Golden Mushroom : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अधीन मशरूम अनुसंधान निदेशालय चंबाघाट सोलन, हिमाचल प्रदेश में स्थित है. इस संसथान के मशरूम अनुसंधान के अंतर्गत भारत के विभिन जलवायु क्षेत्रों के जंगलो, वन्य जीव अभ्यारणों एवं मरुस्थलों से खादय एवं औषधीय मशरूम के जर्मप्लास्म के संग्रहण एवं संरक्षण के अंतर्गत महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय उदयपुर में संचालित अखिल भारतीय समन्वित मशरूम अनुसंधान परियोजना के दल ने राजस्थान के विभिन जंगलो, वन्य जीव अभ्यारणों एवं मरुस्थलों का जून से जुलाई, 2025 में गहन सर्वेक्षण किया.

जहां उन्हें उदयपुर जिले के केसरियाजी तहसील के सागवाड़ा पाल के जंगल में ढींगरी मशरूम की एक नई प्रजाति गोल्डन ओएस्टर मिली है. जिस का वैज्ञानिक नाम प्लूरोटस सिट्रिनोपिलेटस है. जो खादय एवं औषधीय गुन से भरपूर है. अखिल भारतीय समन्वित मशरूम अनुसंधान परियोजना के मुख्य वैज्ञानिक प्रोफैसर नारायण लाल मीना ने बताया कि इस प्रकार की गोल्डन ओएस्टर प्रजाति राजस्थान में प्रथम बार रिपोर्ट हुई है.

इस मशरूम का रंग सोने के रंग जैसा होता है. इस मशरूम के कैप का परिमाप 18×12 सैंटीमीटर, कौनकेट टाइप, तने का परिमाप 9×1.7 सैंटीमीटर और एक फ्रैश मशरूम के गुच्छे का वजन 300 ग्राम दर्ज किया गया है. यह पोषणीय एवं औषधीय गुणों के कारण अधिक महत्त्वपूर्ण है. इस मशरूम में प्रोटीन 31.7 फीसदी, रेशा तकरीबन 25.7 फीसदी और इस में सैल्यूलोस, हैमिसेलुलोसे और स्टार्च की अच्छी मात्रा होती है. इस में वसा की काम मात्रा 1 फीसदी व लिग्निन भी पाया जाता है.

इस के अलावा इस में सूक्षम पोषक तत्व, विभिन बायोएक्टिव योगिक जैसे पौलिसैक्राइड, एमिनोएसिड और अन्य लाभकारी पोषक तत्त्वों का भी अच्छा स्रोत है. एमिनोएसिड में ग्लुटामिन, एस्पार्टिक एसिड, विटामिंस में विटामिन डी (अर्गोस्टेरौल) पोटाशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम एवं एंटीऔक्सिडेंटस में फिनौल, फ्लेवेनौयडस जो कि कोशिका को नष्ट होने से बचाता है. वसा अम्लों में असंतृप्तत वसा अमल विशेष रूप से पामिटिक, ओलिक और लिनोलिक एसिड का भी अच्छा स्त्रोत है.

गोल्डन ओएस्टर प्रजाति एक स्वस्थ आहार एवं औषधीय उपयोग के लिए एक मूलयवान खाद्य मशरूम है. वर्तमान में इस मशरूम पर गहन अध्ययन के लिए अनुसंधान शुरू हो चूका है.

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