हाई प्रोटीन व ज्यादा उपज वाली गेहूं किस्में हों तैयार

उदयपुर : 28 अगस्त, 2023. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, नई दिल्ली डा. हिमांशु पाठक ने देशविदेश से आए हुए कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि हम भले ही गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुके हैं, लेकिन बदलते वैश्विक मौसम चक्र के मद्देनजर हमें शोध अनुसंधान के क्षेत्र में और तेजी व सजगता बरतनी होगी. प्रतिकूल मौसम का सामना करने वाली कई किस्में वैज्ञानिक ईजाद कर चुके हैं, तो कई पर शोध जारी है.

डा. हिमांशु पाठक पिछले दिनों यहां राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में आयोजित 62वीं अखिल भारतीय गेहूं व जौ अनुसंधान कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में देशविदेश के 400 से ज्यादा कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि कार्यशाला में किस्म पहचान समिति की बैठक में अच्छी उपज क्षमता व बीमारियों रहित उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों को भारतीय सरकार द्वारा विमोचन हेतु चिन्हित किया जाएगा. इस वर्ष गेहूं की 14 किस्मों व जौ की एक किस्म को चिन्हित करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएंगे.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि वर्ष 1990-91 के दशक में देश का कुल गेहूं उत्पादन 55.14 मिलियन टन के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 112.74 मिलियन टन पहुंच गया, जो कि एक रिकौर्ड है, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों को इसी से संतुष्ट होने की आवश्यकता नहीं है. वैज्ञानिकों को चाहिए कि गेहूं की हाई प्रोटीन वाली किस्मों पर परिणामदायक काम करें, जो चपाती, ब्रेड, बिसकुट और पास्ता के लिए उपयुक्त हो.

कार्यशाला में विभिन्न देशों में स्थित गेहूं एवं जौ पर कार्य कर रही अनेक शोध संस्थाओं (सिम्मिट, जिरकास, इकारड़ा, इक्रीसेट, एसएलयू, बीडब्ल्यूएमआरआई) के वैज्ञानिक भारतीय वैज्ञानिकों से गेहूं एवं जौ से जुडेे़ विभिन्न प्रमुख मुद्दों पर मंथन कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि आजादी के अमृत काल में गेहूं जैसे महत्वपूर्ण विषय पर उदयपुर में गहन मंथन के सार्थक परिणाम अवश्य निकलेंगे. बढ़ती आबादी व ज्यामितीय प्रगति से गेहूं की मांग निरंतर बढ़ेगी. ‘सभी के लिए भोजन व पोषण’ कृषि वैज्ञानिकों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि कुपोषण की व्यापकता के कारण गरीब परिवारों का एकमात्र आहार अनाज ही है. खाद्यान्नों में खासकर गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों, आयरन के स्तर को बढ़ाना व बायोफोर्टिफिकेशन के माध्यम से अनाज में जिंक व बढ़ी जैव उपलब्धता से बच्चों व गर्भवती महिलाओं को फायदा पहुंचाना कृषि वैज्ञानिकों का अहम लक्ष्य होना चाहिए.

कार्यक्रम को अध्यक्ष एवं उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान) डा. तिलक राज शर्मा, विशेष अतिथि एवं एडीजी डा. डीके यादव एवं डा. एसके प्रधान आदि ने भी संबोधित किया. आरंभ में निदेशक भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने वर्ष 2022-23 का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. डा. अरविंद वर्मा, अनुसंधान निदेशक ने स्वागत उद्बोधन दिया.

कृषि मंत्रालय ने किया 8वें रोजगार मेले का आयोजन

नई दिल्ली/भोपाल : 28 अगस्त 2023, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार मेले में वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा नवनियुक्त भरती के 51,000 से अधिक नियुक्तिपत्र वितरित किए. देशभर में यह मेला 45 जगह आयोजित किया गया.

रोजगार मेले का आयोजन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आतिथ्य में हुआ, जहां उन्होंने युवाओं को सरकारी नौकरी से आगे बढ़ कर सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से निरंतर बढ़ रहे रोजगार के अपार अवसरों का लाभ उठाने का आह्वान किया.

इस बार रोजगार मेले का आयोजन ऐसे माहौल में हो रहा है, जब देश गर्व व आत्मविश्वास से भरा हुआ है. हमारा चंद्रयान व रोवर,  प्रज्ञान लगातार चंद्रमा से ऐतिहासिक तसवीरें भेज रहा है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि सेना और पुलिस सेवा में आ कर सुरक्षाबलों के साथ जुड़ कर हर युवा का सपना होता है कि वो देश की रक्षा का प्रहरी बने और इसलिए आप पर बहुत बड़ा दायित्व होता है. आप की जरूरतों के प्रति भी सरकार बहुत गंभीर है.

बीते कुछ वर्षों में अर्धसैनिक बलों की भरती प्रक्रिया में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. आवेदन से ले कर चयन तक की प्रक्रिया में तेजी लाई गई है. अर्धसैनिक बलों में भरती के लिए परीक्षा अब 13 स्थानीय भाषाओं में भी कराई जा रही है, जबकि पहले सिर्फ हिंदी या अंगरेजी चुनने का ही विकल्प होता था, अब मातृभाषा का मान बढ़ा है. इस बदलाव से लाखों युवाओं के लिए रोजगार के रास्ते खुल गए हैं.

Farmingपिछले वर्ष भी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में सैकड़ों आदिवासी युवकों को नियमों में छूट दे कर सुरक्षाबल में भरती पाने का अवसर दिया, ताकि विकास की मुख्यधारा से जुड़े रहे. इसी तरह बौर्डर डिस्ट्रिक्ट व उग्रवाद प्रभावित जिलों के युवाओं के लिए कांस्टेबल भरती परीक्षा में कोटा बढ़ाया गया है. सरकार के प्रयासों से अर्धसैनिक बलों को लगातार मजबूती मिल रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुरक्षा का वातावरण, कानून का राज, विकास की रफ्तार को तेज कर देता है. आप उत्तर प्रदेश का उदाहरण ले सकते हैं. कभी उत्तर प्रदेश विकास के मामले में बहुत पीछे था और अपराध के मामले में बहुत आगे, लेकिन अब कानून का राज स्थापित होने से उत्तर प्रदेश विकास की नई ऊंचाई छू रहा है. कभी गुंडोंमाफिया की दहशत में रहने वाले उत्तर प्रदेश में आज भयमुक्त समाज की स्थापना हो रही है. कानून व्यवस्था का ऐसा शासन लोगों में विश्वास पैदा करता है और जब अपराध कम हुआ है, तो उत्तर प्रदेश में निवेश भी बढ़ रहा है. इस के उलट हम ये भी देखते हैं कि जिन राज्यों में अपराध चरम पर है, वहां निवेश उतना कम हो रहा है, रोजीरोटी के सारे काम ठप पड़ जाते हैं. अर्थव्यवस्था की वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हर क्षेत्र बढ़े. विस्तार के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुनियादी ढांचा विकास का जिक्र करते हुए बताया कि पिछले 9 साल में केंद्र सरकार ने बुनियादी ढांचे पर 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं, इस से कनेक्टिविटी के साथ पर्यटन आतिथ्य को बढ़ावा मिल रहा है, नई नौकरियां भी पैदा हो रही हैं. भारत द्वारा रिकौर्ड निर्यात करना वैश्विक बाजार में, भारत में बने सामानों की बढ़ती मांग का संकेत है. परिणामस्वरूप उत्पादन बढ़ा है, रोजगार बढ़ा है व परिवारों की आय भी बढ़ रही है.

उन्होंने आगे कहा कि वो दिन दूर नहीं, जब मोबाइल की तरह ही भारत में बने एक से बढ़ कर एक लैपटौप, टैबलेट व कंप्यूटर दुनिया में हमारी शान बढ़ाएंगे. ‘वोकल फौर लोकल’ के मंत्र पर चलते हुए सरकार मेड इन इंडिया लैपटौप, कंप्यूटर जैसे अनेक प्रोडक्ट्स खरीदने पर जोर दे रही है. इस से मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है, युवाओं के लिए रोजगार के नए मौके भी बन रहे हैं. योजना में 9 वर्षों में 50 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले हैं. योजना ने गरीबों और वंचितों तक सीधे लाभ पहुंचाने में मदद की है. साथ ही, आदिवासियों, महिलाओं, दलितों व अन्य वंचित वर्गों के रोजगारस्वरोजगार में मदद की है. 21 लाख से अधिक युवा बैंक मित्र या बैंक सखी रूप में कार्यरत हैं. जनधन खातों ने गांवों में महिला स्वयंसहायता समूहों को मजबूत किया है.

सशस्त्र सीमा बल अकादमी (एसएसबी) द्वारा बैरागढ़, भोपाल में आयोजित मेले में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि हम इस वर्ष 10 लाख युवाओं को शासकीय रोजगार से जोड़ेंगे, प्रसन्नता है कि अभी तक तकरीबन 5 लाख युवाओं को रोजगार मिल चुका है.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह भी कहा कि तकनीक व जनधन खातों का कमाल है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 2.61 लाख करोड़ रुपए किसानों के खातों में जमा कराए हैं. विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों की योजनाओं में 9 वर्षों में डीबीटी के माध्यम से 25 लाख करोड़ रुपए देश की जनता तक शतप्रतिशत पहुंचे हैं, न कोई बिचौलिया और न कमीशन एजेंट, यह देश की बड़ी सफलता है. पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए बड़ीबड़ी बातें नहीं, नीति और नीयत का ठीक होना जरूरी होता है.

