कृषि यंत्र (Agricultural Equipment) खरीद पर मिलेगा 50 फीसदी अनुदान

जयपुर: खेती–किसानी में कृषकों द्वारा बुआई, जुताई और बिजाई जैसे कठोर कार्य किये जाते हैं. इन्हीं कार्यो को सुगम बनाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजना के प्रावधानों के अन्तर्गत किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों पर अनुदान देकर लाभान्वित किया जायेगा, जिससे किसानों पर आर्थिक भार कम पडेगा और कृषि कार्य आसान हो जायेंगे साथ ही किसानों की आय में भी वृद्धि होगी.

कृषि आयुक्त कन्हैया लाल स्वामी ने बताया कि योजना के अन्तर्गत राज्य में लगभग 66 हजार किसानों को 200 करोड़ रूपये का अनुदान दिये जाने का प्रावधान रखा गया है. इसके लिए कृषक 13 सितम्बर तक ऑनलाईन आवेदन कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि कृषि यंत्रों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमान्त एवं महिला किसानों को ट्रेक्टर की बीएचपी के आधार पर लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत तक तथा अन्य श्रेणी के कृषकों को लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जायेगा. लघु एवं सीमान्त श्रेणी के किसानों को ऑन-लाईन आवेदन से पूर्व जन आधार में लघु एवं सीमान्त श्रेणी जुड़वाना आवश्यक है, आवेदन के दौरान उक्त प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा.

कृषि आयुक्त ने बताया कि राज किसान साथी पोर्टल पर ई-मित्र के माध्यम से जनाधार कार्ड, जमाबंदी की नकल, कृषि यंत्र का कोटेशन आदि दस्तावेजों की सहायता से ऑन-लाईन आवेदन कर सकते हैं. किसानों को राज्य में प्रचलित ट्रैक्टर संचालित सभी प्रकार के कृषि यंत्र जैसे रोटावेटर, थ्रेसर, कल्टीवेटर, बंडफार्मर, रीपर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, डिस्क हेरो, प्लॉउ आदि यंत्रों पर अनुदान दिया जायेगा. किसान द्वारा कृषि यंत्रों को पंजीकृत फर्म से खरीदने तथा सत्यापन के बाद अनुदान उनके जनाधार से जुड़े बैंक खाते में हस्तान्तरित किया जायेगा.

एक जन आधार पर होगा एक आवेदन

एक किसान को एक प्रकार के कृषि यंत्र पर तीन वर्ष की कालावधि में केवल एक बार अनुदान दिया जायेगा. किसानों को वित्तीय वर्ष में एक ही कृषि यंत्र पर अनुदान दिया जायेगा. प्रशासनिक स्वीकृति जारी करने से पूर्व खरीदे गये पुराने कृषि यंत्रों पर अनुदान नही दिया जायेगा.

एक जन आधार द्वारा एक ही आवेदन स्वीकार होगा कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए किसान के नाम भूमि और ट्रेक्टर चलित यंत्र पर अनुदान के लिए ट्रेक्टर का रजिस्ट्रेशन आवेदक किसान के नाम होना आवश्यक है.

बलराम तालाब योजना के लिए आवेदन आमंत्रित

बड़वानी: कृषि के बेहतर विकास के लिए सतही एवं भूमिगत जल की उपलब्धता को पूरा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत बलराम तालाब निर्माण पर अनुदान दिया जा रहा है. बलराम तालाब किसानों द्वारा स्वयं के खेतों पर बनाए जाते हैं. तालाब निर्माण से फसलों में जीवनरक्षक सिंचाई के साथसाथ भूजल संवर्धन और पास के कुओं और नलकूपों को चार्ज करने के लिए भी ये अत्यंत उपयोगी हैं. इस योजना का लाभ समूचे मध्य प्रदेश में सभी तबके के किसान ले सकते हैं.

इच्छुक किसानों द्वारा ईकृषि यंत्र अनुदान पोर्टल कइज.उचकंहम.वतह पर औनलाइन आवेदन करने के पश्चात कृषि विभाग के क्षेत्रीय भूमि संरक्षण अधिकारी व ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को तालाब बनाने के लिए दिए गए आवेदन के आधार पर ‘पहले आएं पहले पाएं’ के आधार पर पंजीयन कर पात्रतानुसार अनुदान का भुगतान किया जाता है.

बलराम तालाब के बंधान पर तुअर अथवा अन्य उपयुक्त फसलें लगाई जा सकती हैं, जिस से किसान को कुछ अतिरिक्त लाभ प्राप्त हो सकेगा. साथ ही, तालाब में मछलीपालन और बतखपालन कर के भी किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं.

