Farming Schemes : खेती योजनाओं की भरमार,किसानों को जानकारी नहीं

Farming Schemes : सरकारें किसानों की हिमायती बनने का दिखावा कर के उन को लुभानेरिझाने में लगी हैं, इसलिए हर रोज नई स्कीमों के फरमान जारी हो रहे हैं. नेता गाल और अफसर खड़ताल बजा रहे हैं. यह बात अलग है कि ज्यादातर किसान आज भी बदहाल हैं, क्योंकि बहुत से किसानों को सरकारी स्कीमों का फायदा मिलना तो दूर उन्हें पता तक नहीं चलता, क्योंकि निकम्मे व भ्रष्ट सरकारी मुलाजिम किसानों को उन के फायदे की योजनाओं की कानोंकान खबर तक नहीं लगने देते.

सरकारी योजनाओं के ज्यादातर घोड़े कागजों पर दौड़ते हैं. छुटभैए नेता और बिचौलियों की मिलीभगत से हिस्साबांट हो जाता है. सरकारी स्कीमों की छूट व सहूलियतों का फायदा लेने के लिए किसानों को खुद ही जागना होना. अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए उन्हें पत्रपत्रिकाओं का सहारा लेना पड़ेगा.

नईनई तकनीकें सीख कर खेती की लागत घटे, बेहतर इंतजाम से नुकसान घटे व प्रोसैसिंग से आमदनी बढ़े, ऐसी बातें सीखनी होंगी. खेती में कम आमदनी की अहम वजह सही जानकारी की कमी भी है.

दर्जनों स्कीमें

खाद, बीज, कीड़ेमार दवा व खेती की मशीनें उधार लेने के लिए हर बार किसानों को कर्ज लेने के पहले अपनी खेती के कागज जमा कराने पड़ते हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में अब ऐसा नहीं है. ज्यादातर किसान नहीं जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में खेती महकमे की स्कीमों का फायदा लेने के लिए ह्वश्चड्डद्दह्म्द्बष्ह्वद्यह्लह्वह्म्द्ग.ष्शद्व पर महज एक बार औनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है. फिर इस के बाद बारबार कागज जमा कराने का झंझट खत्म.

किसान अपनी जमीन की खतौनी, आधारकार्ड व बैंक पासबुक की फोटोकौपी ले कर अपने जिले में खेती महकमे के दफ्तर, जनसेवा केंद्र या साइबर कैफे में यह काम करा सकते हैं.

अगर इस तरह की बुनियादी जानकारी किसानों को मिले तो सरकारी स्कीमों का फायदा आसानी से लिया जा सकता है.

उत्तर प्रदेश में किसान अपने खेत से मिट्टी का नमूना ले कर बिना कुछ खर्च किए ही खेती महकमे की लैब से उस की जांच करा सकते हैं. इस की जानकारी ब्लौक दफ्तर के सहायक विकास अधिकारी, कृषि से ली जा सकती है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर दर्ज जांच रिपोर्ट के आधार पर खेत की मिट्टी में जिन चीजों की कमी हो, जरूरी खुराक खेत में डाल कर किसान अपनी पैदावार व आमदनी में इजाफा कर सकते हैं.

Farming Schemesमशीनों पर छूट

खेती में समय और मेहनत बचा कर बेहतर काम के लिए मशीनों का इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ है इसलिए सरकार उन की खरीद पर माली इमदाद देती है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान उन्हें खरीद सकें.

छोटे किसानों को खेती की मशीनें किराए पर मुहैया कराने के लिए अगर 8-10 किसान मिल कर अपना एक समूह बनाएं तो वे अपना खुद का कस्टम हायरिंग सैंटर या फार्म मशीनरी बैंक खोल सकते हैं.

सिंचाई में सहायता

गांव में अमूमन बिजली कम ही आती है. बिजली आए भी तो वोल्टेज कम आती है. उधर डीजल की बढ़ती कीमतों ने फसलों की सिंचाई को महंगा कर दिया है. ऐसे में सोलर पंप सैट का इस्तेमाल करना फायदेमंद है.

किसान अगर बोरिंग खुद करा लें तो 2, 3 व 5 हौर्सपावर का सोलर पंप लगाने पर उत्तर प्रदेश का खेती महकमा 40 से 70 फीसदी तक की छूट देता है.

जमीन के अंदर का पानी सब से ज्यादा फसलों की सिंचाई में खर्च होता है. पानी की कमी वाले इलाकों में फव्वारा यानी स्प्रिंकलर सिस्टम को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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केंचुआ खाद में माली इमदाद

कैमिकल खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल ने जमीन की सेहत को काफी हद तक खराब कर दिया है इसलिए केंचुओं की खाद यानी वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन व इस्तेमाल पर खासा जोर दिया जा रहा है.

खेती का कचरा यानी अवशेष (पराली) का इस्तेमाल कंपोस्ट बना कर जमीन की उपजाऊ ताकत को बढ़ाने में बखूबी किया जा सकता है, जबकि इस को जलाने से माहौल खराब होता है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अलग राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना में पशुपालक जानवरों के नजदीकी अस्पताल में  बीमा करा सकते हैं.

