पशुपालकों के लिए हरे चारे की उपलब्धता का संकट पशुपालन की कठिनाइयों के लिहाज से एक प्रमुख समस्या मानी जाती है, जबकि पशुओं के समुचित विकास और अधिक दुग्ध के लिए प्रचुर मात्रा वाले पोषक तत्व से युक्त हरा चारा खिलाना बेहद जरूरी होता है.
पशुपालकों के लिए साल के कुछ महीने ऐसे होते हैं, जिस में वह आसानी से हरे चारे की उपलब्धता कर लेता है. लेकिन गरमियों के महीनों में अधिक पानी व सिंचाई के अभाव में पशुओं के लिए आवश्यक मात्रा में हरा चारा उगा पाना कठिनाई भरा होता है. इन परिस्थियों में पशुपालकों को हरे चारे के संकट से उबारने में बहुवर्षीय चारे की प्रजातियां बेहद फायदेमंद साबित होती हैं.
बहुवर्षीय हरे चारे में से एक गिनी घास की खेती इस लिहाज से फायदेमंद साबित होती है. हरे चारे के इस बहुवर्षीय फसल में पानी और सिंचाई की आवश्यकता दूसरे चारे की फसलों की अपेक्षा कम होती है. इस की फसल कम नमी की अवस्था में भी बड़ी तेजी से वृद्धि करती है.
गिनी घास में उपलब्ध पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा और उस का स्वाद दुधारू पशुओं में दूध बढ़ाने में कारगर साबित होता है. गिनी घास की खेती आसान तरीकों से की जा सकती है. इस के लिए दोमट या बलुई दोमट उपयुक्त होती है, जिस में जलनिकासी की उचित व्यवस्था होना जरूरी है.
गिनी घास की फसल के लिए अम्लीय व क्षारीय मिट्टी उपयुक्त नहीं होती है. गिनी घास की फसल को छायादार स्थानों, मेंड़ों, नहरों के किनारे पर भी आसानी से उगाया जा सकता है.
गिनी घास की फसल लेने के लिए इस की बोआई सीधे बीज द्वारा, तने की कटिंग द्वारा या जड़ों की रोपाई कर की जा सकती है.