुधन और पशुपालकों के लिए एक बहुत बड़ी सुविधा है. काल सैंटर की सुविधा होने से घर पर ही पशुओं का इलाज मिलना शुरू हो जाएगा, जिस से पशुपालकों के समय और पैसे दोनों की बचत होगी. उन्होंने कहा कि मंगला पशु बीमा योजना की क्रियान्विति भी जल्द शुरू की जाएगी.

पशुपालन, गोपालन, मत्स्य एवं गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का एक जरीया पशुपालन है, इसीलिए पशु को पशुधन कहा गया है. पशुपालन के माध्यम से हमारे ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था नियमित रहती है.

उन्होंने आगे कहा कि पशुपालक के घर पर पशुओं के लिए चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराना एक उपयोगी पहल है.

इस अवसर पर शासन सचिव पशुपालन, गोपालन एवं मत्स्य डा. समित शर्मा ने कहा कि काल सैंटर का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करते हुए पशुधन और पशुपालकों को अधिक से अधिक संख्या में लाभ पहुंचाना इस योजना का उद्देश्य है. आने वाले 6 महीनों में पशुपालन विभाग प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ 3 विभागों में होगा, ऐसा हमारा प्रयास है.

उन्होंने काल सैंटर पर वीडियो कालिंग की सुविधा शुरू करने के लिए भी बीआईएफएल के अधिकारियों को सुझाव दिया.

कार्यक्रम के आरंभ में पशुपालन विभाग के निदेशक डा. भवानी सिंह राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा द्वारा 1,61,934 शिविरों के माध्यम से 27.48 लाख से अधिक पशुओं का उपचार करते हुए लगभग 6.86 लाख पशुपालकों को लाभान्वित किया गया है.

कार्यक्रम को बीएफआईएल के प्रतिनिधि किशोर संभशिवम ने भी संबोधित किया. अतिरिक्त निदेशक डा. आनंद सेजरा ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन डा. हेमंत पंत ने किया.

कार्यक्रम में मोबाइल वेटरिनरी यूनिट की सेवा प्रदाता फर्म से सुनील अग्रवाल और महेश गुप्ता, बीएफआईएल से असद और अमन, प्रहलाद नागा निदेशक गोपालन, डा. प्रकाश भाटी, डा. सुरेश मीना, डा. प्रवीण कुमार, डा. तपेश माथुर सहित बड़ी संख्या में विभाग के अधिकारी और पशुपालक उपस्थित थे.

फ्री में मिलेगा मंगला पशु बीमा योजना का लाभ

जयपुर : पशुपालन, गोपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने पिछले दिनों सचिवालय भवन में पशुपालन मंगला बीमा पशु योजना की गाइडलाइन के संबंध में पशुपालन और राज्य बीमा भविष्य निधि विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा कि राजस्थान सरकार प्रदेश की बहुमूल्य पशुधन संपदा के विकास एवं पशुधन उत्पादन को बढ़ाकर पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.

उन्होंने आगे कहा कि अभी दुर्घटना में मृत पशुओं के लिए पशुपालकों को कोई मुआवजा नहीं मिलता है. मंगला पशु बीमा योजना ऐसे पशुपालकों के लिए आर्थिक संबल बनेगी. उन्होंने जल्द से जल्द इस की गाइडलाइन तैयार कर इसे अमलीजामा पहनाने के निर्देश दिए, जिस से इस घोषणा का उद्देश्य पूरा हो सके.

उन्होंने कहा कि बीमा का लाभ सभी पशुपालकों को मिले, इस के लिए सभी जनाधार कार्डधारक पशुपालक बीमा में आवेदन करने के पात्र होंगे. बीमा का लाभ दिलाने के लिए बीमा विभाग द्वारा एक सौफ्टवेयर तैयार किया. उस पर पशुपालकों से आवेदन मंगवाए जाएंगे. प्राप्त आवेदनों के आधार पर बीमा के लिए पशुपालकों का चयन लौटरी द्वारा किया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने वर्ष 2024-25 की बजट घोषणा में मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना की घोषणा की थी. इस योजना में सरकार ने 400 करोड़़ रुपए खर्च कर के 21 लाख पशुओं का बीमा करने का लक्ष्य रखा है. योजना के अंतर्गत 5-5 लाख दुधारू गाय, भैस, बकरी, भेड़ और एक लाख ऊंटनी का बीमा किया जाएगा. प्रत्येक परिवार से एक पशु का बीमा किया जाएगा. इस में पशुपालकों को कोई प्रीमियम नहीं देना होगा. यह पूरी तरह से निःशुल्क है. दुधारू पशुओं की किसी भी प्राकृतिक या आकस्मिक दुर्घटना जैसे आग लगने, सड़क दुर्घटना, आकाशीय बिजली गिरने, जहरीली घास खाने या कीड़ा काटने, किसी बीमारी आदि में मृत्यु होने पर बीमा का क्लेम मिलेगा.

