Thandai : गरमियों में पीजिए कूलकूल ठंडाई

Thandai: गरमी के मौसम में ठंडाई का अपना अलग ही मजा होता है. पहले के समय में शादी समारोहों में ठंडाई (Thandai) का इस्तेमाल होता था. अब बहुत सारे लोग कोल्ड ड्रिंक की जगह ठंडाई पीने लगे हैं. ठंडाई ज्यादातर बादाम के इस्तेमाल से बनती है. बादाम की तासीर गरम होती है, लेकिन उन को पानी में रात भर भिगो दें तो उन की तासीर बदल कर ठंडी हो जाती है. होली के अवसर पर भी लोग ठंडाई पी कर इस का आनंद लेते हैं.

ज्यादातर बनीबनाई ठंडाई को पानी या दूध में डाल कर इस्तेमाल किया जाता है. मिश्रांबू ठंडाई का बहुत मशहूर ब्रांड है. यह वाराणसी से बनाना शुरू हुआ था. साल 1924 में वाराणसी के रहने वाले सच्चिदानंद दुबे ने मिश्रांबू को तैयार किया. यह मेवों के मिश्रण से तैयार किया जाता है. अब पीढ़ी दर पीढ़ी यह कारोबार चल रहा है. अगर खुद ठंडाई बना कर पीना पसंद करें, तो यह काम काफी आसान होता है.

ठंडाई बनाने की सामग्री

बादाम 50 ग्राम, खसखस 30 ग्राम, तरबूज के छिले हुए बीज 20 ग्राम, खरबूजे के छिले हुए बीज 20 ग्राम, ककड़ी के छिले हुए बीज 20 ग्राम, सौंफ 50 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, देसी गुलाब की सूखी पंखुडि़यां 20 ग्राम, केसर 5-6 पत्तियां, हरी इलायची 5, बीज निकाले हुए मुनक्का 8, मिश्री 10 ग्राम, दूध 1 लिटर.

ठंडाई बनाने की विधि

बादाम, खसखस, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, ककड़ी के बीज, सौंफ, गुलाब की पंखुडि़यां, काली मिर्च, इलायची और मुनक्का को पानी में भिगो दें. सभी सामग्री को रात भर (करीब 5-6 घंटे) पानी में भीगने दें. सुबह बादाम के छिलके हटा दें और सारी सामग्री पानी सहित अच्छी तरह बारीक पीस लें. सिलबट्टे पर पीस सकें तो बहुत अच्छा है या ग्राइंडर में जितना हो सके उतना बारीक पीस लें. इस का पानी कतई न फेंके. यह पानी बहुत फायदेमंद होता है. पिसा हुआ तैयार पेस्ट अलग रख लें.

दूध में मिश्री व केसर डाल कर उबालें और ठंडा कर लें. पिसी हुई सामग्री में 1 गिलास पानी डाल कर साफ कपड़े या बारीक छलनी से छान लें. थोड़ाथोड़ा कर के पानी डालते जाएं और छानते जाएं. ये करीब 2 गिलास होना चाहिए. छलनी से निकले पानी में तैयार किया दूध मिला दें. इस तरह आप के पास 6 गिलास स्वादिष्ठ ठंडाई तैयार हो जाएगी. इस स्वादिष्ठ और फायदेमंद ठंडाई का मजा परिवार वालों या दोस्तों के साथ लें.

ठंडाई के फायदे

ठंडाई पीने से गरमी की वजह से शरीर को होने वाले नुकसानों से बचाव होता है. आंखों में जलन व पेशाब में जलन जैसी तकलीफें इस से ठीक हो जाती हैं. ठंडाई पीने से लू से बचाव होता है. बादामों से भरपूर ठंडाई पीने से दिमाग की कूवत में इजाफा होता है. यह दिल के लिए भी फायदेमंद होती है. ठंडाई पीने से पेट साफ रहता है और कफ में आराम मिलता है. ठंडाई में मौजूद तरबूज, खरबूज व ककड़ी के बीज किडनी और पेशाब संबंधी तकलीफों में फायदा पहुंचाते हैं.

शिकंजी (Shikanji) : देशी ऐनर्जी ड्रिंक

गरमी के दिनों में कहीं भी घूमने चले जाइए जो सब से ज्यादा बिकने वाली चीज है, वह शिकंजी ही है. ठेलों से ले कर दुकानों तक में इस को बिकते देखा जा सकता है. इस की सब से बड़ी वजह यह होती है कि शिकंजी गरमी के दिनों में सब से प्रमुख ऐनर्जी ड्रिंक होती है. यह प्यास बुझाने के साथसाथ शरीर को ऐनर्जी भी देती है.

गरमी में शरीर से पसीना बड़ी तेजी से निकलता है. इस से शरीर में पानी की कमी हो जाती है. इस वजह से लू लगने का खतरा ज्यादा होता है. शिकंजी शरीर को गरमी से लड़ने की ताकत देती है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में शिकंजी का इस्तेमाल पहले से ही खूब होता रहा है. हाल के कुछ सालों में यह उत्तर भारत के दूसरे राज्यों में भी बिकती दिखने लगी है. शिकंजी और चीनी के शरबत में थोड़ा अंतर है. चीनी के शरबत में जब नमक पड़ जाता है तो वह शिकंजी बन जाती है.

