कृषि उत्पादन (Agricultural Production) में देशभर में आगे है हरियाणा

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में ‘कृषि वैज्ञानिकों का किसानों से संवाद- कृषि विश्वविद्यालय की उपलब्धियां’ विषय पर मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस गोष्ठी में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने बतौर मुख्यातिथि एवं प्रस्तोता व अध्यक्षता पूर्व अध्यक्ष, हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद, पंचकूला, पूर्व कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल एवं अध्यक्ष, पंचनद शोध संस्थान, चंडीगढ़ के प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की.

विशिष्ट अतिथि हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जगजीत सिंह घनघस रहे. यह गोष्ठी पंचनद शोध संस्थान, अध्ययन केंद्र, हिसार व चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई.

प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा लगातार किए जा रहे शोध कार्यों, उच्च तकनीकों और किसानों की कड़ी मेहनत के कारण प्रदेश के खाद्यान्न उत्पादन में रिकौर्ड बढ़ोतरी हुई है. खाद्यान्न उत्पादन, जो प्रदेश के गठन के समय मात्र 2.59 मिलियन टन था, जो 7 गुना बढ़ कर वर्ष 2022-23 में 18.43 मिलियन टन हो गया है. हरियाणा क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य राज्यों से छोटा है, जबकि केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में योगदान देने वाला दूसरा सब से बड़ा राज्य है. देश के 60 फीसदी से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से ही होता है. हरियाणा राज्य बाजरा, दलहन व तिलहन के उत्पादन में देशभर में अग्रणी है.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को उच्च गुणवत्ता के प्रमाणित बीज उपलब्ध करवाने के लिए 20 हजार क्विंटल से अधिक विभिन्न फसलों के बीज तैयार कर किसानों को वितरित किए जा रहे हैं. कृषि तकनीकी को किसानों तक पहुंचाना विश्वविद्यालय का एक ध्येय है, इसी कड़ी में विश्वविद्यालय द्वारा 6.50 लाख किसानों को मौसम एवं कृषि संबंधी जानकारी नियमित रूप से उपलब्ध कराई जा रही है. इस के अतिरिक्त प्रदेश के प्रत्येक गांव के 20-20 किसानों का डाटा बेस एकत्रित किया गया है, जिस के माध्यम से कृषि संबंधी जानकारियां प्रदान की जा रही हैं.

कृषि उत्पादन (Agricultural Production)

प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि विकसित भारत के मिशन में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.

उन्होंने किसानों एवं युवाओं से संवाद स्थापित करने के साथसाथ किसानों को कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित करने का भी आह्वान किया और कृषि को आकर्षक बनाने के लिए युवाओं में सामाजिक, आर्थिक व मनौविज्ञानिक बदलाव की जरूरत है.

उन्होंने यह भी कहा कि बड़े हर्ष की बात है कि हकृवि किसानों से सीधे तौर पर जुड़ कर न केवल नईनई तकनीक व किस्में किसानों तक पहुंचा रहा है, बल्कि किसानों की समस्याओं के फीडबैक के आधार पर अपने शोध को गति भी प्रदान कर रहा है.

उन्होंने कहा कि पंचनद हकृवि के माध्यम से किसानों से संवाद शुरू करने की मुहिम को ओर अधिक गति प्रदान करेगा. उन्होंने कृषि क्षेत्र में कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों के संतुलित प्रयोग पर बल दिया.

विशिष्ट अतिथि जगजीत सिंह घनघस ने बताया कि राष्ट्र की प्रगति के लिए कृषि एवं पावर सैक्टर बहुत जरूरी है. प्रदेश में गत 10 सालों से उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मुहैया करवाने के साथसाथ कृषि क्षेत्र को 10 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है.

उन्होंने बताया कि लगभग 13 हजार लंबित कृषि नलकूप को भी बिजली से जोड़ा गया है. किसानों को सोलर पंप के माध्यम से सिंचाई करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है.

मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता व उपाध्यक्ष डा. नीरज कुमार ने गोष्ठी में आए सभी का धन्यवाद किया और मंच का संचालन सचिव मोहित कुमार ने किया.

इस अवसर पर राज्य सूचना आयुक्त, हरियाणा एवं पंचनद शोध संस्थान, अध्ययन केंद्र, हिसार के अध्यक्ष डा. जगबीर सिंह, मीडिया एडवाइजर डा. संदीप आर्य सहित पंचनद संस्थान के अनेक पदाधिकारी, वैज्ञानिक, किसान व छात्र उपस्थित थे.

पशु चिकित्सा, जनस्वास्थ्य एवं महामारी पर कार्यशाला

हिसार : लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार के पशु चिकित्सा जनस्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान विभाग में क्रोमैटोग्राफी तकनीकों के प्रयोग द्वारा खाद्य एवं पर्यावरण संबंधी नमूनों में दूषित पदार्थों (संदूषकों) की जांच विषय पर तीनदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. विनोद कुमार वर्मा के दिशानिर्देशन में किया गया.

इस कार्यशाला के समापन समारोह में डा. सज्जन सिहाग, अधिष्ठाता, डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस अवसर पर डा. सज्जन सिहाग ने कहा कि इस कार्यशाला में सभी प्रतिभागी निश्चित रूप से लाभान्वित हुए होंगे और इन क्रोमैटोग्राफी तकनीकों को अपनेअपने कार्यक्षेत्रों में प्रयोग करने के लिए सभी प्रतिभागियों को प्रेरित किया.

डा. सज्जन सिहाग ने इन क्रोमैटोग्राफी आधारित तकनीकों से संबंधित कार्यशालाओं को भविष्य में आयोजन करने और इन के प्रयोग द्वारा खाद्य व पशुओं के खाद्य पदार्थों में विभिन्न टोक्सिकनों की जांच के लिए तकनीकों के प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया.

