Laser Leveler : पानी के सीमित साधनों का सही इस्तेमाल कृषि उत्पादकता में टिकाऊ इजाफे के लिए बेहद जरूरी है. हरियाणा के कुछ भागों में भूमिगत पानी की गुणवत्ता अच्छी है, पर वहां धानगेहूं फसल चक्र अपनाए जाने के कारण भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. इसी प्रकार दूसरे इलाकों में, जहां नहरी पानी की उपलब्धता काफी कम है, भूमिगत पानी के ज्यादा दोहन के कारण पानी का स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है.

फसलों की उचित बढ़वार और पैदावार के लिए पानी का सही इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. जमीन को ही ढंग से समतल करना, सही सिंचाई विधियों का चुनाव करना, सही समय पर फसलों को पानी देना ही जल प्रबंधन क्रियाएं हैं, जिन को अपना कर अधिक क्षेत्र में सिंचाई की जा सकती है.

आधुनिक तकनीकों द्वारा सिंचाई के पानी के सही इस्तेमाल के बारे में बहुत से किसानों को जानकारी नहीं है. लेजर लैंड लेवलर एक आधुनिक तकनीक है, जिस में किरणों के द्वारा ट्रैक्टर के पीछे लगे बकेट को नियंत्रित कर के खेत को समतल किया जाता है.

लेजर लेवलर के भाग : लेजर लेवलर (Laser Leveler) के लिए 50 हार्स पावर के ट्रैक्टर की जरूरत पड़ती है. लेजर लेवलर के निम्नलिखित भाग होते हैं:

लेजर ट्रांसमीटर, लेजर रिसीवर, लेजर प्लेन रिसीवर मांझा (डै्रग बकेट) हाइड्रोलिक सिस्टम के साथ व कंट्रोल बौक्स.

ऐसे काम करता है लेजर लेवलर  (Laser Leveler) :  इस में लेजर ट्रांसमीटर लेजर बीम छोड़ता है, जो कि लेवलिंग बकेट पर लगे लेजर रिसीवर पर पड़ती है. रिसीवर किरणों के बीच में रहते हुए लीड के द्वारा जुड़े कंट्रोल बौक्स को ऊपर या नीचे जाने के लिए सिग्नल भेजता है.

कंट्रोल बौक्स में उसी समय विद्युत की सप्लाई हाइड्रोलिक सिस्टम को जाती है, जिस से हाइड्रोलिक तेल की सप्लाई बकेट के पीछे टायरों के बीच में लगे हाइड्रोलिक सिलेंडर को मिलती है. हाइड्रोलिक सिलेंडर टायरों को ऊपरनीचे करता है, जिस के विपरीत बकेट ऊपरनीचे होती रहती है.

बकेट आगे व पीछे दोनों तरफ से पिनों के साथ जुड़ी होती है, इसलिए उस पर खेत के ऊंचा या नीचा होने का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. बकेट के एक सीमित ऊंचाई पर होने के कारण उस के आगे आने वाली मिट्टी कट कर आगे खिंची चली जाती है व जहां पर नीची जगह मिलती है, मिट्टी अपनेआप ही बकेट के नीचे से निकल कर फैलती है. इस से खेत अपनेआप समतल हो जाता है.

कार्य विधि : जमीन को समतल करने से पहले खेत में पानी लगाएं व खेत की 2 बार गहरी जुताई कर के सुहागा लगाएं ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए.

खेत का लेवल प्वाइंट तय करना : इस के लिए लेजर प्लेन रिसीवर व ग्रेड राड की सहायता से खेत में लगभग 15-16 जगहों की ऊंचाई ले कर उन का औसत निकाल लें, जो कि खेत का लेवल प्वाइंट होता है.

लेजर ट्रांसमीटर लगाना : लेजर ट्रांसमीटर को स्टैंड पर बिजली की लाइन से दूर ऐसी जगह लगाएं, जहां से लेवल किए जाने वाले खेत में किरणों को रुकावट न मिले.

खेत को समतल करना : सब से पहले खेत के लेवल प्वाइंट पर लेजर प्लेन रिसीवर (आई रिसीवर) की सहायता से बकेट को बांध कर लेजर रिसीवर से ट्रांसमीटर की किरणों के बीच में सैट कर देते हैं, फिर ट्रैक्टर को गोलाई में चला कर मिट्टी खेत में पूरी की जाती है, जिसे कटिंग फिलिंग कहते हैं.

10 सेंटीमीटर तक के ढाल वाले खेतों में मिट्टी आमतौर पर 1 बार में पूरी हो जाती है, जबकि ज्यादा ढाल वाले खेतों में बोआई कर के दोबारा इसी तरह से मिट्टी पूरी की जाती है. इस के बाद दूसरे चरण में ट्रैक्टर को पूरबपश्चिम व उत्तरदक्षिण में सीधा चला कर खेत को अंतिम बार समतल किया जाता है.

खेत समतल होने का समय : खेत समतल होने में लगने वाला समय खेत के आकार व ढाल पर निर्भर करता है. यदि खेत का ढाल 10 सेंटीमीटर से कम है, तो औसतन 2 घंटे प्रति एकड़ समय लगता है. आकार व ढलान जिस अनुपात में बढ़ेंगे समय भी उसी के अनुसार बढ़ता जाएगा.

आर्थिक लिहाज से व खेत की उर्वरा शक्ति को संतुलित बनाए रखने के लिए 1-2 हेक्टेयर का खेत साइज सही रहता है. एक बार लेवल किया गया खेत करीब 3-4 सालों तक समतल रहता है. इस के बाद धीरेधीरे जुताई के साथ लेवल बिगड़ना शुरू हो जाता है.

लेजर लेवलर (Laser Leveler) के लाभ

*  लेवल किए गए खेत में एक समान पानी लगने से उर्वरक वगैरह का सही इस्तेमाल होता है.

* फसल की पैदावार में लगभग 15-20 फीसदी तक की बढ़ोतरी होती है.

*  खेत समतल होने के कारण कृषि क्रियाओं जैसे जुताई, निराईगुड़ाई व बोआई वगैरह में समय की बचत होती है.

* खेत के जुताई क्षेत्रफल में 1-2 फीसदी का इजाफा होता है.

* एक समान पानी लगने से पानी की 30-40 फीसदी बचत होती है.

* खेत को तैयार करने में लगने वाले समय, ईंधन और ऊर्जा की बचत होती है.

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