पशुपालन विभाग के निदेशक डा. भवानी सिंह राठौड़़ ने मंगला बीमा पशु योजना की गाइडलाइन के बारे में जानकारी दी.

बैठक में पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा. आनंद सेजरा, डा. सुरेश मीना सहित राज्य बीमा भविष्य निधि विभाग के अधिकारी उपस्थित थे.

पीएम कुसुम योजना से किसानों को मिल रही दिन में बिजली

जयपुर : प्रदेश में पीएम कुसुम योजना के तहत फीडर लैवल सोलराइजेशन के काम को गति मिल रही है. इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार का वर्ष-2027 तक किसानों को खेतीकिसानी से जुड़े कार्यों के लिए दिन में बिजली देने का लक्ष्य है.

इसी दिशा में योजना के कंपोनेंट-सी के तहत प्रदेश के खैरथलतिजारा एवं कोटपुतलीबहरोड जिले में 5.38 मेगावाट क्षमता के 2 सौर ऊर्जा संयंत्र सोलर पावर जनरेटर हाल ही में स्थापित किए गए हैं और निकटवर्ती ग्रिड से कनैक्ट कर इन से बिजली उत्पादन प्रारंभ कर दिया गया है.

डिस्काम्स चेयरमैन आरती डोगरा ने बताया कि भिवाड़ी सर्किल (खैरथलतिजारा जिले) के जाट बहरोड़ में सोलर पावर जनरेटर मैसर्स सानोली सोलर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2.74 मेगावाट क्षमता का सोलर प्लांट सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में स्थापित कर दिया गया है. इस प्लांट को 33/11 केवी सबस्टेशन से भी कनैक्ट कर दिया गया है. अब इस सबस्टेशन से जुड़े 238 कृषि उपभोक्ताओं को दिन में बिजली की आपूर्ति की जा रही है.

इसी प्रकार कोटपुतलीबहरोड़ जिले के हुडिया जैतपुर में मैसर्स काठूवास सोलर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 2.64 मेगावाट के संयंत्र को पिछले दिनों स्थापित कर 33/11 केवी सबस्टेशन से कनैक्ट कर दिया गया है. इस प्लांट के माध्यम से भी अब इस सबस्टेशन से जुड़े 247 कृषि उपभोक्ताओं को दिन में बिजली आपूर्ति होने लगी है.

आरती डोगरा ने बताया कि जयपुर विद्युत वितरण निगम क्षेत्र में कुसुम-सी योजना के तहत 17.29 मेगावाट क्षमता के 7 सोलर संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं. इन के माध्यम से 1981 किसानों को दिन में बिजली मिल रही है.

उल्लेखनीय है कि सितंबर माह में ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री रोजगार उत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम में पीएम कुसुम-सी योजना के तहत प्रदेश में एकसाथ 608 सोलर प्लांटों का शिलान्यास किया था. इन प्लांटों के जरीए 5 हजार, 254 करोड़ रुपए का निवेश और 1501 मेगावाट बिजली उत्पादन हो सकेगा. साथ ही, किसानों को कृषि कार्य के लिए दिन में बिजली का लक्ष्य भी साकार हो सकेगा.

खादबीज की कालाबाजारी व जमाखोरी पर लगाम

जयपुर : कृषि आदानों जैसे उर्वरकों, बीज एवं कीटनाशी की उपलब्धता एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए आयुक्त, कृषि, चिन्मय गोपाल द्वारा सभी जिला एवं खंडीय कृषि अधिकारियों को विभिन्न कृषि आदान निर्माता, विक्रेता एवं खुदरा व्यवसायियों द्वारा की जा रही अनियमिततओं के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए.