सभी प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि द्वारा प्रमाणपत्र दिए गए
प्रशिक्षण के सफल आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए पशु चिकित्सा, जनस्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं निदेशक मानव संसाधन एवं प्रबंधन डा. राजेश खुराना ने बताया कि इस तीनदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न संस्थानों के 20 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.

उन्होंने बताया कि भविष्य में भी क्रोमैटोग्राफी तकनीकों से संबंधित अन्य तरीकों एवं उन के उपयोग पर भी कार्यशालाओं एवं प्रशिक्षण का आयोजन किया जाएगा.

इस कार्यक्रम का संचालन विभाग के प्राध्यापक एवं प्रशिक्षक संयोजक डा. विजय जाधव द्वारा किया गया. उन्होंने प्रतिभागियों से इस कार्यशाला से हुए फायदे व भविष्य में इस को अधिक प्रभावी तरीके से आयोजन करने के लिए फीडबैक लिया.

इस अवसर पर विभाग के अन्य संकाय सदस्य डा. दिनेश मित्तल, डा. रेनू गुप्ता, डा. पल्लवी मुदगिल एवं डा. मनेश कुमार भी उपस्थित रहे. कार्य्रकम के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव डा. विजय जाधव द्वारा प्रस्तुत किया गया.

मत्स्य आहार संयंत्र (Fish Feed Plant) से सानिया बनी सफल उद्यमी

छिंदवाड़ा : प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना छिंदवाड़ा जिले के विकासखंड परासिया के ग्राम जाटाछापर की सानिया अली और उन के पति जुनेद खान के लिए खासी अच्छी साबित हुई है. इस योजना के अंतर्गत जिले के विकासखंड छिंदवाड़ा के ग्राम भैंसादंड में लगभग साढ़े 3 करोड़ रुपए की लागत से स्थापित 20 टन प्रति दिवस के उत्पादन क्षमता के प्रदेश के पहले मत्स्य आहार संयंत्र की स्थापना कर सानिया अली और उन के पति जुनेद खान सफल उद्यमी बन गए हैं. उन की माली हालत अब अत्यंत सुदृढ़ हो गई है.

सानिया अली और उन के पति जुनेद खान ने अपनी जेके इंडस्ट्रीज की स्थापना से जहां वर्ष 2023-24 में लगभग 90 लाख रुपए और वर्ष 2023-24 में लगभग पौने 2 करोड़ रुपए का टर्नओवर प्राप्त किया है, वहीं अपने इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 200 व्यक्तियों को रोजगार भी दिया है. अब वर्ष 2024-25 में उन्हें अपने व्यापार से लगभग ढाई से 3 करोड़ रुपए का टर्नओवर प्राप्त होने की संभावना है. हितग्राही को इस मत्स्य आहार संयंत्र में उत्पादित मत्स्य आहार के विक्रय से प्रतिवर्ष लगभग 8 से 10 लाख रुपए तक की आय प्राप्त हो रही है.

जेके इंडस्ट्रीज, भैंसादंड की स्वामी सानिया अली अपने पति जुनेद खान के साथ इस मत्स्य आहार संयंत्र का संचालन कर रही हैं. उन्होंने अपने पति जुनेद खान को इस इंडस्ट्रीज का मुख्य कार्यपालन अधिकारी नियुक्त किया है. मुख्य कार्यपालन अधिकारी जुनेद खान इस इंडस्ट्रीज को संचालित करने के लिए अपनी पत्नी सानिया अली को भरपूर सहयोग देते हैं. उन की मेहनत व संघर्ष का नतीजा है कि उन का व्यापार अब सफलता की ओर निरंतर बढ़ रहा है और एक सफल उद्यमी के रूप में उन की पहचान बन रही है.

जुनेद खान ने बताया कि वे लगभग 16 वर्ष की आयु से मत्स्यपालन के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, इस के पूर्व वे वर्ष 2018 में जिले के जुन्नारदेव विकासखंड के ग्राम घोड़ावाड़ी में एक पौंड को किराए पर ले कर मत्स्यपालन कर चुके हैं.

2 साल तक उन्हें इस काम में घाटा हुआ और तीसरे वर्ष इस काम से उन्हें लाभ प्राप्त होना शुरू हुआ, किंतु अनुभव की कमी के कारण इस में अधिक सफलता नहीं मिली. वे मत्स्य आहार के क्षेत्र में कुछ बेहतर करना चाहते थे, इसलिये वे उचित मार्गदर्शन के लिए मत्स्य विभाग पहुंचे, जहां तत्कालीन सहायक संचालक मत्स्योद्योग द्वारा पुन: 5 लाख रुपए तक की मत्स्य यूनिट की जानकारी दी गई, जिस से उन्हें संतुष्टि नहीं मिली.

उन्होंने अन्य बड़ी योजनाओं के संबंध में जानकारी प्राप्त करना चाही, तो उन्हें प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की जानकारी हुई, जिस में निजी क्षेत्र में मत्स्य आहार संयंत्र की स्थापना के लिए 2 करोड़ रुपए तक का लोन और 60  फीसदी का अनुदान उपलब्ध कराया जाता है. इस जानकारी से उन का मन प्रसन्न हो गया और उन्होंने अपनी पत्नी के नाम से इस योजना के अंतर्गत अपना प्रकरण तैयार कराया और मत्स्य विभाग के माध्यम से उन्हें 2 करोड़ रुपए का लोन और 60 फीसदी अर्थात 1.20 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ. इस संयंत्र की 13 सितंबर, 2021 को स्थापना की गई, जिस का उद्घाटन तत्कालीन संचालक मत्स्योद्योग भरत सिंह, संयुक्त संचालक शशिप्रभा धुर्वे और सहायक संचालक मत्स्योद्योग रवि गजभिये द्वारा किया गया.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन ने 4 अप्रैल, 2023 को मध्य प्रदेश के इस प्रथम मत्स्य आहार संयंत्र का अवलोकन किया और संयंत्र के माध्यम से तैयार किए जा रहे मत्स्य आहार की प्रक्रिया की जानकारी के साथ ही मत्स्य आहार की गुणवत्ता, उत्पादन क्षमता, विक्रय दर, मत्स्य आहार की पैकिंग, निर्यात आदि के संबंध में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर इस संयंत्र के माध्यम से तैयार किए जा रहे मत्स्य आहार और अन्य प्रक्रियाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए इस की सराहना भी की.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के देश में क्रियान्वयन के सफल 3 वर्ष पूरे होने पर 15 सितंबर, 2023 को ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर, इंदौर में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में भी उन्होंने प्रदेश के प्रथम मत्स्य आहार संयंत्र के रूप में अपने संयंत्र का स्टाल लगा कर प्रदर्शन भी किया, जिस की केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन और प्रदेश के अन्य मंत्रियों ने सराहना की.

मत्स्य आहार संयंत्र से छिंदवाड़ा जिले के साथ ही आसपास के जिलों बैतूल, सिवनी, बालाघाट, इंदौर, भोपाल, खंडवा, राजगढ़, नर्मदापुरम आदि एवं प्रदेश के बाहर के प्रदेशों असम, ओड़िसा, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश आदि में भी विक्रय किया जा रहा है.

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जुनेद खान ने बताया कि इस संयंत्र की स्थापना में उन की पत्नी और उन्हें अत्यंत कड़ा संघर्ष करना पड़ा.

उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि संयंत्र की स्थापना के लिए मत्स्य विभाग से लोन और अनुदान प्राप्त करने के अलावा अपने पिता जमील खान से लगभग 30 लाख रुपए की लागत से एक एकड़ भूमि खरीदवाई, बैंक औफ बड़ौदा की छिंदवाड़ा शाखा से 50 लाख रुपए का कर्जा लिया, व्यक्तिगत कर्ज लिया और अपनी सारी जमापूंजी लगाने के साथ ही अन्य रिश्तेदारों से भी माली मदद ली. भवन व अधोसंरचना निर्माण में लगभग 80 लाख रुपए, मुख्य आहार निर्माण मशीन में लगभग सवा करोड़ रुपए निजी ट्रांसफार्मर की स्थापना पर लगभग 12 लाख रुपए, रौ मेटेरियल पर लगभग 13 से 14 लाख रुपए, पैकिंग सामग्री पर लगभग 4 लाख रुपए, ट्रेड मार्क लेने पर लगभग 3 लाख रुपए और अन्य मदों पर राशि खर्च हुई.

उन्होंने आगे बताया कि आहार संयंत्र की स्थापना में पहले 2 साल बहुत ही मुश्किल हालात में बीते. राजस्थान और चीन से आहार संयंत्र की अत्याधुनिक मशीनें खरीदी गई थीं, किंतु राजस्थान से खरीदी मशीन बारबार बंद हो रही थी और उस के पार्ट्स व इंजीनियर को राजस्थान से बुलवाने में काफी समय लगता था. ऐसी स्थिति में 4 से 7 दिनों तक उत्पादन प्रभावित होता था. सुबह 9 बजे से लगातार रात 4 से 5 बजे तक मशीन का सुधार कार्य चलता था और इस काम में 3 से 4 दिन लग जाते थे. इस स्थिति से परेशान हो कर संबंधित कंपनी को मशीन वापस भेज कर उस से दूसरी मशीन रिप्लेस करवाई गई और काम शुरू किया गया.

मशीनरी ठीक होने के बाद जब अप्रैलमई, 2022 में उत्पादन प्रारंभ हुआ, तो मार्केटिंग की समस्या सामने आई और इस में एक वर्ष तक घाटे की स्थिति रही. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संयंत्र को बंद करना पड़ सकता है, किंतु उन्होंने हार नहीं मानी और न ही उन की हिम्मत टूटी.

अपनी जिद और जुनून के दम पर उन्होंने मार्केटिंग के लिए अपनी इंडस्ट्री का ट्रेडमार्क लिया और देश के विभिन्न राज्यों में 15 डीलर नियुक्त किए, जिन के माध्यम से उन्हें व्यापार में सफलता मिलनी शुरू हुई.

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जुनेद खान ने बताया कि मत्स्य आहार बनाने के लिए उन्होंने कोलकाता और नई दिल्ली के वैज्ञानिकों और डाक्टरों से रेसिपी प्राप्त की और आहार बनाना शुरू किया. मत्स्य आहार बनाने के लिए रौ मेटेरियल के रूप में सोयाबीन व सरसों की खली, गेहूं, मक्का, चावल, सूखी मछली, मछली का तेल, मेडिसन, मिनरल्स और अन्य सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. उन के संयंत्र में मछलियों के साइज के हिसाब से आहार तैयार किया जाता है, जिस में 20 किलोग्राम और 35 किलोग्राम के पैकेट तैयार किए जाते हैं. 20 किलोग्राम की पैकिंग में 4 प्रकार के आहार बनाए जाते हैं, जिस में डस्ट में 40 फीसदी प्रोटीन व 6 फीसदी फेट, एक एमएम में 32 फीसदी प्रोटीन व 6 फीसदी फेट, 2 एमएम में 30 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट और 28 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट रहता है.

वहीं दूसरी ओर 35 किलोग्राम की पैकिंग में 3 एमएम में 28 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट, 4 व 6 एमएम में 28 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट, 4 एमएम में 26 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट, 4 एमएम में 24 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट और 4 एमएम में 20 फीसदी प्रोटीन व 5 फीसदी फैट रहता है.