Farmingभोपाल में एसएसबी के निदेशक संजीव शर्मा, इंदौर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, केंद्र व प्रदेश सरकार के अधिकारी व नवनियुक्ति कार्मिक उपस्थित थे.

सीता के जुड़वां शावकों का पहला जन्मदिन

नई दिल्ली: राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में प्यारी सफेद बाघिन सीता के जुड़वां शावकों अवनी और व्योम का पहला जन्मदिन हर्षोल्लास से मनाया गया. इस अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के महानिदेशक और एसएस, चंद्र प्रकाश गोयल मुख्य अतिथि और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के सदस्य सचिव डा. एसके शुक्ला विशेष अतिथि के रूप उपस्थित थे. उत्सव का मुख्य आकर्षण केक काटने की रस्म थी, जो नागरिकों और वन्यजीवों के बीच जुड़ाव के लिए शावकों के महत्व का प्रतीक था.

उत्सव में भाग लेने के लिए 11वीं कक्षा के छात्रों को आमंत्रित किया गया था. इस कार्यक्रम ने छात्रों को बाघों और जैव विविधता संरक्षण में उन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानने का एक अनूठा शैक्षिक अवसर प्रदान किया.

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान ने प्रत्येक उपस्थित छात्र को एक पौधा उपहार में दे कर पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की. इस पहल का उद्देश्य न केवल उन की भागीदारी के लिए आभार व्यक्त करना था, बल्कि भावी पीढ़ियों के बीच पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी पैदा करना था.

शावक अवनि और व्योम के पहले जन्मदिन का जश्न मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए चिड़ियाघर के समर्पण का एक प्रमाण है. वर्तमान में राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में 2 किस्मों के 12 बाघ हैं. इन में से 7 सामान्य रंग के रौयल बंगाल टाइगर (पैंथरा टाइग्रिस) हैं और 5 सफेद बाघ (पैंथरा टाइग्रिस) कलर म्यूटेशन हैं.

जलीय कृषि के क्षेत्र में मिलेगा नार्वे का साथ

नई दिल्ली : मत्स्यपालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में भारत और नार्वे के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल नार्वे की यात्रा पर गया.

प्रतिनिधिमंडल में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डा. एल. मुरुगन, मत्स्यपालन विभाग की संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे.

इस दौरान ट्रानहैम स्पैक्ट्रम, क्लोस्टरगाटा में एक्वा नौर 2023 ट्रेड शो, जो एक्वाकल्चर प्रौद्योगिकी और नवाचार के लिए दुनिया के सब से बड़े ट्रेड शो में से एक है, के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के बाद प्रतिनिधिमंडल ने एक्वाजेन का दौरा किया, जो एक शोध उन्मुख प्रजनन कंपनी है. यह वैश्विक जलीय कृषि उद्योग में आनुवंशिक स्टार्टर सामग्री और निषेचित अंडे का विकास, निर्माण और वितरण करती है.

परशोत्तम रूपाला और डा. एल. मुरुगन ने एक्वाजेन के सीईओ नट रोफ्लो के साथ संयुक्त सहयोग के अवसरों पर चर्चा की.

इस मौके पर परशोत्तम रूपाला ने डा. एल. मुरुगन के साथ प्रदर्शनी में जलीय कृषि और मत्स्यपालन से संबंधित उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने वाले भारतीय प्रतिभागियों से बातचीत की.

केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला ने वैश्विक बाजार में भारतीय जलीय कृषि और मत्स्यपालन उत्पादों की गुणवत्ता और विविधता को बढ़ावा देने में भारतीय प्रदर्शकों के प्रयासों की सराहना की.

प्रतिनिधिमंडल ने जलीय कृषि और मत्स्यपालन क्षेत्र में सहयोग के लिए विभिन्न मुद्दों और अवसरों पर भी विचारविमर्श किया.

नार्वे में भारत के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के लिए एनटीएनयू सीलैब के दौरे की भी व्यवस्था की गई थी. प्रतिनिधिमंडल को महासागर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ प्रोफैसर केजेलइंग रीटन और प्रोफैसर बेंग्ट फिनस्टैड ने जानकारी दी.

एनटीएनयू सीलैब एक अंतःविषयी अनुसंधान केंद्र है, जिस का उद्देश्य नीली अर्थव्यवस्था के लिए स्थायी समाधान विकसित करना है.

