रांची : भारत में कैंसर से प्रतिदिन 1,300 लोगों की मृत्यु होती है, इसलिए इस बीमारी से बचाव के लिए और हो जाने पर इस के सामयिक और प्रभावी इलाज के लिए समुचित कदम उठाना आवश्यक है.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर द्वारा एकत्रित आकंड़ों के अनुसार, देश में वर्ष 2022 में 14.61 लाख लोगों में कैंसर के मामले सामने आए, जिन में लगभग एकतिहाई लोगों की मौत हो गई.

परिषद के अनुसार, प्रत्येक 9 में से एक व्यक्ति को जीवन के किसी चरण में कैंसर होता ही है, इसलिए इस के कारणों के प्रति सतत सचेत रहना जरूरी है.

कांके स्थित टाटा ट्रस्ट द्वारा पोषित रांची कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र के चिकित्सा निदेशक डा. (कर्नल) मदन मोहन पांडेय ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में जागरूकता व्याख्यान देते हुए उक्त बातें कहीं.

उन्होंने आगे कहा कि बीमारी का देर से पता लगना, विशेषज्ञता वाले बड़े अस्पतालों का महानगरों में केंद्रित रहना, विशेषज्ञ डाक्टरों, नर्सों एवं ढांचागत सुविधाओं की कमी, महंगा इलाज, तंबाकू, शराब का उपयोग, भोजन में रेशे की कमी, मोटापा, गतिहीन जीवनशैली, रसायन उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण आदि इस के प्रमुख कारण हैं. जिन लोगों में कैंसर की पारिवारिक पृष्ठभूमि रही है, यानी मातापिता, दादादादी या भाईबहन में से कोई कैंसर का मरीज रहा हो, तो उन में कैंसर होने की संभावना 10-15 फीसदी रहती है, किंतु उन्हें कैंसर होगा ही, यह जरूरी नहीं है.

डा. मदन मोहन पांडेय ने बताया कि सुकुरहुट्टू, कांके में टाटा ट्रस्ट के सहयोग एवं संरक्षण से निर्मित आधुनिकतम सुविधाओं और मशीनों से लैस रांची कैंसर अस्पताल पिछले एक वर्ष से कार्यरत है, जो महानगरों में अवस्थित किसी भी कारपोरेट अस्पताल से कम विशेषज्ञता वाला नहीं है.

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