कृषि अधिकारियों को दुकानों पर बिना प्राधिकारपत्र या विनिर्माण प्रमाणपत्र के उर्वरकों की कालाबाजारी, जमाखोरी, बिल बुक एवं स्टाफ रजिस्टर निर्धारित प्रारूप में संधारित न करना, अप्रमाणिक स्टाक रजिस्टर उपयोग में लेना व अन्य प्रकार की अनियमितताओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं.

आयुक्त, कृषि, चिन्मयी गोपाल ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा चलाए गए एकदिवसीय विशेष गुण नियंत्रण अभियान के तहत पूरे राज्य में विभागीय अधिकारियों द्वारा 997 निरीक्षण किए गए, जिस में कृषि आदान निर्माता, विक्रेता एवं खुदरा व्यवसायियों के अनियमितता, कालाबाजारी व जमाखोरी पाए जाने पर 506 को ‘कारण बताओ’ नोटिस, 49 के विक्रय पर रोक, 10 के प्राधिकारपत्र निलंबित किए गए. साथ ही, एक उर्वरक जब्ती कार्यवाही के अंतर्गत बिना लाइसैंस के बंसल खाद बीज भंडार, सीकरी, डीग के 7 अवैध गोदामों पर डीएपी के 3639, यूरिया के 7046, एसएसपी के 540 और जिंक सल्फेट के 20 कट्टे जब्त किए गए.

उन्होंने आगे बताया कि कृषि आदान विक्रेताओं एवं निर्माताओं के निरीक्षण के दौरान अनियमितता पाए जाने पर कृषि आदानों से संबंधित नियमों, अधिनियमों व उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत बिक्री पर रोक, जब्ती, लाइसैंस निलंबन या निरस्तीकरण जैसी कार्यवाही की जाएगी.

आयुक्त, कृषि, चिन्मयी गोपाल ने कहा कि रबी सीजन में किसानों को उच्च गुणवत्तायुक्त कृषि आदान एवं कीटनाशक उपलब्ध कराने के लिए समस्त विभागीय अधिकारियों को अपने क्षेत्राधिकार में बीज, उर्वरकों एवं कीटनाशकों की उच्च गुणवत्ता एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

उल्लेखनीय है कि राज्य के सभी जिलों में हर साल रबी व खरीफ फसलों की बोआई से पहले किसानों को गुणवत्तायुक्त कृषि आदानों की उपलब्धता के लिए सितंबर, अक्तूबर और मई, जून माह में विशेष गुण नियंत्रण अभियान चलाए जाते हैं. गुण नियंत्रण अभियान के तहत उर्वरक, बीज एवं कीटनाशी के नमूने लेने की प्रक्रिया राजकिसान पोर्टल के ‘‘RajAgriQC” एप के माध्यम से औनलाइन संपादित की जा रही है.

आलू बीज (Potato Seed) के दाम हुए कम

लखनऊ : प्रदेश के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि योगी सरकार में किसान हित के दृष्टिगत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अनुदान देने की व्यवस्था की गई है. प्रदेश के किसानों एवं आलू उत्पादकों के हित को देखते हुए वर्ष 2024-25 के लिए आलू बीज (Potato Seed) वितरण व विक्रय की दरें निर्धारित करने में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में राजकीय आलू बीज की उपलब्धता किसानों को सुगम बनाए जाने के उद्देश्य से प्रदेश के किसानों को बीजोत्पादन के लिए विक्रय हेतु विभागीय दरों में 500 रुपए प्रति क्विंटल दर में कमी कर के विक्रय दर (शोध संस्थाओं एवं सरकारी संस्थाओं को छोड़कर) निर्धारित कर दी गई है.

उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि निर्धारित दरों के अनुसार अब आधारित प्रथम आलू 2,995 रुपए प्रति क्विंटल, आधारित द्वितीय आलू 2,595 रुपए प्रति क्विंटल, ओवर साइज (आधारित प्रथम) 2,270 रुपए प्रति क्विंटल, ओवर साइज (आधारित द्वितीय) 2,210 रुपए प्रति क्विंटल और आधारित प्रथम आलू ट्रूथफूल 2,180 रुपए प्रति क्विंटल बीज हो गया है. सफेद एवं लाल आलू प्रजातियों के बीज की विक्रय दरें एकसमान हैं. इन दरों पर प्रदेश के किसान अपने जनपदीय उद्यान अधिकारी से नकद मूल्य पर बीज प्राप्त कर आलू बीज का उत्पादन कर सकते हैं.

