जलवायु परिवर्तन पर एनएआरएस वैज्ञानिकों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला

नई दिल्ली : 22 मई से 26 मई, 2023 तक बायोवर्सिटी इंटरनेशनल-सीआईएआरटी ग्लोबल एलायंस के सहयोग से आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा ‘बदलती जलवायु के तहत कृषि प्रबंधन के लिए फसल सिमुलेशन मौडलिंग’ पर पांचदिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया.

डा. राजवीर सिंह, सहायक महानिदेशक (कृषि, कृषि वानिकी और जलवायु परिवर्तन) ने 22 मई को कार्यक्रम का उद्घाटन किया और उन्होंने कृषि जोखिमों के प्रबंधन के लिए सिमुलेशन मौडलिंग के विज्ञान में क्षमता निर्माण के महत्व पर जोर दिया. विशेष रूप से बढ़ते जलवायु जोखिमों और संबंधित उत्पादकता नुकसान के वर्तमान और भविष्य के समय में जानकारी साझा की.

उन्होंने कृषि उत्पादकता और लाभप्रदता के समग्र सुधार के लिए प्रणाली की समझ की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने भारत के विभिन्न राज्यों से आने वाले प्रतिभागियों पर प्रसन्नता व्यक्त की और भारतीय कृषि से जीएचजी उत्सर्जन पर सिमुलेशन मौडलिंग और जलवायु परिवर्तन प्रभाव, अनुकूलन आकलन और आकलन में वैश्विक मान्यता और राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए पर्यावरण विज्ञान विभाग को बधाई दी.

इस से पहले अपने स्वागत भाषण में प्रो. सूरा नरेश कुमार, प्रमुख, पर्यावरण विज्ञान विभाग, आईएआरआई ने कृषि प्रबंधन और सामाजिक लाभ में प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता और अवसरों पर जोर दिया.

डा. जय राणा, देश के प्रतिनिधि, ग्लोबल एलायंस ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण-जीईएफ परियोजना “कृषि जैव विविधता को मुख्यधारा में लाना और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को सुनिश्चित करने और भेद्यता को कम करने के लिए कृषि क्षेत्र में उपयोग” के बारे में विवरण दिया.

इसी प्रोजैक्ट के तहत यह वर्कशाप आयोजित की. प्रो. आरएन पडारिया, संयुक्त निदेशक (विस्तार) ने प्रशिक्षण के बाद सहयोगी शिक्षा के बारे में बात की, ताकि किसानों को सलाह दे कर सुधार हो सके.

उन्होंने गांवों में फसल मौडल की सहायता से प्रौद्योगिकी लक्ष्यीकरण का उदाहरण दिया, जिसे गांवों में लागू किया गया था. कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के 25 वैज्ञानिकों ने भाग लिया.

मूल्य संवर्धन विषय पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन

मसाले वाली फसलों की कटाई के उपरांत प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन विषय पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम उद्यान महाविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ में शुरू किया गया.उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डा. बीआर सिंह, कुलसचिव द्वारा की गई.

इस दौरान उन्होंने कहा कि देश के अंदर मसालों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. कोरोना काल के बाद लोगों ने मसालों की तरफ ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है, क्योंकि आयुर्वेदिक दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए जरूरी है कि इन का मूल्य संवर्धन कर के इन को बाजार में बेचा जाए. इस बात को ध्यान में रखते हुए इस प्रशिक्षण में छात्रों को प्रयोगात्मक रूप से सिखाया जाएगा.

निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट प्रो. आरएस सेंगर ने अपने संबोधन मे कहा कि देश में मसालों की मांग और उपभोक्ताओं की संख्या तेजी से बढ़ी है. इस ने कृषि के क्षेत्र में एक नए स्वरोजगार की संभावनाओं को पैदा किया है. इस के लिए जरूरी है, एक छात्र स्टार्टअप के रूप में मसालों का उत्पादन कर उस की पैकेजिंग करें और मार्केट में कंपनी बना कर खुद ही भेजें, जिस से बिचौलिए उन के बीच में नहीं होंगे और सीधा उत्पाद उपभोक्ता को मिलेगा. उस का सीधा लाभ खुद किसानों और स्टार्टअप कंपनी चलाने वालों को होगा. इस प्रशिक्षण के दौरान छात्रों को इस क्षेत्र में दक्ष बनाने के लिए कई कंपनियों से रूबरू कराया गया.