इस पौष्टिक आहार से 6 माह में ही मछलियों का विकास एक से डेढ़ किलोग्राम तक होने पर वे बिकने को तैयार हो जाती हैं. इन के बिकने से कम समय में अधिक आय प्राप्त होती है और मत्स्यपालक लाभान्वित होते हैं, जबकि दूसरी कंपनियों के आहार में यह विकास 8 से 10 माह में होता है. बाजार मूल्य से 20 फीसदी कम मूल्य पर मत्स्य आहार उपलब्ध कराने पर हमारे संयंत्र से उत्पादित पौष्टिक आहार की मांग बढ़ती जा रही है.

उन्होंने आगे बताया कि मुख्य संयंत्र में प्रत्यक्ष रूप से 20 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिन्हें स्थायी रोजगार मिला है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से 15 डीलरों के पास 10-10 किसानों के अलावा 15 से 20 अन्य व्यक्ति रोजगार प्राप्त करते हैं और ट्रांसपोर्ट के काम में लगे 10 ट्रकों के 20-20 ड्राइवरों व कंडक्टरों को भी स्थायी रोजगार मिला है.

उन्होंने यह भी बताया कि उन के परिवार में पतिपत्नी के अलावा उन का एक 7 साल का बेटा व 3 साल की बेटी है. उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग की तालीम हासिल की है, जबकि उन की पत्नी इलेक्ट्रिक इंजीनियर हैं.

अपने मत्स्य आहार संयंत्र को उन्होंने भारत का सब से बड़ा आहार निर्माण संयंत्र बनाने का संकल्प लेते हुए अपने लक्ष्य की पूर्ति की ओर वे निरंतर बढ़ रहे हैं.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने से उन्हें समाज में भी सम्मान मिला है. वह और अन्य उद्यमियों को इस योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं.

उन्होंने अपने पिता जमील खान, जिन्हें वे अपना गुरु मान कर उनके सिखाए रास्ते पर अपने उद्योग को चला रहे हैं, के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया है. साथ ही, इस योजना के अंतर्गत मत्स्य आहार संयंत्र चलाने में मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग प्रदान करने के लिए सहायक संचालक मत्स्योद्योग राजेंद्र सिंह, सहायक मत्स्योद्योग अधिकारी संजय अंबोलीकर और मत्स्य निरीक्षक अनिल राउत के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया है.

 किसानों के खेतों पर लगेंगे 50 हजार से अधिक सोलर पंप (Solar Pumps)

जयपुर : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों की आमदनी बढ़ा कर उन्हें खुशहाल और समृद्ध करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने आते ही सब से अधिक फैसले किसान हित में लिए हैं. पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के लिए वित्तीय सहायता को 6,000 से बढ़ा कर 8,000 रुपए प्रतिवर्ष किया गया है और गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 125 रुपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस दे कर इसे 2,400 रुपए कर दिया गया है.

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पिछले दिनों जयपुर के दुर्गापुरा स्थित राज्य कृषि प्रबंध संस्थान में आयोजित पीएम कुसुम सौर पंप संयंत्र स्वीकृतिपत्र वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे. समारोह में 500 से ज्यादा किसान उपस्थित थे, जिन में से 10 किसानों को मुख्यमंत्री और कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डा. किरोड़ी लाल ने स्वीकृतिपत्र प्रदान किए.

विभिन्न जिलों में पंचायत समिति केंद्रों पर किसान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जुड़े. सोलर पंप के लिए प्रदेश के लगभग 50,000 किसानों को स्वीकृतियां जारी की गई हैं, इस पर लगभग 1,830 करोड़ रुपए का खर्च होगा, जिस में से 908 करोड़ रुपए अनुदान के रूप में किसानों को प्रदान कर लाभान्वित किया जाएगा. इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से लगभग 200 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा.

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हमारे किसानों की कड़ी मेहनत के कारण ही आज राजस्थान इसबगोल एवं जीरा उत्पादन में देशभर में प्रथम, मैथी, लहसुन एवं सौंफ के उत्पादन में दूसरे और अजवाइन एवं धनिया के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. किसानों की उपज बढ़ाने के लिए राज्य बजट में 12 लाख किसानों को मक्का, 8 लाख किसानों को बाजरा, 7 लाख किसानों को सरसों, 4 लाख किसानों को मूंग एवं 1-1 लाख किसानों को ज्वार एवं मोठ के बीज की मिनीकिट निःशुल्क उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है.

उन्होंने यह भी कहा कि उन्नत कृषि यंत्र किसानों को किराए पर उपलब्ध कराने के लिए 500 कस्टम हायरिंग केंद्रों की भी स्थापना की जाएगी.

पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की समस्या होगी दूर
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने 3 माह के अल्प कार्यकाल में पानी की समस्या को दूर करने के लिए प्राथमिकता से काम किया है. पूर्वी राजस्थान के लिए ईआरसीपी एकीकृत परियोजना और शेखावाटी क्षेत्र के लिए ताजेवाला हैडवर्क्स के ऐतिहासिक एमओयू के माध्यम से इन क्षेत्रों में पेयजल एवं सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो सकेगा. साथ ही, उदयपुर में देवास बांध परियोजना तृतीय एवं चतुर्थ के माध्यम से दक्षिण राजस्थान में भी जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. उन्होंने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी नहर के 15 किलोमीटर लंबे कच्चे हिस्से को भी पक्का करवाने की मंजूरी दे दी गई है.

