Horticultural : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार के सहयोग से आईसीएआर संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, केवीके और राज्य सरकार के विभागों को शामिल करते हुए 29 मई से 12 जून, 2025 तक ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के नाम से देश भर में बड़े पैमाने पर खरीफ पूर्व अभियान शुरू किया है. पिछले दस दिनों में 1,896 टीमों ने 8,188 गांवों में 8,95,944 किसानों के साथ बातचीत की है.
कर्नाटक में भी वैज्ञानिकों, कृषि और संबद्ध विभाग के अधिकारियों की 70 से अधिक टीम किसानों के खेतों का दौरा कर रही हैं. दैनिक आधार पर किसानों के साथ बातचीत कर रही हैं और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए मांग आधारित और समस्या उन्मुख अनुसंधान कार्यक्रम विकसित करने के लिए किसानों से फीडबैक ले रही हैं. अब तक 639 टीमों ने 2,495 गांवों का दौरा किया है और 2,77,264 किसानों के साथ बातचीत की है.
दिनांक 5 सितंबर, 1967 को स्थापित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अ.प.)- भारतीय बागबानी अनुसंधान संस्थान (भा.कृ.अ.प – भा.बा.अ.सं.), भा.कृ.अ.प. का शीर्ष रैंकिंग वाला संस्थान है. स्थायी बागबानी विकास को प्राप्त करने के मिशन के साथ, संस्थान ने सालों से कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, आजीविका सुरक्षा, आर्थिक विकास और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बीते छह दशकों से, भा.कृ.अ.प – भा.बा.अ.सं. ने फलों, सब्जियों, सजावटी पौधों, औषधीय और सुगंधित पौधों और मशरूम पर व्यापक शोध किया है.
जिस का परिणाम 327 किस्में/संकर और 154 प्रौद्योगिकियां के रूप में हमारे सामने है. संस्थान में विकसित उन्नत और तनाव सहनशील किस्मों/संकरों में फल फसलें (38), सब्जी फसलें (149) और फूल और औषधीय फसलें (140) शामिल हैं, जो आज पूरे देश में फैल गई हैं. अब तक संस्थान ने 130 तकनीकें विकसित की हैं, 675 ग्राहकों को 1,550 लाइसेंस दिए गए हैं.
8 जून, 2025 को भा.कृ.अ.प – भा.बा.अ.सं., बेंगलुरु में आयोजित विकसित कृषि संकल्प अभियान कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कर्नाटक के लगभग 500 किसानों को संबोधित किया और उन से कर्नाटक से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत भी की.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में किसानों के लिए समर्पित योजनाओं और कार्यक्रमों का जिक्र किया. इस के अलावा उन्होंने किसानों की प्रतिक्रिया जानने के लिए किसानों के खेतों का दौरा किया और कर्नाटक में स्थित आईसीएआर संस्थानों द्वारा प्रौद्योगिकी प्रदर्शन भी देखा.