सावधानी

गौरतलब है कि सभी स्कीमों में दी जाने वाली छूट किसानों के बैंक खातों में जमा की जाती है इसलिए अपना बैंक खाता जरूर चालू रखें. साथ ही, जो भी चीज नकद या उधार कृषि विभाग के स्टोर से खरीदें, उस की पक्की रसीद जरूर लें वरना छूट नहीं मिलेगी. किसान गूगल प्ले स्टोर से यूपी पारदर्शी किसान नामक मोबाइल एप भी डाउनलोड कर सकते हैं.

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दूसरे राज्यों में भी हैं ये सुविधाएं

उत्तर प्रदेश में 1 लाख रुपए तक, महाराष्ट्र में डेढ़ लाख रुपए तक, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश व पंजाब में 2-2 लाख रुपए तक किसानों के कर्ज माफ किए गए हैं. महाराष्ट्र में कर्ज चुकाने वालों को 25,000 रुपए तक की माली इमदाद दी जाती है. पंजाब में खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवारों को 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है.

ओडि़सा में रबी खरीफ की फसल पर 5-5 हजार रुपए प्रति एकड़ खेती से जुड़े कामधंधों के लिए 12,500 रुपए, 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा, बूढ़े किसानों को 10,000 रुपए व 50,000 रुपए तक बिना ब्याज के कर्ज की सहूलियत दी जा रही है. झारखंड में खरीफ की फसल पर 5,000 रुपए प्रति एकड़ की इमदाद दी जा रही है.

तेलंगाना में किसानों के लिए 24 घंटे मुफ्त बिजलीपानी मिलता है. बीते दिनों 7 अरब रुपए के पानी के बिल माफ किए गए हैं. साल में 2 फसलों के लिए 4,000 रुपए प्रति एकड़ की माली इमदाद व 5 लाख रुपए की दुर्घटना बीमा की सहूलियत दी जाती है. पश्चिम बंगाल में किसानों की फसल बीमा का प्रीमियम व किसानों की मौत पर उन के परिवार को 2 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है. खेती महकमे के दफ्तर से किसान ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते हैं.

क्या है फसल बीमा योजना (Crop insurance scheme)?

सवाल : फसल बीमा योजना क्या है और इस योजना में कौनकौन से जोखिम कवर होते हैं?
– रामप्रकाश, अलीगढ़

जवाब : केंद्र सरकार द्वारा वर्तमान में उपज गारंटी योजना के रूप में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए चलाई जा रही है, जिस के अंतर्गत प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों के कारण फसल की बोआई न कर पाने/असफल बोआई, फसल की बोआई से कटाई की अवधि में प्राकृतिक आपदाओं, रोगों व कीटों से फसल नष्ट होने की स्थिति एवं फसल कटाई के बाद खेत में कटी हुई फसलों को बेमौसम/चक्रवाती वर्षा, चक्रवात से फसल नुकसान की स्थिति में फसल पैदा करने वाले किसानों, जिन के द्वारा फसल का बीमा कराया गया है, को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

चयनित जनपदों में पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को लागू किया गया है, जिस में प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों कम व अधिक तापमान, कम व अधिक वर्षा आदि से फसल नष्ट होने की संभावना के आधार पर फसल के उत्पादक किसानों, जिन के द्वारा फसल का बीमा कराया गया है, को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता दी जाती है.

विकसित भारत का निर्माण विकसित खेती के बिना नहीं

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूसा, नई दिल्ली में एग्रीश्योर फंड और कृषि निवेश पोर्टल का शुभारंभ किया. शिवराज सिंह चौहान ने विभिन्न श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बैंकों और राज्यों को उन के प्रयासों की सराहना करते हुए एआईएफ उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किए. इस कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और राम नाथ ठाकुर और सचिव देवेश चतुर्वेदी भी मौजूद थे.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, तो किसान उस के प्राण है. देश की जीडीपी में 18 फीसदी योगदान आज भी कृषि का है. किसान सब से बड़ा उत्पादक भी है और उपभोक्ता भी है. 50 फीसदी से ज्यादा लोग खेती पर जिंदा हैं.

कृषि मंत्री और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने खेती में आय दोगुनी करने का अभियान शुरू किया है और उन के पास किसानों के लिए 6 सूत्र हैं, जिन पर वे काम कर रहे हैं. पहला, उत्पादन बढ़ाना, जिस के लिए अच्छे बीज जरूरी हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने 65 फसलों के बीजों की 109 प्रजातियां किसानों को दी हैं.

उन्होंने बताया कि चावल की एक किस्म ऐसी है, जिसे 30 फीसदी कम पानी की जरूरत होती है. बाजरा की एक किस्म ऐसी है, जिस की फसल 70 दिन में तैयार हो जाती है. ये ऐसे बीज हैं, जो जलवायु के अनुकूल हैं और बढ़ते तापमान में भी बेहतर उत्पादन देते हैं.

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उत्पादन की लागत कम करना प्रधानमंत्री मोदी का दूसरा संकल्प है, वहीं तीसरा संकल्प उपज की वाजिब कीमत दिलाना है.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि का विविधीकरण सरकार के रोडमैप में है और हम परंपरागत फसलों के साथसाथ अधिक आय वाली फसलों को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. हम नए विचारों के साथ किस तरह से खेती में प्रयोग कर सकते हैं, हम कब तक रासायनिक खाद का उपयोग करते रहेंगे? इस से उर्वराशक्ति भी कम होती है और उत्पादन व इनसान के शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ता है.

