Global Tiger Day : सप्ताह भर चलेगा जागरूकता कार्यक्रम

Global Tiger Day : राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली ने 29 जुलाई को ‘ग्लोबल टाइगर डे’ समारोह की शुरुआत की, जिस के तहत 30 जुलाई से 5 अगस्त तक एक विशेष सप्ताह भर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. स्कूली छात्रों को बाघ संरक्षण के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित इस पहल में विभिन्न प्रकार की आकर्षक और शैक्षिक गतिविधियां शामिल हैं.

आयोजन के पहले दिन, चिड़ियाघर में 250 से ज्यादा उत्साही छात्रों ने बाघ संरक्षण पर केंद्रित एक गतिशील शिक्षण अनुभव में भाग लिया. राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के डा. मागेश के साथ एक विशेष संवाद सत्र आयोजित किया गया, जिस में उन्होंने बाघ संरक्षण से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों पर बात की. उन्होंने इस साल के बाघ दिवस को राष्ट्रव्यापी वृक्षारोपण अभियान “एक पेड़ मां के नाम” के साथ जोड़ने पर भी प्रकाश डाला और छात्रों को पेड़ लगा कर योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया.

छात्रों के अनुभव को और यादगार बनाने के लिए, राष्ट्रीय प्राणी उद्यान की शिक्षा टीम ने एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया, जिस में एक लघु प्रश्नोत्तरी और बाघ संरक्षण पर एक डौक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन शामिल था. इस अवसर पर बाघ के मुखौटे बनाने की गतिविधि का भी आयोजन किया गया, जिस ने इस दिन को और भी रचनात्मक बना दिया और विजेताओं को पुरस्कार भी दिए गए.

इस के बाद छात्रों ने बाघों के बाड़ों का दौरा किया, जहां उन की जिज्ञासा और उत्साह साफ  झलक रहा था क्योंकि उन्होंने प्रश्न पूछे व बाघों और भारत की समृद्ध जैव विविधता के बारे में जानकारी प्राप्त की. इस दौरे का समापन राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के निदेशक के साथ एक संवाद सत्र के साथ हुआ. निदेशक ने छात्रों की भागीदारी की सराहना की और उन्हें वन्यजीवों के बारे में सीखते रहने और सरकार के संरक्षण प्रयासों, विशेष रूप से बाघ अभयारण्यों से संबंधित प्रयासों में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया.

संरक्षण संदेश को और मजबूत करने के लिए, प्रत्येक सहभागी स्कूल को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निदेशक, राष्ट्रीय प्राणी उद्यान और क्षेत्रीय कार्यालय नागपुर के सहायक महानिरीक्षक द्वारा 10 पौधे भेंट किए गए, जो वन और वन्यजीव संरक्षण के प्रति उन की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

Oilseeds and Pulses : अनाज नहीं तिलहनदलहन उत्पादन हो पहला लक्ष्य

Oilseeds and Pulses : उपमहानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली डा. राजबीर सिंह ने पिछले दिनों आयोजित 23वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में किसानों से बात करते हुए कहा कि यदि कृषि वैज्ञानिक, प्रसार और किसान एक साथ मिल कर काम करें तो कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है. सही माने में किसान ही देश का सच्चा व अच्छा वैज्ञानिक है क्योंकि खेत पर आने वाली दिक्कतों के समाधान के लिए वह दिनरात दिमाग लगा कर कोई न काई जुगाड़ कर ही लेता है. किसानों के इन नवाचारों को कैप्चर कर लैब में ला कर रिफाइंड करें और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से देश भर में पहुंचाए, ताकि सभी किसानों को इस का लाभ मिल सके.

प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सभागार में आयेाजित इस सालाना बैठक में विश्वविद्यालय से संबंधित 8 कृषि विज्ञान केंद्र भीलवाड़ा प्रथम, द्वितीय, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर-द्वितीय, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, राजसमंद के प्रभारी, इफ्को प्रतिनिधियों व किसानों ने भाग लिया था.

डीडीजी (प्रसार) डा. राजबीर सिंह ने कहा इस का सब से बड़ा प्रमाण 29 मई से 12 जून तक देशभर में चलाया गया विकसित कृषि संकल्प अभियान है. इस अभियान में देशभर में कार्यरत केंद्र व राज्य की कृषि में कार्यरत संस्थाएं, कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रों ने सामूहिक प्रयासों से 1.35 करोड़ किसानों तक पहुंच बनाई और उन्हें किसान उपयोगी योजनाओं से अवगत कराया.

इस अभियान में राजस्थान का योगदान अकल्पनीय रहा. देश में 12 करोड़ किसान है. राजस्थान ने एक पखवाड़े के अभियान में 2 लाख महिलाओं सहित 8 लाख किसानों से न केवल संवाद किया, बल्कि योजनाओं की जानकारी भी दी.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में 731 केवीके कार्यरत हैं. सभी केवीके को आत्मवलोकन व अध्ययन करना होगा कि उन की उपस्थिति से किसान, उन के परिवार या बच्चों की जीवनचर्या में क्या बदलाव आए? भविष्य में हर कृषि विज्ञान केंद्र को मिनी विश्वविद्यालय के रूप में तैयार करने की दिशा में प्रयास करने होंगे. केवीके भविष्य में ‘हब औफ एक्टीविटी’ का केंद्र बने ताकि, किसानों को एक ही छत के नीचे सारी जानकारी और सुविधा मिल सके. जलवायु परिवर्तन के दौर में नवीन तकनीकों के साथसाथ कंटीजेंसी प्लान पर भी काम करना होगा.

उन्होंने कहा कि 1984 में कृषि मंत्रालय के अस्तित्व का विस्तार करते हुए 8 मंत्रालयों यथा जलशक्ति, फर्टिलाइजर, ग्रामीण विकास, पशुपालन, फूड प्रोसैसिंग में बांट दिया गया. जबकि ये सभी कृषि की ही शाखाएं हैं.

इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति एमपीयूएटी डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन पर खूब काम हो गया. अब तो भंडारण तक में परेशानी आने लगी है. कृषि वैज्ञानिकों व किसानों का ध्यान अब दलहनतिलहन उत्पादन की ओर होना चाहिए, ताकि खाद्य तेलों के मामले में हम आत्मनिर्भर बन सके.