उन्होंने यह भी कहा कि छात्रछात्राएं इस तरह के प्रशिक्षणों का उपयोग भविष्य में रोजगार प्राप्त करने के लिए ही नहीं करेंगे, अपितु अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान कराएंगे.

डा. बीआर सिंह, कुलसचिव द्वारा कार्यक्रम के अध्यक्षीय संबोधन में कहा गया कि छात्रछात्राएं अपना लक्ष्य निर्धारित करते हुए उसे पूरा करने का संकल्प लें. वहीं डा. बिजेंद्र सिंह, अधिष्ठाता उद्यान महाविद्यालय ने बताया कि 5 दिवसीय प्रशिक्षण में सभी मसाले वाली फसलों में मूल्य संवर्धन की व्यावहारिक जानकारी दी जाएगी.

डा. सत्य प्रकाश कोर्स डायरेक्टर द्वारा बताया गया कि मसाले वाली फसलों के मूल्य संवर्धन का मकसद यह है कि जब फसलों की कटाई होती है, बाजार मूल्य कम होता है, परन्तु मूल्य संवर्धन कर के उन के मूल्य मे 4 से 5 गुना बढ़ोतरी की जा सकती है.

उद्घाटन सत्र के बाद डा. मनोज कुमार सिंह, सहप्राध्यापक उद्यान द्वारा लहसुन की उत्पादन तकनीकी इ. सुरेश चंद्रा, सहप्राध्यापक (पो. हा.) द्वारा लहसुन के मूल्य संवर्धन पर प्रशिक्षण देते हुए विभिन्न उत्पाद तैयार कराए गए.

डा. पूजा, वैज्ञानिक, केवीके द्वारा लहसुन के अचार एवं अन्य उत्पाद भी तैयार कराए गए, वहीं डा. विपिन कुमार, सहप्राध्यापक द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया.

डीएपी एवं यूरिया के दाम नहीं बढ़ेंगे

खेती में विभिन्न फसलों के उत्पादन में उर्वरकों का उपयोग तब होता है, जब भूमि में पोषक तत्वों की कमी हो और उस की पूर्ति की आवश्यकता होती हो. उर्वरकों के महंगे होने से फसल उत्पादन की लागत बढ़ जाती है, जिस से किसानों को काफी नुकसान भी होता है. इसलिए सरकार द्वारा उर्वरकों पर भारी सब्सिडी दी जाती है, जिस से किसानों की जेब पर अतिरिक्त बोझ न पड़े.

इस वर्ष भी केंद्र सरकार ने किसानों को उचित दामों पर यूरिया और अन्य खादों की पोषक तत्व आधारित सब्सिडी प्रदान करने की मंजूरी दी है.

उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी

जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी मौसम 2022-23 (01.01.2023 से 31.03.2023 तक) के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस प्रस्ताव में विभिन्न पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश और सल्फर के लिए सब्सिडी (एनबीएस) दरों में संशोधन शामिल है.

इस के अलावा खरीफ मौसम (1 अप्रैल, 2023 से 30 सितंबर, 2023 तक) के लिए फास्फेट और पोटाश उर्वरकों के लिए भी अनुमोदित एनबीएस दरें मंजूर की गई हैं.

किसानों के लिए यह नया फैसला खेती सेक्टर को बढ़ावा देने और किसानों को सहायता प्रदान करने का एक खास कदम है.

38,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी

खरीफ सीजन 2023 के दौरान, केंद्र सरकार ने किसानों के लिए 38,000 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने का फैसला लिया है. इस फैसले के माध्यम से खरीफ सीजन में किसानों को डीएपी और अन्य उर्वरकों की सही मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और उर्वरकों पर सब्सिडी का युक्तीकरण भी होगा. सरकार के इस कदम से किसानों को आर्थिक रूप से बल मिलेगा. इस से किसानों को आर्थिक रूप से सही कीमतों पर फास्फेटिक और पोटाश उर्वरकों के 25 ग्रेड का उपयोग करने की सुविधा मिलेगी.

यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ प्रदान करेगा और उन की खेती को सुरक्षित बनाए रखेगा.

डीएपी खाद की कीमत में परिवर्तन नहीं

आने वाले खरीफ सीजन में यूरिया और डीएपी खाद की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होगा, क्योंकि सरकार द्वारा पोषक तत्व आधारित सब्सिडी को मंजूरी दी जा चुकी है.

वर्तमान में देश में नीम लेपित यूरिया की एक बोरी कीमत 266.50 रुपए है, जबकि डीएपी की एक बोरी की कीमत 1,350 रुपए है.

इसलिए, किसानों को आगामी खरीफ सीजन (1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2023) के दौरान यूरिया और डीएपी खाद इसी कीमत पर ही मिलेगा. इस से किसानों को आर्थिक रूप से सुविधा मिलेगी.

गोबर, गौमूत्र से पैसा कमाने का दें आइडिया, जीतें एक लाख

आजकल गौपालन को ले कर अनेक राज्य की सरकारें नईनई स्कीमें लाती रहती हैं, जिस से पशुपालन को तो बढ़ावा मिलता है, साथ ही पर्यावरण में भी सुधार होता है.

पशुपालन की बात करें, तो इन में गोशालाओं का निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है. सरकार गौशालाओं के निर्माण, गायों को आहार और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारी अनुदान प्रदान कर रही है.

इस कड़ी में गौशालाओं की आय बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने एक पहल की है. इस पहल में सरकार गोबर, गौमूत्र और अन्य अपशिष्ट से पैसा कमाने के लिए हैकाथान का आयोजन करने जा रही है.

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा “आत्मनिर्भर गौशाला- वेस्ट से वैल्थ” हैकाथान का आयोजन किया जा रहा है. इस में लोगों से विद्यार्थी, गौपालन और प्रबंधन के संबंध में जुड़े लोगों और संस्थाओं से औनलाइन सुझाव मांगे गए हैं, ताकि गौशालाएं गोबर, गौमूत्र और अन्य अपशिष्ट से अधिक आमदनी कर सकें.

एक लाख रुपए का पुरस्कार

गौशालाओं से निकलने वाले गोबर, गौमूत्र अपशिष्ट पदार्थों के उपयोग से पैसा कैसे कमाया जा सकता है, इस विषय पर सर्वश्रेष्ठ सुझाव देने वाले व्यक्ति को पहले पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपए मिलेंगे. दूसरे पुरस्कार के रूप में 50,000 रुपए प्रदान किए जाएंगे.

इस प्रतियोगिता में विद्यार्थी, गौपालन और प्रबंधन से जुड़े लोग और विभिन्न संस्थानों के सदस्य भाग ले सकते हैं.

बोर्ड का सोचना है कि इस कैंपेन के माध्यम से पशुपालक गोबर, गौमूत्र आदि अपशिष्ट से अधिकतम आमदनी प्राप्त कर सकें. इस के अलावा वे बाजार में गोबर आदि से बने कई प्रोडक्ट्स लाने का प्रयास करें, जो लोगों को पसंद आएं और जिन का उपयोग हो सके. जो एक बेहतर कमाई का जरीया बन सकता है.

वैसे भी आजकल देखने में आया है कि अनेक लोग गोबर से अनेक उत्पाद बना रहे हैं. जो इकोफ्रैंडली भी हैं और लोगों द्वारा पसंद भी किए जा रहे हैं. इसलिए इस व्यवसाय से जुड़े लोग इस प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं.

प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आप को औनलाइन आवेदन करना होगा. इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वैबसाइट https://mppcb.mp.gov.in/ से प्राप्त कर सकते हैं.

इस के लिए आप 26 मई,2023 तक पंजीकरण करा सकते हैं.

चुने गए आवेदनों में से आवेदनकर्ताओं को 4 जून को प्रेजेंटेशन देना होगा. अगले दिन यानी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर चुने गए विजेताओं के नाम का ऐलान किया जाएगा.