उन्होंने आगे कहा कि दूसरा उत्पादन की लागत कम करना. कम लागत कर के किसान को फायदा होगा और उस दिशा में सरकार कदम उठा रही है. अलगअलग तरह की कृषि पद्धतियों में लागत कम करने के लिए ही सब्सिडी बैंकों को दी जा रही है. किसान को यूरिया की एक बोरी खरीदने पर 2,100 रुपए की सब्सिडी मिलती है. 2,125 करोड़ रुपए का एक स्पैशल पैकेज दिया गया, जिस से खाद की कीमत न बढ़े और लागत कम हो.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तीसरा, किसान को अच्छे दाम मिल जाए, एमएसपी की बेहतर व्यवस्था हो और उस पर खरीद के इंतजाम के लिए कुछ योजनाएं हैं. चौथा, फसल का विविधीकरण अलगअलग तरह की खेती कैसे हो सकती है, उस में पशुपालन छोड़ दो, मधुमक्खीपालन छोड़ दो, अनेकों प्रकार के प्रयास किए जा सकते हैं, ताकि किसान कम जमीन में भी ज्यादा आमदनी प्राप्त कर सके.

फसल काटने के बाद हम उस का प्रबंध ठीक प्रकार से कैसे कर पाएं, जिस से किसान अपना अनाज रोक पाए और वह उस की अच्छी कीमत ले पाए. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना दुनिया की सब से बड़ी फसल बीमा योजना है. 7 योजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपए दिए गए हैं.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एग्रीश्योर, एग्रीश्योर निधि का शुभारंभ हुआ है. हमारा 750 सौ करोड़ रुपए का फंड है. प्रधानमंत्री का संकल्प है विकसित भारत और विकसित भारत का निर्माण विकसित खेती के बिना नहीं हो सकता, समृद्धि किसान के बिना नहीं हो सकती और खेती में निवेश की जरूरत है, इसीलिए केवल सरकारी नहीं, बल्कि हमें प्राइवेट निवेश भी करना पड़ेगा. कृषि निवेश पोर्टल पर अब आ पको एक ही जगह सारी जानकारी मिलेगी.

जल्द करा लें फसल बीमा (Crop Insurance) यह है बीमा कराने की अंतिम तिथि

भोपाल : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत भोपाल जिले में एग्रीकल्चर इंश्योरेस कंपनी औफ इंडिया लि. के माध्यम से किसानों को फसल बीमा (Crop Insurance) योजना का लाभ दिया जा रहा है. इस योजना के तहत खरीफ 2024 के लिए सभी ऋणी, अऋणी, डिफाल्टर, बंटाईदार किसानों के लिए बीमा की अंतिम 15 अगस्त, 2024 थी, परंतु उक्त दिन स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में शासकीय अवकाश होने के कारण सभी किसानों के लिए फसल बीमा की अंतिम तिथि 15 अगस्त से 16 अगस्त, 2024 कर दी गई है.

फसल बीमा के लिए इन कागजात की होगी जरूरत

ऋणी किसानों का फसल बीमा से संबधित बैंक शाखा द्वारा अनिवार्य रूप से करा दिया जाता है एवं अऋणी किसान फसल बीमा के लिए बैंक, एमपी औनलाइन जनसेवा केंद्र सीएससी एवं प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों के माध्यम से अपनी फसलों का बीमा करा सकते हैं.

अऋणी किसानों को बीमा कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज आधारकार्ड (नवीनतम), मोबाइल नंबर, बैंक की पासबुक, जिस में किसान का नाम, खाता संख्या, आईएफएससी कोड स्पष्ट हो, खसरा बी-1 (नवीनतम), खसरा अनुसार बोई गई फसल का प्रमाणित बोआई प्रमाणपत्र, किराएदार किसान के लिए किरायानामा का शपथपत्र के साथ निकटतम सीएससी केंद्र, बैंक अथवा प्राथमिक सहाकरी ऋण समिति से संपर्क कर सकते हैं.

किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा होने पर 72 घंटे के अंदर किसान सीधे अथवा अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से टोल फ्री नंबर 18002337115 पर नुकसान की जानकारी दे सकते हैं.

अतिवृष्टि, बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति में 72 घंटे के अंदर फोन करें एवं नुकसानी तिथि एवं वास्तविक आपदा की स्थिति भी दर्ज करें. नुकसानी तिथि फसल की बोनी की तिथि से दर्ज करने पर राशि मान्य नहीं की जाएगी.

फोन करते वक्त विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखा जाए. किसानों को सूचित किया जाता है, ऋणी एवं अऋणी किसानों के लिए बीमा की अंतिम तारीख 16 अगस्त, 2024 से पूर्व ही अपनी फसलों का बीमा कराएं एवं अधिक जानकारी के लिए स्थनीय कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क करें.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में किसानों के लिए 3 नई सौगातें

नई दिल्ली: 8 फरवरी 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के अंतर्गत केंद्रीयकृत ‘‘किसान रक्षक हेल्पलाइन 14447 और पोर्टल”, कृषि बीमा सैंडबौक्स फ्रेमवर्क प्लेटफार्म ‘सारथी’ एवं कृषि समुदाय के लिए लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम (एलएमएस) प्लेटफार्म का दिल्ली में समारोहपूर्वक शुभारंभ किया.

इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चैधरी, केंद्रीय कृषि सचिव मनोज अहूजा भी उपस्थित थे.

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह देश गांवों का देश है, किसानों का देश है. किसानों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में कृषि मंत्रालय लगातार काम कर रहा है.

किसानों को उन्नत करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के सामथ्र्य, ताकत, मजबूती से ही देश का सामथ्र्य व मजबूती है.

इसे ध्यान में रखते हुए व किसान समुदाय की उन्नति को रेखांकित करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय काम कर रहा है. सरकार की ओर से संचालित योजनाओं के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने इस दिशा में सरकार द्वारा निरंतर किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान में वसर मिल रहा है कि तकनीकी रूप से भी किसानों को सशक्त बनाने में सहयोगी बनें.

किसानों से डिजिटली जुड़ते हुए उन्हें आगे बढ़ाने के लिए काम करें. इसी नवाचार के तहत प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत कृषि रक्षक पोर्टल व हेल्पलाइन, सैंडबौक्स फ्रेमवर्क एवं एलएमएस प्लेटफार्म का शुभारंभ हुआ है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार कृषि क्षेत्र को उच्च प्राथमिकता देती है व इसे अधिक कुशल, प्रतिस्पर्धी, आय उन्मुख व लचीला बनाने की लिए निरंतर प्रयासरत है. कृषि मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शामिल हैं.

साथ ही, 10,000 नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन किया जा रहा है, जिस के सकारात्मक नतीजे भी मिल रहे हैं. प्रधानमंत्री सिंचाई कार्यक्रम, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, बागबानी मिशन, सतत कृषि पर राष्ट्रीय मिशन, किसान क्रेडिट कार्ड आदि के जरीए भी किसानों की जरूरतों व लाभ के लिए मंत्रालय काम कर रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना व कृषि कार्यों में जोखिम कम करना है. वर्तमान में कृषि क्षेत्र को ज्यादा ग्रोथ के लिए जहां निवेश की जरूरत है, वहीं प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करने की भी जरूरत है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इस के लिए काफी कारगर साबित हुई है. योजना के प्रारंभ से अभी तक इस में 15 करोड़ से ज्यादा किसान जुड़े हैं और अब तक किसानों के 29,237 करोड़ रुपए के प्रीमियम के मुकाबले 1.52 लाख करोड़ रुपए के दावों का पेमेंट किया गया है.

उन्होंने यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन के इस दौर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना छोटे व सीमांत किसानों के लिए वरदान साबित हुई है. महाराष्ट्र, ओडिशा, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सरकारें किसान प्रीमियम के रूप में केवल एक रुपए के साथ सार्वभौमिक कवरेज प्रदान कर के किसानों का समर्थन करने के लिए आगे आई हैं.

पिछले कुछ समय में योजना के क्रियान्वयन में सुधार के प्रयास भी लगातार जारी हैं. सरकार प्रतिबद्ध है कि कृषि क्षेत्र में ऐसी योजनाओं को आगे बढ़ाएं, जिस से किसानों के लिए जोखिम कम हों व आय बेहतर हो सके.

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि कोशिश होनी चाहिए कि किसानों की समस्या का समाधान डाटा के साथ करने में समर्थ हों.

इस का विशेष ध्यान रखें कि हमारे अन्नदाता निराश न हों, बल्कि उन का सरकार के प्रति विश्वास और बढ़े, उन्हें महसूस होना चाहिए कि उन के पीछे पूरी ताकत से सरकार खड़ी है और वे आगे बढ़ रहे है.

कृषि मंत्रालय प्रधानमंत्री मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत निर्माण के संकल्प को पूरा करने के लिए लगन से काम कर रहा है.

किसान युवा, मातृशक्ति, गरीब सभी के लिए काम हो रहा है. कृषि मंत्रालय, संगठित रूप में किसानों के लिए काम कर रहा है, जिस का लाभ देश के अन्नदाताओं को मिल रहा है.

औषधीय पौधों की खेती से लाखों की कमाई

लखनऊ:  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि आज अन्नदाता किसानों को परंपरागत खेती से दोगुना दाम तो मिल ही रहा है, लेकिन जिन किसानों ने सहफसली खेती के साथसाथ औषधि व सगंध औषधीय खेती, बागबानी को बढ़ावा दिया और हर्बल उत्पादों को प्रोत्साहित किया, ऐसे किसानों को लागत का कई गुना अधिक दाम प्राप्त हो रहा है. यह अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन का एक बड़ा माध्यम बना है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में सीएसआईआर-सीमैप द्वारा आयोजित किसान मेले का उद्घाटन करने के पश्चात इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में देश की बागडोर संभालते समय किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लक्ष्य साथ काम करने का निर्देश दिया था. उन के नेतृत्व में इस के दृष्टिगत जो कार्यक्रम चलाए गए हैं, वे हम सब के सामने हैं.