उन्होंने कहा कि साल 2024-25 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार भारत का खाद्यान उत्पादन लगभग 354 मिलियन टन रहा, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 6.5-6.6 फीसदी अधिक है. उद्यानिकी उत्पादन 362 मिलियन टन, दूध उत्पादन रिकौर्ड 239.3 मिलियन टन व अंडा उत्पादन में रिकौर्ड स्थापित कर चुका है. कृषि में रसायनों के उपयोग को कम करने के लिए प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देना होगा जो उत्पादन में निश्चितता ला सकती है.

उन्होंने कहा कि एमपीयूएटी को समग्र कार्य में उत्कृष्टता के लिए राजस्थान के राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में से 24 जून, 2022 को “प्रथम कुलाधिपति पुरस्कार” प्राप्त हुआ. एमपीयूएटी को विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व के निर्वहन के लिए राज्यपाल की “स्मार्ट विलेज पहल” के तहत भी समस्त राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया था.

बीते कुछ सालों में एमपीयूएटी ने अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर प्रतिष्ठित संस्थाओं की सहभागिता से शिक्षण और अनुसंधान में उत्कृष्टता लाने के लिए 81 समझौतों के ज्ञापन किए गए हैं. इन में से 33 पिछले ढाई साल में हुए हैं. खासकर वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय (आस्ट्रेलिया), सैंट्रल लुजौन विश्वविद्यालय (फिलीपींस), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के अनेक राष्ट्रीय संस्थान, विश्वविद्यालय, औद्योगिक प्रतिष्ठान आदि सम्मिलित हैं.

हमारी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की साल 2021 रैंकिंग 15 है और इस रैंकिंग में राजस्थान प्रदेश के 6 कृषि व पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों में एमपीयूएटी प्रथम स्थान पर हैं. वर्तमान में हमारा शोध तंत्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की 27 अखिल भारतीय अनुसंधान परियोजनाओं, 3 नैटवर्किंग परियोजनाओं, 6 स्वैच्छिक केंद्रों, 11 अन्य प्रायोजित परियोजनाओं, 5 आरकेवीवाई और 45 निजी वित्त पोषित परियोजनाओं से युक्त है. हमारे शोध वैज्ञानिकों द्वारा बीते 3 सालों में किसान उपयोगी 280 सिफारिशों को कृषि विभाग द्वारा संभागीय पैकेज औफ प्रैक्टिसेज में सम्मिलित किया गया है.

 हाईटेक एग्रीकल्चर, कृषि पर्यटन पर जोर

विशिष्ट अतिथि प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डा. चंदेशवर तिवारी ने कहा कि वर्तमान में सभी की निगाहें केवीके पर है. आदिवासी क्षेत्रों में इनोवेशन की अपार संभावनाएं है. उन्होंने राय दी कि प्रसार शिक्षा निदेशालयों को सर्टिफिकेट, डिप्लोमा कोर्स कराने चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को कृषि से जोड़ा जा सके.

निदेशक अटारी जोधपुर डा. जेपी मिश्रा ने कहा कि अब समय कम रसायन वाली खेती, प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण पर ध्यान देने का है. केवीके इस में विशेष भूमिका निभा सकते हैं. कार्यक्रम की शुरुआत में प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरएल सोनी ने प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक 2024 में लिए गए निर्णयों की क्रियान्वयन रिपोर्ट प्रस्तुत की. साथ ही 2025 का प्रस्तावित ऐजेंडा साझा किया. डा.आरएल सोनी ने कहा कि विकसित भारत 2047 के परिप्रेक्ष्य में कृषि विज्ञान केंद्रों को और ज्यादा मजबूत करना होगा. संरक्षित खेती, हाईटैक एग्रीकल्चर, जलवायु रेजिलिएंट तकनीक, कृषि पर्यटन आदि क्षेत्र में कार्य करने की योजना है.

प्रकाशनों का विमोचन

इस मौके पर अतिथियों ने विश्वविद्यालयों के विभिन्न प्रकाशनों विकसित कृषि संकल्प अभियान, फलसब्जी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्द्धन पर उद्यमिता विकास, प्राकृतिक खेती, किसानों की सेवा में प्रसार शिक्षा निदेशालय व राजस्थान खेती प्रताप के नवीन संस्करण का विमोचन किया.
इस कार्यक्रम में डा. अरविंद वर्मा, डा. आरबी दुबे, डा. सुनील जोशी, डा. आरए कौशिक, डा. लोकेश गुप्ता, डा. धृति सौलंकी, डा. मनोज कुमार महला, डा. एलएल पंवार और डा. आरपी मीना वरिष्ठ अधिकारी परिषद सदस्यों सहित केवीके प्रभारी मौजूद थे. इस कार्यक्रम का संचालन प्रो. डा. लतिका व्यास ने किया.

अनुसंधान अब पूसा में नहीं खेत और किसान के हिसाब से तय होंगे

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान 16 जुलाई, 2025 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 97वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम शामिल हुए. इस कार्यक्रम का आयोजन भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम औडिटोरियम, एनएएससी कौम्प्लेक्स, पूसा, नई दिल्ली में किया गया. इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने उत्कृष्ट योगदान के लिए वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान पुरस्कार भी वितरित किए. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परिसर में आयोजित विकसित कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. साथ ही विभिन्न कृषि उत्पादों व प्रौद्योगिकी की जानकारी भी ली. इस कार्यक्रम में 10 कृषि प्रकाशनों का विमोचन किया गया. साथ ही कृषि क्षेत्र के विभिन्न समझौता ज्ञापनों का विमोचन भी किया गया.

इस कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डा. एमएल जाट सहित देशभर से आए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक और बड़ी संख्या में किसान शामिल रहे.