प्रतिनिधिमंडल ने प्रयोगशाला सुविधा का भी दौरा किया और एनटीएनयू द्वारा किए जा रहे अत्याधुनिक अनुसंधान और नवाचारों को देखा. एनटीएनयू नार्वे में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सब से बड़ा विश्वविद्यालय है.

प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा के दौरान स्केलएक्यू के केज कल्चर के प्रदर्शन क्षेत्र को देखा, जो जलीय कृषि प्रौद्योगिकी और नवाचार में एक अग्रणी कंपनी है.

Farmingप्रतिनिधिमंडल ने स्केलएक्यू के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ भी बातचीत की और मत्स्यपालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में सहयोग और सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा की.

प्रतिनिधिमंडल को स्केलएक्यू द्वारा प्रस्तुत विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के बारे में जानकारी दी गई, जिस में मछली फार्म समाधान, केज और हेचरी सिस्टम और सैमन उद्योग के लिए विशेष उपकरण शामिल हैं.

प्रतिनिधिमंडल ने जलीय कृषि की उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाने के लिए स्केलएक्यू द्वारा उपयोग की जाने वाली कुछ नवीन प्रौद्योगिकियों का लाइव प्रदर्शन भी देखा.

प्रतिनिधिमंडल को स्केलएक्यू द्वारा पेश किए गए विभिन्न उत्पादों और सेवाओं के बारे में जानकारी दी गई, जो विश्व स्तर पर ग्राहकों को नवाचार, प्रौद्योगिकी और उपकरण प्रदान करता है.

प्रतिनिधिमंडल ने स्केलएक्यू के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ भी बातचीत की और सहयोग व साझेदारी के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा की. यह यात्रा उपयोगी और फलदायी रही व दोनों पक्षों ने जलीय कृषि क्षेत्र में भारत और नार्वे के बीच संबंधों को और मजबूत करने में अपनी रुचि व्यक्त की.

गैरबासमती चावल के निर्यात पर लगेगी रोक

नई दिल्ली: केंद्र सरकार घरेलू मूल्यों को नियंत्रित करने और घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है. इस संदर्भ में 20 जुलाई,2023 से गैरबासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया. यह देखा गया है कि निर्धारित किस्मों पर प्रतिबंध के बावजूद वर्तमान वर्ष के दौरान चावल का निर्यात अधिक रहा है. 17 अगस्त 2023 तक चावल का कुल निर्यात (टूटे हुए चावल को छोड़ कर, जिस का निर्यात निषिद्ध है) पिछले वर्ष की इसी अवधि के 6.37 एमएमटी की तुलना में 7.33 एमएमटी रहा और इस में 15.06 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. उबले हुए चावल और बासमती चावल के निर्यात में भी तेजी देखी गई है. इन दोनों किस्मों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था. उबले हुए चावल के निर्यात में 21.18 फीसदी (पिछले वर्ष के दौरान 2.72 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 3.29 एमएमटी) बढ़ा है, वहीं बासमती चावल के निर्यात में 9.35 फीसदी की वृद्धि हुई है (पिछले वर्ष के दौरान 1.70 एमएमटी की तुलना में चालू वर्ष के दौरान 1.86 एमएमटी).

गैरबासमती सफेद चावल का निर्यात, जिस में 9 सितंबर, 2022 से 20 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया गया था और 20 जुलाई, 2023 से निषिद्ध कर दिया गया है, में भी 4.36 फीसदी (पिछले वर्ष के दौरान 1.89 एमएमटी की तुलना में 1.97 एमएमटी) की वृद्धि दर्ज की गई है.

दूसरी ओर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, रबी सत्र 2022-23 के दौरान उत्पादन 158.95 एलएमटी रहा, जबकि 2021-22 के रबी सत्र के दौरान यह 184.71 एलएमटी था, और इस में 13.84 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एशियाई देशों से खरीदारों की मजबूत मांग, थाईलैंड जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में 2022-23 में दर्ज उत्पादन व्यवधान और अल नीनो की शुरुआत के संभावित प्रतिकूल प्रभाव की आशंका के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें पिछले साल से लगातार बढ़ रही हैं. एफएओ चावल मूल्य सूचकांक जुलाई, 2023 में 129.7 अंक तक पहुंच गया, यह सितंबर, 2011 के बाद से उच्चतम स्तर था. गत वर्ष के स्तर के मुकाबले इस में 19.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. भारतीय चावल की कीमतों की अभी भी अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से कम होने के कारण भारतीय चावल की मजबूत मांग रही है, जिस के परिणामस्वरूप 2021-22 और 2022-23 के दौरान इस का रिकौर्ड निर्यात हुआ है.

सरकार को गैरबासमती सफेद चावल के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात के संबंध में विश्वसनीय जमीनी रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं, जिन के निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से रोक लगा दी गई है. गैरबासमती सफेद चावल का निर्यात उबला हुआ चावल और बासमती चावल के एचएस कोड के तहत करने की जानकारी प्राप्त हुई है.

कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) बासमती चावल के निर्यात के नियमन के लिए उत्तरदायी है और इस के लिए पहले से ही एक वैब आधारित प्रणाली मौजूद है, इसलिए सरकार ने बासमती चावल के नाम पर सफेद गैरबासमती चावल के संभावित अवैध निर्यात को रोकने के लिए अधिक उपाय शुरू करने के लिए एपीडा को कुछ निर्देश जारी किए हैं.

इस निर्देश के तहत केवल 1,200 अमेरिकी डालर प्रति मीट्रिक टन और उस से अधिक मूल्य के बासमती निर्यात के लिए अनुबंधों को पंजीकरण सह आवंटन प्रमाणपत्र (आरसीएसी) जारी करने के लिए पंजीकृत किया जाना चाहिए. इस के अलावा 1,200 अमेरिकी डालर प्रति मीट्रिक टन से कम मूल्य वाली निविदाओं को स्थगित रखा जा सकता है और मूल्यों में अंतर और गैरबासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए इस मार्ग के उपयोग को समझने के लिए एपीडा के अध्यक्ष द्वारा गठित की जाने वाली समिति द्वारा इन का मूल्यांकन किया जा सकता है.

यह नोट किया गया है कि चालू माह के दौरान 1,214 अमेरिकी डालर प्रति मीट्रिक टन के औसत निर्यात मूल्य की पृष्ठभूमि में न्यूनतम अनुबंध मूल्य 359 अमेरिकी डालर प्रति मीट्रिक टन के साथ निर्यात किए जा रहे बासमती के अनुबंध मूल्य में काफी अंतर है.

समिति एक महीने की अवधि में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे, जिस के बाद बासमती के कम मूल्य के निर्यात पर निर्णय उद्योग जगत द्वारा उचित रूप से लिया जा सकता है.

एपीडा को इस मामले के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए व्यापार जगत के साथ परामर्श करना चाहिए और गैरबासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए इस प्रकार के किसी भी उपयोग को रोकने के लिए उन के साथ काम करना चाहिए.

देश में उर्वरक की कमी नहीं

नई दिल्ली: केंद्रीय रसायन और उर्वरक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने देश में उर्वरकों के इस्तेमाल व उन की उपलब्धता पर राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ बातचीत की. बैठक के दौरान उन्होंने नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और वैकल्पिक उर्वरकों को मैदानी स्तर पर प्रोत्साहन देने की प्रगति और इस सिलसिले में राज्यों द्वारा की गई पहलों का जायजा लिया.

बातचीत की शुरुआत में ही डा. मनसुख मांडविया ने सभी राज्यों को सूचित कर दिया था कि देश में उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. इस समय 150 लाख मीट्रिक टन उर्वरक मौजूद है. यह भंडारण न सिर्फ मौजूदा खरीफ मौसम में काम आएगा, बल्कि आने वाले रबी मौसम में भी उस की उपलब्धता सुनिश्चित रहेगी.

रासायनिक उर्वरकों के ज्यादा इस्तेमाल को कम करने की जरूरत

डा. मनसुख मांडविया ने मिट्टी की उर्वरता को बचाने के लिए रासायनिक उर्वरकों के ज्यादा इस्तेमाल को कम करने की जरूरत को उजागर किया.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने पीएम प्रणाम योजना के रूप में इस दिशा में पहले ही कदम उठा लिए हैं. इन प्रयासों में धीरेधीरे घुलने वाली सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड), नैनो यूरिया, नैनो डीएपी आदि के इस्तेमाल को भी शुरू किया जाना शामिल है. राज्य सरकारों ने भी इस संकल्प में सक्रिय भागीदारी करने की इच्छा व्यक्त की.

किसानों की सभी जरूरतों को एक ही स्थान पर पूरा करने के लिए ‘वन स्टौप शौप’

देशभर में पीएमकेएसके पहल पर चर्चा की गई, जो किसानों की सभी जरूरतों को एक ही स्थान पर पूरा करने के लिये ‘वन स्टौप शौप’ के रूप में काम करेगी.

उन्होंने राज्यों के कृषि मंत्रियों और राज्य सरकारों के अफसरों का आह्वान किया कि वे नियमित रूप से इन पीएमकेएसके का दौरा करें और किसानों को जागरूक करें.

Farmingगड़बड़ी करने वाली यूरिया संयंत्रों के खिलाफ एफआईआर

डा. मनसुख मांडविया ने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों का आग्रहपूर्वक आह्वान किया कि खेती के लिए उपयोगी यूरिया गैरकृषि कामों में इस्तेमाल न होने दें.

