मुंबई : एशिया पैसिफिक प्लांट प्रोटेक्शन कमीशन ने भारत को नवंबर, 2022 के दौरान बैंकौक में आयोजित एशिया और पैसिफिक प्लांट प्रोटेक्शन कमीशन (एपीपीपीसी) के 32वें सत्र के दौरान 2023-24 के लिए कीट नियंत्रण उपायों को ले कर (आईपीएम) सर्वसम्मति से स्थायी समिति के द्विवार्षिक अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. आम के फलों पर कीट नियंत्रण उपायों के प्रबंधन के लिए सिस्टम दृष्टिकोण पर कार्यशाला का आयोजन एपीपीपीसी और कृषि मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 19 जून से 23 जून, 2023 तक वाशी, नवी मुंबई में किया जा रहा है.

भारत सरकार की कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने आशीष कुमार श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव (पीपी), कृषि और किसान कल्याण विभाग, डा. युबकधोज जीसी, कार्यकारी सचिव, एपीपीपीसी सचिवालय, डा. एसएन सुशील, निदेशक, आईसीएआर-एनबीएआईआर, एमओए एंड एफडब्ल्यू और डा. जेपी सिंह, पीपीए, डीपीपीक्यूएस की उपस्थिति में कार्यशाला का उद्घाटन किया.

उद्घाटन भाषण में शोभा करंदलाजे ने विश्वभर में बाजार उपलब्ध कराने के लिए कीटनाशक और अवशेषमुक्त फलों और सब्जियों के उत्पादन पर जोर दिया है, ताकि किसानों की आय में वृद्धि की जा सके.

उन्होंने कामना की कि कार्यशाला से मिलने वाले लाभ वसुधैव कुटुंबकम के भारत के आदर्श वाक्य का प्रसार करेंगे.

उन्होंने आगे कृषि निर्यात/व्यापार, किए जाने वाले उपायों और निर्यात प्रोत्साहन के लिए मिल कर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया.

संयुक्त सचिव (पीपी) आशीष कुमार श्रीवास्तव ने अंतर्राष्ट्रीय पादप संरक्षण सम्मेलन (आईपीपीसी), एपीपीपीसी और जिंसों के सुरक्षित ट्रांसबाउंड्री मूवमेंट के लिए फाइटोसैनेटरी मिटिगेशन में उन की भूमिका के बारे में जानकारी दी है.

इतना ही नहीं, उन्होंने भारत में आम के लिए सिस्टम के कार्यान्वयन पर अपने अनुभव साझा किए. इस सिलसिले में उन्होंने कृषि पंजीकरण/राज्य कृषि विभाग के साथ बाग पंजीकरण, किसान स्तर पर एकीकृत कीट प्रबंधन के आवेदन, कीट की नियमित निगरानी और कीट के समय पर प्रबंधन द्वारा सभी महत्वपूर्ण कृषि वस्तुओं के लिए सिस्टम दृष्टिकोण के विकास पर जोर दिया, जिस से सभी किसान यहां तक कि छोटे और सीमांत किसान भी निर्यात गुणवत्ता वाली उपज का उत्पादन कर सकें और कड़े उपचार से बचा जा सके.

आईसीएआर-एनबीएआईआर के निदेशक डा. एसएन सुशील ने पादप स्वच्छता उपायों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप भारत में सिस्टम दृष्टिकोण के सफल कार्यान्वयन की जानकारी दी और विशेष रूप से ग्रेपनेट के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त सिस्टम दृष्टिकोण को याद किया.

डीपीपीक्यू एंड एस के पौध संरक्षण सलाहकार और एपीपीपीसी-आईपीएम की स्थायी समिति के अध्यक्ष डा. जेपी सिंह ने अपने स्वागत भाषण में किसानों के पंजीकरण, किसानों द्वारा अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाने, कीट निगरानी और फाइटोसैनेटरी के माध्यम से भारत में सिस्टम और कीटनाशकमुक्त वैश्विक व्यापार के लिए उपचार के कार्यान्वयन की यात्रा साझा की.

एपीपीपीसी सचिवालय के कार्यकारी सचिव डा. युबकधोज ने कहा कि यह क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उत्पाद के सीमापारीय आवागमन के दौरान फ्रूटफ्लाई के प्रबंधन के लिए व्यावहारिक उपाय प्रदान करेगा.

एपीडा के निदेशक तरुण बजाज, कृषि के निर्यात में एपीडा (एपीईडीए) की भूमिका और भारत द्वारा लगभग 60 मिलियन डालर के ताजा आम का निर्यात करने की व्याख्या की.

बंगलादेश, इंडोनेशिया, लाओ, मलेशिया, नेपाल, फिलीपींस, समोआ, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम, भूटान के प्रतिभागियों ने कार्यशाला में प्रत्यक्ष रूप से और शेष देशों ने वर्चुअल रूप से भाग लिया. इस के अलावा, डीपीपीक्यूएस, फरीदाबाद, एपीईडीए, एमएसएएमबी के अधिकारियों और गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश के राज्य के बागबानी विभाग के अधिकारियों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया.

5 दिनों की कार्यशाला के दौरान आम के फलों पर कीट नियंत्रण उपायों के लिए सिस्टम के दृष्टिकोण पर विचारविमर्श, सभी प्रासंगिक आईएसपीएम की समीक्षा, आम कीट के लिए प्रीहार्वेस्ट इंटीग्रेटेड प्लांट हेल्थ मैनेजमेंट और एनपीपीओ केस स्टडी पर चर्चा की जाएगी और उक्त कार्यशाला में उपचार सुविधा और आम के बगीचे का दौरा भी किया जाएगा.

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