शिकंजी गरमी के दिनों का सब से ज्यादा पसंद किया जाने वाला पेय है. इसे छोटेबड़े शहरों में सड़कों पर बिकता देखा जा सकता है. दिल्ली और आसपास की जगहों सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और दूसरी जगहों पर भी यह पेय बिकने लगा है. शिकंजी गरमी के पेय पदार्थ में सब से तेजी से आगे बढ़ी है. यह साधारण लोगों के लिए रोजगार का साधन भी बन गई है. शिकंजी का कारोबार करने के लिए किसी तरह की बड़ी पूंजी की जरूरत नहीं पड़ती है. हाथ से चलने वाले एक ठेले में सभी कुछ रखा जा सकता है.

शिकंजी बेचने के लिए भीड़भाड़ वाली जगह का चुनाव करना ठीक रहता है. इस की सब से ज्यादा बिक्री दिन में उस समय होती है, जब गरमी चरम पर होती है. गरमी से बचने के लिए लोग शिकंजी पीते हैं. शिकंजी एक ओर पीने वाले की सेहत सुधारती है, उस के शरीर में होने वाली पानी की कमी को पूरा करती है, दूसरी ओर शिकंजी बेचने वाले को मुनाफा कमाने का मौका दे कर उस की माली हालत को सुधारती है.

20 से 30 रुपए की लागत से बिकने वाली शिकंजी की कीमत आधी से भी कम होती है. जरूरत इस बात की होती है कि शिकंजी में काला नमक के साथ डाला जाने वाला मसाला ठीक से तैयार हो. इस का स्वाद अच्छा हो. इस को साफसुथरे तरीके से तैयार किया जाए. काला नमक कई बार खिसकने लगता है, जो स्वाद को बेस्वाद कर देता है.

इस बात का खास खयाल शिकंजी बनाते समय रखना चाहिए. बर्फ उतनी ही मिलाएं, जो पीने वाले को पसंद हो. कुछ लोग ज्यादा ठंडी शिकंजी पीना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में पीने वाले का ध्यान जरूर रखना चाहिए. शिकंजी आमतौर पर नीबू के रस, नमक और चीनी को पानी में मिला कर तैयार की जाती है.

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