उदयपुर : 28 अगस्त, 2023. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, नई दिल्ली डा. हिमांशु पाठक ने देशविदेश से आए हुए कृषि वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि हम भले ही गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुके हैं, लेकिन बदलते वैश्विक मौसम चक्र के मद्देनजर हमें शोध अनुसंधान के क्षेत्र में और तेजी व सजगता बरतनी होगी. प्रतिकूल मौसम का सामना करने वाली कई किस्में वैज्ञानिक ईजाद कर चुके हैं, तो कई पर शोध जारी है.
डा. हिमांशु पाठक पिछले दिनों यहां राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार में आयोजित 62वीं अखिल भारतीय गेहूं व जौ अनुसंधान कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल (हरियाणा) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में देशविदेश के 400 से ज्यादा कृषि वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि कार्यशाला में किस्म पहचान समिति की बैठक में अच्छी उपज क्षमता व बीमारियों रहित उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों को भारतीय सरकार द्वारा विमोचन हेतु चिन्हित किया जाएगा. इस वर्ष गेहूं की 14 किस्मों व जौ की एक किस्म को चिन्हित करने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएंगे.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि वर्ष 1990-91 के दशक में देश का कुल गेहूं उत्पादन 55.14 मिलियन टन के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 112.74 मिलियन टन पहुंच गया, जो कि एक रिकौर्ड है, लेकिन कृषि वैज्ञानिकों को इसी से संतुष्ट होने की आवश्यकता नहीं है. वैज्ञानिकों को चाहिए कि गेहूं की हाई प्रोटीन वाली किस्मों पर परिणामदायक काम करें, जो चपाती, ब्रेड, बिसकुट और पास्ता के लिए उपयुक्त हो.
कार्यशाला में विभिन्न देशों में स्थित गेहूं एवं जौ पर कार्य कर रही अनेक शोध संस्थाओं (सिम्मिट, जिरकास, इकारड़ा, इक्रीसेट, एसएलयू, बीडब्ल्यूएमआरआई) के वैज्ञानिक भारतीय वैज्ञानिकों से गेहूं एवं जौ से जुडेे़ विभिन्न प्रमुख मुद्दों पर मंथन कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि आजादी के अमृत काल में गेहूं जैसे महत्वपूर्ण विषय पर उदयपुर में गहन मंथन के सार्थक परिणाम अवश्य निकलेंगे. बढ़ती आबादी व ज्यामितीय प्रगति से गेहूं की मांग निरंतर बढ़ेगी. ‘सभी के लिए भोजन व पोषण’ कृषि वैज्ञानिकों की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि कुपोषण की व्यापकता के कारण गरीब परिवारों का एकमात्र आहार अनाज ही है. खाद्यान्नों में खासकर गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों, आयरन के स्तर को बढ़ाना व बायोफोर्टिफिकेशन के माध्यम से अनाज में जिंक व बढ़ी जैव उपलब्धता से बच्चों व गर्भवती महिलाओं को फायदा पहुंचाना कृषि वैज्ञानिकों का अहम लक्ष्य होना चाहिए.
कार्यक्रम को अध्यक्ष एवं उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान) डा. तिलक राज शर्मा, विशेष अतिथि एवं एडीजी डा. डीके यादव एवं डा. एसके प्रधान आदि ने भी संबोधित किया. आरंभ में निदेशक भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल डा. ज्ञानेंद्र सिंह ने वर्ष 2022-23 का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. डा. अरविंद वर्मा, अनुसंधान निदेशक ने स्वागत उद्बोधन दिया.





पिछले वर्ष भी छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में सैकड़ों आदिवासी युवकों को नियमों में छूट दे कर सुरक्षाबल में भरती पाने का अवसर दिया, ताकि विकास की मुख्यधारा से जुड़े रहे. इसी तरह बौर्डर डिस्ट्रिक्ट व उग्रवाद प्रभावित जिलों के युवाओं के लिए कांस्टेबल भरती परीक्षा में कोटा बढ़ाया गया है. सरकार के प्रयासों से अर्धसैनिक बलों को लगातार मजबूती मिल रही है.
भोपाल में एसएसबी के निदेशक संजीव शर्मा, इंदौर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, केंद्र व प्रदेश सरकार के अधिकारी व नवनियुक्ति कार्मिक उपस्थित थे.
उत्सव में भाग लेने के लिए 11वीं कक्षा के छात्रों को आमंत्रित किया गया था. इस कार्यक्रम ने छात्रों को बाघों और जैव विविधता संरक्षण में उन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानने का एक अनूठा शैक्षिक अवसर प्रदान किया.
राष्ट्रीय प्राणी उद्यान ने प्रत्येक उपस्थित छात्र को एक पौधा उपहार में दे कर पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की. इस पहल का उद्देश्य न केवल उन की भागीदारी के लिए आभार व्यक्त करना था, बल्कि भावी पीढ़ियों के बीच पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी पैदा करना था.
प्रतिनिधिमंडल ने स्केलएक्यू के वरिष्ठ प्रबंधन के साथ भी बातचीत की और मत्स्यपालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में सहयोग और सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा की.
गड़बड़ी करने वाली यूरिया संयंत्रों के खिलाफ एफआईआर
मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में खाद्यान्न उत्पादन 265 मिलियन टन था, जो अब बढ़ कर 323 मिलियन टन तक पहुंच गया है. गेहूं की खरीदी 251 लाख मीट्रिक टन थी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ा कर 433 लाख मीट्रिक टन कर दिया है. इस के साथ ही गेहूं की एमएसपी 1,400 रुपए से बढ़ा कर 2,100 रुपए करने का काम सरकार ने किया है. वहीं सरसों की एमएसपी 3,050 रुपए थी, इसे बढ़ा कर 5,400 रुपए करने का काम मोदी सरकार ने किया है.
प्रमुख बाजारों में प्याज की आपूर्ति करने के अलावा बफर से प्याज एनसीसीएफ की खुदरा दुकानों और मोबाइल वैन के माध्यम से खुदरा उपभोक्ताओं को 25 रुपए प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर भी उपलब्ध कराया जाएगा. आने वाले दिनों में अन्य संस्थाओं और ईकौमर्स मंचों को शामिल कर के प्याज की खुदरा बिक्री को उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाएगा.