नवाचार देखने टीम के साथ पहुंचे कलक्टर

पांढुरना : कलक्टर अजय देव शर्मा द्वारा एपीसी बैठक के परिप्रेक्ष्य में 6 नवंबर, 2024 को विभाग द्वारा किए जा रहे कामों की समीक्षा की गई. उपसंचालक, कृषि, जितेंद्र कुमार सिंह द्वारा पांढुरना जिले में खरीफ फसल कपास का क्षेत्र विस्तार एवं कपास के साथ अंतरवर्तीय फसल के रूप में अरहर फसल अंतरवर्तीय पद्धति से कपास की खेती, ग्रीष्मकालीन ज्वार, मूंगफली, मक्का फसल को बढावा देने की बात कही गई.

पांढुरना कलक्टर अजय देव शर्मा द्वारा सभी कृषि संबंध विभाग उपसंचालक, पशुपालन, उपसंचालक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण एवं मैदानी अधिकारियों के साथ हिवरासेनाडवार के प्रगतिशील किसान नामदेव रबड़े के खेत में पहुंच कर उन के द्वारा किए जा रहे नवाचार पपीते की खेती, टमाटर, फूलगोभी, केले की खेती का निरीक्षण किया गया.

किसान नामदेव रबड़े द्वारा किए जा रहे नवाचार की सराहना की गई एवं जिले के सभी किसानों को इस तरह की पारंपरिक खेती के साथ ही नवाचार के रूप में अन्य फसलों को अपनाने की अपील की गई, जिस से किसानों को प्रति इकाई क्षेत्रफल से अच्छा लाभ प्राप्त हो सकेगा.

निरीक्षण के क्रम में प्रगतिशील किसान पूरन सिंह खानवे के खेत में पहुंच कर संतरे, पिंक ताइवान अमरूद की फसल का निरीक्षण किया गया.

निरीक्षण के दौरान उपसंचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग डा. एचजीएस पक्षवार, सहायक संचालक, कृषि, दीपक चौरसिया, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी सुनील गजभिये, विनोद लोखंडे, नितिन डेहरिया, राहुल सरयाम, साक्षी खरात, उद्यानिकी विभाग के सिध्दार्थ दुपारे, पशु चिकित्सा विभाग के केतन पांडे एवं व्यापारी संघ के निकेश खानवे, आलोक नाहर, संजय, रूपेश कसलीकर, किशोर डाले, रूपेश राजगुरू एवं प्रगतिशील किसान उपस्थित थे.

‘अनुदान’ पोर्टल पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए तुरंत करें आवेदन

सतना : संचालनालय कृषि अभियांत्रिकी मध्य प्रदेश भोपाल द्वारा ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कृषि यंत्रों के लक्ष्य निर्धारित कर दिए गए हैं. सहायक कृषि यंत्री एचपी गौतम ने बताया कि किसान ड्रोन के आवेदन औन डिमांड श्रेणी के अंतर्गत जिले के इच्छुक आवेदक ड्रोन संचालित करने के लिए 25 नवंबर, 2024 से ड्रोन पायलट लाइसैंस के प्रशिक्षण के लिए कौशल विकास इंदौर में आवेदन कर सकते हैं. प्रशिक्षणार्थियों का चयन ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर किया जाएगा.

आवेदन के लिए ड्रोन पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यालय कृषि यंत्री इंदौर के अंतर्गत कौशल विकास केंद्र में प्रारंभ किया जा रहा है. इच्छुक आवेदक पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने के उपरांत दिशानिर्देशों के अनुरूप कार्यालय कृषि यंत्री इंदौर में दस्तावेज सत्यापन एवं डिमांड ड्राफ्ट जमा करना होगा. इस के लिए आवेदक की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास एवं आयु 18 से 65 वर्ष होनी चाहिए.

आवेदक को ड्रोन पायलट करने के लिए 17,000 रुपए का डिमांड ड्राफ्ट सहायक कृषि यंत्री इंदौर के नाम पर कार्यालय कृषि यंत्री इंदौर में जमा करना होगा.