महिला किसानों के लिए खेती में और्गोनौमिक तकनीकों के जरीए प्रशिक्षण

अखिल भारतीय समन्वित कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजनाए, भाकृअप, कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधान में कृषि क्रियाओं में श्रमसाध्य विकल्पों के लिए क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण 17 मई और 18 मई को गोमाना गांव, ब्लौक छोटी सादडी, जिला प्रतापगढ़, राजस्थान में संपन्न हुआ. गोमाना व मालवदा गांव की कुल 30 महिलाओं को कृषि व घरेलू कार्यों में श्रमसाध्य उपकरणों का प्रशिक्षण दिया गया.

प्रशिक्षण के पहले दिन डा. हेमू राठौड़ ने समय व श्रम से बचने वाले वीमेन फ्रेंडली उपकरणों के बारे में बताया और उन के प्रयोग की जानकारी दी, जिस में दूध दोहने की बालटी व चौकी, सब्जी काटने का यंत्र, बहुपयोगी झोला, मक्की छीलक यंत्र, पौध रोपाई यंत्र, आराम सीट आदि कृषि यंत्र शामिल थे.

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के कृषि यंत्रों का प्रयोग करने के फायदे और काम में लेने के तरीके पर भी विस्तृत जानकारी दी गई.

कार्यक्रम के दूसरे दिन महिलाओं को मूंगफली छीलक यंत्र, अफीम के फल में चीरा डालने का यंत्र व अन्य यंत्रों के प्रयोग के बारे में भी बताया गया.

प्रशिक्षण में विभिन्न कृषि गतिविधियों, उपयोग की जाने वाली विभिन्न मुद्राओं और स्वास्थ्य पर इस के प्रभाव पर भी ध्यान केंद्रित किया गया.

प्रशिक्षण में महिलाओं के समूह को मानवीय तरीके से खेतों पर काम करने और मशीनों के संचालन के दौरान स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में बताया गया.

प्रशिक्षुओं को मूंगफली का डेकार्टिकेटर (छीलक यंत्र) पसंद आया. आधे घंटे में ललिता देवी और अन्य महिलाओं ने 35 किलोग्राम मूंगफली को छील लिया.

कार्यक्रम के दौरान डा. हेमू राठौड़ ने स्वच्छ जल की उपयोगिता एवं जल को पीने योग्य बनाने के लिए अलगअलग तरीकों के बारे में जानकारी दी.

चारू नागर ने उन्हें अपने आहार में बाजरा व अन्य मोटे अनाज को शामिल करने के महत्व के बारे में बताया और कहा कि इन्हें सुपरफूड क्यों कहा जाता है. उन्होंने महिलाओं को व्यक्तिगत स्वास्थ्य व स्वच्छता के बारे में भी बताया और कृषि क्षेत्र के किसानों को संबंधित खतरों के बारे में जागरूक किया गया.

सत्र के अंत में आयोजित समारोह में मौजूद अधिकारियों में मुख्य अतिथि कपिल देव, जिला प्रबंधक आजीविका, संजय दखानी, जिला प्रबंधक आजीविका, दीपक जैन, ब्लौक परियोजना प्रबंधन, एवं निर्मला माली, क्लस्टर प्रभारी, अंबावली उपस्थित थे.

मुख्य अतिथि कपिल देव ने कार्यक्रम का अवलोकन करते हुए महिलाओं को उन्नत तकनीकों व उपकरणों के उपयोग में उन के लाभों से सभी महिलाओ को अवगत किया. वहीं संजय दखानी ने महिलाओं के कृषि कार्यों में मेहनत पर प्रकाश डाला एवं उन को समझाया कि इन तकनीकों को अपनाने से समय व श्रम की बचत की जा सकती है. वहां उपस्थित महिलाओं को मुख्य अतिथि कपिल देव व दीपक द्वारा किट वितरित किए गए. महिलाओं में उत्साह का वातावरण रहा और सभी ने कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. वहां उपस्थित सभी लोगों ने उपकरणों को इस्तेमाल करने की बात कही. चारू नागर यंग प्रोफैशनल ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया.

चावल के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए डा. एके सिंह सम्मानित

 

डा. अशोक कुमार सिंह, निदेशक और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति को प्रगतिशील किसान संघ, संगरूर द्वारा 14 मई, 2023 को चावल के विकास के माध्यम से बासमती के गुणवत्ता उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने में उन के उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया.

