Beekeeping : मधुमक्खीपालन कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाला रोजगार है. इस रोजगार में ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती और न किसी खास पढ़ाईलिखाई की जरूरत होती है. इस काम को खेती के साथसाथ सहरोजगार के रूप में किया जा सकता है. घरेलू औरतें भी इस काम को बखूबी कर सकती हैं. यही वजह है कि आज मधुमक्खीपालन का काम बहुत सी औरतें लघु रोजगार के रूप में कर रही हैं.

जरूरी बातें

कोई भी काम शुरू करने से पहले उस के बारे में जानकारी जरूर लेनी चाहिए, इसलिए मधुमक्खीपालन करने से पहले उस की ट्रेनिंग जरूर लें. इस से सही मधुमक्खी व सही जगह का चुनाव करना आसान हो जाता है. सही समय पर काम शुरू करें. अक्तूबरनवंबर मधुमक्खीपालन करने के लिए बहुत ही अच्छा समय है, क्योंकि तब अरहर की फसल बढ़ रही होती है और तोरिया यानी सरसों की फसल भी आने वाली होती है, जिन के फूलों से अच्छा पराग मिलता है. यह पूरा सीजन अप्रैलमई तक चलता है. ध्यान रखें कि मधुमक्खी किसी अच्छे संस्थान के प्रजनन केंद्र से लें.

मधुमक्खीपालन के लिए राज्य सरकारों की तमाम योजनाएं भी होती हैं. इस के लिए जिला उद्यान केंद्र, नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग जैसी कई संस्थाएं हैं, जहां से काम शुरू करने के लिए अनुदान भी मिलता है.

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कुछ और बातें जिन का ध्यान रखना जरूरी है:

* मधुमक्खीपालन के लिए आधुनिक उपकरण ही खरीदें, खासकर बक्से सही नाप के हों. कैल व देवदार की लकड़ी के बक्से अच्छे माने जाते हैं, ये मौसम के हिसाब से घटतेबढ़ते नहीं हैं. बक्सों पर फ्रेम सही फिट आने चाहिए.

* मधुमक्खीपालन के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें, जहां आसपास पराग व मकरंद भरपूर मात्रा में हो.

* चुनी गई जगह पर जंगली जानवर और पशुपक्षियों का खतरा नहीं होना चाहिए.

मधुमक्खीपालन के अलगअलग मौसम में अलगअलग तौरतरीके होते हैं, जिन्हें ट्रेनिंग के दौरान पूरी तरह से सीखा जा सकता है.

यहां से लें ट्रेनिंग:

कृषि विज्ञान केंद्र उजवा, नई दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में बना है. इस कृषि संस्थान से भी किसान मधुमक्खीपालन की ट्रेनिंग ले सकते हैं. यह ट्रेनिंग मुफ्त में दी जाती है, जो 1 हफ्ते की होती है. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद संस्थान से सर्टिफिकेट भी दिया जाता है. कम पढ़ेलिखे लोग भी इस ट्रेनिंग को ले कर अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं. संस्थान के फोन नंबर 011-65638199 पर आप अधिक जानकारी ले सकते हैं.

इस के अलावा किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से भी इस बारे में संपर्क कर सकते हैं.

ट्रेनिंग में बेसिक जानकारी के साथसाथ प्रैक्टिकल के रूप में भी शिक्षा दी जाती है.

नवंबर से जनवरी तक सरसों की फसल का मौसम चल रहा होता है. इस दौरान देश के अनेक भागों में मधुमक्खीपालन से अच्छा पराग इकट्ठा होता है.

कई दफा अनेक किसान मधुमक्खीपालकों को अपने खेतों में मधुमक्खीपालन करने के लिए बुलाते भी है और उन्हें आर्थिक सहयोग भी देते है, क्योंकि मधुमक्खीपालन में नर और मादा के संपर्क में आने से मक्खियां जब जगहजगह फूलों पर बैठती हैं तो फसल की पैदावार में 10 से 30 फीसदी का इजाफा भी होता है.

भारत में मधुमक्खियों की ये खास प्रजातियां पाई जाती हैं:

सारंग मौन : इस प्रजाति की मधुमक्खियां मकानों, चट्टानों, ऊंचे पेड़ों पर बड़े आकार के छत्ते बनाती हैं. इस प्रजाति को मौन ग्रहों में नहीं पाला जाता. भारत में 60 फीसदी शहद इसी प्रजाति से मिलता है.

भारतीय मौन : ये मधुमक्खियां पेड़ों के खोखले तनों, पहाड़ों की दीवारों की दरारों, खाली पेटियों वगैरह में अनेक छत्ते बनाती हैं. इस प्रजाति को मौनग्रहों में भी पाला जा सकता है. इस प्रजाति को घर छोड़ने की आदत भी होती है. ये अपने भोजन व बच्चों को छोड़ कर भी चली जाती हैं.

छोटी मौन : इस प्रजाति की मधुमक्खियों में भी घर छोड़ने की आदत होती है. इन्हें भी बक्सों में नहीं पाला जा सकता. छत्ता छोड़ते समय ये पराग व शहद ढो कर ले जाती हैं. इन के शहद में खास सुगंध होती है, जिस से शहद महंगा बिकता है.

मधुमक्खी के हर परिवार में 3 तरह की मक्खियां होती हैं, रानी मक्खी, कमेरिया मक्खी व नर मक्खी. परिवार में रानी मक्खी 1 ही होती है, जो आकार में सब से बड़ी होती है. रानी अपने जीवन में 1 ही बार संभोग करती है. तीनों प्रकार की मक्खियां एकजुट हो कर काम करती हैं. रानी मक्खी का मुख्य काम अंडे देना, नर मक्खी का काम रानी मक्खी को गर्भित करना और कमेरियों का काम पराग इकट्ठा करना है.

यूरोपियन मौन : यह प्रजाति यूरोप, अमेरिका व आस्ट्रेलिया में पाई जाती है. इसे बक्सों में पाला जा सकता है. इस की इटेलियन उपप्रजाति मधुमक्खीपालन और शहद उत्पादन के लिए सर्वोत्तम मानी गई है. इस नस्ल की शहद उत्पादन कूवत औसतन 30 से 40 किलोग्राम और अधिकतम 200 किलोग्राम प्रति वंश होती है.

Beekeepingजरूरी सामान : सब से पहले हमें मधुमक्खीपालन के लिए लकड़ी के बने बक्से लेने होते हैं, जिन्हें हम मौनग्रह भी कहते हैं. इस के अलावा मधुमक्खीपालन के लिए निम्न चीजों की जरूरत होती है:

मधुमक्खियों से बचाव के लिए जाली, हाथों पर पहनने के दस्ताने, मधुमक्खियों को काबू करने के लिए धुंआ करने वाला यानी स्मोकर, शहद निकालने का यंत्र, शहद छानने की छलनी, कमेरी मधुमक्खियों को रोकने का यंत्र, कपड़े का बना एप्रैन वगैरह.

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