धान की सीधी बोआई 2 विधि से की जाती है. एक विधि में खेत तैयार कर सीड ड्रिल/मल्टी क्राप सुपर सीडर द्वारा बीज बोया जाता है. बोआई के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है, वहीं दूसरी विधि में खेत में लेव लगा कर अंकुरित बीजों को ड्रम सीडर द्वारा बोया जाता है. बोआई से पूर्व धान के खेत को यथासंभव समतल कर लेना चाहिए.
धान की सीधी बोआई करते समय बीज को 2-3 सैंटीमीटर गहराई पर ही बोना चाहिए. मशीन द्वारा सीधी बोआई में कतार से कतार की दूरी 18-22 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 5-10 सैंटीमीटर होती है.
इस विधि में वर्षा होने से पूर्व खेत तैयार कर सूखे खेत में धान की बिजाई की जाती है. अधिक उत्पादन के लिए इस विधि से बोआई व जुताई करने के उपरांत जून के प्रथम सप्ताह में बैलचालित बोआई यंत्र (नारी हल में पोरा लगा कर) अथवा ट्रैक्टरचालित सीड ड्रिल/सुपर सीडर/मल्टी क्राफ्ट सुपर सीडर द्वारा करें.
धान की सीधी बोआई तकनीक से लाभ
धान की कुल सिंचाई की आवश्यकता का लगभग 20 फीसदी पानी रोपाई के लिए खेत मचाने (लेव) में प्रयुक्त होता है. सीधी बोआई तकनीक अपनाने से 20 से 25 फीसदी तक पानी की बचत होती है, क्योंकि इस इस विधि से धान की बोआई करने पर खेत में लगातार पानी बनाए रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है.
सीधी बोआई करने से रोपाई की तुलना में 25-30 श्रमिक प्रति हेक्टेयर की बचत होती है. इस विधि में समय की बचत भी हो जाती है, क्योंकि इस विधि में धान की पौध तैयार और रोपाई करने की जरूरत नहीं पड़ती है. धान की नर्सरी उगाने, खेत मचाने और खेत में पौध रोपने का खर्च बच जाता है.