नई दिल्ली: सचिव, मत्स्यपालन विभाग डा. अभिलक्ष लिखी ने सजावटी मत्स्यपालन के विकास के लिए उद्योग हितधारक परामर्श बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने पीएमएमएसवाई के अंतर्गत ज्ञान केंद्रों के लिए हौट स्पौट की पहचान करने, हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने और जानकारी का प्रसार करने के लिए हित समूहों तक पहुंच बढ़ाने, उद्योग के नजरिए से बाजार की स्थिति जानने के लिए चैंबर्स औफ कौमर्स के साथ जुड़ाव की सलाह दी.

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत समूहों में संघों और उत्कृष्टता केंद्रों पर ध्यान दिया जाएगा.

उन्होंने गुणवत्तापूर्ण उत्पादों, ब्रूड बैंकों, बीमारियों, रेफरल प्रयोगशालाओं आदि के मुद्दों पर छोटे समूहों में आगे विचारविमर्श करने की सलाह दी. विचारविमर्श का उद्देश्य जमीनी अनुभवों के आधार पर बाजार की जानकारी प्राप्त करना, क्षेत्रीय अंतर और चुनौतियों की पहचान करना और हितधारकों द्वारा संयुक्त कार्यवाही के लिए समाधान पर चर्चा करना था. इस विचारविमर्श का उद्देश्य सजावटी मत्स्यपालन क्षेत्र को प्रोत्साहित करने में मत्स्यपालन विभाग की प्रत्याशित भूमिका पर चर्चा भी शुरू करना था.

सागर मेहरा, संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) ने पीएमएमएसवाई के अंतर्गत सजावटी मत्स्यपालन क्षेत्र की प्रगति और अनुसंधान संस्थानों के साथ जुड़ाव के बारे में जानकारी दी.

बैठक के एजेंडे के अनुसार, क्षेत्र के विभिन्न प्रतिनिधियों को अपनी चुनौतियों, परेशानियों और सिफारिशों के बारे में बोलने के लिए कहा गया. चर्चा की शुरुआत सजावटी मछली उत्पादकों, निर्यातकों, प्रजनकों और राज्य के अधिकारियों के प्रतिनिधियों द्वारा शुरू की गई, जिस में प्रजनन प्रौद्योगिकियों, प्रशिक्षण और रोग निदान/रेफरल प्रयोगशालाओं, संगरोध केंद्रों, ब्रूड बैंक और ब्रूड स्टाक, बिजली शुल्क, सौर ऊर्जा के उपयोग आदि से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डाला गया. भारत सरकार से आयात शुल्क और सहायक उपकरण के लिए जीएसटी टैरिफ, अनुसंधान एवं विकास, स्वदेशी उपकरणों के उत्पादन आदि के संबंध में नीतिगत हस्तक्षेप और वित्तीय सहायता का अनुरोध किया गया, क्योंकि सजावटी सामान के लिए अधिकांश कच्चा माल आयात किया जाता है.

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