आवेदक के पास सरकार द्वारा जारी पहचान प्रमाणपत्र होना चाहिए. किसान ड्रोन प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत दस्तावेज सत्यापन के समय आवेदक को स्वयं की मैडिकल फिटनेंस प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है. मैडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र का प्रारूप डाउनलोड करने के लिए मोबाइल फोन नंबर 9926920636 पर संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

नरवाई न जलाएं, बनाएं जैविक खाद

रीवा : कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को धान और अन्य फसलों को काटने के बाद बचे हुए अवशेष (नरवाई) नहीं जलाने की सलाह दी गई है. इस संबंध में उपसंचालक, कृषि, यूपी बागरी ने कहा है कि नरवाई जलाने से एक ओर जहां खेतों में अग्नि दुर्घटना की आशंका रहती है, वहीं मिट्टी की उर्वरता पर भी विपरीत असर होता है. इस के साथ ही धुएं से कार्बनडाईऔक्साइड की मात्रा वातावरण में जाती है, जिस से वायु प्रदूषण होता है. मिट्टी की उर्वराशक्ति लगभग 6 इंच की ऊपरी सतह पर ही होती है. इस में खेती के लिए लाभदायक मित्र जीवाणु उपस्थित रहते हैं. नरवाई जलाने से यह नष्ट हो जाते हैं, जिस से भूमि की उर्वराशक्ति को नुकसान होता है.

नरवाई जलाने के बजाए यदि फसल अवशेषों को एकत्रित कर के जैविक खाद बनाने में उपयोग किया जाए, तो यह बहुत लाभदायक होगा. नाडेप और वर्मी विधि से नरवाई से जैविक खाद आसानी से बनाई जा सकती है. इस खाद में फसलों के लिए पर्याप्त पोषक तत्व रहते हैं. इस के आलावा खेत में रोटावेटर अथवा डिस्क हैरो चला कर भी फसल के बचे हुए भाग को मिट्टी में मिला देने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है.

उपसंचालक, कृषि, यूपी बागरी ने बताया कि धान की फसल के बाद नरवाई को खाद में बदलने और बिना जुताई किए बिना गेहूं, चना और सरसों की बोनी के लिए सुपर सीडर और हैप्पी सीडर का उपयोग बहुत लाभकारी है. इस से नरवाई नष्ट होने के साथ जुताई और बोआई का खर्च और समय दोनों बचेगा. साथ ही, नरवाई से खाद भी बन जाएगी.

उपसंचालक ने बताया कि नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान की जानकारी देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से 60,000  से अधिक किसानों को एसएमएस भेज कर जानकारी दी गई है. इन्हें सुपर सीडर के उपयोग के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. इस साल जिले में किसानों द्वारा 30 सुपर सीडर खरीदे गए हैं, जिन के उपयोग से नरवाई प्रबंधन किया जा रहा है और आग लगने की घटनाओं में कमी आई है.

जैविक खेती करने वाले किसानों को मिलेगा इंसेंटिव

दमोह : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने किसानो से चर्चा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि हमें प्राकृतिक खेती की ओर जाना होगा, हर किसान के मनमस्तिष्क में बैठ गया है कि जितना डीएपी और यूरिया डालेंगे उतनी ही पैदावार होगी, ऐसा नहीं है. इस सोच को बदलना पड़ेगा. हम ने इन सब के उपयोग से धरती को बीमार कर दिया है. इस से इनसान, पशुपक्षी कोई भी प्राणी स्वस्थ नहीं रह सकता है, इसलिए प्राकृतिक खेती की ओर जाना होगा.

उन्होंने कहा कि किसान से यह नहीं कहा जा रहा है कि पूरे के पूरे खेत में प्राकृतिक खेती करें. यदि आप के पास 5 एकड़ जमीन है, तो एक एकड़ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती करिए. राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि वे खुद भी प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, कभी भी रासायनिक खाद नहीं डालते हैं, जितने भी किसान डीएपी, यूरिया और पैस्टिसाइड डाल रहे हैं, उतनी ही पैदावार वे ले रहे हैं.

इस अवसर पर विधायक, दमोह, जयंत कुमार मलैया, जिला पंचायत अध्यक्ष रंजीता गौरव पटेल, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी, कलक्टर सुधीर कुमार कोचर सहित अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे.

उन्होंने कहा कि हम ने खेत के केंचुओं को मार डाला, केंचुए किसान के मित्र हैं. खाद पर 15 लाख करोड़ रुपए सालाना इस में भारत सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है. यदि आप प्राकृतिक खेती करेंगे तो, उन्हें इंसेंटिव देंगे.

कृषि राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 10 सालों में किसान सम्मान निधि देने का काम किया. उन्होंने एमएसपी 10 साल में इतनी बढ़ाई है कि यदि आजादी के बाद इस दर से एमएसपी बढ़ती तो आज किसान के घर में समृद्धि रहती, परंतु ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि साल 2014 में 1,250 रुपए एमएसपी थी, जो मोदी के आने के बाद अभी 2,625 रुपए हो गई है.

उन्होंने कहा कि जैविक खेती में और प्राकृतिक खेती में बहुत अंतर है. प्राकृतिक खेती में किसान को बाजार से 1 रुपए का सामान लाने की जरूरत नहीं होती है. आज किसान की लागत बढ़ गई है.

केंद्रीय राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी ने मिट्टी परीक्षण कराने पर बल देते हुए कहा कि इस के लिए अब जन जागरण अभियान चलाया जाए. इस दौरान उन्होंने जिले के विभिन्न स्थानों से आए जैविक खेती कर रहे किसानों से चर्चा की और उन का उत्साहवर्धन किया.

बगैर पीओएस (POS) मशीन के बिना उर्वरक विक्रय करने पर रजिस्ट्रेशन होगा रद्द

नीमच : उपसंचालक, कृषि, नीमच द्वारा मैसर्स भंडारी उर्वरक बीज भंडार, प्रो.- राजेश भंडारी, चीताखेड़ा द्वारा उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 का उल्‍लंघन करने पर उन का उर्वरक पंजीयन क्र. RS/432/1401/49/2022, वैधता अवधि 22 अगस्त, 2027 को तत्‍काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.

कृषि विभाग द्वारा उर्वरक विक्रेता मैसर्स भंडारी उर्वरक बीज भंडार, चीताखेड़ा का उर्वरक निरीक्षक द्वारा 21 नवंबर, 2024 को निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान एनपीके के 26 बैग एवं यूरिया के 270 बैग पाए गए, जिस में से 135 बैग लाइसैंस में दर्ज भंडारण स्‍थान के अन्‍यत्र स्‍थान पर पाए गए.

उक्‍त उर्वरकों के संबध में ’ओ’ फार्म चाहे गए, जिसे संबंधित द्वारा प्रस्‍तुत नहीं किया गया और मौके पर विक्रेता फर्म द्वारा भंडार पंजी का संधारण नहीं करना, मूल्‍य सूची और लाइसैंस का प्रदर्शन नहीं करना, फर्म पर फर्म के नाम का बोर्ड नहीं लगाना पाया गया. साथ ही, संबंधित फर्म के लाइसैंस में दर्ज प्रो. राजेश भंडारी के स्‍थान पर अन्‍य व्‍यक्ति रजनीश जैन द्वारा बिना पीओएस (POS) मशीन के उर्वरकों का विक्रय करना पाया गया, जो कि उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 का स्‍पष्‍ट उल्‍लंघन होने से पंजीयन निलंबित किया गया है.

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए फार्मर रजिस्ट्री जरूरी

रतलाम : कलक्टर राजेश बाथम ने समस्त संबंधित हितग्राहियों से अपील की है कि वह अपनी फार्मर रजिस्ट्री अनिवार्य रूप से करवा लें. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का निरंतर लाभ प्राप्त करने के लिए फार्मर रजिस्ट्री बनाना अनिवार्य किया गया है. सर्वप्रथम अपने आधारकार्ड नंबर से मोबाइल फोन नंबर लिंक करें, इस के उपरांत अपने नजदीकी सीएससी केंद्र अथवा गांव के पटवारी के माध्यम से फार्मर रजिस्ट्री करवा सकते हैं अथवा व्यक्ति स्वयं लिंक पर जा कर मोबाइल नंबर से रजिस्टर कर आधार ओटीपी के माध्यम से स्वयं भी फार्मर रजिस्ट्री कर सकते हैं. एसएलआर अभिषेक मालवीय ने बताया कि आगामी समय में फार्मर आईडी अन्य योजनाओं में भी अनिवार्य होगी.

जिले के मैदानी अमले को निर्देशित किया गया है कि अधिक से अधिक प्रचारप्रसार कर किसानों की सहभागिता से फार्मर आईडी जेनरेट करने की कार्रवाई पूरी करवाई जाए. फार्मर रजिस्ट्री का उद्देश्य है कि समस्त भूधारियों के आधार लिंक्ड रजिस्ट्री तैयार करना है, जिस में भूधारियों को एक अन्य फार्मर आईडी प्रदान किया जाएगा. फार्मर रजिस्ट्री के उद्देश्यो में योजनाओं का नियोजन, लाभार्थियों का सत्यापन, कृषि उत्पादों का सुविधाजनक वितरण, प्रदेश के समस्त किसानों को राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सम और पारदर्शी तरीके से प्रदान करने के लिए लक्ष्य निर्धारण एवं पहचान किसानों के लिए कृषि ऋण व अन्य सेवा प्रदाताओं के लिए कृषि सेवाओं की सुगमता शामिल है.

फार्मर रजिस्ट्री के लाभ के अंतर्गत पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लिए फार्मर रजिस्ट्री के अनिवार्यता की शर्त पूर्णता के साथ हितग्राहियों को लाभ प्राप्त करने में सुगमता रहेगी. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना सैचुरेशन फसल बीमा योजना का लाभ प्राप्त करने में सुगमता, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद में किसानों के पंजीयन में सुगमता और विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए बारबार सत्यापन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

फार्मर रजिस्ट्री का क्रियान्वयन पोर्टल पटवारी, स्थानीय युवा और किसान के लिए फार्मर रजिस्ट्री का क्रियान्वयन पोर्टल https://mpfr.agristack.gov.in है. मोबाइल एप Farmer registry MP है, मोबाइल एप Farmer sahayak MP App (स्थानीय युवा हेतु )के माध्यम से किया जाना है.

कलक्टर ने सुनेरा के किसान के खेत में ड्रोन फ्लाई का किया अवलोकन, 2 साल से नहीं जलाई पराली

शाजापुर : कलक्टर ऋजु बाफना ने पिछले दिनों गांव सुनेरा के किसान मनोहर सिंह गोठवाल के खेत में जा कर ड्रोन से किए जा रहे नैनो यूरिया के छिड़काव का अवलोकन किया. यहां कलक्टर ने किसान मनोहर सिंह एवं ड्रोन चलाने वाले संजय गुर्जर से चर्चा कर पूरी प्रक्रिया जानी.

किसान मनोहर गोठवाल ने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग एवं पराली व फसलों के अवशेष जलाने के कारण भूमि की उर्वराशक्ति कम हो रही है, इसे देखते हुए जैविक खेती की ओर आगे बढ़ रहे हैं.

वे विगत 2 सालों से अपने खेतों में पराली नहीं जलाते, बल्कि रोटावेटर एवं अन्य उपकरणों की सहायता से फसलों के अवशेषों को काटते हैं और गहरी जुताई कर उन्हें भूमि में ही नष्ट होने के लिए छोड़ देते हैं. इस से फसलों के अवशेष से खाद भी बन रही है और भूमि की उर्वराशक्ति में वृद्धि भी हो रही है.

इस मौके पर इफको के महेंद्र पटेल ने ड्रोन से स्प्रे की जानकारी दी. इस अवसर पर उपसंचालक, कृषि, केएस यादव और सुनेरा गांव के सरपंच सुखराम यादव भी उपस्थित थे.

मोबाइल एप के जरीए उपज का लें अधिक दाम

शाजापुर : कृषि उपज मंडी समिति शाजापुर सचिव भगवान सिंह परिहार ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन एवं मंडी बोर्ड द्वारा किसानों को कृषि विपणन के क्षेत्र में अभिनव कदम उठाते हुए मोबाइल एप के माध्यम से अपनी कृषि उपज का विक्रय अपने घर, खलिहान, गोदाम से करने की सुविधा प्रदान की गई है.

कृषि उपज मंडी समिति सचिव भगवान सिंह परिहार ने बताया कि इस का लाभ लेने के लिए किसानों को सर्वप्रथम अपने एंड्राइड मोबाइल पर मंडी बोर्ड भोपाल का मोबाइल एप MPFARMGATE (एमपीफार्मगेट) इंस्टाल करना होगा. इस के बाद किसान एप में किसान पंजीयन की कार्यवाही पूरी करें.

फसल विक्रय के समय किसान अपनी कृषि उपज के संबंध में मंडी फसल ग्रेड, किस्म, मात्रा एवं वांछित भाव की जानकारी दर्ज करें. इस के उपरांत किसान के द्वारा फसल की जानकारी एवं बाजार की स्थिति के अनुसार अपनी दरें औनलाइन दर्ज की जाएगी, जो किसान को एप में औनलाइन प्रदर्शित होगी.

व्यापारी द्वारा प्रस्तुत दरों में उच्चतम दर पर किसान द्वारा अपनी सहमति औनलाइन दर्ज कराने पर संबंधित व्यापारी को एप में गैसेज प्राप्त होगा, जिस के उपरांत आपसी सहमति के आधार पर चयनित स्थल पर कृषि उपज का तौल होगा. तौल कार्य के उपरांत औनलाइन सौदा पत्रक एवं भुगतान पत्रक जारी किया जाएगा और शासन एवं मंडी बोर्ड के नियमानुसार नकद/बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा.

इस प्रकार किसान मोबाइल एप के माध्यम से मंडी में आए बिना अपने घर, गोदाम, खलिहान से भी अपनी कृषि उपज का विक्रय कर सकते हैं.

सचिव भगवान सिंह परिहार ने जिले के सभी किसानों से अनुरोध किया है कि वे अपने एंड्राइड मोबाइल में एप  MPFARMGATE (एमपीफार्मगेट) को इंस्टाल कर, राज्य शासन एवं मंडी बोर्ड की इस अभिनव पहल का अधिक से अधिक लाभ उठाएं.

लखनऊ में मिला रामजी दुबे को बेस्ट फार्मर अवार्ड इन इंटीग्रेटेड फार्मिंग

रामजी दुबे ग्राम नुआंव, मिर्जापुर , उत्तर प्रदेश से हैं. और बड़े पैमाने पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर लगभग 15 लाख सालाना का मुनाफा ले रहे हैं. इसके अलावा स्ट्राबेरी, खीरा, केला आदि की खेती करते हैं. पॉलीहाउस में नर्सरी तैयार करते हैं. पशुपालन भी करते हैं जिससे उन्हें खेती में बाजार से रासायनिक उर्वरक भी नहीं खरीदना पड़ता. इन्हीं खासियतों के चलते हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में फार्म एन फूड कृषि सम्मान मिला. जिसके तहत उन्हें ‘बेस्ट फार्मर अवार्ड फार्मर इन इंटीग्रेटेड फार्मिंग’ सम्मान दिया गया.

रामजी दुबे ने साल 2018 से एकीकृत बागबानी के तहत 2000 वर्गमीटर एरिया में पौलीहाउस बनाया है. उस के बाद पौलीहाउस में उच्च गुणवत्ता का खरबूजा, रंगीन शिमला मिर्च एवं खुले खेत में केला, स्ट्रौबेरी, पपीता एवं एक हेक्टेयर में ड्रैगन फ्रूट की खेती आरंभ की, जिस से उन्हें 12 महीने कुछ न कुछ फसल उत्पाद मिलता रहता है और पूरे साल अच्छीखासी आमदनी होती रहती है.

किसान रामजी दुबे ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती से उन्हें 10 से 15 लाख की सालाना आमदनी होती है. रामजी दुबे पर्यावरण के प्रति भी लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. इस के तहत वे अपने जिले और आसपास के क्षेत्र के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि अनेक राज्यों में भी एक लाख से अधिक पौधों का वितरण कर चुके हैं. उन्हें जिला स्तर, राज्य स्तर के साथसाथ राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है.

रामजी दुबे का कहना है कि उन्हें स्ट्रौबेरी की खेती से 5 से 6 महीने में एक एकड़ में 8 से 10 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है. खेती में तकरीबन 2 से 3 लाख रुपए का खर्च भी आता है. इस प्रकार तकरीबन 7 लाख रुपए के आसपास शुद्ध आमदनी हो जाती है.

Integrated Farming

इसी प्रकार रामजी दुबे को रंगीन शिमला मिर्च से तकरीबन 8 से 10 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है, वहीं पशुपालन के तहत वे गौपालन भी करते हैं, जिस के गोबर से वह बिना किसी लागत के वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं. इस से उन्हें अपनी खेती में बाजार से उर्वरक नहीं खरीदना होता है.

रामजी दुबे साल 2018 के पहले पारंपरिक तरीके से गेहूं, धान, चना, मटर, सरसों की खेती करते थे, जिस से उन्हें बहुत अच्छा मुनाफा नहीं होता था, परंतु आज एकीकृत खेती के माध्यम से बागबानी के द्वारा साल में 25 से 30 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है. वे अब पपीता की खेती भी करते हैं. पपीते की पौध जूनजुलाई माह में लगाते हैं, जिस की हार्वेस्टिंग अगले वर्ष मार्चअप्रैल के महीने में शुरू हो जाती है. उस समय नवरात्र एवं अन्य त्योहारों के कारण डिमांड अच्छीखासी रहती है. उन्हें एक एकड़ में तकरीबन 5 से 6 लाख रुपए का मुनाफा एक एकड़ में हो जाता है.

इस तरह से रामजी दुबे को समेकित व एकीकृत खेती से अनेक लाभ हो जाते हैं. आज अपने क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि जिले एवं आसपास के दूसरे क्षेत्रों में आप प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं. आसपास के जिलों से क्षेत्र से तमाम किसान तमाम सरकारी अधिकारी उन के खेतों को देखने आते हैं, जिस से उन्हें भी काफी प्रेरणा मिलती है.

 

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वैसे, 63 साल की उम्र पर रामजी दुबे के इस तरह के काम देख कर लोग बहुत प्रभावित होते हैं और दूसरे लोगों को प्रेरणा भी मिलती है.

महिला किसानों के लिए प्रेरणा बनी पुष्पा गौतम

हाल ही में पुष्पा गौतम को दिल्ली प्रेस, नई दिल्ली द्वारा लखनऊ में राज्यस्तरीय फार्म एन फूड ‘बेस्ट फार्मर अवार्ड इन मार्केटिंग’ से नवाजा गया है.

पुष्पा गौतम बस्ती जिले के बिहरा खास गांव से हैं. आप अनेक कृषि उत्पादों जैसे मल्टीग्रेन आटा, चावल, चना, अचारमुरब्बा, आदि की प्रोसेसिंग कर बाजार से कई गुना अधिक मुनाफा कमाने के साथसाथ अनेक लोगों को ट्रेनिंग व रोजगार भी दे रही हैं.

पुष्पा गौतम एमएबीएड हैं. फैजाबाद विश्वविद्यालय से मुख्य 2020 में कोरोना के समय एनआरएलएम के तहत आप समूह से जुड़ीं और सरकार द्वार समूह में दी जाने वाली अनेक प्रकार की ट्रेनिंग सुविधायों का लाभ उठाया. अनेक प्रकार के प्रशिक्षण लेने के बाद पुष्पा गौतम को अनेक जानकारियां मिलीं. किस तरह से नए रोजगार का सृजन हो और उस को शुरू करने के लिए फंड कहां से मिल सकेगा, इस पर उन्होंने जानकारी प्राप्त की. उस के बाद पुष्पा गौतम ने ब्लौक, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, गन्ना विभाग, नाबार्ड और आरसेटी से जुड़ कर आज अनेक उत्पादों की प्रोसैसिंग शुरू की.

women farmers

इन दिनों पुष्पा गौतम मल्टीग्रेन आटा, मक्का आटा, बाजरा आटा, चना बेसन, मसाला, अचार, मुरब्बा, आवला लड्डू आदि की प्रोसैसिंग और पैकिंग कर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं. अनेक तैयार उत्पादों की पैकिंग के लिए मशीन भी समूह द्वारा प्राप्त फंड से खरीदी गई हैं.

इन दिनों पुष्पा गौतम तकरीबन 30 महिलाओं के साथ काम कर रही हैं और उन्हें स्वावलंबी बनाने का काम कर रही हैं.

इस के अलावा पुष्पा गौतम ने जनवरी, 2021 से ले कर सितंबर, 2024 तक तकरीबन 300 महिलाओं को नर्सरी, वर्मी कंपोस्ट, डेयरी फार्मिंग, वाशिंग पाउडर बनाना, अचार, मसाला, पापड़, मोमबती आदि पर ट्रेनिंग करा कर उन को रोजगार से जोड़ने का काम किया है. उन की इन सफलताओं को देखते हुए नाबार्ड से उन्हें एक ग्राम दुकान स्वीकृत की और नाबार्ड ने 2 साल में साढ़े 3 लाख रुपए का फंड मुहैया कराया. उन के समूह की अनेक महिलाओं द्वारा बनने वाले उत्पाद की मार्केटिंग और सप्लाई में काफी मदद मिल रही है. उन्हें इस काम के लिए ब्लौक, जिला, केवीके, नाबार्ड आदि से समयसमय पर सम्मानित किया जाता रहा है.

 

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