उन्होंने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से कहा कि इस सिलसिले में जागरूकता अभियान चलाएं, ताकि कृषि यूरिया को अन्यत्र स्थानांतरित करने की संभावना कम की जा सके और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए.

याद रहे कि इस मामले में केंद्र सरकार के उर्वरक उड़न दस्ते और विभिन्न कृषि विभागों, राज्य सरकारों ने संयुक्त निरीक्षण किया था और गड़बड़ी करने वाली यूरिया संयंत्रों के खिलाफ 45 एफआईआर की गई थीं. इस के अलावा 32 मिक्सचर संयंत्रों के लाइसेंस रद्द किए गए और 79 मिक्सचर संयंत्रों से उर्वरक के सारे अधिकार छीन लिए गए. इन सब के खिलाफ चोरबाजारी निवारण और आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम के तहत सख्त कार्यवाही की गई. राज्य सरकारों ने भी ऐसे अपराधियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की नरमी न बरती जाने की वकालत की.

बैठक में केंद्र और राज्यों ने एक स्वर में कहा कि वैकल्पिक उर्वरकों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने और रासायनिक उर्वरकों की ज्यादा खपत को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं.

हाल ही में जारी पीएम प्रणाम, यूरिया गोल्ड, नैनो यूरिया, नैनो डीएपी जैसी पहलों का राज्यों ने स्वागत किया. सभी ने किसान समुदाय के वृहद हितों को मद्देनजर रखते हुए इस मामले में अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए समान संकल्प व्यक्त किया.

बैठक में विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्रियों, राज्य सरकारों के अफसरों और उर्वरक विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

सजावटी मछलीपालन के विकास पर बैठक

नई दिल्ली: सचिव, मत्स्यपालन विभाग डा. अभिलक्ष लिखी ने सजावटी मत्स्यपालन के विकास के लिए उद्योग हितधारक परामर्श बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने पीएमएमएसवाई के अंतर्गत ज्ञान केंद्रों के लिए हौट स्पौट की पहचान करने, हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने और जानकारी का प्रसार करने के लिए हित समूहों तक पहुंच बढ़ाने, उद्योग के नजरिए से बाजार की स्थिति जानने के लिए चैंबर्स औफ कौमर्स के साथ जुड़ाव की सलाह दी.

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत समूहों में संघों और उत्कृष्टता केंद्रों पर ध्यान दिया जाएगा.

उन्होंने गुणवत्तापूर्ण उत्पादों, ब्रूड बैंकों, बीमारियों, रेफरल प्रयोगशालाओं आदि के मुद्दों पर छोटे समूहों में आगे विचारविमर्श करने की सलाह दी. विचारविमर्श का उद्देश्य जमीनी अनुभवों के आधार पर बाजार की जानकारी प्राप्त करना, क्षेत्रीय अंतर और चुनौतियों की पहचान करना और हितधारकों द्वारा संयुक्त कार्यवाही के लिए समाधान पर चर्चा करना था. इस विचारविमर्श का उद्देश्य सजावटी मत्स्यपालन क्षेत्र को प्रोत्साहित करने में मत्स्यपालन विभाग की प्रत्याशित भूमिका पर चर्चा भी शुरू करना था.

सागर मेहरा, संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) ने पीएमएमएसवाई के अंतर्गत सजावटी मत्स्यपालन क्षेत्र की प्रगति और अनुसंधान संस्थानों के साथ जुड़ाव के बारे में जानकारी दी.

बैठक के एजेंडे के अनुसार, क्षेत्र के विभिन्न प्रतिनिधियों को अपनी चुनौतियों, परेशानियों और सिफारिशों के बारे में बोलने के लिए कहा गया. चर्चा की शुरुआत सजावटी मछली उत्पादकों, निर्यातकों, प्रजनकों और राज्य के अधिकारियों के प्रतिनिधियों द्वारा शुरू की गई, जिस में प्रजनन प्रौद्योगिकियों, प्रशिक्षण और रोग निदान/रेफरल प्रयोगशालाओं, संगरोध केंद्रों, ब्रूड बैंक और ब्रूड स्टाक, बिजली शुल्क, सौर ऊर्जा के उपयोग आदि से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला गया. भारत सरकार से आयात शुल्क और सहायक उपकरण के लिए जीएसटी टैरिफ, अनुसंधान एवं विकास, स्वदेशी उपकरणों के उत्पादन आदि के संबंध में नीतिगत हस्तक्षेप और वित्तीय सहायता का अनुरोध किया गया, क्योंकि सजावटी सामान के लिए अधिकांश कच्चा माल आयात किया जाता है.