इस अवसर पर संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संपूर्ण भारतवासियों की तरफ से पूरी आईसीएआर की टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आईसीएआर के साथ जिन देशों ने समझौता किया है और जिन देशों में भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात हो रहा है, उन की तरफ से भी आईसीएआर को बधाई. देश के जिन 80 करोड़ लोगों को राशन उपलब्ध हो रहा है, उन की तरफ से भी आईसीएआर बधाई का पात्र है. स्थापना दिवस गर्व का विषय है. स्थापना दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों की बौद्धिक क्षमता तुलना से परे है. अपने काम के दम पर  हमारे वैज्ञानिक आज किसान कल्याण व विकास का मार्ग तय कर रहे हैं. उन्होंने कहा आज हम गेहूं का निर्यात कर रहे हैं. चावल उत्पादन में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. इस बार चावल का इतना उत्पादन हुआ है कि रखने के लिए अतिरिक्त जगह का प्रबंध किया जा रहा है. रिकौर्ड स्तर पर उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हरित क्रांति के दौरान वर्ष 1966 से 1979 तक हमारा खाद्यान्न उत्पादन प्रति वर्ष 2.7 मिलियन टन बढ़ा. वर्ष 1980 से 1990 तक उत्पादन में 6.1 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन में बढ़ोतरी हुई.  वर्ष 2000 से 2013-14 तक खाद्यान्न उत्पादन में 3.9 मिलियन टन प्रति वर्ष बढ़ोतरी देखी गई. लेकिन 2013-14 से 2025 तक खाद्यान्न उत्पादन में 8.1 मिलियन टन की बढ़ोतरी हुई है. पिछले 11 सालों में खाद्यान्न उत्पादन में ढाई से तीन गुना वृद्धि देखी गई.

उन्होंने आगे बागबानी के क्षेत्र में हुई वृद्धि के बारे में बताया कि वर्ष 1966-1980 तक 1.3 मिलियन टन प्रति वर्ष बढ़ोतरी हुई थी. साल 1980-1990 में 2 मिलियन टन वृद्धि हुई. फिर साल 1990 से 2000 के दौरान 6 मिलियन टन वृद्धि हुई है। पिछले 11 सालों में बागबानी क्षेत्र में 7.5 मिलियन टन की बढ़ोतरी के साथ फल और सब्जियों का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि दूध उत्पादन में भी नवीन प्रौद्योगिकियों के साथ उत्पादन में वृद्धि हो रही है. दूध उत्पादन में साल 2000 से 2014 तक 4.2 मिलियन टन की वृद्धि देखी गई जबकि साल 2014 से 2025 के समय में यह वृद्धि 10.2 मिलियन टन प्रति वर्ष रही. यह आंकडे स्वयं में पिछले 11 सालों में उत्पादन क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय उपलब्धि को दर्शाते हैं.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, छोटी जोत, वायरस अटैक और पशुपालन से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भी वैज्ञानिकों के असाधारण योगदान के कारण उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है. उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक खेतों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को सुरक्षित रखना है. इस के लिए उन्होंने वैज्ञानिकों से प्राकृतिक खेती के जरीए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद की दिशा में काम करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि दलहन और तिलहन में प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाने और बड़े स्तर पर शोध करने की आवश्यकता है. मुझे विश्वास है कि वैज्ञानिक इस दिशा में आगे बढेंगे.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ दुनिया का सब से बड़ा अभियान था. इस अभियान के माध्यम से कई बातें निकल कर सामने आईं. इस के जरीए फसलवार और राज्यवार फसलों पर बैठकें करने और समाधान के प्रयास का रास्ता तय हुआ. सोयाबीन और कपास के बाद अब गन्ने व मक्के पर भी बैठक आयोजित की जाएगी. कपास को ले कर सवाल उठा कि इतनी किस्में विकसित होने के बावजूद उत्पादन क्यों घट गया. मैं बताना चाहता हूं कि वायरस अटैक के कारण फसलें प्रभावित हो रही है, बीटी कौटन भी वायरस अटैक की समस्या से जूझ रहा है. इस अभियान के जरीए शोध के लिए 500 विषय उभर कर हमारे सामने आए हैं, जिन पर काम किया जाएगा. अनुसंधान अब पूसा में तय नहीं होगा, खेत और किसान के हिसाब से आगे के शोध के रास्ते तय होंगे. उन्होंने आईसीएआर के महानिदेशक को ‘एक टीम-एक लक्ष्य’ की संकल्पना पर भी काम करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि एक लक्ष्य के साथ वैज्ञानिकों की टीम बना कर, किसान कल्याण के लिए कार्य करें.

केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की तरफ से उर्वरक की जांच के उपकरण सहित विभिन्न आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के विकास की मांग को ले कर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि हमारे देश में जोत के आकार छोटे हैं, बड़ी मशीनों की जरूरत नहीं. छोटी मशीनें बनाने पर जोर देना होगा. जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की दिशा में शोध होना चाहिए. जो विषय किसान ने दिए उस पर शोध होना चाहिए. कोई भी समझौता ज्ञापन करते समय ध्यान दिया जाए कि जिन कंपनियों के साथ समझौता हो रहा है वह किस कीमत पर बीज व उत्पाद बेच रही हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दिशा में आईसीएआर और कृषि विभाग को मिलकर एक साथ काम करने के निर्देश दिए.

उन्होंने किसानों से कहा कि अगर आप के साथ किसी भी तरह का धोखा हो रहा है, तो टोल- फ्री नंबर पर जरूर अपनी शिकायत दर्ज करवाइएगा. आधिकारिक तौर पर टोल फ्री नंबर जारी किया जाएगा. किसान भाइयोंबहनों के साथ धोखाधड़ी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी. किसी ने भी अमानक उर्वरक या बीज बनाया तो सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि 30 हजार बायोस्टिमुलेंट बेचे जा रहे थे. जिस के संबंध में सख्ती से कदम उठाया गया है. मैंने सारे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिख कर इस संबंध में उचित कार्रवाई के लिए भी कहा है. किसी भी किसान को गैर उपयोगी उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. जिस प्रकार से जन औषधि केंद्रों के रूप में सस्ती दवाइयों की दुकान हैं, वैसे ही सस्ते उर्वरकों के लिए भी केंद्र या दुकान खोलने पर विचार किया जा सकता है.

अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि आईसीएआर के स्थापना दिवस के इस अवसर पर किसान कल्याण के लिए समर्पित हो कर काम करने का संकल्प लें. मैं जानता हूं कि वैज्ञानिक आजीविका निर्वाह के लिए नौकरी नहीं करते, वैज्ञानिक का जीवन यज्ञ के समान है, जिस में सबकी सेवा का भाव निहित रहता है. मुझे विश्वास है कि आप अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करते हुए विकसित भारत के निर्माण में अहम योगदान करेंगे. एक बार और पूरी आईसीएआर की टीम को बहुतबहुत बधाई.

Farming Schemes : खेतीबाड़ी की योजनाएं बंद कमरों में नहीं, खेतों में बनेंगी

Farming Schemes : देशभर में चलने वाले 15 दिवसीय ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत  11 जून, 2025 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों के साथ दिल्ली के बाहरी इलाके स्थित तिगीपुर गांव में पहुंच कर वहां के किसानों से चौपाल पर संवाद किया. जहां उन्होंने कृषि ड्रोन तकनीक का अवलोकन भी किया और कहा कि केंद्र सरकार की हर कृषि योजना का लाभ अब दिल्ली के किसानों को भी मिलेगा. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब खेतीबारी की योजनाएं बंद कमरों में नहीं बल्कि खेतों में बनेंगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने दिल्ली पहुंचते ही सब से पहले तिगीपुर में किसान चौपाल में किसानों से खुला संवाद कर उन की बातें ध्यानपूर्वक सुनी. उन्होंने बीज उत्पादन, पौलीहाउस खेती, स्ट्राबेरी उत्पादन और अन्य उच्च मूल्य फसलों से जुड़े उत्पादन को ले कर किसानों से चर्चा की. उन्होंने नवाचार करने वाले किसानों के अनुभव को जाना और उन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे प्रगतिशील किसान देश की नई खेती के अग्रदूत हैं.

इस के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन देखा, जिस में कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव की आधुनिक विधियों को प्रस्तुत किया गया. उन्होंने वैज्ञानिकों से तकनीक की लागत, प्रभावशीलता और अनुकूलन के बारे में भी जानकारी ली. साथ ही, उन्होंने ने नर्सरी का भी अवलोकन किया और अन्य किसानों से चर्चा करते हुए उन की खेतीबारी से जुड़ी बातें जानीं.

बाद में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान किसान सम्मेलन में शामिल हुए, जहां उन्होंने कहा कि अब अनुसंधान बंद कमरों में नहीं बल्कि खेतों में किसानों के साथ मिलकर होगा. वैज्ञानिक गांवगांव पहुंच कर जो फीडबैक लाएंगे, उसी के आधार पर किसानों के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पिछले 15 दिनों में देशभर में आईसीएआर की 2,170 टीमों ने किसानों के बीच जा कर तकनीक और शोध संबंधी जागरूकता फैलाई है. साथ ही, किसानों की समस्याओं को सुन कर जो समाधान मिल सके, उस के लिए त्वरित कार्य कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है और बाकी पर गंभीरता से प्रयास जारी है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को मिट्टी की घटती उर्वरता के बारे में आग्रह किया और कहा कि मिट्टी की जांच अवश्य कराएं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर फसल का चयन करें. यही टिकाऊ कृषि का आधार है.

उन्होंने आगे बताया कि सरकार का विशेष फोकस अब फसल विविधीकरण, बाजारोन्मुखी खेती, और बागबानी आधारित मौडल पर है. उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे क्षेत्रों को बागबानी हब के रूप में विकसित किया जा सकता है क्योंकि यहां बाजार की उपलब्धता बहुत मजबूत है और अब तकनीक के बिना खेती में प्रतिस्पर्धा संभव नहीं है. खेती हो या मार्केटिंग दोनों में किसानों को प्रौद्योगिकी का सहयोग लेना होगा. केंद्र सरकार इस के लिए हर स्तर पर सहयोग देने के लिए समर्पित है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि अब तक दिल्ली के किसान केंद्र सरकार की कई योजनाओं से वंचित थे, लेकिन अब यह स्थिति बदलेगी. दिल्ली के किसान अब आत्मनिर्भर भारत के सपनों में पूरी भागीदारी निभाएंगे. केंद्र की हर कृषि योजना का लाभ अब दिल्ली के किसानों को मिलेगा.

उन्होंने आगे कहा कि कई योजनाएं हैं जिन में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा), मूल्य समर्थन योजना, मूल्य घाटा भुगतान योजना, बाजार हस्तक्षेप योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना व अन्य प्रावधान जिन में अनुदान देना, पौलीहाउस और ग्रीन हाउस बनाने के लिए केंद्र सरकार से सब्सिडी शामिल हैं, जिस से अब तक दिल्ली के किसान वंचित रहे हैं.

Farming Schemesइस के साथ ही परंपरागत कृषि विकास योजना, नए बाग लगाने के लिए योजना, पुराने बागों के जीर्णोद्धार के लिए योजना, नर्सरी के लिए योजना सब्सिडी की योजनाएं, कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ भी दिल्ली के किसानों तक नहीं पहुंच पाया है, लेकिन अब ये सारी योजनाएं दिल्ली में लागू की जाएंगी. दिल्ली सरकार से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा गया है. इलेक्ट्रोनिक कांटे व खाद की खरीद के लिए भी मदद की जाएगी. किसान अपने खूनपसीने से देश के अन्न भंडार भर रहे हैं. अपने किसानों की उन्नति के लिए हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नकली कीटनाशकों और उर्वरक बनाने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आया जाएगा. उन्होंने कहा कि जो भी हमारे किसानों के साथ धोखाधड़ी या गड़बड़ी करेगा, उस को बख्शा नहीं जाएगा. सरकार इस संबंध में कड़ा कानून लाने जा रही है और हम दिल्ली के किसानों की तरक्की करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

इस अभियान के जरीए किसानों की समस्याएं सुन, किसान-वैज्ञानिक संवाद स्थापित करने और कृषि में प्रौद्योगिकी को तेज गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है.

