Veterinary Pathology : तमाम बीमारियों का पता लगाने के लिए पैथोलौजी जांच केवल इनसानों के लिए ही नहीं मवेशियों के लिए भी जरूरी है. वेटनरी पैथोलौजी (Veterinary Pathology) के जरीए मवेशियों की जान और किसानों की मेहनत की कमाई को बचाया जा सकता है.
पशुधन के नुकसान की सब से बड़ी वजह यह है कि किसानों और पशु पालकों को वेटनरी पैथोलौजी (Veterinary Pathology) के बारे में जरा भी जानकारी नहीं होती है, या फिर वे इस की जरूरत ही नहीं समझते हैं. मवेशियों के बीमार पड़ने या बीमारियों के लक्षण नजर आने पर पशु पालक घरेलू इलाजों में ही उलझे रह जाते हैं, जिस से मवेशी की तबीयत काफी बिगड़ जाती है.
पटना के नजदीक परसा बाजार गांव में डेरी का धंधा करने वाले मदन यादव कहते हैं कि जब कभी भी किसी मवेशी की चालढाल या खानपान वगैरह में बदलाव नजर आए, तो तुरंत ही डाक्टरों से उस की जांच करानी चाहिए. बीमारी के बढ़ने पर डाक्टरों को इलाज करने में परेशानी होती है और मवेशियों की जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है.
मदन ने बताया कि घरेलू इलाज के चक्कर में 7 साल पहले उस की 7 गायों की मौत हो गई थी, जिस से करीब 3 लाख रुपए का नुकसान हुआ था.
मवेशियों के डाक्टर सुरेंद्र नाथ कहते हैं कि पशुओं के लिए वेटनरी पैथोलौजी (Veterinary Pathology) समय की मांग है. इस से पशुधन को बचाने में मदद मिलती है. पशुधन की बरबादी के पीछे सब से बड़ी वजह घरेलू इलाज और झोलाछाप मवेशी डाक्टर ही हैं. वेटनरी पैथोलौजी बेजबान मवेशियों के दर्द और तकलीफ का पता लगाने का कारगर तरीका है. इस से समान लक्षण वाली बीमारियों में फर्क का पता चलता है और मवेशी का सही इलाज हो सकता है. सब से बड़ी बात यह है कि इस से पशुओं के इलाज पर पैसों की बरबादी नहीं होती है.
वेटनरी पैथोलौजी (Veterinary Pathology) के जरीए मवेशियों के मल, मूत्र, खून, ब्लड सीरम, दूध व लार वगैरह की जांच कर के वेटनरी डाक्टर आसानी से उन का सही इलाज कर सकते हैं. यह बात सभी पशु पालकों और किसानों को समझ लेनी चाहिए.
मवेशियों की पैथोलौजी जांच क्यों?
* मवेशियों के मल, मूत्र, दूध वगैरह का रंग कई बीमारियों में लाल या पीला हो जाता है. पैथोलौजी जांच से सही बीमारी का पता लगाया जा सकता है.
* अलगअलग इलाकों में अलगअलग जानवरों की बीमारियों के कीड़े पाए जाते हैं, जिन का असर भी मवेशियों पर अलगअलग होता है.
* बहुत सी बीमारियों के लक्षण जल्दी पता नहीं लगते हैं.
* गर्भ रोगों के लिए वेटनरी पैथोलौजी काफी जरूरी है. इस से बीमारियों के जीवाणु, विषाणु और फफूंदियों का आसानी से पता लगाया जा सकता है.
* पशु के सीरम में पोषक तत्त्वों के कम या ज्यादा होने की जानकारी ले कर खानपान में सुधार किया जा सकता है. अकसर होने वाले थनैला रोग में हर जानवर को एक ही दवा फायदा नहीं करती है, लिहाजा वेटनरी पैथोलौजी (Veterinary Pathology) में जांच कराने के बाद डाक्टर सही दवा तय कर पाते हैं.