केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना PMFBY में बड़े बदलाव किए गये है ताकि किसानों को ज्यादा फायदा मिल सकें. क्या हुए है बदलाव और किसानों को कैसे होगा फायदा , जान्ने के लिए पढ़े ये लेख –

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने क्या कहा

देश के कई हिस्सों में किसान हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के हमलों के कारण फसल नुकसान झेलते रहे हैं. पहले यह नुकसान फसल बीमा के दायरे से बाहर रहा करता था, जिस कारण किसानों को भारी आर्थिक घाटा उठाना पड़ता था. जंगली जानवरों से होने वाले फसल नुकसान को स्थानीयकृत जोखिम की 5वीं एड-ऑन कवर के रूप में औपचारिक मान्यता दे दी है.
इसके अलावा धान के जलभराव को फिर से स्थानीयकृत आपदा श्रेणी (Localised Risk category) में शामिल किया है. ये बदलाव खरीफ 2026 से पूरे देश में लागू किए जाएंगे. मंत्रालय ने कहा है कि इन बदलावों से तटीय, हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों के किसानों को विशेष लाभ मिलेगा.

फसल नुकसान का दावा कैसे करें

नई व्यवस्था के तहत राज्य सरकारें अपने-अपने क्षेत्र के अनुसार जंगली जानवरों की लिस्‍ट बनाकर नोटिफि‍केशन जारी करेंगी, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. राज्य सरकारें उन जिलों और बीमा इकाइयों की पहचान भी करेंगी, जो ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर जंगली जानवरों के हमलों से सबसे अधिक प्रभावित रहे हैं. किसान को फसल नुकसान का दावा 72 घंटे के भीतर फसल बीमा ऐप पर जियो-टैग्ड फोटो के साथ दर्ज करना होगा.

छोटे और सीमांंत किसानों को होगा फायदा

समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किए गए ये प्रावधान PMFBY के परिचालन दिशानिर्देशों के अनुरूप वैज्ञानिक, पारदर्शी और व्यवहारिक बताये गए हैं. स्थानीयकृत जोखिमों को कवर में लाने का मकसद छोटे और सीमांत किसानों को अचानक और सीमित भू-भाग में हुई फसल नुकसान से बचाना है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां वन सीमा, वन गलियारे या पहाड़ी इलाके हैं और जंगली जानवरों का आवागमन अधिक होता है.

इन राज्‍यों के धान किसानों को मिलेगी राहत

धान के जलभराव को हटाए जाने के बाद तटीय और बाढ़ की अध‍िक संभावना वाले राज्यों के धान किसानों के लिए फसल सुरक्षा में बड़ा अंतर आ गया था. अब इस जोखिम को फ‍िर से शामिल किया जा रहा है. इससे ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों के धान किसानों को राहत मिलेगी.

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