इन कार्यक्रमों में सौयल हेल्थ कार्ड, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, पीएम किसान सम्मान निधि योजना आदि सम्मिलित हैं. इन सभी योजनाओं के साथ जब हम वैज्ञानिक सोच और इनोवेशन को जोड़ते हैं, तो इस के अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं. देश में पहली बार वर्ष 2018 से अन्नदाता किसानों को लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना प्रारंभ हुआ. अब इस में काफी वृद्धि हुई है.

संसद के प्रत्येक सत्र में किसानों की खुदकुशी का मुद्दा उठता था. किसानों की खुदकुशी की वजह उपज का उचित दाम, उत्तम बीज, उचित सलाह, सिंचाई की सुविधा, बाजार तक पहुंच न होना आदि थी.

यह अच्छा अवसर है, जब हम अपने अन्नदाता किसानों को सहफसली लेने, इन के द्वारा विकसित की गई प्रजाति को और अधिक प्रमोट करने के लिए उन का सहयोग ले सकते हैं. साथ ही, औषधीय पौधों और फसल विविधीकरण जैसे अन्य क्षेत्रों में भी इन का सहयोग ले कर किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ाने का काम किया जा सकता है. यदि किसानों को समय पर उन्नत किस्म के बीज, तकनीक और वैज्ञानिक सलाह मिल जाए, तो वे प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप काम करने में कामयाब हो सकेंगे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि बाजार से लिंक कर ईको सिस्टम कैसे तैयार होता है, यह यहां की प्रदर्शनी में देखने को मिला. यहां 15 राज्यों के तकरीबन 4,000 किसानों के अतिरिक्त, प्रदेश के बाराबंकी, संभल, अमरोहा आदि जिलों के किसानों के साथसाथ लखीमपुर खीरी के जनजाति समुदाय से जुड़े लोग भी आए हैं. ये लोग खेती की उन्नत किस्मों को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं.

प्रदेश में स्थित 89 कृषि विज्ञान केंद्रों, 4 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (5वां भी स्थापित होने जा रहा है) कृषि, बागबानी, आयुष आदि क्षेत्रों से जुड़े वैज्ञानिकों और लोगों को समयसमय पर सीमैप, सीडीआरआई, एनबीआरआई और आईआईटीआर लैबोरेट्रीज की विजिट कराई जानी चाहिए, ताकि इन की क्षमताओं का बेहतर उपयोग कर, किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ाने का काम किया जा सके. इस दिशा में तेजी के साथ प्रयास किए जाने की आवश्यकता है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि यदि किसान खुशहाल होगा, तो प्रदेश खुशहाल होगा. राज्य में पर्याप्त उर्वर भूमि, प्रचुर जल संसाधन हैं. प्रदेश में देश की कुल कृषि योग्य भूमि की महज 11 फीसदी कृषि भूमि है, इस के बावजूद देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 22 फीसदी खाद्यान्न केवल उत्तर प्रदेश में उत्पादित होता है. यह यहां की भूमि की उर्वरता को प्रदर्शित करता है. इस क्षेत्र में हमें अभी बहुतकुछ करना है.

उन्होंने कहा कि सीमैप द्वारा उन्हें बताया गया कि संस्थान ने अलगअलग क्लस्टर विकसित किए हैं. हम प्रदेश के सभी 89 कृषि विज्ञान केंद्रों में क्लस्टर विकसित कर, नए तरीके से किसानों के समूह को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकते हैं. यदि हम औषधीय पौधों की खेती, प्रोसैसिंग और मार्केटिंग को इस के साथ जोड़ लें, तो कई गुना अधिक लाभ किसानों को प्राप्त होगा.

यदि किसान परंपरागत खेती के अंतर्गत प्रति एकड़ प्रति वर्ष 20 से 25 हजार रुपए कमा रहा है, तो औषधीय पौधों की खेती में वही किसान सवा लाख से डेढ़ लाख रुपए प्रति एकड़ प्रतिवर्ष कमा सकता है. इस दिशा में सीमैप और अन्य केंद्रीय लैबोरेट्रीज द्वारा प्रयास प्रारंभ किया गया है. यदि सभी मिल कर इस काम को आगे बढ़ाएंगे, तो इस के बेहतर नतीजे आएंगे.

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को उन्नतशील प्रजातियों की पौध रोपण सामग्री का वितरण किया. उन्होंने किसान मेले की स्मारिका और कृषि की उन्नतशील प्रजातियों पर केंद्रित एक पुस्तिका का विमोचन भी किया. उन्होंने हर्बल उत्पाद, एलोवेरा जेल और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एरोमा एप का शुभारंभ किया.

इस के पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान मेले में लगी प्रदर्शनी का अवलोकन किया और पौधरोपण भी किया. कार्यक्रम को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी संबोधित किया.

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी, महानिदेशक सीएसआईआर एन. कलैसेल्वी, निदेशक सीमैप डा. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक एनबीआरआई डा. अजीत कुमार शासनी, निदेशक आईआईटीआर डा. भास्कर नारायण, निदेशक सीडीआरआई डा. राधा रंगराजन सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.

फसल बीमा क्लेम का होगा तुरंत भुगतान

जयपुर: 23 जनवरी, 2024. कृषि मंत्री डा. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को बीमा कंपनी के माध्यम से मुआवजे के भुगतान के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा समान अनुपात में राशि वहन किए जाने का प्रावधान है.

मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि योजना के तहत मेड़ता विधानसभा में 7 किसानों को क्लेम के लिए राज्य सरकार द्वारा राशि जारी की जा चुकी है, लेकिन केंद्र की राशि प्रकियाधीन है.

उन्होंने सदन में आश्वस्त किया कि जैसे ही इस संबंध में कंेद्र सरकार द्वारा प्रकिया पूरी हो जाएगी, लंबित बीमा क्लेमों का भुगतान कर दिया जाएगा.

कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों पर जवाब दे रहे थे. इस से पहले विधायक लक्ष्मण राम के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में कृषि मंत्री ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र मेड़ता में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमित किसानों की फसलों का बीमा किया गया है. उन्होंने खरीफ 2020 से रबी 2022-23 तक रिलांयस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा किसानों की संख्या में फसलों के बीमे का वर्षवार विवरण सदन के पटल पर रखा.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 में 29 हजार, 992 किसान, वर्ष 2021-22 में 27 हजार, 454 और वर्ष 2022-23 में 32 हजार, 164 किसानों की फसलों का बीमा दिया गया है.
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि मेड़ता विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधानों के अनुसार दर्ज की गई उपज नुकसान के आधार पर खरीफ 2020 से रबी 2022-23 तक पात्र बीमित फसल के किसानों को 85.98 करोड रुपए के बीमा क्लेम बीमा कंपनी द्वारा जारी किए गए हैं एवं 7 किसानों के फसल बीमा क्लेम लंबित हैं. लंबित बीमा क्लेमों का भुगतान प्रक्रियाधीन है.

पीएम फसल बीमा योजना : प्राकतिक आपदा पर मुआवजा

इस योजना को लागू हुए 6 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को चलाने का मुख्य मकसद किसानों को प्राकृतिक आपदा में फसल को नुकसान पहुंचने पर राहत प्रदान करना है.

इस फसल बीमा पौलिसी अभियान का उद्देश्य है कि सभी किसान इस योजना को पूरी तरह से समझ  सकें, उन की शंकाओं का समाधान भी हो सके.

क्या है पीएम फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत 18 फरवरी, 2016 को मध्य प्रदेश के सीहोर से की गई  थी. पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को उन की फसल पर बीमा कवर किया जाता है. इस फसल बीमा को लेने के लिए किसान से तय प्रीमियम लिया जाता है.

इस योजना के तहत प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई की जाती है. इस योजना में किसानों के नुकसान का आकलन कर भुगतान किया जाता है.

ध्यान रखने वाली बात यह है कि केवल प्राकतिक आपदा पर ही मुआवजा मिलता है. यदि मानव कारण से फसल खराब या नष्ट हुई हो, तो उस पर बीमा का लाभ नहीं मिलेगा.

मुआवजे की रकम किसान को सीधे डीबीटी के माध्यम से उन के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है.

पीएम फसल बीमा करने के लिए किसान की अपनी मरजी है. वे अपनी इच्छानुसार बीमा करा सकते हैं. इस के लिए उन पर कोई दबाव नहीं होगा.

 बीमा योजना से बाहर होने से पहले देनी होती है सूचना

कई बार ऐसा होता है, जिन किसानों ने फसल बीमा ले रखा होता है, उन की प्रीमियम की राशि उन के किसान क्रेडिट कार्ड से सीधे ही कट जाती है. अगर वह फसल बीमा नहीं लेना चाहता है, तो उसे पहले बताना होगा, जिस से कि उस के कार्ड से प्रीमियम राशि न काटी जाए. इस की जानकारी उन्हें बैंक को लिखित में देनी होगी.

सरकार ने सभी बैंक अधिकारियों से कहा है कि जिस भी फसल का प्रीमियम का पैसा बैंक अकाउंट से सीधे काटा जा रहा है, उस की जानकारी किसान को होनी चाहिए.

 फसल नुकसान की सूचना

जिन किसानों की फसलों का बीमा है और यदि उन की फसलों को प्राकृतिक आपदा जैसे  बारिश, ओलावृष्टि, बाढ़, तूफान आदि से नुकसान हुआ है, वे इस की सूचना किसान फसल बीमा एप, सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से किसी भी घटना के 72 घंटे के भीतर फसल के नुकसान की रिपोर्ट बीमा कंपनी को देनी होगी.

किनकिन फसलों का बीमा

खाद्यान्न फसलें : मोटे अनाज और दलहन. द्य तिलहन फसलें द्य वार्षिक वाणिज्यिक/वार्षिक बागबानी फसलें.

बता दें कि रबी और खरीफ फसलों का बीमा हर साल किया जाता है, जिस के लिए किसानों को प्रीमियम भरना होता है.

पीएम फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम की दर का निर्धारण भी किया गया है. इस के तहत खरीफ की फसलों का बीमा 2 फीसदी प्रीमियम पर और रबी फसलों का बीमा 1.5 फीसदी प्रीमियम की दर पर किया जाता है. इस के अलावा वार्षिक वाणिज्यिक/वार्षिक बागबानी फसलों का बीमा 5 फीसदी की दर पर किया जाता है.

