गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय  

खरपतवार ऐसे पौधों को कहते हैं, जो बिना बोआई के ही खेतों में उग आते हैं और बोई गई फसलों को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं. मुख्यत: खरपतवार फसलीय पौधों से पोषक तत्त्व, नमी, स्थान यानी जगह और रोशनी के लिए होड़ करते हैं. इस से फसल के उत्पादन में कमी होती है. इन सब के साथसाथ कुछ खरपतवार ऐसे भी होते हैं, जिन के पत्तों और जड़ों से मिट्टी में हानिकारक पदार्थ निकलते हैं. इस से पौधों की बढ़वार पर बुरा असर पड़ता है, जैसे गाजरघास (पार्थेनियम) एवं धतूरा आदि न केवल फार्म उत्पाद की गुणवत्ता को घटाते हैं, बल्कि इनसान और पशुओं की सेहत के प्रति भी नुकसानदायक हैं.

गेहूं की फसल भारत की खेती का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है. इस के सफल उत्पादन के लिए खरपतवार नियंत्रण एक अनिवार्य प्रक्रिया है. खरपतवार न केवल फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं, बल्कि फसल की वृद्धि और उपज को भी बाधित करते हैं.

गेहूं की भरपूर और स्वस्थ उपज लेने के लिए सही समय पर खरपतवार का नियंत्रण करना बहुत ही जरूरी होता है. अकसर खरपतवार कई हानिकारक कीड़े और रोगों का भी घर बन जाता है. इस के साथसाथ ये फसलों के नुकसानदायक कीटों व रोगों को भी आश्रय दे कर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं.

अगर सही समय पर खरपतवारों का नियंत्रण नहीं किया जाता है, तो फसल उत्पादन में 50 से 60 फीसदी तक की कमी हो सकती है और किसानों को माली नुकसान भी उठाना पड़ता है. पर इन का नियंत्रण भी एक कठिन समस्या है.

इन खरपतवारों को नियंत्रित करने से फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार हो सकता है. इन खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि यांत्रिक विधियां, सस्य क्रियाएं, भूपरिष्करण क्रियाएं, कार्बनिक खादों का प्रयोग, जैव नियंत्रण उपाय और रासायनिक विधियां.

गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए विभिन्न तरीकों की विस्तृत जानकारी निम्नलिखित है :

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यांत्रिक विधियां

* हाथों से खरपतवार निकालना : यह सब से पुरानी और प्रभावी विधि है, लेकिन इस में समय और मेहनत अधिक लगती है.

* खुरपी, हंसिया, कुदाल आदि से खरपतवार निकालना : इन उपकरणों का उपयोग कर के खरपतवार को निकाला जा सकता है.

* मशीन से खरपतवार निकालना : रोटरी वीडर, वीडर और हार्वेस्टर जैसी मशीनें खरपतवार निकालने में मदद करती हैं.

सस्य क्रियाएं

* फसलों का चुनाव : तेजी से वृद्धि करने वाली फसलें और जड़ें गहरी व फैलने वाली फसलें खरपतवारों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं.

* फसल चक्र : विभिन्न फसलों को लगाने से खरपतवारों की वृद्धि रुक जाती है.

* फसल की सघनता : अधिक सघनता से खरपतवारों को वृद्धि करने का अवसर नहीं मिलता.

कार्बनिक खादों का प्रयोग

* कार्बनिक खाद सड़ने और गलने के बाद कार्बनिक अम्ल का निस्तारण करते हैं, जो खरपतवारों की वृद्धि को कम कर देता है.

* जैविक खादों का उपयोग कर के मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है और खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है.

जैव नियंत्रण के उपाय

* जैविक नियंत्रण एजेंट जैसे नेमाटोड, बैक्टीरिया और फंजाई खरपतवारों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.

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रासायनिक विधियां

रासायनिक विधियों के जरीए खरपतवार नियंत्रण करना एक प्रभावी तरीका है, लेकिन इस के उपयोग से पहले कुछ सावधानियां बरतें.

शाकनाशी रसायन के प्रकार

संपर्क शाकनाशी : यह शाकनाशी रसायन पत्तियों पर लगाया जाता है और खरपतवार को मारता है. उदाहरण : ग्लाईफोसेट, 2,4-डी.

सिस्टैमिक शाकनाशी : यह शाकनाशी रसायन खरपतवार के पौधे में अवशोषित होता है और उस की वृद्धि को रोकता है. उदाहरण : डाइक्लोफेनाक, मैटोलाक्लोर.

पहले उगाया गया शाकनाशी : यह शाकनाशी रसायन मिट्टी में लगाया जाता है और खरपतवार की वृद्धि को रोकता है. उदाहरण : ट्राईफ्लुरेलिन.

बाद में उगाया गया शाकनाशी : यह शाकनाशी रसायन खरपतवार के उगने के बाद लगाया जाता है और उस की वृद्धि को रोकता है. उदाहरण : ग्लाइफोसेट, 2,4-डी.

शाकनाशी रसायन के उपयोग के तरीके

फसल के पहले : शाकनाशी रसायन को फसल के पहले लगाया जाता है, ताकि खरपतवार की वृद्धि को रोका जा सके.

फसल के साथ : शाकनाशी रसायन को फसल के साथ लगाया जाता है, ताकि खरपतवार की वृद्धि को रोका जा सके.

खरपतवार के ऊपर : शाकनाशी रसायन को खरपतवार के ऊपर लगाया जाता है, ताकि उस की वृद्धि को रोका जा सके.

शाकनाशी रसायन के फायदे

यह शाकनाशी रसायन खरपतवार की वृद्धि को रोकता है और फसल की उत्पादकता को बढ़ाता है.

फसल की सुरक्षा : शाकनाशी रसायन फसल को खरपतवार से बचाता है और उस की सुरक्षा करता है.

समय और मेहनत की बचत : शाकनाशी रसायन का उपयोग करने से समय और मेहनत की बचत होती है.

शाकनाशी रसायन के नुकसान

पर्यावरण पर प्रभाव : शाकनाशी रसायन पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल सकता है और जीवजंतुओं को नुकसान पहुंचा सकता है.

फसल को नुकसान : शाकनाशी रसायन फसल को नुकसान पहुंचा सकता है, अगर उस का उपयोग सही तरीके से नहीं किया जाए.