कुछ लोग सादा नमक की जगह मसालेदार नमक वाली शिकंजी पीते हैं. शिकंजी में पड़ने वाला मसाला, जो काला नमक से तैयार होता है, वही उसे अलग बनाता है.

कुछ लोग काला नमक के साथ सौंफ और काली मिर्च को भी इस में मिलाते हैं, पर इस मसाले को इस तरह से तैयार किया जाता है कि इस में काला नमक का स्वाद ही आए. नीबू और बर्फ के साथ मिल कर शिकंजी पीने वाले को गरमी से राहत दिलाती है.

कुछ साल पहले तक शिकंजी दिल्ली और आसपास के इलाकों में खूब बनाई जाती थी पर अब यह उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और दूसरी जगहों पर भी बिकने लगी है.

शिकंजी गरमी के पेय पदार्थ में सब से तेजी से आगे बढ़ी है. यह आम लोगों के लिए रोजगार का साधन भी बन गई है.

शिकंजी का कारोबार करने के लिए ज्यादा बड़ी पूंजी की जरूरत नहीं पड़ती है. हाथ से चलने वाले एक ठेले में कुछ रखा जा सकता है. शिकंजी बेचने के लिए भीड़भाड़ वाली जगह को चुनना ठीक रहता है. इस की सब से ज्यादा बिक्री दिन में उस समय होती है जब गरमी हद पर होती है.

गरमी से बचने के लिए लोग शिकंजी पीते हैं. शिकंजी एक ओर पीने वाले की सेहत सुधारती है, वहीं शरीर में होने वाली पानी की कमी को भी पूरा करती है. दूसरी ओर शिकंजी बेचने वाले को मुनाफा कमाने का मौका दे कर उस की माली हालत को सुधारती है.

20 रुपए से 30 रुपए की लागत में बिकने वाली शिकंजी की कीमत आधे से भी कम होती है. जरूरत इस बात की है कि शिकंजी में काला नमक के साथ डाला जाने वाला मसाला ठीक से तैयार हो. इस का स्वाद अच्छा हो. इस को साफसुथरे तरीके से तैयार किया जाए.

काला नमक कई बार खिसकने लगता है जो स्वाद को बेस्वाद कर देता है. शिकंजी बनाते समय इस बात का खास खयाल रखना चाहिए.

शिकंजी में बर्फ उतनी ही मिलाएं जो पीने वाले को पसंद हो. कुछ लोग ज्यादा ठंडी शिकंजी पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में पीने वाले का ध्यान जरूर रखना चाहिए. शिकंजी को आमतौर पर नीबू के रस, नमक और चीनी को पानी में मिला कर तैयार किया जाता है.

शिकंजी केवल ठेले पर ही नहीं बिकती, बल्कि कुछ बड़े होटलों में भी यह गरमी के दिनों में मिलती है. वहां इस को नीबू के पतलेपतले टुकड़ों से सजाया जाता है. गरमी के दिनों में हराभरा अहसास दिलाने के लिए नीबू के पतले टुकड़े के साथ पुदीना की पत्ती से सजावट भी की जाती है.

शैली द्विवेदी कहती हैं कि गरमी में शिकंजी से अच्छा कोई पेय नहीं होता. यह शरीर को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाती. यह पानी से होने वाली कमी को पूरा भी करती है.

ऐसे बनाएं शिकंजी

4 गिलास शिकंजी बनाने के लिए 2 नीबू, 8 चम्मच चीनी, स्वादानुसार काला नमक और मसाला डालें. शिकंजी में बर्फ के टुकड़े डालने के बजाय मिक्सी में पानी के साथ मिलाना ठीक रहता है.

सब से पहले नीबू का रस निकाल लें. इस में चीनी मिला कर आपस में ठीक से मिला दें. पानी और बर्फ को मिक्सी में डाल कर मिला दें. इस में नीबू रस और चीनी वाला घोल डाल दें. अब काला नमक और मसाला डाल कर मिक्सी में मिला दें.

लो जी हो गई तैयार शिकंजी. गिलाज में डाल कर औरों को भी पिलाएं और खुद भी पीएं.

चना और जौ से बने सत्तू के फायदे

सत्तू में ऐसे कई तत्त्व होते हैं, जो डायबिटीज और मोटापे जैसी गंभीर बीमारियों को ही नहीं, बल्कि कई दूसरी बीमारियों को भी शरीर से दूर करते हैं. सत्तू खाने में स्वादिष्ठ ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है.

सत्तू के औषधीय गुण भी बहुत हैं. चना और जौ जब साथ में मिलाते हैं, तो गरमियों में यह मिश्रण दवा की तरह काम करता है. गरमियों में सत्तू खाने से अनेक बीमारियां दूर रहती हैं.