ऊर्जा के क्षेत्र में सरप्लस स्टेट बनेगा राजस्थान
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि किसानों को समय पर और पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो, इस के लिए हम ने किसानों को सौ दिन की कार्ययोजना में 20 हजार से अधिक कृषि कनेक्शन जारी किए हैं. हाल ही में 3,325 मेगावाट क्षमता की थर्मल आधारित और 28,500 मेगावाट क्षमता की अक्षय ऊर्जा आधारित विद्युत परियोजनाओं के लिए 1 लाख, 60 हजार करोड़ रुपए के एमओयू किए हैं. इन परियोजनाओं की स्थापना के बाद प्रदेश ऊर्जा क्षेत्र में सरप्लस स्टेट बनेगा. हम भविष्य में बिजली खरीदने के बजाय बेचेंगे.

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण राज्य की समस्त बिजली कंपनियों पर ऋण भार बढ़ कर डेढ़ गुना हो गया था.

किसानों का हो रहा उत्थान
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद ‘गरीबी हटाओ’ के नारे बहुत लगे, मगर धरातल पर काम नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि देश में किसानों को संबल प्रदान करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. उन्होंने सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए ’पीएम सूर्य घर : मुफ्त बिजली योजना’ शुरू करने की घोषणा की है, जिस में एक करोड़ घरों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सौर पंप सैट लगाने की दिशा में उल्लेखनीय काम हो रहा है. अब तक डेढ़ लाख से अधिक सोलर पंप सेट लगाए जा चुके हैं. राज्य सरकार पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत प्रदेश में सभी मौजूदा ट्यूबवैलों का सौ फीसदी सौर ऊर्जा द्वारा संचालन सुनिश्चित करेगी.

गरीब किसान के सपने नहीं होंगे चकनाचूर
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि किसान कठिन हालात में संघर्ष कर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए शहर भेजता है, ताकि वह सरकारी सेवा में आ कर जीवन में आगे बढ़ सके. मगर जब पेपर लीक होता है, तो किसानों के सपने चकनाचूर हो जाते हैं. हम ने सरकार बनते ही पेपर लीक के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की और एसआईटी का गठन किया. आज गुनाहगारों की गिरफ्तारियां हो रही हैं. हमारा वादा है कि पेपर लीक का एक भी दोषी सजा से बच नहीं पाएगा.

इस अवसर पर कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री किरोड़ी लाल ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से पीएम कुसुम योजना के बी कंपोनेंट की शुरुआत प्रदेश में की गई है. जल्द ही राज्य सरकार ‘कृषि विभाग आप के द्वार’ अभियान शुरू करेगी, जिस में किसानों के घरघर जा कर उन्हें विभागीय योजनाओं की जानकारी दी जाएगी.

ये है पीएम कुसुम योजना
योजना में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किसानों को खेतों में सोलर पंप लगाने पर 60 फीसदी दिया जाता है, जिस में से 30 फीसदी अंशदान केंद्र व 30 फीसदी अंशदान राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है. इस के अतिरिक्त प्रदेश के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए राज्य मद से 45 हजार रुपए का प्रति किसान  अतिरिक्त अनुदान भी दिया जा रहा है. जनजातीय क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के किसानों को 3 एचपी एवं 5 एचपी क्षमता के सौर संयंत्र लगाने पर सौ फीसदी अनुदान दिया जा रहा है.
कार्यक्रम में ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हीरालाल नागर, सांसद रामचरण बोहरा, ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया सहित विभिन्न जनप्रतिनिधि, तमाम अधिकारी, प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए किसान और बड़ी संख्या में आम लोग मौजूद रहे.

बीज परीक्षण (Seed Testing) के लिए बनेंगी प्रयोगशालाएं

कटनी : मध्य प्रदेश में उद्यानिकी फसलों के बीज परीक्षण के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी. राज्य सरकार “एक जिला-एक नर्सरी” योजना के तहत नर्सरियों को हाईटैक नर्सरी के रूप में विकसित करेगी. उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने यह जानकारी उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा “आधुनिक तकनीकी से उद्यानिकी का समग्र विकास’’ विषय पर आयोजित दोदिवसीय कार्यशाला में दी.

मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि लघु एवं सीमांत किसानों को उद्यानिकी की ओर आकर्षित करने के लिए आवश्यक है कि उन्हें उद्यानिकी फसलों के प्रमाणित बीज और पौध आसानी से उपलब्ध कराए जाएं. उन्होंने कहा कि इस के लिए उद्यानिकी विभाग प्रदेश में उन्नत बीज परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करेगा.

उन्होंने कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों पर भी विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए. कार्यशाला के प्रथम सत्र में कृषि उत्पादन आयुक्त एसएन मिश्रा ने कहा कि उद्यानिकी गतिविधियां कृषि का महत्वपूर्ण घटक है. किसानों की संपन्नता के लिए उन्हें कृषि के साथसाथ उद्यानिकी फसलों के प्रति आकर्षित किया जाना आवश्यक है.

प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण सुखवीर सिंह ने कहा कि किसानों को उद्यानिकी फसलों की ओर आकर्षित करने के साथसाथ उन्हें नवीन तकनीकी और उत्पादित माल की विक्रय प्रक्रिया पर भी योजना बनाई जा रही है. कार्यशाला में आए सुझावों पर उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा समयसीमा में कार्यवाही की जाएगी.

तकनीकी सत्र में नागपुर के वैज्ञानिक डा. आरके सोनकर द्वारा नीबूवर्गीय फलों के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणन पर वाराणसी के वैज्ञानिक शैलेष तिवारी ने मध्य प्रदेश में संकर सब्जी बीज उत्पादन की संभावनाओं पर, वैज्ञानिक डा. आरके जायसवाल ने फल पौध नर्सरी के अनिवार्य घटक, डा. केवीआर राव द्वारा मध्य प्रदेश उद्यानिकी फसलों की संरक्षित खेती की संभावनाओं पर तकनीकी, उपसंचालक एके तोमर द्वारा नर्सरी एक्रीडेशन करने के मापदंड और सुझावों पर अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम में उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के संचालक एम. सेलवेंद्रन सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे.