मिट्टी का प्रदूषण : शाकनाशी रसायन मिट्टी का प्रदूषण कर सकता है और उस की उर्वरता को कम कर सकता है.

इन विधियों को अपना कर गेहूं की फसल में खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है.

किसानों को इन विभिन्न उपायों को अपना कर अपनी फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को बनाए रखना चाहिए.

वर्तमान में उपलब्ध नई तकनीकें और उन्नत विधियां खरपतवार नियंत्रण को अधिक प्रभावी और स्थायी बनाने में मददगार साबित हो रही हैं, जो कृषि की चुनौतियों का सामना करने में मददगार हैं.

गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय

कंडाली : कंडाली एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-60 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं.

सरसों : सरसों एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-90 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल पीले रंग के होते हैं, जो अप्रैलमई माह में खिलते हैं.

खूबकला : खूबकला एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 20-50 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल पीले रंग के होते हैं, जो अप्रैलमई माह में खिलते हैं.

मटर के परिवार की खरपतवार

मटरी : मटरी एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-60 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल बैगनी रंग के होते हैं, जो अप्रैलमई माह में खिलते हैं.

फूली मटर : फूली मटर एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 20-40 सैंटीमीटर तक होती है.

काली मटर : पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल बैगनी रंग के होते हैं, जो अप्रैलमई माह में खिलते हैं. यह एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-60 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं. इन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल बैगनी रंग के होते हैं, जो अप्रैलमई माह में खिलते हैं.

गंदेरी परिवार की खरपतवार

गंदेरी : गंदेरी एक बहुवर्षीय खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-100 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल हरे रंग के होते हैं, जो जूनजुलाई माह में खिलते हैं. इस की जड़ें गहरी होती हैं और मिट्टी में पानी को सोख लेती हैं.

बांस घास : बांस घास एक बहुवर्षीय खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 100-200 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल हरे रंग के होते हैं, जो जूनजुलाई माह में खिलते हैं.

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खरपतवार की पहचान

खरपतवार की पहचान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि विभिन्न प्रकार के खरपतवारों की विशेषताएं और नियंत्रण की विधियां भिन्न होती हैं. गेहूं की फसल में सामान्य रूप से उगने वाले खरपतवार निम्नलिखित हैं :

मकोय : मकोय एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-100 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. मकोय गेहूं की फसल में तेजी से वृद्धि करता है और फसल की उत्पादकता को कम कर देता है.

हिरनखुरी : हिरनखुरी एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-100 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल पीले रंग के होते हैं, जो जूनजुलाई माह में खिलते हैं.

ककमाची : ककमाची एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-100 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल सफेद रंग के होते हैं, जो जूनजुलाई माह में खिलते हैं.

बथुआ : बथुआ एक वार्षिक खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-100 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल हरे रंग के होते हैं, जो जूनजुलाई माह में खिलते हैं. बथुआ गेहूं की फसल में तेजी से वृद्धि करता है और फसल की उत्पादकता को कम कर देता है.

चौलाई : इस की पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल हरे रंग के होते हैं, जो जूनजुलाई माह में खिलते हैं.

जंगली गाजर : जंगली गाजर एक द्विवर्षीय खरपतवार है, जिस की ऊंचाई 30-100 सैंटीमीटर तक होती है. पत्तियां आकार में लंबी और चौड़ी होती हैं, जिन के किनारे दांतेदार होते हैं. फूल सफेद रंग के होते हैं, जो जूनजुलाई माह में खिलते हैं.

आलू खुदाई करने वाला खालसा पोटैटो डिगर (Potato Digger)

खालसा डिगर आवश्यक जनशक्ति और समय बचाता है. इस डिगर को जड़ वाली फसलों की खुदाई के लिए डिजाइन किया गया है. इस का गियर बौक्स में गुणवत्तापूर्ण पुरजों का इस्तेमाल किया गया है, जो लंबे समय तक साथ देने का वादा करते हैं.

कृषि यंत्र पर आप के द्वारा किया गया खर्चा आप को रिटर्न देने की गारंटी के साथ हार्वेस्टर वाली सभी जरूरतें पूरी करता है. इस पोटैटो डिगर से एक दिन में तकरीबन 6-8 एकड़ क्षेत्रफल की आलू खुदाई की जा सकती है.

यह भारत सरकार द्वारा परीक्षण किया गया आलू खुदाई यंत्र है.

खालसा सिंगल कन्वेयर पोटैटो डिगर

यह सिंगल कन्वेयर 2 लाइनों में आलू खुदाई करने वाला यंत्र है. भारी मिट्टी वाले खेत में भी यह आसानी से काम करता है. इस यंत्र में लगा ङ्क आकार का नोज ब्लेड आलू को खराब होने से बचाता है और सिंगल कन्वेयर आलू से मिट्टी अलग कर उसे साफसुथरा करता है.

इस यंत्र में लगा बैक रोलर खेत की मिट्टी को समतल कर उचित सतह बनाता है, जिस से खुदाई के बाद सभी आलू ऊपरी सतह पर आ जाते हैं. इस वजह से आलू चुनने में दिक्कत नहीं होती.

सभी तरह की मिट्टी के लिए खास पोटैटो डिगर

खालसा ब्रांड का 2 लाइनों में आलू खोदने वाला यह यंत्र चलाने में बहुत आसान है. यह आसानी से ट्रैक्टर से जुड़ सकता है. यह यंत्र सभी प्रकार की मिट्टी, जैसे रेतीली, चिकनी और कठोर सभी के लिए उपयुक्त है. कम समय में भी अधिक रकबे को यह कवर करता है और आलू को नुकसान पहुंचाए बिना उस की बेहतर खुदाई करता है.

फ्रंट कन्वेयर और यंत्र में लगी यूनिट के साथ यह आलू का 100 फीसदी ऐक्सपोजर सुनिश्चित करता है अर्थात आलू मिट्टी के ऊपर आ कर दिखता है, जिस से आलू को खेत से उठाने में भी आसानी होती है.