योजना के अंतर्गत सामान्य किसानों को स्वीकृत लागत पर 40 फीसदी या अधिकतम राशि रुपए 80,000 लघु व सीमांत किसानों को लागत का 50 फीसदी या अधिकतम 80,000 रुपए और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को 75 फीसदी या अधिकतम रुपए एक लाख रुपए तक का अनुदान प्रावधानित है.

जिले के सामान्य किसानों के लिए 14, अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए 17 और अनुसूचित जाति के किसानों के लिए 6. इस प्रकार कुल 37 बलराम तालाब निर्माण के लक्ष्य प्राप्त हुए हैं. इसलिए किसानों से अपील की जाती है कि पात्रता के अनुसार ही बलराम तालाब निर्माण के लिए पंजीयन करा कर योजना का लाभ प्राप्त करें.

ड्रम सीडर से करें धान की बोआई

खरीफ सीजन की सब से प्रमुख फसल के रूप में देश के तमाम राज्यों में धान की खेती की जाती है, जिस के लिए किसानों को तमाम तरह की तैयारियां पूर्व में ही करनी पड़ती हैं. इस में धान की उपयुक्त प्रजातियों के चयन से ले कर खाद, खरपतवारनाशक की व्यवस्था, बीजों का शोधन, नर्सरी तैयार करना, रोपाई, कीट व रोगों का नियंत्रण, मड़ाई व भंडारण जैसी चीजों पर विशेष ध्यान देना पड़ता है.

ऐसे में अगर किसान को धान की फसल से लागत के अनुरूप उत्पादन व लाभ नहीं मिलता है, तो भुखमरी के हालात से भी रूबरू होना पड़ता है.

धान की फसल के लिए कई विधियों का प्रयोग किया जाता है. इस में नर्सरी से धान के खेत में सीधी रोपाई, एसआरआई विधि, खेत में छिटकवां विधि से धान की बोआई व ड्रम सीडर से धान की बोआई आदि. इन सभी विधियों से धान की खेती करने के अलगअलग फायदे हैं, लेकिन अगर किसान ड्रम सीडर से अपने खेत में धान की बोआई करें, तो उस से कई तरह के फायदे हैं. किसान इस तरह की बोआई से अधिक लाभ कमा सकता है.

ड्रम सीडर धान की बोआई में प्रयोग किया जाने वाला प्लास्टिक से बना एक मानवचलित यंत्र है. इस के प्रयोग से धान की बोआई में श्रम शक्ति, पैसा व समय की बचत भी की जा सकती है.

मशीन की बनावट व मूल्य

ड्रम सीडर यंत्र में 4-6 प्लास्टिक के डब्बे लगे होते हैं. इन डब्बों में क्रमशः 28 व 14 छिद्र पास व दूर में बने होते हैं. इस यंत्र के डब्बों की लंबाई 25 सैंटीमीटर व व्यास 18 सैंटीमीटर होती है. एक डब्बे में डेढ़ से दो किलोग्राम मात्रा में बीज रखा जाता है. इस यंत्र में किनारे पर 2 चक्के लगे होते हैं, जो खेत में बोआई के संचालन में उपयोगी होते हैं. इस में 2 हैंडल दोनों छोरों से होते हुए आपस में आ कर मिले होते हैं. इसे कोई भी एक व्यक्ति पकड़ कर बोआई का काम कर सकता है.

इस मशीन का बाजार मूल्य 7,500 रुपए से 10,000 रुपए तक है, जो किसी भी स्थानीय कृषि यंत्र विक्रेता से आसानी से खरीदा जा सकता है. इस यंत्र के लिए भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत किसानों को अनुदान भी उपलब्ध है.

ड्रम सीडर से धान की बोआई करने के जून माह के पहले सप्ताह से जुलाई माह के पहले सप्ताह तक का समय सब से उपयुक्त होता है. इस के लिए सब से पहले जिस खेत में धान की बोआई ड्रम सीडर से करनी हो, उस को खरपतवार नियंत्रण के लिए एक बार हैरो या रोटावेटर से जुताई कर मिट्टी भुरभुरी कर लेनी चाहिए. इस के बाद जिस दिन ड्रम सीडर से धान की बोआई करनी हो, उस खेत में पलेवा कर के उस का पानी बाहर निकाल देना उचित होता है.