चना और जौ को पीस कर सत्तू बनता है, जो शरीर को ठंडक देता है. खास बात यह है कि इस का शरबत, भरवां परांठे या रोटी, पंजीरी, लड्डू, मठरी आदि के रूप में सेवन किया जा सकता है.

मोटापे का दुश्मन

सत्तू एक पूरा आहार है. इस में प्रोटीन के साथ मिनरल, आयरन, मैग्नीशियम और फास्फोरस बहुत होता है. साथ ही, यह फाइबर से भरा होता है. इसे खाने से पेट आसानी से भर जाता है और प्यास भी लगती है. पानी पीने से पेट और देर तक भरा रहता है. ऐसे में यह वजन कम करने के लिए बेहतर खाना है.

लू से बचाए

सत्तू की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गरमी में इसे खाने से शरीर ठंडा भी रहता है और पानी ज्यादा पीने से यह डिहाइड्रेशन से भी बचाता है. इस से लू नहीं लगती है और यह शरीर का तापमान काबू करने में मददगार साबित होता है.

एनीमिया में फायदेमंद

सत्तू कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन से भी भरा होता है. ऐसे में जिन्हें एनीमिया है, वे लोग इसे जरूर खाएं और किशोरावस्था में लड़कियों को ज्यादा से ज्यादा इस का सेवन करना चाहिए.

डायबिटीज में बढि़या

सत्तू में मौजूद बीटा ग्लूकोन शरीर में बढ़ते ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है. इस से ब्लड शुगर का लैवल कंट्रोल में रहता है. सत्तू कम ग्लाइसेमिक इंडैक्स वाला होता है और यह डायबिटीज को काबू रखने में मदद करता है.

शिकंजी का कारोबार

शिकंजी गरमी के दिनों का सब से ज्यादा पसंद किया जाने वाला पेय है. इसे छोटेबड़े शहरों में सड़कों पर बिकता देखा जा सकता है. दिल्ली और आसपास की जगहों सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और दूसरी जगहों पर भी यह पेय बिकने लगा है. शिकंजी गरमी के पेय पदार्थ में सब से तेजी से आगे बढ़ी है. यह साधारण लोगों के लिए रोजगार का साधन भी बन गई है. शिकंजी का कारोबार करने के लिए किसी तरह की बड़ी पूंजी की जरूरत नहीं पड़ती है. हाथ से चलने वाले एक ठेले में सभी कुछ रखा जा सकता है.

शिकंजी बेचने के लिए भीड़भाड़ वाली जगह का चुनाव करना ठीक रहता है. इस की सब से ज्यादा बिक्री दिन में उस समय होती है, जब गरमी चरम पर होती है. गरमी से बचने के लिए लोग शिकंजी पीते हैं. शिकंजी एक ओर पीने वाले की सेहत सुधारती है, उस के शरीर में होने वाली पानी की कमी को पूरा करती है, दूसरी ओर शिकंजी बेचने वाले को मुनाफा कमाने का मौका दे कर उस की माली हालत को सुधारती है.

20 से 30 रुपए की लागत से बिकने वाली शिकंजी की कीमत आधी से भी कम होती है. जरूरत इस बात की होती है कि शिकंजी में काला नमक के साथ डाला जाने वाला मसाला ठीक से तैयार हो. इस का स्वाद अच्छा हो. इस को साफसुथरे तरीके से तैयार किया जाए. काला नमक कई बार खिसकने लगता है, जो स्वाद को बेस्वाद कर देता है.

इस बात का खास खयाल शिकंजी बनाते समय रखना चाहिए. बर्फ उतनी ही मिलाएं, जो पीने वाले को पसंद हो. कुछ लोग ज्यादा ठंडी शिकंजी पीना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में पीने वाले का ध्यान जरूर रखना चाहिए. शिकंजी आमतौर पर नीबू के रस, नमक और चीनी को पानी में मिला कर तैयार की जाती है.

ऐसे बनाएं शिकंजी

4 गिलास शिकंजी बनाने के लिए 2 नीबू, 8 चम्मच चीनी की जरूरत होती है. काला नमक और मसाला स्वाद के अनुसार डालें. शिकंजी में बर्फ के टुकड़े डालने के बजाय मिक्सी में पानी के साथ मिलाना ठीक रहता है.

सब से पहले नीबू का रस निकाल लें. इस में चीनी मिला कर आपस में ठीक से मिक्स कर दें. पानी और बर्फ को मिक्सी में डाल कर मिला दें. इस में नीबू का रस और चीनी वाला घोल डाल दें. अब काला नमक और मसाला डाल कर मिक्सी में मिला दें. गिलास में डाल कर पीने वाले को दे दें.

शिकंजी केवल ठेले पर ही नहीं बिकती है, गरमी के दिनों में कुछ बड़े होटलों में भी यह मिलती है. वहां इस को नीबू के पतलेपतले टुकड़ों से सजाया जाता है. गरमी के दिनों में हराभरा अहसास दिलाने के लिए नीबू के पतले टुकड़े के साथ पुदीना की पत्ती से सजावट भी की जाती है.