खालसा विंड्रो पोटैटो डिगर

विंड्रो सिस्टम के साथ लगे 2 पंक्ति वाले डिगर एलिवेटर कटाई की नवीनतम तकनीक प्रदान करते हैं. यह पूरी तरह से एडजस्टेबल है और 20 इंच की डिगर हाई कार्बन स्टील डिस्क में गहराई बनाए रखने के लिए पीछे की तरफ 2 पहिए लगे हैं.

इस यंत्र से आलू खुदाई का समय अन्य डिगर के मुकाबले एकतिहाई ही लगता है, जिस से मेहनत, समय और पैसे की काफी अधिक बचत होती है.

2 पंक्ति वाला पोटैटो हार्वेस्टर

खालसा का ट्रैक्टरचालित 2 पंक्ति आलू कंबाइन हार्वेस्टर वी-नोज खुदाई फ्रंट ब्लेड के साथ आता है. यह भारत का पहला स्वचालित आलू हार्वेस्टर है.

कन्वेयर बेल्ट की मदद से आलू बिना मिट्टी के साफसुथरा निकलता है, जो यंत्र में लगे आलू टैंकर में इकट्ठा किया जाता है. उस के बाद आलू को अपनी सुविधानुसार  ट्रौली/बालटियों में ले जाया जा सकता है. ये सभी काम स्वचालित तरीके से होते हैं. इस में किसी मानवशक्ति की जरूरत नहीं होती.

अधिक जानकारी के लिए आप फोन नंबर 0121-2511627, 6541627 पर बात कर सकते हैं या वैबसाइट पर जानकारी ले सकते हैं.

गुड़पट्टी बन गई चिक्की

कभी गांवों में बनने वाली गुड़पट्टी अब चिक्की बन गई है. यह मिठाई की बड़ी दुकानों से ले कर औनलाइन भी बिकने लगी है. यह युवाओं को भी पसंद आने लगी है. जाड़ों में गुड़पट्टी ज्यादा बिकती है.

जाड़ों में गुड़चिक्की के जरीए सर्दी के असर को दूर किया जा सकता है. गुड़ और मूंगफली का इस में सब से अहम रोल होता है. इसे खाने से शरीर में गरमाहट रहती है.

यह गुड़चिक्की शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत रखती है, जिस से सर्दीजुकाम, खांसी, अस्थमा आदि से बचा जा सकता है.

गुड़पट्टी खाने में लजीज लगती है. पहले गुड़पट्टी को आम लोगों की मिठाई माना जाता था. अब गुड़पट्टी चिक्की के नाम से मिठाई की बड़ीबड़ी दुकानों में मिलने लगी है.

आकार में गुड़पट्टी कई तरह की बनने लगी है. चिक्की या गुड़पट्टी का आकार कुछ भी हो, लेकिन इस का स्वाद एकजैसा होता है. स्वाद में लजीज गुड़पट्टी गुड़, चीनी और मूंगफली को मिला कर तैयार की जाती है.

सर्दियों में जो लोग मेवा नहीं खा सकते, उन के लिए मूंगफली किसी मेवे से कम नहीं होती है. रात में खाना खाने के बाद गुड़पट्टी का सेवन करने से शरीर गरम रहता है. इस से खाना पचाने में भी मदद मिलती है. गुड़ में एक खास तरह का तत्त्व होता है, जो खाना पचाने में मदद करता है.

सही पाचन से शरीर में ऐंटीआक्सिडेंट्स बनते हैं. इस से शरीर में बने टाक्सिंस को बाहर निकलने में आसानी रहती है. गुड़ मिला होने के कारण इसे खाने से कोई नुकसान भी नहीं होता है और शरीर का शुगर लेवल भी नहीं बढ़ता. इस से फैट और कोलेस्ट्राल का खतरा भी कम हो जाता है.

मूंगफली में प्रोटीन काफी मात्रा में होता है, जो शरीर को मजबूत बनाता है. शरीर में खून की कमी वाले लोगों को गुड़चिक्की का सेवन करना लाभदायक रहता है.

रोजगार का साधन

गुड़पट्टी या चिक्की बना कर बेचना एक अच्छा रोजगार है. मिठाई की दुकानों के साथ ही साथ सड़कों, मेलों और प्रदर्शनी में ठेला लगा कर इस को बेचा जाता है.

गुड़चिक्की बेचने वाले लोग इसे बड़े पैमाने पर बनाने वाले लोगों से ही खरीदारी करते हैं. गुड़पट्टी 300 रुपए से शुरू हो कर 500 रुपए प्रति किलोग्राम तक मिलती है.

महंगी वाली गुड़पट्टी चिक्की कहलाती है, जिसे तैयार करने में देशी घी का इस्तेमाल किया जाता है. गुड़पट्टी के कारीगर दीपक गुप्ता कहते हैं, ‘गुड़पट्टी बनाने में लगने वाली सामग्री की क्वालिटी काफी अच्छी होनी चाहिए. साथ ही इसे बनाते समय सफाई का पूरा खयाल रखना चाहिए. इस को ऐसे रखना चाहिए, जिस से इस में हवा न लगे. हवा लगने से यह कुरकुरी नहीं रहती और जल्दी खराब हो जाती है.

कैसे बनती है गुड़पट्टी

गुड़पट्टी बनाने के लिए अच्छी किस्म का गुड़ लेना चाहिए. गुड़पट्टी का रंग काला न हो कर पारदर्शी दिखे, इस के लिए गुड़ की बराबर मात्रा में इस में चीनी मिलाई जाती है. अगर गुड़पट्टी के रंग को ज्यादा साफ दिखाना है, तो गुड़ में चीनी की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए. वैसे सब से अच्छी गुड़पट्टी वही मानी जाती है, जिस में गुड़ और चीनी की मात्रा बराबर होती है.

पहले गुड़ व चीनी की 2 तार की चाशनी बनानी चाहिए. इस में जरूरत के मुताबिक मूंगफली के दाने साफ कर के व भून कर डालने चाहिए. 1 किलोग्राम तैयार चाशनी में 500 ग्राम मूंगफली के दाने डालें. जिन लोगों को गुड़ कम खाना हो, वे 750 ग्राम तक मूंगफली के दाने डाल सकते हैं. इस तैयार सामग्री को साफसुथरी जगह पर फैलाया जाता है.

जब सारी सामग्री सेट हो जाए, तो उसे कटर से इच्छानुसार टुकड़ोें और डिजाइन में काट लेते हैं. चिक्की ज्यादातर छोटेछोटे टुकड़ों में काटी जाती है. गुड़पट्टी को कुछ लोग प्लेट में सजा कर जमाते हैं. जिस जगह पर यह सामग्री डाली जाती है, वहां पर पहले से चिकनाई लगा दी जाती है, जिस से ठंडी होने के बाद इस को निकालने में आसानी रहे. गुड़पट्टी या चिक्की को कुरकुरा रखने के लिए नमी से बचाया जाता है.

महिलाओं और युवाओं को मिलेंगे रोजगार (Employment)

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में 10,000 नवगठित बहुद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), डेयरी व मत्स्य सहकारी समितियों का शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपयी की जन्म शताब्दी के दिन 10,000 नई बहुद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (MPACS), डेयरी व मत्स्य सहकारी समितियों का शुभारंभ हो रहा है.

अमित शाह ने कहा कि 19 सितंबर, 2024 को इसी स्थान पर हम ने एक SOP बनाई थी. उस के 86 दिन के अंदर ही हम ने 10,000 पैक्स को रजिस्टर करने का काम समाप्त कर दिया है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की, तो उन्होंने ‘सहकार से समृद्धि’ का मंत्र दिया था.

मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि ‘सहकार से समृद्धि’ तभी संभव है, जब हर पंचायत में सहकारिता उपस्थिति हो और वहां किसी न किसी रूप में काम करे. उन्होंने कहा कि हमारे देश के त्रिस्तरीय सहकारिता ढांचे को सब से ज्यादा ताकत प्राथमिक सहकारी समिति ही दे सकती है, इसलिए मोदी सरकार ने 2 लाख नए पैक्स बनाने का निर्णय लिया था.

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि नाबार्ड (NABARD), एनडीडीबी(NDDB) और एनएफडीबी (NFDB) ने 10,000 प्राथमिक सहकारी समितियों के पंजीकरण में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद सब से बड़ा काम सभी पैक्स का कंप्यूटराइजेशन करने का काम किया गया.

उन्होंने आगे कहा कि कंप्यूटराइजेशन के आधार पर पैक्स को 32 प्रकार की नई गतिविधियों से जोड़ने का काम किया गया. हम ने पैक्स को बहुआयामी बना कर और उन्हें भंडारण, खाद, गैस, उर्वरक एवं जल वितरण के साथ जोड़ा है.

मंत्री अमित शाह ने कहा कि ट्रेंड मैनपावर न होने के कारण ये सब हम नहीं कर सकते. इस के लिए आज यहां प्रशिक्षण मौड्यूल का भी शुभारंभ हुआ है, जो पैक्स के सदस्यों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने का काम करेंगे.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि ये प्रशिक्षण मौड्यूल हर जिला सहकारी रजिस्ट्रार की जिम्मेदारी बनेगी कि पैक्स के सचिव एवं कार्यकारिणी के सदस्यों का अच्छा प्रशिक्षण सुनिश्चित हो.

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि यहां 10 सहकारी समितियों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड (RuPay Kisan Credit Card), माइक्रो एटीएम (Micro ATM) का वितरण किया गया है. इस अभियान के तहत आने वाले दिनों में हर प्राथमिक डेयरी को माइक्रो एटीएम दिया जाएगा. माइक्रो एटीएम और रुपे किसान क्रेडिट कार्ड (RuPay Kisan Credit Card) हर किसान को कम खर्च पर लोन यानी ऋण देने का काम करेगा.

मंत्री अमित शाह ने कहा कि पैक्स के विस्तार के लिए विजिबिलिटी, रेलेवेंस, वायबिलिटी और वाइब्रेंसी का ध्यान रखा गया है. पैक्स में 32 कामों को जोड़ कर इसे विजिबल और वायबल बनाया गया है.

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि गांव में कौमन सर्विस सैंटर (Common Service Centre) (CSC) का जब पैक्स बन जाता है, तो गांव के हर नागरिक को किसी न किसी रूप में पैक्स के दायरे में आना पड़ता है. इस प्रकार हम ने इस की रेलेवेंस भी बढ़ाई है.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब पैक्स गैस वितरण, भंडारण, पैट्रोल वितरण आदि का काम करते हैं, तो उन की वाइब्रेंसी अपनेआप बढ़ जाती है. साथ ही, पैक्स के बहुद्देश्यीय होने से पैक्स का जीवन भी लंबा होने की पूरी संभावना रहती है.

उन्होंने कहा कि यह एक बहुद्देशीय कार्यक्रम है, जिस से किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का प्रयास होगा.

मंत्री अमित शाह ने कहा कि कंप्यूटराइजेशन और टैक्नोलौजी से पैक्स में पारदर्शिता आएगी, सहकारिता का जमीनी स्तर पर विस्तार होगा और ये महिलाओं और युवाओं के रोजगार का माध्यम भी बनेगा. साथ ही, पैक्स, कृषि संसाधनों की आसान उपलब्धता भी सुनिश्चित करेगा.

अमित शाह ने कहा कि हमारी 3 नई राष्ट्रीय स्तर की कोऔपरेटिव्स के माध्यम से पैक्स, और्गेनिक उत्पादों, बीजों और ऐक्सपोर्ट के साथ किसानों की समृद्धि के रास्ते भी खोलेगा. इस से सामाजिक और आर्थिक समानता भी आएगी, क्योंकि नए मौडल में महिलाओं, दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों की भागीदारी सुनिश्चित की है, जिस से सामाजिक समरसता भी बढ़ेगी.

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने लक्ष्य रखा है कि अगले 5 साल में 2 लाख नए पैक्स का गठन करेंगे. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 5 साल से पहले ही हम इस लक्ष्य को पूरा लेंगे.

उन्होंने आगे बताया कि पहले चरण में नाबार्ड 22,750 पैक्स और दूसरे चरण में 47,250 पैक्स बनाएगा. इसी प्रकार एनडीडीबी 56,500 नई समितियां बनाएगा और 46,500 मौजूदा समितियों को और मजबूत बनाएगा. वहीं एनएफडीबी 6,000 नई मत्स्य सहकारी समितियां बनाएगा और 5,500 मौजूदा मत्स्य सहकारी समितियों का सशक्तीकरण करेगा. इन के अलावा राज्यों के सहकारी विभाग 25,000 पैक्स बनाएंगे.