महत्त्वपूर्ण दस्तावेज हैं जरूरी

पीएम फसल बीमा योजना के लिए आवेदन करते समय आवेदन करने वाले किसान का आईडी कार्ड, किसान के खेत के कागजात की फोटोकौपी, अगर खेत किराए पर ले कर खेती की गई है, तो खेत के मालिक के साथ इकरार की फोटोकौपी, आवेदक का फोटो, किसान के बैंक खाते की जानकारी के लिए पासबुक की फोटोकौपी, किसान का मूल निवास प्रमाणपत्र व किसान के राशनकार्ड की जरूरत होगी.

कैसे करें आवेदन

इस योजना में औनलाइन आवेदन के लिए इस की आधिकारिक वैबसाइट https://pmfby.gov.in  पर जा कर फार्म भर सकते हैं. इस के अलावा सीएससी पर जा कर भी इस के लिए आवेदन किया जा सकता है. वहीं इस योजना में यदि आप औफलाइन फार्म भरना चाहते हैं, तो इस के लिए आप को कृषि विभाग में जा कर आवेदन फार्म लेना होगा और भर कर वहीं जमा कराना होगा.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एप व पोर्टल लांच

नई दिल्ली : 21 जुलाई 2023. केंद्र की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) में किसानों को और अधिक सहूलियत देते हुए सटीक उपज अनुमान एवं पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने तीन महत्वपूर्ण पहलों – येस्टैक (प्रौद्योगिकी पर आधारित उपज अनुमान प्रणाली), विंड्स (मौसम सूचना डेटा प्रणाली) और एआईडीई (मध्यस्थ नामांकन के लिए एप) को किसानों को समर्पित किया. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू विशेष रूप से उपस्थित थे.

इस मौके पर केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय के तहत राज्यांश लंबित होने से किसानों को क्लेम मिलने में होने वाली कठिनाइयों से राहत देते हुए 8 राज्यों के लगभग 5.60 लाख लाभार्थी किसानों को अपने स्तर पर 258 करोड़ रुपए बतौर क्लेम जारी किए. इन में गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, ओडिशा व आंध्र प्रदेश के किसान शामिल हैं.

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कार्यक्रम में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि का जीवन व देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है. कृषि के समक्ष कितनी भी अनुकूलता हो, इस के बाद भी किसान को प्रकृति पर निर्भर करना पड़ता है. अगर प्रकृति नाराज हो जाए तो किसान अपने श्रम से इस की भरपाई नहीं कर पाता है. इसलिए यह जरूरी समझा गया कि प्राकृतिक प्रकोप से होने वाले नुकसान की भरपाई की व्यवस्था होनी चाहिए, इसीलिए सरकार द्वारा फसल बीमा योजना लागू करते हुए व इसे किसान हितैषी बनाते हुए इस के जरीए किसानों के नुकसान की भरपाई की जा रही है.

उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार कृषि विकास के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए बजट में कमी नहीं आती है, लेकिन कभी राज्य सरकारों के हिस्से का प्रीमियम जमा नहीं होता है, तो ऐसे में किसानों को दिक्कत नहीं होने देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा समय पर जमा कराई जाने वाली अपनी प्रीमियम से ही किसानों को मुआवजा देने का केंद्र ने फैसला लिया है, फिर भले ही तब तक राज्य सरकार द्वारा प्रीमियम जमा हो या नहीं.

इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कामकाज संभालते ही गांव, गरीब और किसान तीनों पर फोकस किया और अनेक योजनाओं के माध्यम से प्रयत्न किया गया है कि गांवों के जीवन में बदलाव आए, गरीबों का जीवन बदले और किसान समृद्ध हों. इस दिशा में कृषि मंत्रालय के जरीए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी अनेक योजनाएं बनाई गईं. कृषि क्षेत्र में तकनीक के प्रयोग पर बल दिया गया. अच्छे खादबीज की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की गई.

कृषि के बजट को देखें, तो वर्ष 2013 की तुलना में लगभग पांच गुना की वृद्धि की गई. इन का अच्छा नतीजा भी दिख रहा है. हम खाद्यान्न, बागबानी, दुग्ध उत्पादन में दुनिया में अच्छी अवस्था में हैं. इस में तकनीक एवं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसंधान का भी महत्वपूर्ण योगदान है.

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि आज तकनीक का उपयोग कर के हर किसान तक हर योजना की पहुंच हो सकती है व आम किसान लाभ ले सकते हैं, इसलिए कृषि मंत्रालय ने बहुतेरे काम करते हुए इंश्योरेंस मौड्यूल भी बनाएं, राज्य सरकारों को जोड़ा गया व फसल बीमा योजना को और कारगर बनाने की दृष्टि से मैनुअल, पोर्टल व एप लांच किया गया है.