पशुपालन व कृषि में उन्नत तकनीकों (Advanced Techniques) को अपनाए

Advanced Techniques : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के संस्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर तहसील मालपुरा, जिला टोंक (राजस्थान) की अनुसूचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी) के माध्यम से सिकराय तहसील के ग्राम पंचायत घूमना की कड़ी की कोठी चौराहे पर किसान वैज्ञानिक संगोष्ठी एवं खरीफ की फसलों के गुणवत्ता बीज वितरण कार्यक्रम का आयोजन 9 जून, 2025 को किया गया.

‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत इस कार्यक्रम में अविकानगर संस्थान एवं कृषि विज्ञान केंद्र दौसा के वैज्ञानिक एवं कर्मचारीयों ने भी किसानों को उन्नत और नवीन कृषि तकनीक सहित पशुपालन की खास तकनीकियों के बारे में भी जानकारी दी.

केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा तहसील में स्थित है, जो साल 1962 से राजस्थान राज्य के किसानों के साथ देश के किसानों को भेड़बकरी व खरगोश पालन पर प्रशिक्षण, उन्नत नस्ल के पशुओं का वितरण, उन का वैज्ञानिक प्रबंधन के साथ विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रहा है. इस 9 जून के किसान वैज्ञानिक संगोष्ठी कार्यक्रम में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान के निदेशक व स्टेट कोऔर्डिनेटर विकसित कृषि संकल्प अभियान, डा. अरुण कुमार तोमर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम मे शामिल हुए.

इस कार्यक्रम में उन के साथ कृषि विज्ञान केंद्र दौसा के प्रभारी डा. बनवारी लाल जाट एवं उन की टीम के सदस्य डा. अक्षय चितोड़ा, डा. देवेंद्र मीना अविकानगर के पशु कार्यिकी, जैव रसायन विभाग के अध्यक्ष डा. सत्यवीर सिंह डांगी, अविकानगर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक टीएसपी नोडल अधिकारी डा. अमरसिंह मीना, डा. चंदन गुप्ता, पंचायत समिति सिकराय के सरपंच संघ के अध्यक्ष विपिन मीना, घूमना के साथ आसपास की पंचायतो के सरपंचों ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया.

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. अरुण कुमार तोमर ने उपस्थित किसानों को वर्तमान मौसम की चुनौतियां व भविष्य की संभावनाओं के लिए कृषि एवं पशुपालन की नवीनतम तकनीकियों को अपनाने के लिए विस्तार से चर्चा की. साथ ही, रूरल इंडिया को रियल इंडिया बनाने के लिए विकसित कृषि की ओर लोगों को बढ़ने का आह्वान किया. इस के साथ ही, अपने संस्थान के पशु भेड़ एवं बकरी को वर्तमान समय के लिए सब से उपयुक्त पशु बताते हुए ऐसे पशुओं को किसानों का एटीएम बताया. जिस से किसी भी समय मांस एवं दूध बेच कर पैसा कमाया जा सकता है.

इस कार्यक्रम में उपस्थित किसानों को वैज्ञानिक भेड़बकरी पालन प्रशिक्षण ले कर पशुओं के विभिन्न पालन तकनीकियों को अपने उपलब्ध संसाधनों के अनुसार अपनाने के लिए प्रेरित किया गया. अविकानगर के निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर ने उपस्थित किसानों को बताया कि संस्थान की टीएसपी उपयोजना में जनजाति भेड़पालक किसानों को प्राथमिकता देते हुए हमने आप के क्षेत्र के जनजाति भेड़पालकों को संस्थान की गतिविधियों के बारे में बताया है, और आगे भी हम जनजाति भेड़पालक किसानों को प्राथमिकता के आधार पर संस्थान से जोड़ रहे हैं, जो भी जनजाति किसान भेड़पालन से जुड़े हैं, वो मेरे संस्थान के अधिकारियों से संपर्क कर इस टीएसपी उपयोजना का लाभ उठा सकते हैं.

अंत में निदेशक द्वारा उपस्थित किसानों को भारत सरकार की राष्ट्रीय पशुधन मिशन योजना के बारे में बताया गया. साथ ही, इस को प्रोत्साहन के रूप में लेते हुए अपने छोटे पशुओं के पालन को उद्यमिता विकास की ओर ले जाने के लिए किसानों को जरूरी सुझाव दिए गए. इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. बनवारी लाल जाट द्वारा भी वर्तमान खेती की समस्या पर किसानो के सवाल का जवाब दिया गया.

Advanced Techniquesकेवीके की वैज्ञानिक टीम द्वारा नकली खाद बीज एवं दवाइयों के बारे में किसानों को जागरुक करते हुए कार्यक्रम के बाद वितरित की जाने वाली विभिन्न बारिश फसलों (मुंग, ज्वार, तिल, ग्वार एवं किचन गार्डन के लिए सब्जियों की किट) की किस्म के बारे अधिक उत्पादन के लिए के लिए आवश्यक सुझाव दिए.

इस कार्यक्रम में उपस्थित वैज्ञानिक और प्रगतिशील किसानों द्वारा कृषि एवं पशुपालन योजनाओं के बारे में मौजूद किसानों को जानकारी दी गई. अविकानगर संस्थान की टीएसपी उपयोजना के नोडल अधिकारी डा. अमर सिंह मीना ने बताया कि आज के कार्यक्रम में राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड, नई दिल्ली की बारिश के मौसम की विभिन्न फसलों जैसे तिल (किस्म- GT-6 1.5 क्विंटल बीज), मूंग (किस्म MH-1142 15 क्विंटल बीज), ज्वार (किस्म CSV-41 4 क्विंटल बीज), ग्वार (किस्म HG-2-20 10 क्विंटल बीज) और बेहतर पोषण के लिए किचन गार्डन सब्जियों किट आदि का भी वितरण मौजूद अतिथियों द्वारा किया गया.