अमित शाह ने इस अवसर पर कहा कि नए मौडल के साथ अब तक 11,695 नई प्राथमिक सहकारी समितियां पंजीकृत हुई हैं, जो हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. साथ ही, 2 लाख नए पैक्स बनने के बाद फौरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेजेस के माध्यम से किसानों की उपज को वैश्विक बाजार में पहुंचाना बड़ा आसान हो जाएगा.

सरस मेलों से ग्रामीण महिलाएं (Rural Women) बन रहीं सशक्त

जयपुर : कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री डा. किरोड़ी लाल मीणा ने राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) द्वारा जवाहर कला केंद्र, जयपुर में संचालित ‘सरस राजसखी मेला, 2024’ का अवलोकन करते हुए कहा कि सरस मेलों का ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में अहम योगदान है. इन मेलों में देश की ग्रामीण महिलाएं अपने हाथों से बने शोपीस आइटम बेचती है.

मेले में मंत्री डा. किरोड़ी लाल ने सरस मेले में सभी स्टालों का अवलोकन किया एवं विभिन्न राज्यों से आए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बातचीत की और उन के उत्पादों की सराहना की. मेले में 250 से अधिक जीआई टैग उत्पादों के तकरीबन 400 स्टाल थे.

उन्होंने आगे कहा कि सरस मेले में राजीविका दीदियों द्वारा बने शिल्पकला, एंब्रौयडरी, जैविक उत्पाद, घर का साजोसामान एवं खानेपीने से संबंधित चीजों को एक स्थान पर खरीदारी करने का अवसर प्रदान करता है. ये मेले पारंपरिक भारतीय कला एवं संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि मेले में विभाग द्वारा पैकेजिंग, ब्रांडिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग और वित्तीय प्रबंधन जैसे विषयों पर कार्यशालाओं का आयोजन भी किया गया, जिस से कि राजीविका महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा उत्पाद बेचने के अवसर उपलब्ध हो सकें.

सरस मेले में नैशनल क्रेडिट कोर यानी एनसीसी के 70 कैडेटों ने भी अवलोकन किया और खरीदारी कर मेले का लुत्फ उठाया. साथ ही, अजमेर एवं अलवर जिले से आई स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा भी मेले का भ्रमण किया गया एवं भविष्य में मेले में अपने उत्पादों के साथ सहभागिता निभाने की मंशा जाहिर की गई.

यह मेला ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने का एक अहम प्रयास है, जिस में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हस्तनिर्मित उत्पादों का प्रदर्शन किया गया. मेले में देशभर के 250 से अधिक भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग वाले उत्पादों और पारंपरिक शिल्प का शानदार संग्रह देखने को मिला.

सरस राज्य सखी राष्ट्रीय मेला एक अद्वितीय मंच है, जहां विभिन्न राज्यों की महिला सदस्य अपने पारंपरिक हस्तशिल्प, हैंडलूम, खाद्य उत्पाद और उन्नत तकनीकी उत्पादों का प्रदर्शन कर रही है. इस आयोजन में क्षेत्रवाद मंडप बनाए गए, जिन में प्रत्येक राज्य की विशिष्ट सांस्कृतिक कलाकृतियां और पारंपरिक उत्पाद प्रदर्शित हुए. यहां पर तकरीबन 300 से अधिक स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने अपने उत्पादों को बेचा. यह मेला देश की सांस्कृतिक विविधता, पारंपरिक स्वादों और हस्तशिल्प के अनूठे संगम को दर्शाता है.

3 लाख लिटर दूध प्रतिदिन की क्षमता का नया संयंत्र (New Milk Plant) लगेगा

जयपुर : दूध उत्पादक सहकारी संघ गोवर्धन परिसर, उदयपुर में पंजाब के राज्यपाल एवं प्रशासक चंडीगढ़ गुलाबचंद कटारिया के मुख्य आतिथ्य में विशाल ‘किसान सहकार सम्मेलन’ कार्यक्रम आयोजित किया गया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ के अध्यक्ष डालचंद डांगी ने संघ का संयंत्र अत्यंत पुराना होने के मद्देनजर राज्यपाल पंजाब एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत से उदयपुर में 3 लाख लिटर दूध प्रतिदिन की क्षमता का नया संयंत्र स्थापित कराने एवं 150 टन प्रतिदिन की क्षमता का पशु आहार संयंत्र लगाने का अनुरोध करते हुए विस्तृत परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत किया.

कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल एवं प्रशासक चंडीगढ़ गुलाबचंद कटारिया ने अपने उदबोधन में पशुपालकों की माली हालत को मजबूत करने और कीमत अंतर राशि दूध समितियों के बजाय सीधे दूध उत्पादकों के बैंक खातों में भेजने का सुझाव दिया. साथ ही, बाजार की होड़ के मद्देनजर दूध एवं दूध से बने उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने पर भी जोर दिया.

पशुपालन, गोपालन एवं देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने अपने उद्बोधन में दूध उत्पादकों को दर अंतर दिए जाने पर ख़ुशी जाहिर करते हुए दुग्ध संघ, उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबंध संचालक के प्रयासों की सराहना की एवं भविष्य में दर अंतर राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे दूध उत्पादकों के बैंक खाते मे भेजने का सुझाव दिया.

उन्होंने आगे कहा कि दूध उत्पादकों को दूध पर दी जाने वाली सब्सिडी जारी रखी जाएगी. इस से दूध उत्पादकों की माली हालत और भी मजबूत होगी. उन्होंने सभी से अपना पूरा दूध दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति पर ही देने के लिए कहा, ताकि उन को सहकारी डेयरी से मिलने वाली सभी सुविधाओं का लाभ मिल सके.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पशुपालकों के कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं जैसे दुधारू पशु बीमा योजना, गोपालक कार्ड योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, पशु मोबाइल चिकित्सा योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए इन का लाभ उठाने को कहा. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार दूध में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर रही है.