जैविक खेती (Organic Farming) से पार्वती बनीं सफल सब्जी उत्पादक

छिंदवाड़ा : पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत संचालित मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. आजीविका मिशन से जुड़ कर ग्रामीण महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर हो कर परिवार के भरणपोषण में सहयोग कर रही हैं, बल्कि समाज में उन्हें एक नई पहचान भी मिली है, जिस से घर, परिवार और समाज में उन का मानसम्मान बढ़ा है. छिंदवाड़ा जिले के विकासखंड जुन्नारदेव की ग्राम पंचायत जुन्नारदेव विशाला के ग्राम जुन्नोर दमामी की पार्वती दीदी भी उन्हीं ग्रामीण महिलाओं में से एक हैं.

आजीविका मिशन के माध्यम से स्वसहायता समूह से जुड़ कर पार्वती दीदी जैविक खेती कर एक सफल सब्जी उत्पादक बन गई हैं. पिछले वर्ष पार्वती दीदी ने पेप्सिको कंपनी से आलू उत्पादन का अनुबंध किया था, जिस से 65,000 रुपए का खालिस मुनाफा प्राप्त हुआ था.

पार्वती दीदी जैविक खेती के लिए जैविक खाद का निर्माण स्वयं करती हैं और गांव के दूसरे लोगों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित करती हैं. अपने गांव को जैविक गांव बनाने का सपना देखने वाली पार्वती दीदी को एक सफल प्रशिक्षक और कृषि कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के रूप में एक नई पहचान भी मिली है.

निर्धन परिवार में जनमी पार्वती दीदी का विवाह छिंदवाड़ा जिले के ग्राम जुन्नोर दमामी निवासी विनोद पवार से हुआ. इस परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. पति हाथठेला में सब्जी बेच कर परिवार का जैसेतैसे भरणपोषण करते थे. इन के परिवार में पतिपत्नी के अलावा 2 बेटे और 1 बेटी है. जीवन में कई उतारचढ़ाव आए, कई मौके ऐसे भी आए, जब पार्वती और उन के परिवार को सूखी रोटी खा कर रात गुजारनी पड़ी, लेकिन पार्वती दीदी ने हिम्मत नहीं हारी.

वे वर्ष 2020 में ग्राम के संगठन आराध्या ग्राम संगठन जुन्नोर दमामी के अंतर्गत स्वसहायता समूह से जुड़ीं. समूह से जुड़ने के बाद उन के मन में खर्चों से कटौती कर बचत करने की भावना बढ़ी. सामूहिक बचत से छोटीमोटी जरूरतें भी पूरी होने लगीं.

समूह से जुड़ने के उपरांत पार्वती दीदी को समूह, ग्राम एवं संकुल स्तरीय संगठन की अवधारणा, बुक कीपिंग, एमसीपी निर्माण, कृषि सखी एवं आजीविका मिशन के 30 मार्गदर्शी बिंदुओं का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ. इस के बाद उन्होंने कृषि सीआरपी (कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन) के रूप में कार्य शुरू किया.

आज पार्वती दीदी अपने गांव के अलावा ब्लौक स्तर के साथ ही अन्य जिले में भी प्रशिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं  दे कर ग्रामीण महिलाओं के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जिस से उन्हें जिला स्तर पर एक सफल प्रशिक्षक एवं कृषि कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन की भी पहचान मिली है.

इतना ही नहीं, समूह से जुड़ने के बाद पार्वती दीदी ने सब से पहले सीसीएल लोन की राशि 10,000 रुपए ले कर अपने पति के हाथठेला व्यवसाय में गन्ने का रस वाली मशीन ले कर नया काम शुरू किया. 10 किस्तों में इस लोन को चुकाने पर दूसरा सीसीएल लोन 35,000 रुपए का प्राप्त हुआ, जिस से उन्होंने बंजर पड़ी भूमि को सुधार कर अपनी मेहनत और आजीविका मिशन के सहयोग से नई तकनीकी का प्रयोग कर व्यावसायिक सब्जी उत्पादन का काम शुरू किया. तृतीय सीसीएल लोन राशि 50,000 रुपए से कृषि कार्य के लिए कुआं गहरीकरण कर और ट्रैक्टर एवं कल्टीवेटर के लिए लोन ले कर जैविक सब्जी उत्पादन एवं खेती का काम कर रही हैं.

सब्जियों के उत्पादन में पार्वती दीदी इतनी दक्ष हो गई हैं कि कंपनियों से अनुबंध कर सब्जियों के विक्रय से अच्छा लाभ प्राप्त कर रही हैं. पिछले साल पेप्सिको कंपनी से अनुबंध द्वारा आलू का विक्रय कर 65,000 रुपए का शुध्द लाभ प्राप्त किया था. इन की जैविक सब्जियां अपने स्वाद और गुणवत्ता के कारण लोकप्रिय बनी हुई हैं. मध्यान्ह भोजन के लिए स्कूलों और छात्रावासों के लिए इन की सब्जियों का विक्रय थोक में किया जाता है.

पार्वती दीदी ने सब्जियों और फसलों के उत्पादन में रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग अब पूरी तरह बंद कर दिया है. जैविक खाद और दवाओं जैसे ब्रम्हास्त्र, अग्निअस्त्र, नीमास्त्र, भूनाडेप, केंचुआ खाद का निर्माण स्वयं घर पर ही कर लेती हैं, जिस से खेती में होने वाले खर्च की बचत भी हो जाती है.

समूह से जुड़ कर पार्वती दीदी का न केवल घर, परिवार, समाज में मानसम्मान बढ़ा है, बल्कि आर्थिक मदद के साथ ही उन की जागरूकता और विभिन्न विषयों पर समझ भी बढ़ी है. वे ग्रामीणों को स्वच्छता मिशन के अंतर्गत शौचालयों के उपयोग, बच्चों को आंगनबाड़ी में भेजने और जैविक कृषि के लिए भी गांव वालों को प्रेरित करती हैं.

लुवास में वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन (Scientific Pig Farming) पर ट्रेनिंग

हिसार: लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशुधन फार्म परिसर विभाग में चल रहे “वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन” के विषय में तीनदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण के समापन समारोह के अवसर पर आईपीवीएस निदेशक डा. एसपी दहिया बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए.

प्रशिक्षण कार्यक्रम कुलपति डा. विनोद कुमार वर्मा के दिशानिर्देशन में आयोजित किया गया. इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि आईपीवीएस निदेशक डा. एसपी दहिया ने अपने संबोधन में कहा कि वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन आज के समय की जरूरत है, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके.

उन्होंने प्रतिभागियों को सिखाई गई तकनीकों व विधियों का इस्तेमाल अपने कार्यक्षेत्र में करने के लिए प्रेरित किया. डा. एसपी दहिया ने इस अवसर पर बताया कि सूअर की ज्यादा बच्चे देने की क्षमता और उच्च चारा रूपांतरण अनुपात सूअरपालन को प्रभावी बनाते हैं.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी वितरित किए गए. उन्होंने पशुधन फार्म परिसर विभाग के प्रशिक्षकों एवं कर्मचारियों को कार्यशाला के सफलतापूर्वक समापन पर बधाई दी. इस अवसर पर विभागाध्यक्ष, सूअरपालन इकाई प्रमुख और विभाग के संकाय सदस्य मौजूद थे.

प्रशिक्षण के बारे में बात करते हुए पशुधन फार्म परिसर विभाग के विभागाध्यक्ष और इस प्रशिक्षण कार्यशाला के निदेशक डा. वीएस पंवार ने बताया कि इस तीनदिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला में 14 प्रतिभागियों ने भाग लिया था. इस दौरान उन्हें वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन प्रशिक्षण के अलावा प्रतिदिन प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी गई.

‘’प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” लागू

भोपाल : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में ‘’मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना” को विस्तारित कर “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” नाम से लागू करने की स्वीकृति दी गई. “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” का क्रियान्वयन मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा केंद्र शासन की कुसुम ‘बी’ योजना में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा.

किसान/किसानों के समूहों को सोलर कृषि पंप कनेक्शन प्रदान करने के लिए वर्तमान में प्रचलित “मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना” के अंतर्गत सोलर कृषि पंप कनेक्शन भी दिया जा रहा है.

केनबेतवा लिंक परियोजना के लिए 24 हजार, 293 करोड़, 24 लाख रुपए की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने केनबेतवा लिंक परियोजना के पहले और दूसरे चरण में कराए जाने वाले कामों के लिए लागत राशि 24 हजार, 293 करोड़, 24 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी है. परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह, सागर, दतिया एवं बेतवा बेसिन के विदिशा, शिवपुरी, रायसेन जिले के सूखा प्रभावित 6,57,364 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई एवं लगभग 44 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिलेगी.

चित्रकूट विकास प्राधिकरण स्थापना की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने चित्रकूट नगर के समग्र विकास के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा विद्यमान चित्रकूट विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण को विघटित कर चित्रकूट विकास प्राधिकरण की स्थापना की स्वीकृति दी है.

चित्रकूट विकास प्राधिकरण की स्थापना से प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र का समग्र विकास संभव हो सकेगा. साथ ही, संचालनालय नगर और ग्राम निवेश द्वारा प्रभावशील विकास योजना के प्रस्तावों का क्रियान्वयन भी मुमकिन हो सकेगा.

मंत्रिपरिषद ने प्राधिकरण के लिए 20 करोड़ रुपए की सहायता अनुदान राशि की स्वीकृति दी. कलक्टर को अन्य आवश्यक व्यवस्था करने के लिए अधिकृत किया गया है.

रोपवे परियोजनाओं का अनुमोदन
मंत्रिपरिषद ने लोक निर्माण विभाग एवं नेशनल हाईवे लौजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHM) के मध्य रोपवे के विकास, कार्यान्वयन, निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का अनुमोदन किया.

“प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” का क्रियान्वयन मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा केंद्र शासन की कुसुम ‘बी’ योजनांतर्गत जारी दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा.

मध्य प्रदेश में प्रस्तावित समस्त रोपवे परियोजना के लिए मध्य प्रदेश शासन की ओर से परियोजना के एकरेखण के अनुमोदन के लिए प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश सडक विकास निगम को अधिकृत करने के लिए अनुमोदन किया गया. समस्त रोपवे परियोजना एकरेखण के भू निर्देशांक को राज्य सरकार के राजपत्र में अधिसूचित करने, भूअर्जन से संबंधित समस्त कार्यवाही का अनुमोदन करने, निश्चित समझौता को हस्ताक्षरित करने एवं परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नेशनल हाईवे लौजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड को प्रवर्तक यानी प्रमोटर नियुक्त करने के लिए प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश शासन, लोक निर्माण विभाग को अधिकृत करने के लिए अनुमोदन किया गया.