इस प्रकार कुल 30.5 क्विंटल (800 बीज पैकेट) गुणवत्ता युक्त बीज का प्रथम लाइन प्रदर्शन मौजूद किसानों के खेत पर लगेंगे. अविकानगर संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में दौसा जिले की विभिन्न तहसील सिकराय, बहरावड़ा, बैजूपाड़ा, सिकंदरा आदि के विभिन्न गांवो (घूमना, जयसिंहपुरा, पाटन, बुजेट, गीजगढ़, गढ़ी, बनेपुरा, जयसिंहपुरा, नामनेर, सिकराय, कैलाई, गनीपुर, पिलोड़ी, खेड़ी रामला, निकटपुरी, दंड खेड़ा, मानपुर, लोटवाड़ा, नांदरी, गिरधारीपुरा, नाहरखोरा, लाखनपुरा, बसेड़ी, भावगढ़, गेरोटा, चांदपुर, आगवली, गेरोज, मोहलई, गडोरा आदि गांव ) के 600 से ज्यादा जनजाति किसानों ने कार्यक्रम मे पहुंच कर दी गई जानकारी से लाभान्वित हुए और  उन को गुणवत्ता बीज का वितरण भी किया गया.

इस कार्यक्रम के समापन पर सरपंच घूमना एवं सिकराय सरपंच संघ के अध्यक्ष श्रीमान विपिन मीना ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों एवं गांव वासियों को धन्यवाद दिया और आगे भी इस तरह के कार्यक्रम किसानों के लिए उपयोगी बताते हुए आयोजित करने का निवेदन निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर से किया गया.

इस किसान वैज्ञानिक संगोष्ठी कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए अविकानगर संस्थान के वैज्ञानिक डा. चंदन गुप्ता, सहायक कर्मचारी छुट्टन लाल मीना, नरेश बिश्नोई, विष्णु भटनागर समेत  घूमना गांववासियों ने अपना पूरा सहयोग दिया.

लुवास को मिला पेटेंट, अब थनैला (Mastitis) रोग से जल्द मिलेगी मुक्ति

Mastitis : लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) को पशुओं में थनैला (मैस्टाइटिस) की जांच के लिए एक नवीन जैव रासायनिक तकनीक के लिए भारत सरकार से पेटेंट मिला  है. “दूध में अल्फा-1 एसिड ग्लाइकोप्रोटीन की सांद्रता का अनुमान लगाने के लिए जैव रासायनिक परख” शीर्षक इस तकनीक को पेटेंट संख्या 566866 प्रदान की गई है.

लुवास के कुलपति एवं अनुसंधान निदेशक डा. नरेश जिंदल ने बताया कि यह तकनीक गाय और भैंसों में थनैला की पहचान के लिए उपयोगी सिद्ध होगी. थनैला एक आर्थिक दृष्टि से बेहद गंभीर बीमारी है, और इस नई विधि से उस का सटीक निदान आसान हो सकेगा. परीक्षण में दूध के नमूने को एक विशिष्ट रसायन के साथ मिला कर स्पेक्ट्रोफोटोमीटर के माध्यम से अल्फा-1 एसिड ग्लाइकोप्रोटीन की मात्रा मापी जाती है, जो बीमारी की उपस्थिति में बढ़ जाती है.

यह शोध कार्य स्नातकोत्तर छात्र डा. अनिरबन गुहा द्वारा विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफैसर डा. संदीप गेरा के मार्गदर्शन में पशु चिकित्सा फिजियोलौजी एवं जैव रसायन विभाग में पूर्ण हुआ. डा. नरेश जिंदल ने दोनों वैज्ञानिकों को इस उल्लेखनीय नवाचार के लिए बधाई दी और कहा कि यह उपलब्धि लुवास की अनुसंधान गुणवत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाती है. डा. नरेश जिंदल ने आशा जताई कि भविष्य में लुवास के वैज्ञानिकों एवं स्नातकोत्तर छात्र अपने अनुसंधान कार्य को नवाचार की दृष्टि से योजनाबद्ध कर और अधिक आईपीआर  पंजीकरण में योगदान देंगे.

अब तक लुवास को एक अंतरराष्ट्रीय पेटेंट (तीन देशों में), 12 राष्ट्रीय पेटेंट और 2 कौपीराइट प्राप्त हो चुके हैं. विश्वविद्यालय ने कई अन्य अनुसंधानों के लिए भी बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के तहत आवेदन प्रस्तुत किए हैं.

डा. संदीप गेरा ने इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “यह परीक्षण तकनीक थनैला के तुरंत निबटान को आसान और सुलभ बनाएगी. हमारा उद्देश्य पशुपालकों को कम लागत पर वैज्ञानिक समाधान उपलब्ध कराना है, और यह नवाचार उसी दिशा में एक सार्थक कदम है. मुझे गर्व है कि यह शोध कार्य अब पेटेंट के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है.”

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. एसएस ढाका, पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डा. गुलशन नारंग, मानव संसाधन एवं प्रबंधन निदेशक, डा. राजेश खुराना, स्नातकोत्तर अधिष्ठाता, डा. मनोज रोज और डा. नरेश कक्कड़ भी उपस्थित रहे.

Animal Health : पशु स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन

Animal Health : भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अनु.प.)-केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर द्वारा 05 जून, 2025 को टोंक जिले की मालपुरा तहसील के गरजेड़ा, पिपल्या एवं चांदसेन गांवों में किसान संगोष्ठी एवं पशु स्वास्थ्य शिविरों का सफल आयोजन किया गया.

जिन में कुल 364 किसानों में से 241 पुरूष एवं 123 महिला किसानों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और वैज्ञानिकों से सीधी बातचीत की. इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर, अभियान के नोडल अधिकारी डा. एलआर गुर्जर सहित संस्थान के वैज्ञानिकों ने विभिन्न विषयों पर किसानों का मार्गदर्शन किया.

इन शिविरों में प्राकृतिक खेती के साथ जीवामृत बना कर भूमि को कैसे सुधार सकते हैं, जैविक कीटनाशक, मृदा स्वास्थ्य, बीजोपचार, जल प्रबंधन व सुक्ष्म सिंचाई, डिजिटल कृषि, पशुओं में होने वाली प्रजनन समस्याएं, पशु आहार और सरकारी योजनाओं की जानकारी जैसे विषयों पर चर्चा की गई. साथ ही, बीमार पशुओं की जांच व उपचार भी किया गया.