बैठक में उत्पादकों, खुदरा विक्रेताओं, निर्माताओं, निर्यातकों और व्यापार विशेषज्ञों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित 64 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

सीई, एनएफडीबी, भारत सरकार द्वारा इस बात पर प्रकाश डाला गया कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश आगे आ सकते हैं. तेलंगाना राज्य के लिए रंग बढ़ाने के लिए अनुकूलित फीड का समर्थन करने वाली नई परियोजना को भी मंजूरी दी गई है.

भारत को सजावटी मछली की विविध प्रजातियों के लिए उपयुक्त समृद्ध जलीय जैव विविधता का उपहार मिल है. देश के विभिन्न क्षेत्रों में अद्वितीय प्रजातियां हैं, जिन की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है. सजावटी मछली व्यापार में, विशेष रूप से ग्रामीण समुदायों और छोटे उद्यमियों के लिए महत्वपूर्ण आय और रोजगार के अवसर पैदा करने की पर्याप्त क्षमता है.

सजावटी मत्स्यपालन की संभावनाओं को देखते हुए, मत्स्यपालन विभाग ने ‘नीली क्रांति’ और ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ (पीएमएमएसवाई) के अंतर्गत प्रमुखता से सजावटी मछलीपालन को विकसित करने की योजना बनाई है.

विभाग द्वारा इस दिशा में की गई एक प्रमुख पहल के रूप में 29 फरवरी, 2016 को हितधारकों की बैठक और अप्रैल, 2016 में राष्ट्रीय परामर्श बैठक का आयोजन शामिल है. हितधारकों की बैठकों के परिणामस्वरूप, आगे के लिए नीति निर्माण और अन्य निर्णयों व कार्यों के लिए मुद्दों, चुनौतियों और सिफारिशों का एक संकलन तैयार किया गया. साथ ही, निजी उद्यमियों द्वारा प्रदर्शनियों, वैबिनार, पुस्तक/शोध पत्र प्रकाशन जैसी कई नई शुरुआत की गई हैं.

अच्छे बीज व उपज के लिए नई कोऔपरेटिव सोसाइटियां

गंगापुर सिटी : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राजस्थान के गंगापुर सिटी में सहकार किसान सम्मेलन को संबोधित किया. इस अवसर पर लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़ला और इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी सहित तमाम व्यक्ति उपस्थित थे.

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि देश के किसानों की दशकों पुरानी मांग को पूरा करते हुए देश में अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है.

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि केंद्र की सरकार ने देशभर के किसानों के हित के लिए कई योजनाएं चलाई हैं. ऐसी ही एक योजना में हर किसान को 6,000 रुपए दिए जा रहे हैं. इस के अलावा कई सारे कृषि ऋण और फसल बीमा के काम भी किए हैं.

उन्होंने आगे कहा कि पिछली सरकार के समय कृषि का बजट 22,000 करोड़ रुपए था, जिसे 6 गुना बढ़ा कर 1,25,000 करोड़ रुपए कर दिया है.

साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पहले किसानों को 7 लाख करोड़ रुपए का ऋण दिया गया था, जिसे बढ़ा कर 20 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचा दिया है.

Farmingमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में खाद्यान्न उत्पादन 265 मिलियन टन था, जो अब बढ़ कर 323 मिलियन टन तक पहुंच गया है. गेहूं की खरीदी 251 लाख मीट्रिक टन थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ा कर 433 लाख मीट्रिक टन कर दिया है. इस के साथ ही गेहूं की एमएसपी 1,400 रुपए से बढ़ा कर 2,100 रुपए करने का काम सरकार ने किया है. वहीं सरसों की एमएसपी 3,050 रुपए थी, इसे बढ़ा कर 5,400 रुपए करने का काम मोदी सरकार ने किया है.

अमित शाह ने कहा कि देश में प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी यानी पीएसीएस को मजबूत करने के लिए 20 से अधिक योजनाएं चल रही हैं.

उन्होंने आगे कहा कि आज इफको 3,500 से ज्यादा सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से देश में सहकारिता को मजबूत बनाने का काम कर रहा है.

उन्होंने यह भी कहा कि देश में 2 लाख नए पैक्स बना कर हर पंचायत में पैक्स को पहुंचाया जाएगा.

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि किसानों को अच्छा बीज मिले, वे अपनी उपज का निर्यात कर सकें और प्राकृतिक खेती करने वाले किसान आगे बढ़ सकें, इस के लिए 3 नई कोऔपरेटिव सोसाइटियों की स्थापना की है.

उन्होंने आगे कहा कि देशभर के किसानों के बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से 6,000 रुपए भेज कर एक सरकार ने किसान मित्र का काम किया है.

पशु स्वास्थ्य के लिए 25 मिलियन अमेरिकी डालर का अनुदान

नई दिल्ली: कोविड-19 की विनाशकारी मानव, आर्थिक और सामाजिक लागत ने मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण और महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए समन्वित कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है.

