आजकल गौपालन को ले कर अनेक राज्य की सरकारें नईनई स्कीमें लाती रहती हैं, जिस से पशुपालन को तो बढ़ावा मिलता है, साथ ही पर्यावरण में भी सुधार होता है.

पशुपालन की बात करें, तो इन में गोशालाओं का निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है. सरकार गौशालाओं के निर्माण, गायों को आहार और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारी अनुदान प्रदान कर रही है.

इस कड़ी में गौशालाओं की आय बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक पहल की है. इस पहल में सरकार गोबर, गौमूत्र और अन्य अपशिष्ट से पैसा कमाने के लिए हैकाथान का आयोजन करने जा रही है.

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा “आत्मनिर्भर गौशाला- वेस्ट से वैल्थ” हैकाथान का आयोजन किया जा रहा है. इस में लोगों से विद्यार्थी, गौपालन और प्रबंधन के संबंध में जुड़े लोगों और संस्थाओं से औनलाइन सुझाव मांगे गए हैं, ताकि गौशालाएं गोबर, गौमूत्र और अन्य अपशिष्ट से अधिक आमदनी कर सकें.

एक लाख रुपए का पुरस्कार

गौशालाओं से निकलने वाले गोबर, गौमूत्र अपशिष्ट पदार्थों के उपयोग से पैसा कैसे कमाया जा सकता है, इस विषय पर सर्वश्रेष्ठ सुझाव देने वाले व्यक्ति को पहले पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपए मिलेंगे. दूसरे पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपए प्रदान किए जाएंगे.

इस प्रतियोगिता में विद्यार्थी, गौपालन और प्रबंधन से जुड़े लोग और विभिन्न संस्थानों के सदस्य भाग ले सकते हैं.

बोर्ड का सोचना है कि इस कैंपेन के माध्यम से पशुपालक गोबर, गौमूत्र आदि अपशिष्ट से अधिकतम आमदनी प्राप्त कर सकें. इस के अलावा वे बाजार में गोबर आदि से बने कई प्रोडक्ट्स लाने का प्रयास करें, जो लोगों को पसंद आएं और जिन का उपयोग हो सके. जो एक बेहतर कमाई का जरीया बन सकता है.

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