बालाघाट : किरनापुर में कटंगी के रामेश्वर चौरिवार ने प्राकृतिक रूप से मशरूम की खेती करने के लिए अपने ही कुछ अलग ढंग से तैयारी की. कक्षा 8 वीं जमात तक पढ़े रामेश्वर केवीके, बड़गांव में मिले प्रशिक्षण से प्रभावित हुए और अमल में लाने के लिए प्रयास शुरू किए. अब तक उन्होंने 2 बार ढींगरी (औयस्टर) मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा लिया है.

उन्होंने बताया कि आत्मा परियोजना के अंतर्गत समयसमय पर आयोजित किए जाने वाले प्रशिक्षणों से उन्हें काफी लाभ हुआ है. इसी से प्रेरित हो कर इस की खेती की. इस के लिए उन्होंने 10*10 के कमरे में दीवारों पर टाट और सतह पर रेत का उपयोग व सुबहशाम स्प्रे कर कमरे को वातानुकूलित बनाया है, क्योंकि मशरूम की खेती के लिए तापमान का बड़ा महत्व होता है. इस के लिए 16 डिगरी से 25 डिगरी सैल्सियस तक तापमान मेंटेन करना पड़ता है.

200 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता है मशरूम
रामेश्वर ने बताया कि 45 से 90 दिनों की फसल होती है. गत वर्ष 30 बैग लगाए थे, जिस से उन्हें 60 से 70 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन हुआ, जिसे स्थानीय बाजार और बालाघाट में काफी अच्छा भाव मिला. यहां मशरूम 200 रुपए तक बिकता है. इस वर्ष तापमान के कारण उत्पादन कम हुआ, लेकिन भाव 200 से 250 रुपए प्रति किलोग्राम मिलने से अच्छा मुनाफा हुआ है.

दीनदयाल उन्नत खेती, नरेंद्र उद्यानिकी, हीरेंद्र रेशम और जंगल सिंह को पशुपालन के लिए किया सम्मान
आत्मा परियोजना औन एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन वर्ष 2023-24 के अंतर्गत जिले में उन्नत कृषि तकनीक एवं पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से उत्तम काम करने वाले 5 किसानों को जिला स्तरीय सर्वोत्तम पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस के अलावा 28 किसानों को विभिन्न श्रेणियों में विकासखंड स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. जिला स्तरीय सर्वोत्तम किसान को 25-25 हजार और विकासखंड स्तरीय सम्मान के रूप में 10-10 हजार रुपए की राशि प्रोत्साहन के रूप में प्रदान किए गए.

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