उदयपुर डेयरी परिसर में स्थित पार्लर को सरस संकुल पार्लर, जयपुर की तर्ज पर विकसित करने पर भी उन्होंने जोर दिया और कहा कि आगामी बजट मे उदयपुर में 3 लाख लिटर का नया संयंत्र एवं 150 टन प्रतिदिन की क्षमता का पशु आहार संयंत्र स्थापित लगाने का प्रयास किया जाएगा.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनजाति विकास एवं गृह रक्षा मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय को रोजगार एवं आजीविका का सशक्त माध्यम बताया एवं ज्यादा से ज्यादा किसानों एवं पशुपालकों से सहकारी डेयरी से जुड़ कर आमदनी बढाने का आह्वान किया.

उदयपुर डेयरी के प्रबंध संचालक विपिन शर्मा ने किसान सहकार सम्मेलन कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया.

सिद्धार्थ नगर में बड़े पैमाने पर काला नमक चावल का हो रहा उत्पादन

सिद्धार्थ नगर: जिला प्रशासन अधिकारियों एवं कृषि विभाग के प्रयास से जिले में काला नमक चावल की पहचान पूरी दुनिया में पहुंचाने के लिए पिछले दिनों क्रेताविक्रेता सम्मेलन का कार्यक्रम 2 दिनों के लिए आयोजित किया गया. जिलाधिकारी का प्रयास जिले के किसानों को काला नमक चावल के उत्पादन की अच्छी कीमत मिले, यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है.

कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ओडीओपी के अंतर्गत जिले के काला नमक चावल को चुना गया है. आज जिले में काला नमक चावल का उत्पादन 18,000 एकड़ भूमि में किया जा रहा है. भारत सरकार द्वारा नौनबासमती चावल का निर्यात बंद कर दिया गया था. उस के लिए वाणिज्य मंत्री भारत सरकार से मिल कर किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए खुलवाया गया, जिस से काला नमक चावल व अन्य चावल का उत्पादन करने वाले किसानों को उचित मूल्य प्राप्त हो सके.

सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए दृढ़संकल्पित है. इस के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. कृषि विभाग द्वारा पारदर्शी रूप से किसानों को सोलर पंप, कृषि यंत्र आदि पर सब्सिडी दे कर लाभांवित किया जा रहा है.

काला नमक चावल लंबे समय तक रखने पर उस की खुशबू चली जाती थी. उस के लिए अब वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं, जिस से काला नमक चावल की सुगंध बनी रहे. किसानों को काला नमक चावल का सही बीज मिले, इस के लिए वैज्ञानिकों द्वारा शोध किया जा रहा है.

काला नमक चावल शुगर फ्री, प्रोटीन, विटामिन व अन्य गुणवत्ता से युक्त है. भारत सरकार द्वारा 2,396 मिलियन टन नौनबासमती चावल का निर्यात किया गया था. इस से अधिक निर्यात केवल उत्तर प्रदेश द्वारा हो, इस के लिए प्रयास किया जाए.

कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने जिलाधिकारी को नौगढ़शोहरतगढ़ के बीच आम फैसिलिटेशन सैंटर बनाए जाने का निर्देश दिया, जिस से किसान अपना चावल उस में रख सकें. उन्होंने कहा कि मखाने की खेती करने के लिए ब्लौक स्तर पर गोष्ठी आयोजित कर किसानों को प्रेरित किया जाए, जिस से किसानों को काला नमक चावल के साथ मखाने की खेती से अच्छी आय प्राप्त हो सके.

Black salt rice

डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि काला नमक चावल की ब्रांडिंग एवं निर्यात के लिए क्रेताविक्रेता सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जिला प्रशासन द्वारा काला नमक चावल को विश्व में पहचान के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है. काला नमक चावल विलुप्त होता जा रहा था, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री के प्रयास से इस की पहचान बढ़ी है.

काला नमक चावल का उत्पादन जिस तरह से हो रहा है, उस की सही कीमत किसानों को नहीं मिल रही है. इस क्वालिटी का चावल पूरी दुनिया में नहीं मिल रहा है. काला नमक चावल को शुगर का मरीज भी खा सकता है. जापान के चावल का मुकाबला आज हमारे जिले का काला नमक चावल कर रहा है. आज पूरी दुनिया में और्गेनिक फूड का महत्व बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा डा. स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू किया गया. जनपद में काला नमक भवन बनाने के लिए भारत सरकार से सीएसआर मद से काम करने का प्रयास किया जा रहा है. इस भवन के बनने से बाहर से आने वाले लोगों को काला नमक चावल आसानी से प्राप्त हो जाएगा. वहीं से ही इस की मार्केटिंग भी हो सकेगी. कार्यक्रम के अंत में सांसद डुमरियागंज ने जिला प्रशासन, कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों को शुभकामनाएं दीं.

सेवपूरी (Sevpuri) कई तरह के स्वाद

एक तरह की चाट है सेवपूरी, जिसे चाट के साथ ही साथ नाश्ते के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, उत्तर भारत के सभी प्रदेशों में इसे खाया जाता है. कई जगहों पर इसे पपड़ी चाट के नाम से भी जाना जाता है.

रेस्तरां से ले कर सड़क पर लगने वाली चाट की दुकानों तक में यह खूब बिकती है. सेवपूरी की सब से खास बात यह है कि इस में कई तरह के स्वाद मिलते हैं. यह 30 रुपए प्रति प्लेट से ले कर 80 रुपए प्रति प्लेट तक में बिकती है. 1 प्लेट में 6 से ले कर 8 सेवपूरी होती हैं. मुंबई में यह स्ट्रीट फूड की तरह बिकती है. सेवपूरी या पपड़ी चाट को बनाना बहुत ही सरल होता है.

पपड़ी चाट के कारीगर निशांत कुमार बताते हैं कि सब से पहले पूरी या पपड़ी बनानी होती है. यह करारी और छोटे आकार की होती है. इसे मैदे से बनाया जाता है. इसे तेल या घी में फ्राई कर लेते हैं. जब करारी पूरी तैयार हो जाती है, तो उस में डालने के लिए चाट को तैयार करते हैं. इमली और खजूर की चटनी पहले से बना लें. जब चटनी तैयार हो जाए तो पपड़ी चाट को तैयार करने की शुरुआत करें. अगर आप 16 पपड़ी की चाट तैयार करना चाहते हैं, तो निम्न सामग्री की जरूरत होती है.