पिछले कुछ दशकों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 6 में से 5 घोषित सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों की अंतर्राष्ट्रीय चिंता का विषय पशु मूलक ही था. इस के परिणामस्वरूप यह स्पष्ट हो गया है कि किसी भी महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया (पीपीआर) को पशु स्वास्थ्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण अपनाए जाने की जरूरत है.

जी20 महामारी कोष ने महामारी की तैयारियों और प्रतिक्रियाओं के लिए भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (डीएएचडी) भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत 25 मिलियन डालर के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इंडोनेशिया की जी20 अध्यक्षता के तहत स्थापित महामारी कोष, कम और मध्यम आय वाले देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण निवेश का वित्तपोषण करता है.

महामारी कोष को अपने पहले आह्वान पर लगभग 350 अभिरुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) और 180 पूर्ण प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिन में केवल 338 मिलियन डालर के प्रस्ताव के मुकाबले 2.5 बिलियन डालर से अधिक के अनुदान अनुरोध किए गए थे.

महामारी कोष के गवर्निंग बोर्ड ने अपने पहले दौर के वित्तीय आवंटन के उद्देश्य के तहत 19 मांग को 20 जुलाई, 2023 को मंजूरी दी है, ताकि 6 क्षेत्रों के 37 देशों में भविष्य की महामारियों के लिए लचीलेपन को बढ़ावा दिया जा सके.

इस प्रस्ताव के तहत मुख्य उपायों में रोग निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत और एकीकृत करना, प्रयोगशाला नेटवर्क का उन्नयन और विस्तार करना, अंतरसंचालित डेटा प्रणाली में सुधार करना और जोखिम विश्लेषण एवं जोखिम संचार के लिए डेटा विश्लेषण के लिए क्षमता का निर्माण करना, सीमा पार पशु रोगों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत बनाना और सीमा पार सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग में भारत की भूमिका शामिल है.

महामारी कोष न केवल महामारी की रोकथाम, तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिए अतिरिक्त, समर्पित संसाधन उपलब्ध कराएगा, बल्कि यह निवेश में वृद्धि को भी प्रोत्साहित करेगा, भागीदारों के बीच समन्वय बढ़ाएगा और प्रोत्साहन मंच के रूप में काम करेगा. परियोजना का प्रभाव इस जोखिम को कम करना होगा कि जानवरों (पालतू और वन्य जीवों) से रोगाणु मानव आबादी में संचारित होगा, जो कमजोर आबादी के स्वास्थ्य, पोषण सुरक्षा और आजीविका को खतरे में डाल देगा.

यह परियोजना एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के सहयोग से विश्व बैंक और खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के साथ प्रमुख कार्यान्वयन इकाई के रूप में लागू की जाएगी.

प्याज का बफर 5 लाख मीट्रिक टन बढाया गया

नई दिल्ली : प्याज की बढ़ती कीमतों को स्थिर करने के लिए सरकार ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए 3 लाख मीट्रिक टन के प्रारंभिक खरीद लक्ष्य को प्राप्त करने के बाद इस वर्ष प्याज बफर की मात्रा को बढ़ा कर 5 लाख मीट्रिक टन कर दिया है.

इस संबंध में, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (एनएएफईडी) को प्रमुख उपभोग केंद्रों में खरीदे गए स्टाक के निबटान के साथसाथ अतिरिक्त खरीद लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक को एक लाख टन की खरीद करने का निर्देश दिया है. इस से बफर के प्याज का निबटान शुरू हो गया है, जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रमुख बाजारों को लक्षित करता है, जहां खुदरा कीमतें अखिल भारतीय औसत से अधिक हैं और/या पिछले महीने की तुलना में काफी अधिक हैं. बफर से लगभग 1,400 मीट्रिक टन प्याज लक्षित बाजारों में भेजा गया है और उपलब्धता बढ़ाने के लिए इसे लगातार जारी किया जा रहा है.

Onionप्रमुख बाजारों में प्याज की आपूर्ति करने के अलावा बफर से प्याज एनसीसीएफ की खुदरा दुकानों और मोबाइल वैन के माध्यम से खुदरा उपभोक्ताओं को 25 रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर भी उपलब्ध कराया जाएगा. आने वाले दिनों में अन्य संस्‍थाओं और ईकौमर्स मंचों को शामिल कर के प्याज की खुदरा बिक्री को उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाएगा.

बफर के लिए खरीद, लक्षित स्टाक जारी करने और निर्यात शुल्क लगाने जैसे सरकार द्वारा किए गए बहुआयामी उपायों से किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कर के किसानों और उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा और उपभोक्ताओं को वहनीय मूल्यों पर निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित होगी.