बीज की तैयारी

ड्रम सीडर से धान की बोआई करने के लिए आप अपने खेत के अनुसार जिस भी धान की प्रजाति का चयन कर रहे हों, उसे 12 घंटे तक पानी में भिगो कर रख 24 घंटे तक छाया में ढका जाता है. इस के उपरांत जब धान के बीज में आंखें फूट जाएं, आधे घंटे छाया में सुखा लेना चाहिए. बीज को भिगोने के लिए पहले इस का ट्राइकोडर्मा या थिरम नाम की दवा से शोधन करना न भूलें.

बीज की प्रजाति एवं मात्रा

ड्रम सीडर से धान की बोआई के लिए आप अपने खेत की सिंचित व असिंचित दशा को ध्यान में रखते हुए किसी भी उपयुक्त प्रजाति का चयन कर सकते हैं. ड्रम सीडर से धान की बोआई के लिए साधारण प्रजाति के लिए 40-50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर व संकर प्रजाति का चयन करने की दशा में 20 किलोग्राम बीज व उसी प्रजाति का 20 किलोग्राम मृत बीज का चयन करें. बीज को मृतक करने के लिए उसी प्रजाति के पुराने बीज को गरम पानी में उबाल कर सुखा लेते हैं. जिस को साथ मिला कर डब्बों में भर लिया जाता है. इस से निश्चित दूरी पर निश्चित मात्रा में खेत में बीज की बोआई होती है.

मशीन का बोआई में प्रयोग

धान की फसल लेने के लिए ड्रम सीडर से बोआई उचित विधि है. इस के लिए तैयार खेत को पलेवा कर देना चाहिए और इकट्ठा पानी को खेत से बाहर निकाल देना चाहिए. इस के उपरांत ड्रम सीडर के डब्बो में दोतिहाई भाग बीज भर देना चाहिए. बीज को दोतिहाई भाग भरने से खेत में बीज की उचित मात्रा पड़ती है. इस के उपरांत एक व्यक्ति द्वारा इसे सीधी लाइन में पलेवा खेत में ले कर चलना चाहिए. चूंकि यंत्र के दोनों किनारों पर 2 पहिए लगे होते हैं, इस से पलेवा खेत में इस मशीन के संचालन मे कोई पेरशानी नहीं होती है.

इस विधि से महज 2 व्यक्तियों द्वारा एक दिन में एक हेक्टेयर खेत में धान की बोआई की जा सकती है.

खाद एवं उर्वरक

कृषि विज्ञान केंद्र, संतकबीर में वरिष्ठ विषय वस्तु विशेषज्ञ राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि ड्रम सीडर से धान की बोआई खेत में सीधे रोपाई से ज्यादा लाभदायक होती है. क्योंकि इस से पौधे सीधे लाइनों में निश्चित दूरी पर उगते हैं, इस से पौधों का अच्छा विकास होता है. ऐसी अवस्था में ड्रम सीडर से धान की बोआई में क्रमशः 120:60:60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की मात्रा का प्रयोग किया जाता है, जिस में बोआई के पहले जब खेत में से पानी निकाल चुके हों, तो फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा डालें. इस दिन के बाद नाइट्रोजन की आधी मात्रा डालें, बाकी बची आधी मात्रा को क्रमशः कल्ले फूटने के 20-25 दिन बाद व बाली निकलने के 40-45 दिन बाद बराबर मात्रा में डालें.

खरपतवार व कीट नियंत्रण

ड्रम सीडर से धान की बोआई के मामले में खरपतवार नियंत्रण के मसले पर कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष व कृषि वैज्ञानिक प्रो. डा. एसएन सिंह का कहना है कि चूंकि ड्रम सीडर से लाइन से लाइन की बोआई होती है, इसलिए इस में खरपतवार के नियंत्रण के लिए पैडीवीडर या कोनोवीडर यंत्र का उपयोग किया जा सकता है. इस के अलावा संस्तुत खरपतवारनाशी का प्रयोग भी किया जाता है. धान की फसल में कीट व रोगों की दशा में कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार रसायनों का प्रयोग करना चाहिए.

खाली जगह की भराई

ड्रम सीडर से बोआई की दशा में 2-3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर अंकुरित बीज की नर्सरी डाल देनी चाहिए. इन तैयार पौधो को आप 10 दिन बाद खाली जगहों पर रोक कर भराई कर दें.

उत्पादन

इस यंत्र से बोए गए धान से 30-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन प्रजाति के अनुसार मिलता है.