पपड़ी चाट पर डालने के लिए सामग्री : 16 पपड़ी, 2 कप आलू कटे हुए, चौथाई कप मूंग उबली हुई, आधा कप टमाटर कटा हुआ, आधा कप प्याज कटा हुआ, 6 चम्मच इमलीखजूर की चटनी, 4 चम्मच हरी चटनी, आधा चम्मच चाट मसाला, आधा कप सेव, 1 चम्मच कटा हरा धनिया.

पपड़ी चाट बनाने की विधि : सब से पहले हरी चटनी तैयार करें. इस को लहसुन, खटाई और हरा धनिया डाल कर बनाया जाता है. 1 प्लेट में 4 पपड़ी रखना ठीक रहता है. पपड़ी अलगअलग कर के रखें. अब हर पपड़ी में आधा चम्मच कटा आलू, प्याज, टमाटर, मूंग रख दें. फिर हरी और इमली खजूर की चटनी डाल दें. इस के बाद ऊपर से महीन किस्म के सेव डाल दें. बारीक कटे प्याज और हरी धनिया से इसे सजा दें. चाट बनाने का काम खाने के समय ही करें. इसे पहले से बना कर न रखें. पहले से बनाई गई चाट की पपड़ी में कुरकुरापन नहीं रह जाता है. पपड़ी चाट का मजा तभी आता है, जब चाट में कुरकुरापन रहता है.

मुंबई और कई शहरों में यह चाट एक रोजगार का जरीया भी है. सड़कों के किनारे इसे खूब बेचा जाता है. सेवपूरी मुंबई में भेल पूरी, पाव भाजी और बड़ा पाव जितनी ही मशहूर है. यहां आने वाले समुद्र के किनारे टहलते हुए इसे खूब खाते हैं. सेवपूरी को तैयार करने में सब से अहम रोल इस के साथ परोसी जाने वाली चटनी का होता है. चटनी का स्वाद ही इसे खास बनाता है.

सेवपूरी को बनाने में प्रयोग होने वाले सेव काफी महीन होने चाहिए. सेव बनाने में अच्छी किस्म के बेसन और तेल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसी तरह से पपड़ी को भी बनाने के लिए भी अच्छी किस्म के मैदे और तेल का इस्तेमाल करें.

एक बार लोगों की जबान पर सेवपूरी के स्वाद के चढ़ने भर की देर है. इस के बाद दुकान चलने में कोई दिक्कत नहीं होती है. लोगों को चाट में अपने मनपसंद स्वाद का ही इंतजार होता है. कुरकुरा, मीठा और तीखा स्वाद पपड़ी चाट या सेवपूरी को खास बनाता है.

कृषि स्टार्टअप्स को सशक्त बनाने के लिए SABAGRIs वेबसाइट लांच

भागलपुर: कृषि नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए, बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर के कुलपति ने आज SABAGRIs (सबौर एग्री इनक्यूबेटर्स) की आधिकारिक वेबसाइट www.sabagris.com को लांच किया. यह वेबसाइट कृषि स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और कृषि नवाचारकर्ताओं को संसाधन, समर्थन और सहयोग के अवसर प्रदान करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगी.

SABAGRIs, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर की एक एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन पहल है,जिस का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार, उद्यमिता और शोध को प्रोत्साहित करना है. यह इनक्यूबेटर कृषि स्टार्टअप्स को विचार विकास से लेकर व्यवसाय के विस्तार तक संपूर्ण समर्थन प्रदान करता है, जिस में आधुनिक कृषि के लिए स्थायी और तकनीकी समाधान पर विशेष ध्यान दिया जाता है.

वेबसाइट लांच का आयोजन बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के निदेशालय अनुसंधान में किया गया. इस अवसर पर SABAGRIs के परियोजना अन्वेषक और निदेशक अनुसंधान डा. एके सिंह और उन की टीम के सदस्य उपस्थित रहे.

यह पहल कृषि क्षेत्र में विकास को गति देने और नवोन्मेषी विचारों को व्यवसायिक रूप देने के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी.

काला नमक चावल (Black Salt Rice) की पहचान पूरी दुनिया में पहुंची

सिद्धार्थनगर: जिला प्रशासन सिद्धार्थनगर द्वारा आयोजित बुद्धा राइस क्रेता विक्रेता सम्मेलन कार्यक्रम के समापन एवं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर किसान सम्मान दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंत्री श्रम एवं सेवायोजन, समन्वय विभाग उत्तर प्रदेश अनिल राजभर द्वारा सांसद डुमरियागंज जगदंबिका पाल, विधायक शोहरतगढ़ विनय वर्मा, जिलाध्यक्ष भाजपा कन्हैया पासवान, पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी व जिलाधिकारी डा. राजा गणपति आर, पुलिस अधीक्षक अभिषेक महाजन, मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार आदि की उपस्थिति में किया गया.

मुख्य अतिथि मंत्री श्रम एवं सेवायोजन, समन्वय विभाग उत्तर प्रदेश अनिल राजभर द्वारा जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में बुद्धा रत्ना कंपनी के कालानमक के उत्पाद का विमोचन किया गया. किसान सम्मान दिवस के मौके पर कृषि में बेहतरीन कार्य करने वाले किसानों को भी सम्मानित किया गया. नव चयनित आशाबहुओं को प्रशिक्षण के लिए प्रमाण पत्र एवं ओडीओपी योजना के लाभार्थियों को टूल किट का प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया.

कालानमक के प्रचार प्रसार हेतु ब्रांड एम्बेसडर महेंद्र नाथ पाण्डेय को शाल एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. मुख्य अतिथि मंत्री श्रम एवं सेवायोजन, समन्वय विभाग उत्तर प्रदेश अनिल राजभर ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर याद करते हुए सभी किसानों को किसान सम्मान दिवस की शुभकामनाएं दी.

उन्होंने आगे कहा कि महात्मा गौतम बुद्ध की धरती पर जनपद के प्रभारी मंत्री के रूप में पहली बार सभी अन्नदाता किसानों से मुलाकात हो रही है. मुख्यमंत्री जी द्वारा ओडीओपी के अंतर्गत सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल और चंदौली के ब्लैक राइस को चुना गया है. इस क्रेता विक्रेता सम्मेलन के कार्यक्रम की चर्चा अन्य जनपदों में भी हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है कि किसानों की आय दोगुनी हो उन के इस संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है.

श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने कहा कि उत्पादन को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अनुदान देकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. किसानों को उपज का उचित मूल्य प्राप्त हो इस के लिए कार्य योजना भी बनाई जा रही है.

इस के साथ ही, पूर्वांचल के 500 किसानों को विदेशों में भ्रमण कर अच्छी तकनीकियों का प्रयोग कर खेती करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 6000 मजदूरों को इसराइल भेजा गया है. साथ ही 25000 श्रमिकों को इसराइल भेजने का लक्ष्य भी है उत्तर प्रदेश से जो श्रमिक इसराइल गए हैं, उन को आज अच्छी आय प्राप्त हो रही है. साथ ही, आज क्रेता विक्रेता सम्मेलन के माध्यम से किसान उद्यमियों को काला नमक के उत्पादन को बढ़ाने व उस के निर्यात के लिए जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है, जिस से उनको उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त हो सके.

जिलाधिकारी डाक्टर राजा गणपति आर एवं मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार के निर्देशन में जिला प्रशासन के अधिकारियों एवं कृषि विभाग के प्रयास से आज जनपद में काला नमक की पहचान पूरी दुनिया में पहुंचने के लिए क्रेता विक्रेता सम्मेलन का कार्यक्रम दो दिनों तक आयोजित किया गया. जिलाधिकारी का यह प्रयास है, कि जनपद के किसानों को काला नमक चावल के उत्पादन की अच्छी कीमत मिल सके.

सांसद डुमरियागंज जगदंबिका पाल ने कहा कि यह तथागत गौतम बुद्ध की जन्मस्थली है. जनपद प्रभारी मंत्री को जनपद में प्रथम आगमन पर बधाई दी गई. सांसद डुमरियागंज ने इतने बड़े कार्यक्रम के आयोजन को मूर्तरूप देने वाले जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी व कृषि विभाग को बधाई दी.

उन्होंने आगे कहा कि यह क्रेता विक्रेता सम्मेलन नये प्रयोग के साथ काला नमक चावल के ब्रांडिंग एवं निर्यात के लिए आयोजित किया गया है. जिला प्रशासन द्वारा कालानमक चावल को विश्व में पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है. कालानमक चावल की क्वालिटी का चावल पूरी दुनिया में नहीं मिल रहा है. काला नमक चावल को शुगर का मरीज भी सेवन कर सकता है.

आज जापान के चावल का मुकाबला हमारे जनपद का काला नमक चावल कर रहा है. जनपद में काला नमक भवन बनाने के लिए भारत सरकार से सीएसआर मद व्यय कर काम करने का प्रयास किया जा रहा है. इस भवन के बनने से बाहर से आने वाले लोगों को कालानमक चावल आसानी से प्राप्त हो जाएगा और वहीं से ही इस की मार्केटिंग भी हो सकेगी.

काला नमक चावल (Black Salt Rice)

सांसद डुमरियागंज जगदंबिका पाल ने कहा कि कालानमक चावल विभिन्न कर्मशियल प्लेटफार्म के माध्यम से आज देश विदेश में अपनी सुगंध फैला रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जी 20 की बैठक में भी अतिथियों को भेंट किया गया था. साथ ही, उन्होंने जिला प्रशासन, कृषि वैज्ञानिकों एवं किसान भाइयों को भी शुभकामनाएं दी.

विधायक शोहरतगढ़ विनय वर्मा ने कहा कि कालानमक चावल को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग द्वारा इस के निर्यात के लिए अच्छा प्रयास किया जा रहा है जिस से किसानों को उन के उत्पाद का अच्छा मूल्य प्राप्त हो सके और महात्मा बुद्ध का प्रसाद कालानमक की खुशबू देशविदेश तक पहुंच सके.

पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने कहा कि कालानमक चावल के उत्पादन एवं निर्यात के लिए क्रेता विक्रेता सम्मेलन के माध्यम से जिला प्रशासन द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है, जिस से किसानों को कालानमक चावल का अच्छा मूल्य प्राप्त होगा.

जिलाध्यक्ष भाजपा कन्हैया पासवान ने कहा कि भगवान गौतम बुद्ध का प्रसाद, कालानमक चावल के लिए जिला प्रशासन द्वारा क्रेता विक्रेता सम्मेलन का कार्यक्रम हो रहा है. जनपद के किसानों द्वारा अधिक मात्रा में कालानमक की खेती की जा रही है. इस के निर्यात के लिए विकल्प हो जाने पर जनपद के किसान और अधिक मात्रा में काला नमक की खेती कर अच्छी आय प्राप्त कर सकेंगे.

बुद्धा राइस क्रेता विक्रेता सम्मेलन कार्यक्रम के द्वितीय दिवस पर दो चरणों में वैज्ञानिको द्वारा किसानों को कालानमक चावल के प्रसंस्करण एवं विपणन के बारे में पूरी जानकारी दी गई. प्रसंस्करण सत्र के दौरान डा. रितेश शर्मा बासमती एक्सपोर्ट बोर्ड, डा. एमएस अनंथा आईआईआरआर हैदराबाद, केके अग्रवाल आई.आई.ए द्वारा किसानों को कालानमक चावल के प्रसंस्करण के बारे में सभी जानकारी दी गई.

विपणन सत्र के दौरान डा. मंजुल प्रताप सिंह निदेशक ओराइजो राइस घर एग्रो वर्ल्ड प्रा.लि. वाराणसी, सुरेश गुप्ता प्रदेश सचिव, लघु उद्योग भारती उत्तर प्रदेश, अविनाश चंद्र तिवारी संयुक्त कृषि निदेशक मंडल बस्ती, डा. मार्कण्डेय सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र सोहना द्वारा कालानमक चावल के प्रसंस्करण के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई.

इस अवसर पर उपरोक्त के अतिरिक्त उप कृषि निदेशक अरविंद विश्वकर्मा, जिला कृषि अधिकारी मो. मुजम्मिल, जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक दूबे, जिला भूमि संरक्षण अधिकारी कृषि रवि शंकर पाण्डेय, उपायुक्त उद्योग उदय प्रकाश, जिला उद्यान अधिकारी नन्हे लाल वर्मा, जिला पूर्ति अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तन्मय व अन्य संबंधित अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे.