नई दिल्ली : चीनी की घरेलू कीमतों में तकरीबन 3 फीसदी की मामूली मुद्रास्फीति है, जो गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य यानी एफआरपी में वृद्धि के अनुरूप है.

वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीनी की कीमतें भारत की तुलना में तकरीबन 50 फीसदी अधिक हैं. देश में चीनी की औसत खुदरा कीमत तकरीबन 43 रुपए प्रति किलोग्राम है और इस के सीमित दायरे में ही बने रहने की संभावना है.

पिछले 10 वर्षों में चीनी की कीमतों में देश में 2 फीसदी से भी कम की वार्षिक मुद्रास्फीति रही है. व्यावहारिक सरकारी नीतिगत हस्‍तक्षेपों के परिणामस्वरूप चीनी की घरेलू कीमतों को थोड़ी वृद्धि के साथ स्थिर रखा गया है.

ठीक समय पर सरकार द्वारा कदम उठाए जाने से चीनी सैक्टर खतरे के बाहर आ गया है. चीनी सैक्टर के मजबूत बुनियादी वजहों और देश में गन्ने व चीनी के पर्याप्त से अधिक उत्पादन ने यह सुनिश्चित किया है कि चीनी तक प्रत्येक भारतीय उपभोक्ता की पहुंच सरल बनी रहे.

चालू चीनी सीजन (अक्तूबरसितंबर) 2022-23 के दौरान भारत में इथेनाल उत्पादन के लिए तकरीबन 43 एलएमटी के डायवर्जन के बाद 330 एलएमटी चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है. इस प्रकार देश में सुक्रोज का कुल उत्पादन तकरीबन 373 एलएमटी होगा, जो कि पिछले 5 वर्षों में दूसरा सब से अधिक है. इस के अतिरिक्त पिछले 10 वर्षों में चीनी के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

बहरहाल, उपभोग उसी अनुपात में नहीं बढ़ा है, जिस के कारण किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए पर्याप्त स्टाक की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है.

जुलाई के अंत में भारत के पास तकरीबन 108 एलएमटी का चीनी का स्टाक है, जो वर्ष 2022-23 के चालू चीनी सीजन के बचे हुए महीनों के लिए और सीजन के अंत में लगभग 62 एलएमटी के इष्टतम स्टाक के लिए भी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. इस प्रकार घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पूरे वर्ष उचित मूल्य पर पर्याप्त चीनी उपलब्ध है.

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