Kharif Onion : भारत एक कृषि प्रधान देश है और प्याज यहां की एक खास फसल है, जिस का इस्तेमाल मसाला, सब्जी, सलाद व अचार के तौर पर खाने के लिए किया जाता है. इस के अलावा प्याज का औषधीय इस्तेमाल भी किया जाता है.
खरीफ प्याज की उन्नतशील किस्में
अर्का कल्यान, अर्का प्रगति, अर्का बिंदु, एग्रीफाउंड डार्क रेड, एग्रीफाउंड रोज, एन 53, एन 24-1, बसंत 780.
मिट्टी
प्याज की खेती निचली व भारी मिट्टी के अलावा सभी किस्म की मिट्टियों में की जाती है. दोमट व बलुई मिट्टी प्याज की खेती के लिए सब से अच्छी मानी जाती है.
नर्सरी के लिए जगह का चुनाव व पौधशाला का तैयारी
प्याज की पौधशाला हमेशा ऊंची जमीन पर तैयार करनी चाहिए यानी प्याज की पौधशाला जमीन से करीब 20 से 25 सेंटीमीटर ऊपर उठी होनी चाहिए ताकि पौधशाला से पौध सरलता से निकाली जा सके. पौधशाला घर के पास होनी चाहिए. पौधशाला ऐसी खुली जगह पर होनी चाहिए, जहां पर जानवरों से नुकसान का डर न हो. पौधाशाला की चौड़ाई 1.0 मीटर और लंबाई जरूरत के मुताबिक रखते हैं. करीब 4 से 5 मीटर लंबी क्यारियां बनाना भी ठीक होता है. क्यारियों के चारों तरफ जलनिकास के लिए नालियां जरूर बनाएं. पौधशाला में 1 किलोग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालें. बोआई से पहले पौधाशाला में 1 से 3 ग्राम फ्यूराडान मिला लें. पौधशाला को बोआई से 1 दिन पहले 2 ग्राम कैप्टान प्रति लीटर पानी से शोधित कर लेना चाहिए.
बीज की मात्रा
खरीफ मौसम में प्याज की नर्सरी के लिए तैयार की गई क्यारियों में उपचारित किए गए बीजों को 15 से 20 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से लाइन में बोएं. 1 एकड़ खेत के लिए प्याज के 3 लाख पौधों की जरूरत होती है, जिन के लिए करीब 1 किलोग्राम बीज लगता है. 1 हेक्टेयर खेत के लिए 12 से 15 किलोग्राम बीजों की जरूरत होती है.
बीजोपचार
बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों का उपचार किया जाता है. बोआई से पहले बीजों को 3 ग्राम कैप्टान या थाइरम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए.
बोआई का समय व पौधरोपण
खरीफ में प्याज की पौधशाला में बोआई जुलाई में करें. रोपाई के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार कर के पौधों की रोपाई अगस्त के मध्य में करना ठीक होता है. पौधों की रोपाई बोआई के 6 से 8 हफ्ते बाद की जाती है. प्याज की रोपाई के लिए खेत को समतल रखें. समतल खेत में मेंड़ बना कर प्याज की रोपाई करनी चाहिए, जिस के लिए लाइन से लाइन की दूरी 15 सेंटीमीटर और पौध से पौध की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. यदि पौध लंबी हो जाए, तो लगाने से पहले उसे ऊपर से काट देना चाहिए.
खाद व उर्वरक
प्याज में जड़ें काफी उथली होती हैं, इसलिए प्याज को ज्यादा पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है. खेत में उर्वरक की मात्रा मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करती है. फिर भी एक सामान्य मिट्टी में 150 से 160 किलोग्राम नाइट्रोजन व 75 से 80 किलोग्राम फास्फोरस की जरूरत होती है.
सिंचाई व खरपतवार नियंत्रण
प्याज में रोपाई के बाद हलकी सिंचाई की जरूरत होती है. बल्ब (शल्ककंद) के निर्माण व वृद्धि के समय सिंचाई की बहुत जरूरत होती है. प्याज की खुदाई के 7 से 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, इस से कंद मजबूत हो जाते हैं. इस से प्याज की भंडारण कूवत भी बढ़ जाती है.
प्याज में खरपतवार नियंत्रण के लिए स्टांप का 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई से पहले या 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई के बाद छिड़काव करें. खरपतवारनाशी के इस्तेमाल के बावजूद रोपाई के 45 दिनों बाद एक बार हाथों से खरपतवार निकालना भी जरूरी होता है, यानी रोपाई के 45 दिनों बाद प्याज की गुड़ाई करनी चाहिए.
प्याज की खुदाई
हरे प्याज के रूप में इस्तेमाल करने के लिए खरीफ में फसल की रोपाई के 45 से 60 दिनों बाद प्याज की खुदाई की जा सकती है. शल्ककंद उत्पादन के लिए प्याज किस्मों के अनुसार 70 से 110 दिनों बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. फसल पकने पर पत्तियां सूखने लगती हैं और कंद का रंग उभरने लगता है. जब फसल की 50 फीसदी पत्तियां सूखने लगें और पौधा एक तरफ झुक जाए, तो फसल खुदाई के लिए तैयार मानी जाती है.
प्याज का भंडारण
भंडारण से पहले प्याज को 7 से 10 दिनों तक छायादार जगह में पतली तह बना कर सुखाना चाहिए. प्याज का भंडारण 8 से 25 किलोग्राम वाले जूट के बोरों या प्लास्टिक नेटेड पैकेटों में 0 से 2 डिगरी सेंटीग्रेड व 65 से 70 फीसदी आपेक्षित आर्द्रता पर 5 से 6 महीनों तक बिना किसी नुकसान के किया जा सकता है. भंडारण वाला कमरा नमी रहित व हवादार होना चाहिए.