Mango Festival : यह कोई नई बात नहीं है कि भारतीय फलों में आम की एक खास पहचान है. वसंत ऋतु में इस के पेड़ों में मंजरी आने के साथ ही इस की मदमाती खुशबू फिजा में फैलने लगती है. ज्योंज्यों गरमी बढ़ती है, आम के टिकोरे निकलने लगते हैं. इसी आम की सैकड़ों ही नहीं, हजारों वैराइटी हैं.
बिहार सरकार ने राजधानी पटना के भव्य सभागार ज्ञान भवन में 2 दिन के आम महोत्सव का आयोजन 28-29 जून, 2025 को किया, जिस में बिहार के विभिन्न जिलों के आम उत्पादक किसान सम्मिलित हुए.
उन्हीं में से एक भागलपुर के राकेश कुमार भी अपने खास जर्दालु आम की खेप के साथ आए थे. उन्होंने जानकारी दी कि जर्दालु आम को साल 2018 में जीआई टैग मिल चुका है, जिस से वे जोश में हैं. इस साल उन्होंने 5 टन आम खास पैकेजिंग कर दुबई भिजवाया है.
भागलपुर के गांव पीरपैंती के राकेश कुमार के खुद के 3 एकड़ के आम बागान में तकरीबन 300 आम के पेड़ हैं. इस के अलावा उन्होंने तकरीबन 300 आम बागान के मालिकों का सहकारिता समूह बना लिया है¸ जिस से उन्हें अपनी योजना को पूरा करने में कामयाबी मिल रही है. सरकार ने आम के निर्यात पर बढ़ावा दे कर उन का काम आसान किया है.
राकेश कुमार की तरह उत्तर बिहार के सैकड़ों आम बागान के किसानों ने आम महोत्सव में अपने स्टाल लगा रखे थे. वहां आम से बने विविध उत्पादकों की भी प्रदर्शनी लगी थी. यह भी व्यवस्था थी कि इच्छुक व्यक्ति उचित मूल्य पर वे उत्पाद खरीद सके. इस के अलावा इस महोत्सव की एक खासीयत यह भी थी कि विविध वैराइटी के आमों के पौधों की भी खरीदबिक्री की व्यवस्था थी.
सीतामढ़ी के जयप्रकाश सिंह पिछले 25 सालों से इस बिजनैस को कर रहे हैं. वे 22 एकड़ में विभिन्न किस्मों के आम उपजाते हैं. उन्होंने जानकारी दी कि वे हर साल तकरीबन 35 टन आम बेच लेते हैं.
इसी तरह भागलपुर के किसान आदित्य मिश्रा, नीरज, शिवम ने जानकारी दी कि वे लोग साल 2012 से आम की बागबानी में लगे हुए हैं और दूसरे देशों जैसे कनाडा, बेलारूस आदि में आम का निर्यात करते हैं. उन का आम कनाडा में 1,300 रुपए प्रति किलो, तो बेलारूस में 2,000 रुपए प्रति किलो तक बिकता है.
इस समारोह का मुख्य थीम था ‘पुराने बागों का जीर्णोद्धार, भावी पीढ़ी को उपहार’. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य राज्य की पारंपरिक आम के किस्मों और बागबानी की संस्कृति को पुनर्जीवित करना था. तकरीबन 5,000 किस्मों के आमों से सजे स्टालों में मालदा, लंगड़ा, अल्फांसो, दशहरी, चौसा, फजली, सुकुल, सिंदूरी, महमूद बहार, आम्रपाली से ले कर बिजू तक आम की अनेक किस्में मौजूद थीं. एक रोचक बात यह थी कि वहां 100 रुपए प्रति किलो से ले कर 2 लाख रुपए प्रति किलो तक के आम रखे गए थे.
इस समारोह के पहले दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्घाटन किया था. महोत्सव में मौजूद हजारों किस्म के आमों को देख कर उन्होंने इस की सराहना की और इसे और आगे ले जाने की जरूरत पर बल दिया. इस अवसर पर उन के साथ उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के अलावा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, कृषि मंत्री मंगल पांडेय और कृषि सचिव संजय अग्रवाल भी वहां मौजूद थे.
बिहार के उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने समारोह के समापन भाषण में जानकारी दी कि सरकार आम उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए पैकेजिंग अनुदान देगी. उद्यानिक फार्मों में आकर्षक वाटिकाओं का निर्माण कर बच्चों को प्रकृति से जोड़ने और पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाएगा.
इस अवसर पर बच्चों के लिए ‘आम खाओ प्रतियोगिता’ और ‘चित्रकला प्रतियोगिता’ का भी आयोजन किया गया था. प्रतियोगिता में चयनित 31 विजेताओं को उपमुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया.
इस समारोह में कृषि मंत्रालय के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने कहा कि आम सिर्फ एक फल नहीं, हमारी सांस्कृतिक और पारंपरिक धरोहर है और किसान आम के बागानों को अपनी धरोहर की तरह सींचें और संरक्षित करें.
इस अवसर पर उद्यान निदेशक अभिषेक कुमार, अपर निदेशक (शष्य) धनंजयपति त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक (उद्यान) राधा रमण, रोहित रंजन और ‘किसान चाची’ के नाम से मशहूर राजकुमारी देवी ने भी अपने विचार सब के सामने रखे.
इन लोगों के माध्यम से जानकारी मिली कि बिहार में आम के उत्पादन में पिछले 20 सालों में 82 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. आज 1.65 लाख हेक्टेयर बागों में 16 लाख टन आम का उत्पादन हो रहा है. सरकार किसानों को बेहतरीन बीज, पौधे, खाद मुहैया करा रही है. इस के साथ ही पौधों और वृक्षों के रखरखाव से संबंधित विभिन्न जानकारियां दे रही है.