ड्रम सीडर से बोआई का लाभ

ड्रम सीडर से धान की बोआई से किसानों को कई तरह के फायदे होते हैं. इस विधि से बोआई में कम लागत और अधिक उत्पादन मिलना इस की खासियत है. इस में मात्र 2 आदमियों की आवश्यकता पड़ती है, जबकि एक हेक्टेयर में पौध रोपण के लिए एक दिन में 45-50 मजदूरों की जरूरत होती है. अगर किसान ड्रम सीडर से बोआई करें, तो नर्सरी डालने की जरूरत नहीं पड़ती है, जिस से नर्सरी में लगने वाली लागत व श्रम दोनों से बचा जा सकता है.

इस के अलावा इस में कम सिंचाई और कम मात्रा में बीज की जरूरत होती है. इस विधि से बोआई करने से पैदावार अच्छी होती है और रोपे गए धान से 10 दिन पहले ही फसल पक कर तैयार हो जाती है.

ड्रम सीडर से धान की बोआई में सूखे का प्रभाव कम देखा गया है और फसल के जल्दी पकने से रबी की फसल के लिए खेत खाली हो जाता है.

ड्रम सीडर से बोआई में बरती जाने वाली सावधनियां

ड्रम सीडर से बोआई के दौरान यह ध्यान देना चाहिए कि खेत समतल हो और खेत में पानी की मात्रा शून्य हो, क्योंकि इस से बीज इकट्ठा होने का डर रहता है.

ड्रम सीडर से बोआई के लिए कोशिश करें कि खेत सूखने न पाए नहीं तो चिड़ियों द्वारा दानों का नुकसान पहुंचाए जाने की आशंका होती है.

ड्रम सीडर यंत्र व उस के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, संतकबीर नगर के वरिष्ठ विशेषज्ञ राघवेंद्र सिंह के मोबाइल नंबर 9415670596 पर संपर्क कर सकते हैं.

मिलेट मिशन योजना के तहत मिलेगी अनुदान में काफी छूट

मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने भी राज्य मिलेट मिशन योजना को मंजूरी दे दी है, जिस के तहत श्री अन्न की खेती को प्राथमिकता से बढ़ावा दिया जाएगा.

अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज के अंतर्गत केंद्र सरकार विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रही है. साथ ही, अनेक राज्य सरकारें भी मिलेट उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को तकनीकी और आर्थिक सहायता प्रदान कर रही हैं

देश के कई राज्यों में, कृषि इनपुट्स पर ध्यान केंद्रित कर मिलेट मिशन की तर्ज पर अनुदान प्राप्त हो रहा है, साथ ही किसानों को प्रशिक्षण और मिलेट प्रसंस्करण से जोड़ा जा रहा है.

मध्य प्रदेश सरकार ने भी राज्य मिलेट मिशन योजना को मंजूरी दे दी है, जिस के तहत श्री अन्न की खेती को प्राथमिकता से बढ़ावा दिया जाएगा. बीज, प्रशिक्षण, कार्यशाला और मिलेट के प्रचारप्रसार के लिए किसानों को अनुदान प्रदान किया जाएगा. मध्य प्रदेश सरकार ने मिलेट मिशन के लिए 23 करोड़, 25 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया है.

किसानों को 80 फीसदी तक अनुदान

भारतीय किसानों को मिलेट उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकारें आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही हैं. खेती के लिए बीज, खाद, मशीनें जैसे कृषि इनपुट्स को सस्ती दरों पर मुहैया करवा कर किसानों की लागत को कम कर रही हैं.

इस के अलावा प्रशिक्षण सेंटर और कार्यशालाओं का भी समयसमय पर आयोजन किया जा रहा है, ताकि किसान नवाचारों से जुड़ कर अपनी खेती को और अधिक प्रगतिशील बना सकें.

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने आधिकारिक घोषणा की है कि मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में पहले से ही मोटे अनाजों की खेती होती रही है, लेकिन अब समस्त राज्य के किसानों को मध्य प्रदेश राज्य मिलेट मिशन से जोड़ा जाएगा. इस योजना के तहत किसानों को 80 फीसदी अनुदान दिया जाएगा, जो किसानों को जोड़ने और मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य की ओर प्रोत्साहित करेगा.

स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और आय को बढ़ाने का लक्ष्य

स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और किसानों की आय को बढ़ाने के लक्ष्य के बारे में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि श्री अन्न एक बहुत ही पौष्टिक फसल है, जिस में आयरन, कैल्शियम, फाइबर आदि जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं और वसा की कम मात्रा होती है.

किसानों की बढ़ेगी आमदनी

यह योजना किसानों के लिए एक अच्छा अवसर है. इन मोटे अनाजों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ा कर किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं.