Cattle Breeders : मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत पशुपालन एवं डेयरी विभाग  (डीएएचडी) ने पिछले दिनों सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के माध्यम से पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पशुपालकों के लिए वर्चुअल माध्यम से एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया.

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय के  राज्य मंत्री प्रो.एसपी सिंह बघेल ने की. पशुपालन व डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय भी इस  कार्यक्रम में उपस्थित थीं.

राज्य मंत्री, प्रो एसपी सिंह बघेल ने इस कार्यक्रम को पशुपालकों के साथ सीधे संपर्क का एक बहुमूल्य अवसर बताया. उन्होंने दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में विभाग के प्रयासों की प्रशंसा की और लैंगिक-वर्गीकृत वीर्य (एसएसएस) जैसी पहलों के महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि लैंगिकवर्गीकृत वीर्य के मूल्यों में भारी कमी आई है, जिस से यह देश भर के किसानों के लिए काफी सुलभ और सस्ता हो गया है.

प्रो. एसपी सिंह बघेल ने किसानों से इस सत्र में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया क्योंकि इस से उन्हें पशुपालन में व्यावहारिक अनुप्रयोग के लिए ज्ञान को “प्रयोगशाला से खेत तक” पहुंचाने में सहायता मिलेगी. उन्होंने विभिन्न राज्यों के किसानों से बातचीत भी की और उन के पशुधन, पशु चिकित्सा सेवाओं तक उन की पहुंच और विभागीय योजनाओं के बारे में उन की  जागरूकता के बारे में जानकारी प्राप्त की.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने पशुधन स्वास्थ्य की सुरक्षा और बीमारियों केप्रसार को रोकने के लिए समय पर टीकाकरण के महत्व पर बल दिया. उन्होंने जूनोटिक रोगों की  अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की, जो पशुओं से मनुष्य में फैल सकते हैं. उन्होंने रोग नियंत्रण उपायों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला.

इस के साथ ही, उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने में उन्नत नस्ल सुधार तकनीकों की भूमिका पर भी  बल दिया. उन्होंने किसानों को कार्यक्रम से प्राप्त ज्ञान को अपनी प्रथाओं में लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया, जिस से पशुपालन क्षेत्र के विकास में योगदान मिल सके.

देश के पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 2,000 क्षेत्रों से पशुपालकों ने इस जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया. गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, दमण और दीव, दादरा और नगर हवेली, गोआ, महाराष्ट्र, पुद्दुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना सहित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से किसान इस कार्यक्रम में शामिल हुए.

इस सत्र में 1 लाख से अधिक पशुपालकों ने भाग लिया. इस कार्यक्रम का  उद्देश्य नस्ल सुधार, टीकाकर, जूनोटिक रोग नियंत्रण और स्वच्छता प्रथाओं सहित पशुपालन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर किसानों को  जागरूक करना था. इस कार्यक्रम में एसएसएस और टीकाकरण पर विशेषज्ञ सत्र और शैक्षिक  वीडियो का प्रदर्शन भी शामिल था.

क्या होता है लैंगिक वर्गीकृत वीर्य

लैंगिक वर्गीकृत वीर्य एक ऐसा वीर्य है जिस में शुक्राणुओं को लिंग के आधार पर अलग किया जाता है, ताकि वांछित लिंग के बच्चे पैदा करने की संभावना बढ़ाई जा सके. इस का प्रमुख फायदा यह है कि पशुधन (जैसे गाय, भेड़) में, किसान अपनी जरूरत के अनुसार नर या मादा संतान ले सकता है. यदि किसान को अपना दूध उत्पादन बढ़ाना है तो वह पशु की मादा संतान अधिक ले सकता है.

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