उन्होंने कहा कि हम सोचते थे कि मौसम की सही सूचना क्यों नहीं आ पाती है. अगर सूचना मिल भी जाए, तो नीचे तक पहुंचाने का साधन नहीं होता था, इसलिए कोशिश की गई कि तकनीक का प्रयोग कर के इस की पहुंच गांवगांव तक बनाई जाए. हर गांव में रेन वाच टावर हो, विकासखंड स्तर पर वेदर स्टेशन आ सकें, ताकि मौसम की जानकारी विभाग व सरकार को मिल सके. जलवायु परिवर्तन के दौर में यह जरूरी भी है. इसी तरह यह भी सुनिश्चित हुआ है कि एक व्यक्ति इंश्योरेंस के लिए मोबाइल के माध्यम से गांवगांव व घरघर जा सकता है. ये सुविधाएं सिर्फ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ही नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली हैं. आने वाले कल में भी ऐसे ही नवाचार होते रहे, नई पीढ़ी कृषि क्षेत्र की तरफ आकर्षित हो, कृषि का क्षेत्र रोजगार के अवसरों का बड़ा स्रोत बने, इस दिशा में और नवाचार करने की जरूरत है.

पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि किसानों के जीवन में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की इन सुविधाओं से बहुत बड़ा बदलाव आएगा. हरित क्रांति के बाद, पिछले 9 साल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र में अद्भुत काम हुआ है और हम एक लीडिंग नेशन के रूप में उभरे हैं. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि क्षेत्र में किए जा रहे परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण हैं. जलवायु परिवर्तन के दौर में इन सब की महत्ता और भी ज्यादा है. भविष्य की चुनौतियों के मद्देनजर हमें साइंटिफिक मैकेनिज्म तैयार करना होगा.

उन्होंने उम्मीद जताई कि कृषि मंत्रालय के साथ मिल कर उन का मंत्रालय जलवायु परिवर्तन से उपजने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए बेहतर कार्य कर सकेगा.

उन्होंने आगे कहा कि हमारे वैज्ञानिक बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. देश में सभी क्षेत्रों में उन के अनुसंधान की शतप्रतिशत उपयोगिता कैसे हो, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा, मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डा. मृत्युंजय महापात्र व पीएमएफबीवाई के सीईओ और कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव रितेश चौहान ने भी संबोधित किया.

कार्यक्रम में महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र के निदेशक डा. सीएस मूर्ति और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, पृथ्वी, विज्ञान मंत्रालय एवं बीमा कंपनियों के अधिकारी और अन्य गणमान्य उपस्थित थे.

नवाचारों से लाभ-

येस्टैक उन्नत तकनीकी प्रणाली है, जो सटीक उपज गणना में राज्यों की मदद करेगी. राज्यों में फसल उपज विवादों व उस के बाद पात्र किसानों को मुआवजा देने में होने वाली देरी से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए केंद्र ने इस प्रणाली को लागू करने का निर्णय लिया है. येस्टैक प्रणाली के अंतर्गत रिमोट सेंसिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के जरीए सटीक फसल अनुमान लगाने, पारदर्शी सटीक उपज आकलन सुनिश्चित करने पर काम किया जाना है.

यह प्रणाली उपज संबंधी विवाद प्रभावी रूप से हल करने व त्वरित दावा भुगतान सुविधा प्रदान करने में सक्षम होगी. विंड्स के माध्यम से किसानों के लिए मौसम संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी व आंकड़े उपलब्ध हो पाएंगे. इस से योजना के सभी हितधारकों को लाभ होगा, विशेषतः किसान सूचित निर्णय लेने में सक्षम होंगे. अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से सटीक मौसम संबंधी डेटा प्राप्त करने संबंधी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विंड्स पहल के अंतर्गत मौसम केंद्रों के सशक्त नेटवर्क की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है. इस पहल द्वारा लक्ष्य ब्लौक व ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम केंद्रों का व्यापक नेटवर्क स्थापित करना है.

यह रणनीतिक दृष्टिकोण सटीक व समय पर मौसम डेटा तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करेगा. लक्ष्य, मौसम की जानकारी की उपलब्धता में अंतर कम करना व जमीनी स्तर पर निर्णयकर्ताओं, किसानों व हितधारकों को सशक्त बनाना है.

मौसम केंद्रों का यह व्यापक नेटवर्क मौसम के पैटर्न की सटीक निगरानी करने, प्रभावी योजना बनाने, जोखिम मूल्यांकन व मौसम संबंधी चुनौतियों का समय पर जवाब देने में सक्षम बनाएगा.

एआईडीई एप से किसानों की नामांकन प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आएगा, जिस से किसान घर बैठे या खेत से भी, बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों के जरीए पंजीकरण आसानी से पूरा कर सकेंगे.

लंबी कतारों, कागजी खानापूर्ति खत्म कर के यह निर्णय सभी किसानों के लिए नामांकन को सुलभ बनाता है, जिस से सुनिश्चित होता है कि वे आसानी से बीमा कवरेज प्राप्त कर सकें. उपयोगकर्ता के अनुकूल एप कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देते हुए अनुरूप कवरेज विकल्प प्रदान करता है. ये पहल किसानों को समर्थन देने व किसानों की आजीविका प्रभावी ढंग से सुरक्षित करने के लिए बीमा नामांकन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की सरकार की प्रतिबद्धता रेखांकित करती है. इन सभी पहलों से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सुनिश्चित किया है कि किसानों को उन के घर पर फसल बीमा लेने, पोलिसी विवरण प्राप्त करने की सुविधा मिले, किसान मोबाइल एप से ही फसल नुकसान की सूचना दे सकें, उपज, दावा आंकलन की प्रक्रिया सटीक व पारदर्शी हो व किसानों को समय पर क्लेम पेमेंट मिले.