पीएम जनमन में नरसिंहपुर में मार्ग निर्माण की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद द्वारा पीएम जनमन में नरसिंहपुर का एक मार्ग एल 063 मोहपानी से बड़ागांव (तलैया) लंबाई 29.10 किलोमीटर की लागत 40 करोड़, 75 लाख रुपए मय संधारण (1.40 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर) है, जो कि निर्धारित सीमा लागत रुपए एक करोड़ प्रति किलोमीटर से अधिक है, में अतिरिक्त राशि 11 करोड़, 65 लाख रुपए का भार राज्य शासन द्वारा वहन किए जाने की स्वीकृति की गई. भविष्य में पीएम जनमन योजनांतर्गत एक करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से अधिक राशि के प्रस्ताव निर्मित होने पर ऐसे प्रस्ताव में लगने वाली अतिरिक्त राशि की स्वीकृति प्राधिकरण के अंतर्गत गठित साधिकार समिति द्वारा दी जा सकेगी. इस अतिरिक्त राशि का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा.

कपास (Cotton) में गुलाबी सुंडी का बढ़ता प्रकोप

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि देश के उत्तरी क्षेत्र में लगातार गुलाबी सुंडी का बढ़ता प्रकोप किसानों एवं कृषि वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है. इस के समाधान के लिए हमें सामूहिक रूप से एकजुट हो कर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि किसान को माली नुकसान से बचाया जा सके. वे विश्वविद्यालय में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक, अधिकारी व निजी बीज कंपनी के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित एकदिवसीय सेमिनार को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे. इस सेमिनार में कपास उगाने वाले 10 जिलों के किसान प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि पिछले वर्ष गुलाबी सुंडी का प्रकोप ज्यादा रहा था, जिस के नियंत्रण के लिए अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, जो चिंता का विषय है. इस कीट के नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशक एवं अन्य कीट प्रबंधन के उपायों को खोजना होगा और हितधारकों के साथ मिल कर सामूहिक प्रयास करने होंगे. तभी किसान को बचाया जा सकता है. किसान नरमा की बन्छटियों को खेत में न रखें. अगर रखी हुई है तो बिजाई से पहले इन्हें अच्छे ढंग से झाड़ कर उसे दूसरे स्थान पर रख दें और इन के अधखिले टिंडों एवं सूखे कचरे को नष्ट कर दें, ताकि इन बन्छटियों से निकलने वाली गुलाबी सुंडियों को रोका जा सकें.

इस के अलावा नरमा की बिजाई विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित बीटी संकर किस्मों की 15 मई तक पूरी करें एवं कीटनाशकों व फफूंदीनाशकों को मिला कर छिडक़ाव न करें. किसान नरमे की बिजाई के उपरांत अपने खेत की फेरोमोन ट्रेप से निरंतर निगरानी रखें और गुलाबी सुंडी का प्रकोप नजर आने पर निकटतम कृषि विशेषज्ञ से बताए मुताबिक नियंत्रण के उपाय करें.

गुलाबी सुंडी के नियंत्रण प्रबंधन के लिए दिए महत्वपूर्ण सुझाव
बैठक में विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने विश्वविद्यालय के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से गुलाबी सुंडी के प्रबंधन के लिए किए गए कामों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की.

कपास अनुभाग के प्रभारी डा. करमल सिंह ने वर्ष 2023 में हरियाणा प्रांत में नरमा फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सतनाम सिंह एवं राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. प्रदीप कुमार ने अपनेअपने प्रांत में कपास की स्थिति एवं गुलाबी सुंडी के प्रकोप की जानकारी दी. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा के संयुक्त निदेशक (कपास) आरपी सिहाग ने विभाग द्वारा की गई गतिविधियों के बारे में जानकारी दी.

भारत सरकार के क्षेत्रीय कपास अनुसंधान केंद्र, सिरसा के निदेशक डा. ऋषि कुमार ने उत्तर भारत में कपास की समस्याओं व उन के प्रबंधन को ले कर चर्चा की. इसी दौरान निजी बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी गुलाबी सुंडी के नियंत्रण और प्रबंधन को ले कर महत्वपूर्ण सुझाव दिए.

अब पशुचारा (Animal Feed) जिले के बाहर नहीं बिकेगा

गुना: कलक्‍टर अमनबीर सिंह बैंस द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पशुओं के आहार के रूप में उपयोग में लाने वाले समस्त प्रकार के चारे/घास, भूसा एवं पशुओं के द्वारा खाए जाने वाले अन्य किस्म के चारे पर जिले की राजस्व सीमा के बाहर निर्यात प्रतिबंधित करने के आदेश जारी किए गए हैं.

उपसंचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा अपने प्रतिवेदन के माध्‍यम से अवगत कराया गया है कि जिले में वर्तमान में रबी की फसल की कटाई का काम प्रारंभ हो चुका है, जिस के उपरांत चारे/भूसे की उपलब्धता पशुधन के लिए बनाए रखना आवश्यक है.

मध्य प्रदेश राज्य के जिलों को छोड़ कर अन्य राज्यों के जिलों में भूसे के परिवहन और ईंटभट्टों के ईंधन के रूप में चारे/भूसे का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित किए जाने का अनुरोध किया गया है. जारी आदेश अनुसार, कोई भी किसान, व्यापारी, व्यक्ति, निर्यातक किसी भी प्रकार के पशुचारे का किसी भी वाहन, मोटर, रेल, यान अथवा पैदल जिले के बाहर कलक्‍टर एवं जिला दंडाधिकारी की अनुज्ञापत्र के निर्यात नहीं करेगा. शासकीय उपयोग के लिए भूसा एवं पशुचारे का परिवहन संबंधित अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अनुमति से किया जाएगा.

उक्त आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत वैधानिक दांडिक कार्यवाही की जाएगी. जारी आदेश तत्काल प्रभाव से लागू करते हुए आगामी आदेश तक प्रभावशील रहेगा.