उत्तर प्रदेश के किसान वैज्ञानिक आज्ञाराम वर्मा ने गन्ना और गेहूं की नई प्रजातियाँ विकसित कर खेती की लागत में 70% तक की कमी की. सौर सिंचाई, जैविक खेती और आधुनिक यंत्रों से उन्होंने कैसे बढ़ाया मुनाफा. जानिए, उनकी सफलता की कहानी –
किसान से वैज्ञानिक तक का सफर
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के किसान आज्ञाराम वर्मा ने केवल 12वीं तक पढ़ाई की, लेकिन उनकी सोच और नवाचार ने उन्हें एक किसान वैज्ञानिक बना दिया. उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर खेती में प्रयोग किए, क्रांतिकारी बदलाव किए और साबित किया कि तकनीक व नवाचार से खेती लाभदायक बन सकती है.
गन्ने की नई प्रजाति ‘कैप्टन बस्ती’ की खोज
आज्ञाराम वर्मा ने गन्ने में चीनी की मात्रा बढ़ाने के उद्देश्य से नई प्रजाति तैयार की.
उन्होंने गन्ना अनुसंधान संस्थान, गोरखपुर और लखनऊ के वैज्ञानिकों से तकनीक सीखी और 2007 में नई किस्म विकसित की.
प्रमुख विशेषताएँ:
• विभिन्न प्रजातियों (95255, 8102, 01434, 92423) के परागण से तैयार,
• हर मिट्टी और जलवायु में उपयुक्त,
• कीट और रोगों से मुक्त,
• चीनी की मात्रा (Sugar Content) दोगुनी पाई गई,
नाम: कैप्टन बस्ती (Captain Basti) — अपने जिले के नाम पर रखी गई इस प्रजाति को कृषि वैज्ञानिकों ने उत्कृष्ट घोषित किया.

गेहूं की नई प्रजाति में सफलता
साल 2008 में आज्ञाराम वर्मा ने गेहूं की दो प्रजातियाँ — 343 और 502 — को मिलाकर एक नई उच्च उपज वाली वैरायटी तैयार की. इस नई किस्म की खासियत थी कि, यह कीटों और रोगों से मुक्त थी, जैविक पोषक तत्वों के प्रयोग से विकसित हुई थी और अधिक उपज देती थी.
साल 2011 में कृषि विभाग की टीम ने इसे प्रमाणित किया और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बीज विस्तार योजना के तहत किसानों में वितरित किया.
शून्य लागत पर सिंचाई और तकनीकी नवाचार
खेती की लागत घटाने के लिए आज्ञाराम वर्मा ने सोलर पंप लगाकर शून्य लागत सिंचाई की शुरुआत की. उन्होंने कृषि विभाग और नेडा की योजना के तहत 75% अनुदान पर सोलर सिस्टम स्थापित किया.
नवाचार
• सोलर पंप को ट्रॉली पर लगाकर चलायमान सिंचाई यूनिट बनाई.
• दूरदराज के किसानों को कम लागत पर सिंचाई सुविधा दी.
• खेतों की जुताई में सीड ड्रिल और आधुनिक यंत्रों का प्रयोग किया. इससे खेती की लागत में 70% तक की बचत हुई.

जैविक खेती
आज्ञाराम वर्मा ने अपने खेतों में रासायनिक खादों और कीटनाशकों की जगह जैविक उपाय अपनाए. गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट, एजोला फर्न, जैव कीटनाशक का उपयोग किया, खुद का बनाया कीटनाशक अरहर, मटर, केला आदि फसलों में प्रयोग किया. उनकी फसलें रासायनिक-मुक्त और स्वास्थ्यवर्धक होती हैं.
बागबानी और विविध खेती में सफलता
उन्होंने केला, आम और सब्जियों की जैविक खेती कर उच्च उत्पादन प्राप्त किया. उनकी बागबानी विधि को जिला उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा सम्मानित किया गया.
सम्मान और उपलब्धियाँ
आज्ञाराम वर्मा को नवाचारी किसान सम्मान से सम्मानित किया गया. राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राज्यीय स्तर पर अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए. उत्तर प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड सरकारों द्वारा सम्मानित किया गया.
आज्ञाराम वर्मा ने दिखाया कि अगर किसान में नवाचार, आत्मविश्वास और तकनीक की समझ हो, तो खेती को मुनाफे का व्यवसाय बनाया जा सकता है. वे आज हजारों किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं.





