Krishi Mela : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में 21 और 22 सितंबर को 2 दिन का कृषि मेला (Krishi Mela) आयोजित हुआ, जिस में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय को देश का गौरव बताते हुए कहा कि कृषि मेला (Krishi Mela) किसानों और वैज्ञानिकों के बीच संवाद का एक मंच है. उन्होंने कृषि मेले को ज्ञान का खजाना बताते हुए किसानों से कहा कि किसान कृषि प्रदर्शनी में प्रदर्शित की जा रही कृषि की नवीनतम तकनीकों को अपने खेतों में जा कर अवश्य अपनाएं, ताकि कम लागत में अधिक पैदावार हासिल कर सकें.
उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से निबटने के साथसाथ कृषि वैज्ञानिक फसलों की ऐसी किस्में विकसित करें जो जलभराव की स्थिति में भी पूरी पैदावार दे सकें. कृषि वैज्ञानिक कृषि के विकास और किसानों की समस्याओं के लिए निरंतर शोधकार्यों को जारी रखें.
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य के लिए संसाधनों का संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि खेती का हर कदम प्राकृतिक संतुलन के साथ आगे बढ़ाना होगा, ताकि लोगों को जहरमुक्त एवं गुणवत्ता से भरपूर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा सके.
प्रदेश में नकली बीज और कीटनाशकों की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए कानून बनाया गया है. इस तरह के व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों एवं दुकानदारों से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि वे भी इस में सहयोग करने के लिए आगे आएं. राज्य सरकार किसानों के साथ खड़ी है.
सरकारी योजनाओं का किसान लें फायदा
भारी बारिश और प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हुई किसानों को फसलों का ई क्षति पूर्ति पोर्टल पर पंजीकरण करवा सकते हैं. सरकार द्वारा किसानों के कल्याणार्थ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, भावान्तर भरपाई योजना, मेरी फसल मेरा ब्योरा, मेरा पानी मेरी विरासत सहित अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं. फसल अवशेष प्रबंधन के दृष्टिगत किसानों को जागरूक किया जा रहा है. किसान पराली को न जलाएं, क्योंकि इसे न केवल वायु प्रदूषण होता है, बल्कि इस से भूमि की उर्वराशक्ति भी प्रभावित होती है.
मुख्यमंत्री ने हर घर छांव हर घर फल योजना की भी शुरुआत की. इस योजना के तहत प्रदेश के 22 जिलों के 110 गांवों में फलदार पौधों का नि:शुल्क वितरण किया जाएगा.
22 सितंबर से धान खरीद शुरू
कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए धान की खरीद जो कि 1 अक्तूबर से शुरू की जानी थी, उसे अब 22 सितंबर से शुरू कर दिया गया है.
उन्नत किस्मों की मांग पूरे देश में बढ़ती जा रही है
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा पिछले 4 वर्षों के दौरान विभिन्न फसलों की 44 किस्में विकसित की गई हैं, जिन में विशेषतौर पर गेहूं, सरसों एवं चारा फसलों की कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली किस्में शामिल हैं. हकृवि द्वारा विकसित की गई उन्नत किस्मों की मांग हरियाणा के साथ अन्य राज्यों में भी बढती जा रही है.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद की जा रही नवीनतम तकनीकों एवं शोधकार्यों से किसान अन्नदाता से उद्यमी बनने की ओर अग्रसर हो रहे हैं. उन्होंने गन्ने की अधिक उत्पादन देने वाली सीओएच 176 व सीओएच 188 एवं धान की कम अवधि की किस्म एचकेआर 49 के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन, फसल विविधीकरण और समेकित कृषि प्रणाली अपना कर फसलों का अधिक उत्पादन के साथसाथ अधिक लाभ कमा सकते हैं और प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रख सकते हैं.
हकृवि प्रतिवर्ष तकरीबन 25 हजार क्विंटल उन्नत किस्मों का बीज किसानों को उपलब्ध करवाता है व अन्य बीज बनाने वाली संस्थाओं को भी बीज उपलब्ध करवाता है. विश्वविद्यालय ने प्रदेश के प्रत्येक गांव से 20 किसान डिजिटल माध्यम से जोड़े हुए हैं और नई विकसित कृषि तकनीक को जल्दी से जल्दी किसानों तक पहुंचाया जा रहा है.
मत्स्यपालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. राजा शेखर वुंडरू ने प्रदेश में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि किसान कृषि के साथसाथ मछलीपालन अपना कर अतिरिक्त आय कमा सकते हैं.
विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने मेले में दी जाने वाली सुविधाएं जैसे मिट्टी पानी की जांच, बीज व पौध तथा कृषि साहित्य की उपलब्धता के साथ नई किस्मों के प्रदर्शन प्लाट के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी.