उत्तर प्रदेश में मत्स्य विभाग की योजनाओं के लिए आवेदन शुरू

लखनऊ : मछुआ समाज व बेरोजगार युवाओं के लिए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग द्वारा तमाम तरह की अनुदान योजनाएं चलाई जा जा रही हैं, जिस के लिए आवेदक को उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग के पोर्टल से औनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है. मत्स्य विभाग की तरफ से विभागीय योजनाओं के लिए लाभार्थियों के आवेदन की तारीख तय हो गई है. कोई भी व्यक्ति जो विभाग के अनुदान योजनाओं का लाभ लेना चाहता है, वह 30 मई, 2023 से विभागीय पोर्टल वैबसाइट http://fisheries.up.gov.in पर औनलाइन आवेदन कर सकता है.

इन योजनाओं में मिलेगा सहायता अनुदान

विभाग के औनलाइन पोर्टल का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मत्स्य विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री डा. संजय कुमार निषाद द्वारा किया गया.

इस अवसर पर उन्होंने मत्स्य विकास से संबंधित कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत निजी भूमि पर तालाब बनाने, मत्स्य बीज हैचरी बनाने, बायोफ्लाक पौंड, रियरिंग तालाब बनाने, रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, इंसुलेटेड व्हीकल्स, मोटरसाइकिल विद आइसबौक्स, थ्रीव्हीलर विद आइसबौक्स, साइकिल विद आइसबौक्स, जिंदा मछली विक्रय केंद्र, मत्स्य आहार प्लांट, मत्स्य आहार मिल, केज संवर्धन, पेन संवर्धन, सजावटी मछली रियरिंग यूनिट, कियोस्क निर्माण, शीतगृह निर्माण, मनोरंजन मात्स्यिकी, डाइग्नोस्टिक मोबाइल लैब, मत्स्य सेवा केंद्र एवं सामूहिक दुर्घटना बीमा सहित कुल 30 योजनाओं के लिए औनलाइन आवेदन 30 मई से 15 जून, 2023 तक आमंत्रित किया जा सकेगा.

मछलीपालन पर होगा जोर

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त (अल्ट्रामौडर्न) फिश मार्केट की स्थापना की जा रही है. वर्तमान में जनपद चंदौली में अल्ट्रामौडर्न फिश मंडी निर्माणाधीन है.

उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मात्स्यिकी सैक्टर के संगठित विकास के लिए केंद्र प्रायोजित परियोजना के अंतर्गत जनपद गोरखपुर एवं मथुरा में इंटीग्रेटेड एक्वापार्क बनाए जाने की परियोजना का प्रावधान हैं, जिस की लागत प्रति इकाई सौ करोड़ रुपए है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए जनपद गोरखपुर एवं मथुरा में इंटीग्रेटेड एक्वापार्क की स्थापना का प्रस्ताव राज्य स्तरीय अनुश्रवण एवं अनुमोदित समिति द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है.

एक ट्रिलियन इकोनौमी में मत्स्य विभाग का होगा महत्वपूर्ण योगदान

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि उत्तर प्रदेश की एक ट्रिलियन इकोनौमी में मत्स्य विभाग का महत्वपूर्ण योगदान होगा. योजना की शुरुआत से ले कर अब तक 18,951.20 लाख रुपए का अनुदान लाभार्थियों को वितरित किया गया है. योजना के तहत 1,794 (क्षेत्रफल 1386.12 हेक्टेयर) निजी भूमि पर तालाबों, 59 (क्षेत्रफल 73.21 हेक्टेयर) खारे भूमि पर तालाबों, 176 (क्षेत्रफल 165.632 हेक्टेयर) रियरिंग यूनिट, 661 बायोफ्लाक, 32 मत्स्य बीज उत्पादन हैचरी, 660 रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, 19 इंसुलेटेड व्हीकल्स एवं मोबाइल लैब, 143 मोटरसाइकिल विद आइसबौक्स, 50 थ्रीव्हीलर विद आइसबौक्स, 1379 साइकिल विद आइसबौक्स, 34 जिंदा मछली विक्रय केंद्र, 45 मत्स्य आहार मिल, 29 कियोस्क, 1 बैकयार्ड आर्नामेंटल फिश रियरिंग यूनिट, 85 केज सहित कुल 6904 परियोजनाएं पूरी कराई गईं, जिस की कुल परियोजना लागत 33173.0425 लाख रुपए है. 11513 परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है, जिस की कुल परियोजना लागत 32050.517 लाख रुपए है.

मत्स्य विकास मंत्री डा. संजय निषाद ने कहा कि रिवर रैचिंग कार्यक्रम के तहत नदियों में मत्स्य संरक्षण के लिए 188.15 लाख बड़े आकार के मत्स्य बीज (मत्स्य अंगुलिकाएं) गंगा नदी प्रणाली में बहाई जा चुकी है, जिस पर 488.90 लाख रुपए की धनराशि खर्च हुई.

उन्होंने आगे कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 107015.42 लाख रुपए की कार्ययोजना का अनुमोदन राज्य स्तरीय अनुमोदन एवं अनुश्रवण समिति से प्राप्त करते हुए उक्त कार्ययोजना का अनुमोदन राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड को प्रेषित करते हुए भारत सरकार से 44260.63 लाख रुपए का केंद्रांश अवमुक्त किए जाने के लिए अनुरोध किया गया है, जबकि सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत अब तक 102840 मछुआरों/मत्स्यपालकों को आच्छादित किया गया है.

डा. संजय निषाद ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत ग्राम समाज के पट्टे पर आवंटित तालाबों में मत्स्यपालन हेतु निवेश और मत्स्य बीज बैंक की स्थापना हेतु सुविधा प्रदान की जा रही है. परियोजना की इकाई लागत 4 लाख रुपए पर 40 फीसदी 1.60 लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत अब तक 849.78 लाख रुपए का अनुदान 648 लाभार्थियों को दिया गया है, जिस से 612.50 हेक्टेयर जलक्षेत्रों में मत्स्यपालन हेतु निवेश के लिए अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10.00 करोड़ का बजट प्रावधान कराया गया है, जिस के अंतर्गत 625 हेक्टेयर जलक्षेत्रों में मत्स्यपालन निवेश एवं मत्स्य बीज बैंक की स्थापना के लिए लगभग 700 लाभार्थियों को लाभान्वित किया जाएगा.

मछली पकड़ने के साजोसामान पर मिलेगा अनुदान

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि निषादराज बोट सब्सिडी योजना के अंतर्गत मत्स्यपालकों/मछुआरों को मछली पकड़ने एवं नौकायन हेतु नाव, जाल, लाइफ जैकेट, आइसबौक्स आदि क्रय करने की सुविधा प्रदान करने हेतु आवेदनपत्र लिया जा रहा है. योजना की इकाई लागत 67,000 रुपए पर 40 फीसदी 26,800 रुपए का अनुदान दिया जाएगा. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 5.00 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान कराया गया है, जिस के अंतर्गत नाव, जाल आदि खरीदने के लिए 1865 मछुआरों को लाभान्वित किया जाएगा.

ट्रेनिंग के साथ मिलेगी सुरक्षा

मत्स्य मंत्री डा. संजय निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष के अंतर्गत मत्स्यपालकों/मछुआरों के आर्थिक/सामाजिक उत्थान एवं स्वरोजगार हेतु मत्स्यपालक/मछुआरा बाहुल्य ग्रामों में अवसंरचनात्मक सुविधाओं का निर्माण, दैवीय आपदाओं से हुई किसी क्षति में वित्तीय सहायता, चिकित्सा सहायता, मछुआ आवास निर्माण सहायता, मत्स्यपालकों एवं मछुआरों के प्रशिक्षण, महिला सशक्तिकरण सहित कुल 6 योजनाएं चलाई जा रही हैं. योजना में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 25 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान कराया गया है. योजना के अंतर्गत सामुदायिक भवन निर्माण, मछुआ आवास निर्माण, दैवीय आपदा में चिकित्सा सहायता, प्रशिक्षण एवं महिला सशक्तिकरण के माध्यम से मत्स्यपालकों एवं मछुआरों को लाभान्वित किया जाएगा.

मछुआरों को बिना जमानत के मिलेगा बैंक ऋण

इस अवसर पर मत्स्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने बताया कि मंत्री डा. संजय कुमार निषाद के दिशानिर्देशन में मत्स्य विकास विभाग द्वारा मत्स्यपालकों एवं मत्स्य गतिविधियों में लगे हुए व्यक्तियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. बैंकों के माध्यम से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दिलाई जा रही है, जिस के अंतर्गत 1.60 लाख रुपए तक का बैंक ऋण बिना किसी जमानत के दिया जाता है. अब तक 13,788 मत्स्यपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया गया है.

कार्यक्रम में मत्स्य विकास विभाग के विशेष सचिव एवं निदेशक प्रशांत शर्मा ने मत्स्य विभाग की उपलब्धियों एवं आगामी योजनाओं के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मत्स्यपालकों और मत्स्य गतिविधियों से जुड़े लोगों को विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए विभाग द्वारा हर संभव काम किया जा रहा है.

छात्रों का हुनर बढ़ाने के लिए मत्स्यपालन एवं मूल्य संवर्धन पर हुआ प्रशिक्षण

निदेशालय प्रशिक्षण एवं सेवा योजन द्वारा पिछले दिनों रोजगार को बढ़ावा देने एवं क्षमता विकास हेतु एक द्विवर्षीय ‘उच्च मूल्य मत्स्य उत्पादन के अवसर और मूल्य संवर्धन’ विषय पर आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि महाविद्यालय के सभागार में किया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन डा. विवेक धामा, कृषि अधिष्ठाता महाविद्यालय द्वारा किया गया.

डा. आरएस सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवा योजन द्वारा प्रशिक्षण के उद्देषीय और प्रशिक्षण का भविष्य में उपयोग पर जानकारी दी गई. प्रशिक्षण सेल का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षण एवं रोजगार सृजनकर्ता है. साथ ही, क्षमता विकास पर विभिन्न कंपटीशन परीक्षा में अधिक से अधिक सफलता पा सके.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. केके सिंह द्वारा उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं. उन के दिशानिर्देश में छात्रों के हुनर को और मजबूत करने के लिए आगामी माह में कई प्रशिक्षण एवं रोजगार से संबंधित कार्यक्रम किए जाएंगे.

डा. हरिंद्र प्रसाद, उपनिदेशक मत्स्य, मेरठ मंडल द्वारा सरकार द्वारा मत्स्य उत्पादन के लिए चलाई जा रही योजना की जानकारी पर चर्चा करते हुए विस्तार में मत्स्य पट्टा आवंटन और मछली उत्पादन फार्म की शुरुआत कैसे करें, क्याक्या सावधानियां करें, जलाशयों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा की गई और फेज कल्चर (पिछड़ा) पद्धति पर चर्चा कर के बताया गया है कि इस पर 40 से 60 फीसदी तक का अनुदान है.

प्रशिक्षण में डा. आशीष पुरथी, मत्स्य वैज्ञानिक, भारतीय फसल प्रणाली अनुसंधान केंद्र, मेरठ द्वारा मछली उत्पादन के समय विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई. साथ ही, मछली के विभिन्न उत्पादनों की जानकारी दी गई.

डा. डीवी सिंह, प्राध्यापक कीट विज्ञान एवं प्रभारी मत्स्य द्वारा मछली उत्पादन के समय आहार प्रबंधक और विसर्जन प्रबंधक पर विस्तृत जानकारी दी. साथ ही, यह भी अवगत कराया गया कि मत्स्यपालन कर के कम जगह से अधिक आय रोजगार सृजन एवं मत्स्य का निर्यात कर विदेशी मुद्रा भी प्राप्त की जा सकती है.

डा. अर्चना आर्य, सहप्राध्यापक मत्स्य द्वारा प्रशिक्षण ले कर कम लागत में अधिक आय प्राप्त करने के लिए मत्स्यपालन तकनीकी पर विस्तार से जानकारी दी गई.

डा. डीवी सिंह, प्रभारी कीट विज्ञान एवं मत्स्य प्रभारी प्रशिक्षण तकनीकी सत्र का संचालन किया गया. डा. सत्यप्रकाश, निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवा योजन द्वारा प्रशिक्षण निदेशालय द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया. इस कार्यक्रम में बीएससी के तकरीबन 240 छात्रछात्राओं ने हिस्सा लिया.