इस कार्यक्रम के दौरान किसानों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कई अहम समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित किया. जिन में प्रमुख रूप से शामिल हैं टोंक जिले में घटती दलहनी फसलें, ऊसर भूमि एवं खारे पानी की समस्या, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल की खरीद में देरी, नकली एवं महंगे उर्वरक, प्रमाणित बीजों की कमी, पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मुआवजे की अनुचित कटौती, मुआवजा प्राप्ति की समय सीमा तय किए जाने की आवश्यकता समेत किसानों ने सरकार से इन समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की. इसी कड़ी में ग्राम गरजेड़ा में रात्रि चौपाल का आयोजन किया गया, जिस में संस्थान के वैज्ञानिकों ने ग्रामीणों से सीधे बातचीत कर उन की समस्याएं सुनीं और समाधान के लिए आगे की रणनीति पर विचारविमर्श किया.

इस अभियान के अंतर्गत नागौर जिले की मेड़ता सिटी तहसील के ग्राम मोकलपुर में 5 जून, 2025 को किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल विभाग राजस्थान सरकार, कन्हैया लाल चौधरी, किसान आयोग अध्यक्ष, सीआर चौधरी, समन्वयक विकसित कृषि संकल्प अभियान, राजस्थान, डा. अरुण कुमार तोमर, स्थानीय विधायक, जिला प्रमुख एवं उपजिला प्रमुख सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे.

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया. साथ ही, अभियान के अंतर्गत डूंगरपुर  एवं दौसा जिलों में भी कृषि विज्ञान केंद्र की टीमों के साथ मिल कर केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर द्वारा डूंगरपुर जिले के 6 गांव (आंतरी, पाड़ला मोरु, डोजा, गोड़ा फला, आरा व सूखा पादर) से कुल 949 प्रतिभागी शामिल हुए. दौसा जिले के 3 गांव (ठिकरिया, हापावास व थूमड़ी) से 694 प्रतिभागी उपस्थित रहे. दोनों जिलों से कुल 1,550 किसान (615 महिलाएं, 935 पुरुष) व 93 अन्य मिला कर कुल 1,643 प्रतिभागियों ने भाग लिया.

Horticultural : लाखों किसानों तक पहुंचा भारतीय बागबानी अनुसंधान संस्थान 

Horticultural : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार के सहयोग से आईसीएआर संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके और राज्य सरकार के विभागों को शामिल करते हुए 29 मई से 12 जून, 2025 तक ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के नाम से देश भर में बड़े पैमाने पर खरीफ पूर्व अभियान शुरू किया है. पिछले दस दिनों में 1,896 टीमों ने 8,188 गांवों में 8,95,944 किसानों के साथ बातचीत की है.

कर्नाटक में भी वैज्ञानिकों, कृषि और संबद्ध विभाग के अधिकारियों की 70 से अधिक टीम   किसानों के खेतों का दौरा कर रही हैं. दैनिक आधार पर किसानों के साथ बातचीत कर रही हैं और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए मांग आधारित और समस्या उन्मुख अनुसंधान कार्यक्रम विकसित करने के लिए किसानों से फीडबैक ले रही हैं. अब तक 639 टीमों ने 2,495 गांवों का दौरा किया है और 2,77,264 किसानों के साथ बातचीत की है.

दिनांक 5 सितंबर, 1967 को स्थापित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अ.प.)- भारतीय बागबानी अनुसंधान संस्थान (भा.कृ.अ.प – भा.बा.अ.सं.), भा.कृ.अ.प. का शीर्ष रैंकिंग वाला संस्थान है. स्थायी बागबानी विकास को प्राप्त करने के मिशन के साथ, संस्थान ने सालों से कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, आजीविका सुरक्षा, आर्थिक विकास और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बीते छह दशकों से, भा.कृ.अ.प – भा.बा.अ.सं. ने फलों, सब्जियों, सजावटी पौधों, औषधीय और सुगंधित पौधों और मशरूम पर व्यापक शोध किया है.

जिस का परिणाम 327 किस्में/संकर और 154 प्रौद्योगिकियां के रूप में हमारे सामने है. संस्थान में विकसित उन्नत और तनाव सहनशील किस्मों/संकरों में फल फसलें (38), सब्जी फसलें (149) और फूल और औषधीय फसलें (140) शामिल हैं, जो आज पूरे देश में फैल गई हैं. अब तक संस्थान ने 130 तकनीकें विकसित की हैं, 675 ग्राहकों को 1,550 लाइसेंस दिए गए हैं.

8 जून, 2025 को भा.कृ.अ.प – भा.बा.अ.सं., बेंगलुरु में आयोजित विकसित कृषि संकल्प अभियान कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्नाटक के लगभग 500 किसानों को संबोधित किया और उन से कर्नाटक से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत भी की.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में किसानों के लिए समर्पित योजनाओं और कार्यक्रमों का जिक्र किया. इस के अलावा उन्होंने किसानों की प्रतिक्रिया जानने के लिए किसानों के खेतों का दौरा किया और कर्नाटक में स्थित आईसीएआर संस्थानों द्वारा प्रौद्योगिकी प्रदर्शन भी देखा.

विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत किसानों को मिले फ्री धान बीज

विकसित कृषि संकल्प अभियान: राष्ट्रीय बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कुश्मौर, कृषि विज्ञान केंद्र, पिलखी, मऊ और  कृषि विभाग, मऊ के संयुक्त तत्वाधान में विकसित कृषि संकल्प अभियान के 9 वें दिन कृषि विषेशज्ञों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों की गठित तीनों टीमों ने 15 ब्लौक के तीन गांवों सलाहाबाद, हरपुर और पिजरा में किसानों से सीधा संवाद किया.

इस अभियान के माध्यम से अनुसूचित जाति उप योजना के अंतर्गत लगभग 1000 किसानों को धान (BPT 5204) के 5 – 5 किलोग्राम के  बीज मुफ्त में बांटे गए. भारतीय बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कुश्मौर के प्रधान वैज्ञानिक डा. अंजनी कुमार सिंह ने गुणवत्ता युक्त बीज उत्पादन और प्रजातियों के बारे में बताया. जिला अपर कृषि अधिकारी डा. सौरभ सिंह ने कार्यक्रम में सरकारी योजनाओं जैसे पीएम किसान सम्मान निधि योजना, पीएम कुसुम योजना, पीएम फसल सुरक्षा बीमा योजना आदि के बारे में बताया.

कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञों डा. विनय कुमार सिंह, डा. आकांक्षा सिंह और डा. अंगद कुमार सिंह ने अपनेअपने विषयवस्तु से नवीनतम जानकारी किसानों के साथ साझा की. साथ ही, संबंधित अधिकारियों ने किसानों को फसल बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के बारे में बताया.

Agricultural Machinery : छोटी जोत वाले किसानों के लिए कृषि यंत्र

Agricultural Machinery : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान 5 जून, 2025 को ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत पंजाब के किसानों से मिले. जहां उन्होंने खेतों में जा कर फसल और उत्पादन का जायजा लिया. साथ ही, पटियाला के अमरगढ़ का दौरा कर कृषि यंत्रों के कारखाने में विभिन्न कृषि मशीनों, यंत्रों और उपकरणों का अवलोकन भी किया.

इस मौके पर पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. एमएल जाट, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा. सतबीर सिंह गोसाल, डा. बसंत गर्ग, सचिव, पंजाब कृषि विभाग, वैज्ञानिक व अधिकारी कार्यक्रम में शामिल रहे.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि एक वैभवशाली भारत, एक गौरवशाली भारत, एक संपन्न भारत, एक समृद्ध भारत, एक शक्तिशाली भारत, यही हमारी परिकल्पना है और कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.

वर्तमान में चौथी तिमाही में देश ने 7.5 फीसदी की विकास दर हासिल की है, जिस में 5.4 फीसदी योगदान कृषि क्षेत्र का है. आज अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की 18 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी है. आज भी देश की 50 फीसदी आबादी की आजीविका का स्रोत्र कृषि ही है.

उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में हम जो प्रमुख काम करना चाहते हैं, उस में 145 करोड़ के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, खाद्य सुरक्षा के साथसाथ पोषण से भरपूर आहार उपलब्ध कराना, खेती को किसानों के लिए फायदेमंद बनाना और भारत को विश्व में फूड बास्केट के रूप में स्थापित करना शामिल है.

उन्होंने कहा कि मैं पंजाब की धरती को बारंबार नमन करता हूं. देश के अन्न भंडार भरने में पंजाब के किसानों का बहुत योगदान है. एक समय था जब हम अमेरिका का निम्न गुणवत्ता वाला गेहूं खाने के लिए मजबूर थे, लेकिन आज स्थिति में ऐसा सुधार आया है कि हम अच्छे गुणवत्ता वाले गेहूंचावल का उत्पादन भी कर रहे हैं और विदेशों में भी इस का निर्यात कर रहे हैं. आज भारत के बासमती चावल की विदेशों में अत्यधिक मांग है. लेकिन हमें और आगे बढ़ना है. इसलिए हमारा लक्ष्य है समृद्ध किसान और विकसित खेती.

Agricultural Machinery

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे कहा कि उत्पादन बढ़ाने और उत्पादन की लागत कम करने जैसे दो काम हमें एक साथ ले कर चलने होंगे. उत्पादन बढ़ाने के लिए अच्छे बीज जरूरी हैं, जिस के लिए उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों को बदलती जलवायु के अनुसार अधिक तापमान सहनशीलता वाले बीज विकसित करने का निर्देश दिया.

उन्होंने कहा कि शोध आधारित जलवायु अनुकूल खेती की दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा. खेती के लिए अब आधुनिकतम तकनीकों और पद्धतियों को अपनाना होगा. इस से उत्पादन भी बढ़ेगा और श्रम लागत भी घटेगी. साथ ही, कटाई के साथसाथ रोपाई भी अब मशीनों से हो सकती है. अब बहुउद्देशीय हार्वेस्टर (फसल कटाई मशीन) उपलब्ध है, जिस से किसानों को लागत और श्रम की बचत में काफी लाभ हो रहा है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि के माहौल को बदलना है तो हमें ठोस कदम उठाने होंगे. साथ ही, समस्याओं का समाधान निकालना होगा. हमारे नवाचारों से निर्मित मशीनें आज देश के साथसाथ विदेशों के लिए भी कारगर सिद्ध हो रही है. उन्होंने बताया कि हाल ही में, मैं ब्राजील यात्रा पर गया था. वहां भी आधुनिक यंत्रों का कृषि में इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन भारत और विदेश की खेती की स्थितियों में काफी अंतर है. हमारे देश के किसानों के खेत का क्षेत्रफल दुनिया के अन्य किसानों के खेतों के क्षेत्रफल की तुलना में काफी कम है.

इसलिए हमें दुनिया को कृषि यंत्र निर्यात करने की दिशा में भी काम करना होगा. जिस के लिए राज्य सरकारों को भी मिल कर काम करना होगा. हमें विदेशों की जरूरत के अनुसार निर्यात के लिए कृषि यंत्र बनाने चाहिए और साथ ही अपने देश के छोटी जोत वाले किसानों के लिए भी कृषि यंत्र बनाने पर जोर देना होगा. साथ ही, यह ध्यान रखना होगा कि इन यंत्रों की कीमत भी ऐसी होनी चाहिए जिसे हमारे किसान बिना आर्थिक दबाव के खरीद सकें.

इस के साथ ही, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान सब्सिडी पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सब्सिडी उन्हें ही मिलनी चाहिए जो असल में उस के हकदार हैं. साथ ही, उन्होंने कहा कि मशीनीकरण को ले कर विस्तार से चर्चा की जाएगी. उद्योग जगत के लोगों से भी मिल कर इसे नई दिशा देने का काम किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि वैश्विक स्पर्धा करने लायक कृषि यंत्रों का अब हमारे अपने देश में निर्माण हो रहा है. खेती की हर समस्या का समाधान किसान भाइयोंबहनों से बातचीत के बाद ही तय किया जाएगा, ताकि भारत आगे बढ़ सके और हम दुनिया को नई दिशा दिखा सकें.