उन्होंने बताया कि उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश के किसानों को नकद मूल्य पर आधारित प्रथम, द्वितीय और प्रमाणित आलू बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. इस से पहले आलू बीज की विक्रय दर आधारित प्रथम 3,495, आधारित द्वितीय 3,095, ओवर साइज (आधारित प्रथम) 2,770, ओवर साइज (आधारित द्वितीय) 2,710 और आधारित प्रथम ट्रुथफूल 2,680 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित की गई थी.

उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश में लगभग 6.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की बोआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिस के लिए लगभग 24- 25 लाख मीट्रिक टन आलू बीज की आवश्यकता होगी. उद्यान विभाग लगभग 40- 45 हजार क्विंटल आधारित श्रेणी का आलू बीज किसानों में बीज उत्पादन के लिए वितरित करेगा, जिस से किसानों द्वारा अग्रेतर श्रेणी का बीज उत्पादन कर प्रदेश में गुणवत्तायुक्त बीज की कमी को पूरा करने में सहभागी हो सकते हैं. गुणवत्तायुक्त प्रमाणित आलू बीज से प्रदेश के आलू उत्पादन में वृद्धि होगी.

निदेशक उद्यान डा, विजय बहादुर द्विवेदी ने बताया कि मार्च, 2023 में प्रदेश के राजकीय प्रक्षेत्रों पर उत्पादन के लिए सीपीआरआई, भारत सरकार से 9214.94 क्विंटल जनक (ब्रीडर) आलू बीज प्राप्त कर राजकीय प्रदेश के 21 राजकीय प्रक्षेत्रों पर कुल 224.83 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू बीज का उत्पादन कराया गया, जिस से 45168.50 क्विंटल आधारीय एवं टीएल श्रेणी के आलू बीज (कुफरी बहार, कुफरी चिप्सोना-1 एवं 3, कुफरी आनंद, कुफरी पुखराज, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी सिंदूरी, कुफरी फ्राईसोना, कुफरी मोहन, कुफरी गंगा, कुफरी नीलकंठ, कुफरी लवकार एवं कुफरी बादशाह) का उत्पादन प्राप्त हुआ, जिसे राजकीय शीतगृह अलीगंज, लखनऊ व मोदीपुरम, मेरठ में भंडारित किया गया. भंडारित आलू बीज का प्रदेश के समस्त जनपदों को आवंटित कर किसानों के मध्य नकद मूल्य पर वितरण किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि प्रसंस्कृत प्रजातियों के लिए उत्तर प्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था से पंजीकरण के बाद आलू बीज उत्पादन की बैगिंग, टैगिंग कराने पर किसानों को 25,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान की व्यवस्था है. आलू बीज की प्रसंस्कृत प्रजातियां कुफरी चिप्सोना-1 एवं 3, कुफरी फ्राईसोना और कुफरी सूर्या हैं.

6 महीने में 6 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण (Vaccination)

देवास : उपसंचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, देवास के डा. सीएस चौहान ने बताया कि केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा पशु कल्याण के लिए संचालित विभिन्न कार्यक्रमों में से मुख्य रूप से टीकाकरण, उपचार, चलित चिकित्सा इकाइयां संचालन, गौशाला संचालन एवं राजमार्गों से पशु हटाना आदि कार्य पशुपालन विभाग के अमले द्वारा जिले में किया जा रहा है.

उन्‍होंने आगे यह भी बताया कि विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से अब तक टीकाकरण में 6 लाख, 32 हजार, 619 पशुओं में विभिन्न टीका किया गया. 1 लाख, 38 हजार, 815 पशुओं का उपचार संस्थाओं द्वारा किया गया. चलित चिकित्‍सा इकाई का साल 1962 से संचालन किया जा रहा है, जो घरघर पहुंच कर पशुओं में उपचार करती है. इस में 4377 पशुपालकों को घर पहुंच कर सेवाएं दी गईं.

जिले के मुख्य राजमार्गों पर गौ पैट्रोलिंग द्वारा पशुओं को सड़क हादसों से बचाने के लिए सड़क से गौशाला पहुंचाया जा रहा है. जिले में 84 गौशाला संचालित हैं, जिस में 10 हजार, 845 गौवंश संरक्षित हैं, जिन को इस वर्ष वर्तमान तक 491.04 लाख का अनुदान सहायता दी गई है.

पशुओं का रेस्क्यू (Rescuing Animals) कर के हो रहा प्राथमिक उपचार

शहडोल : मध्य प्रदेश सरकार द्वारा निराश्रित मवेशियों के लिए निरंतर काम कर रही है. शहडोल में निराश्रित पशुओं का जीवन बचाने के लिए अटल कामधेनू गौ संस्थान द्वारा निरंतर काम किया जा रहा है. अटल कामधेनू गौ संस्थान के सदस्यों द्वारा प्रतिदिन 10 से 12 निराश्रित पशुओं का रेस्क्यू कर प्राथमिक उपचार किया जाता है.

अटल कामधेनू गौ संस्थान के सदस्य गौरव राल्ही मिश्रा ने बताया कि मुख्य मार्गों में रात के समय मवेशियों को सड़क हादसे से बचाने के लिए रेडियम बेल्ट बांधने का अभियान चलाया जाता है. उन्होंने बताया कि अभी तक तकरीबन 3,000 से अधिक जानवरों को रेडियम बेल्ट बांध कर उन का जीवन बचाया गया है.

उन्होंने यह भी बताया कि गरमी के दिनों में मवेशियों के लिए सार्वजनिक स्थलों में समुचित पेयजल, खाने के लिए चाराभूसा इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है. गौरव राल्ही मिश्रा ने आगे बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा मवेशियों के उपचार के लिए डाक्टर्स, पुलिस विभाग द्वारा मवेशियों के लाने व ले जाने के लिए वाहन जैसी अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई गईं.

उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को डाक्टर्स, वाहन जैसी अन्य व्यवस्थाएं प्रदान करने के लिए तहेदिल धन्यवाद दिया.

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालक, किसान घर बैठे पशुओं के लिए इलाज के लिए टोल फ्री नंबर 1962 पर फोन करने, एंबुलेंस, पशुओं के टीकाकरण जैसी अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं.

नरवाई प्रबंधन के लिए जागरूकता रथ

खंडवा : नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ को कलक्टर अनूप कुमार सिंह एवं अपर कलक्टर केआर बडोले द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखा कर रवाना किया गया. नरवाई प्रबंधन जागरूकता रथ का उद्देश्य ऐसे ग्रामों में जागरूकता फैलाना है, जिन में पिछले वर्ष खरीफ सीजन में फसल अवशेष जलाने की घटना घटित हुई थी. इस दौरान उपसंचालक, कृषि, केसी वास्केल, उपसंचालक कृषि (आत्मा) एएस सोलंकी, सहायक संचालक कृषि एलएस निगवाल सहित विभिन्न अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे.

सहायक कृषि यंत्री अमित सोलंकी ने बताया कि रथ के द्वारा नरवाई प्रबंधन से संबंधित आधुनिक कृषि यंत्रों की उपयोगिता के बारे में सूचना दी जाएगी.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल खंडवा जिले में 63 घटनाएं दर्ज की गई थीं. प्रचार रथ के द्वारा आगामी रबी सीजन के लिए प्रमुख फसलों के उचित प्रबंधन के लिए प्रचारप्रसार किया जाएगा. नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के अंतर्गत फसलों की कटाई के उपरांत फसल अवशेष को जलाए जाने को प्रतिबंधित किया गया है.

फसल अवशेष जलाए जाने पर व्यक्ति या निकाय को नोटिफिकेशन प्रावधान के अनुसार, पर्यावरण क्षति पूर्ति राशि दंडस्वरूप संबंधित व्यक्ति या निकाय से वसूल की जाएगी. उन्होंने बताया कि कृषि भूमि 2 एकड़ से कम को 2500 रुपए, कृषि भूमि 2 एकड़ से 5 एकड़ को 5,000 रुपए, कृषि भूमि 5 एकड़ से अधिक को 15,000 रुपए वसूल किए जाएंगे.

आत्मा सर्वोत्तम कृषक अवार्ड के लिए करें आवेदन

कटनी : राज्य शासन द्वारा कृषि विस्तार सुधार कार्यक्रम ‘आत्मा’ आगामी 26 जनवरी, 2025 को जिले के सभी विकासखंडों से 5-5 सर्वोत्तम किसानों को पुरस्कृत करने की योजना प्रसारित की गई है. इस पुरस्कार के लिए सर्वोत्तम किसान के चयन का आधार उन के द्वारा मूल्यांकन वर्ष 2023-24 में अपनाई गई कृषि तकनीक, उपज एवं उत्पादकता के आधार पर निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा. इस में विकासखंड स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार के लिए प्रति विकासखंड 5 किसान, जो कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, कृषि अभियांत्रिकी से संबंधित है, को 10,000 रुपए से पुरस्कृत किया जाएगा. जिला स्तरीय 5 सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार के लिए 25,000 रुपए से सर्वोत्तम कृषक को पुरस्कृत और सर्वोत्तम समूह पुरस्कार राशि 20,000 रुपए प्रत्येक समूह को (कुल 5 समूह) पुरस्कृत किया जाएगा.

इस पुरस्कार के लिए निर्धारित प्रपत्र में किसानों से प्रविष्टियां 14 अक्तूबर, 2024 तक आमंत्रित की गई हैं. किसान आवेदनपत्र अपने विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर से प्राप्त कर आवेदनपत्र भर कर विकासखंड स्तरीय कार्यालय में जमा कर सकते हैं.

किसानों की प्रविष्टियों का मूल्यांकन कलक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा. सर्वोत्तम अंक पाने वाले किसानों का चयन किया जाएगा. राज्य स्तरीय पुरस्कार का चयन राज्य स्तर से होगा और विकासखंड के लिए चयनित सर्वोत्तम किसान का आवेदन राज्य स्तर पर भेजा जाएगा.

इसी प्रकार आत्मा अंतर्गत कार्यरत कृषक रुचि समूह एवं कमोडिटी रुचि समूहों को भी जिला स्तर पर पुरस्कृत करने के लिए प्रविष्टियों के आवेदनपत्र विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर से प्राप्त कर निर्धारित समयसीमा में जमा किए जा सकते हैं.

आवेदनपत्र भरने में यदि कोई कठिनाई आए, तो कृषि विभाग, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य, कृषि अभियांत्रिकी के कर्मचारियों, अधिकारियों का निष्पक्ष सहयोग प्राप्त किया जा सकता है. सर्वोत्तम कृषक एवं समूहों के चयन में पूर्ण निष्पक्षता एवं पारदर्शिता बरती जाएगी.

उन्होंने किसानों से अपील की है कि वर्ष 2023-24 में अर्जित प्रगति अपनाई गई तकनीक व प्राप्त उत्पादन एवं उपज की सहीसही जानकारी आवेदनपत्र में भर कर लिफाफाबंद कर 14 अक्तूबर, 2024 तक विकासखंड स्तरीय कार्यालय में जमा किए जा सकते हैं. जिन कृषकों, समूहों को गत वर्ष ऐसे पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं, वे आगामी 7 वर्षों तक आवेदन करने के पात्र नहीं रहेंगे.

फूलों की खेती ( Flower Farming) कर लाभ कमा रहे हैं ललित कुमावत

नीमच : फूलों की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है, इसलिए आज फूलों की खेती किसानों को अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है. अगर फूलों की खेती को वैज्ञानिक तरीके से किया जाए, तो मुनाफा कहीं और अधिक बढ़ जाता है. इसी काम को अंजाम दिया है नीमच के एक किसान ललित कुमावत ने.

नीमच जनपद के ग्राम निपानिया के किसान ललित कुमावत, पिता सुरेश कुमावत ने परंपरागत खेती के बजाय उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में फूलों की खेती कर खेती को लाभ का धंधा बना लिया है. ललित कुमावत ने 0.400 हेक्टेयर में गैंदा फूलों की खेती करना प्रारंभ किया और 50,000 रुपए खर्च हुए. गैंदा फूल 40 से 50 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से बिक रहे हैं. इस से ललित कुमावत को अच्‍छी आय प्राप्‍त हो रही है.

गैंदा फूलों की खेती से ललित कुमावत को कुल 2 लाख रुपए की आय होने की संभावना है. खर्च निकाल कर उन्हें शुद्ध 1.50 लाख रुपए की आय होगी. इस तरह ललित कुमावत ने परंपरागत खेती के बजाय उन्‍नत तकनीकी से गैंदा फूलों की खेती कर खेती को लाभ का धंधा बना लिया है.