कई महत्वपूर्ण किस्में हुईं लोकप्रिय

इस अवसर पर बोलते हुए डा. एके सिंह ने कहा कि पूसा संस्थान द्वारा विकसित बासमती चावल की नई किस्मों, जैसे पीबी-1847, पीबी-1885 और पीबी-1886 से किसानों को लाभ होने और उन की आय में वृद्धि होने की उम्मीद है.

पद्म पुरस्कार विजेता किसान सेठपाल सिंह ने किसानों के कल्याण में आईएआरआई के योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने समारोह में सभी किसानों से पर्यावरण संरक्षण के साथसाथ उत्पादन और आय बढ़ाने के लिए लगातार नएनए तरीकों और किस्मों को अपनाने का आह्वान किया.

200 किसानों के साथ, सुखमिंदर सिंह भट्टल (अध्यक्ष, पीएफए), सुखजीत सिंह भंगू (सचिव, पीएफए), दर्शन सिंह नेनेवाल (भारती किसान मोरचा इकाई, पंजाब). जसविंदर सिंह ग्रेवाल, ज्वाइंट डायरेक्टर कृषि विभाग, पंजाब, डा. जगमोहन सिंह, परहत सिंह (यू ट्यूबर), डा. रेनू सिंह, नरेश कुमार पात्रा, डा. दलेर सिंह, गुरमेल सिंह गहिला और हरप्रीत सिंह कमालपुर इस मौके पर मौजूद रहे.

शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं व अन्य अवसंरचनाओं का वर्चुअल उद्घाटन

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं व अन्य अवसंरचनाओं का वर्चुअल उद्घाटन भी किया. इस में क्षेत्रीय शहद परीक्षण प्रयोगशाला, आईसीएआर-आईआईएचआर बेंगलुरु, कर्नाटक, आईएआरआई, पूसा, नई दिल्ली, केवीके कुपवाड़ा जम्मूकश्मीर, स्कास्ट कश्मीर, केवीके, दमोह, मध्य प्रदेश, बनासकांठा सहकारी दुग्ध उत्पादन संघ, पालनपुर व नवसारी कृषि विश्वविद्यालय गुजरात, कृषि महाविद्यालय, पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश, निफ्टेम, सोनीपत, हरियाणा, मधुमक्खी रोग निदान केंद्र, एफसीआरआई, हैदराबाद तेलंगाना, बी बाक्स व मधुमक्खीपालन उपकरण निमार्ण इकाई-एसएफएसी, कोरिया एग्रो प्रोड्यूसर लि., छत्तीसगढ़ – शहद और अन्य मधुमक्खीपालन उत्पाद संग्रह, व्यापार, ब्रांडिंग और विपणन यूनिट, एसएफएसी, चुली एग्रो प्रोड्यूसर लि., उत्तराखंड, शहद और अन्य मधुमक्खीपालन उत्पाद संग्रह, व्यापार, ब्रांडिंग और विपणन यूनिट-एसएफएसी, उन्नति कृषक सहकारी समिति, छत्तीसगढ़- शहद और अन्य मधुमक्खीपालन उत्पाद संग्रह व्यापार, ब्रांडिंग और विपणन यूनिट शामिल हैं.

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल, आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे, छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, बागबानी आयुक्त प्रभात कुमार, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रमोद कुमार मिश्रा, पूर्व कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार बिसेन, राकेश पाल, सत्यप्रकाश आदि भी मौजूद थे.

एग्रीइनपुट एंड प्लांट न्यूट्रिशन कंपनी ने अरुण गोविल को बनाया अपना ब्रांड एंबेसडर

मुंबई : 15 मई, 2023. एग्रीइनपुट एंड प्लांट न्यूट्रिशन कंपनी ठाकर कैमिकल्स लि. ने भारतीय टेलीविजन के एक प्रसिद्ध और सब से प्रभावशाली चेहरे अरुण गोविल को ब्रांड एंबेसडर के रूप में औनबोर्ड किया, जो रामानंद सागर द्वारा 80 के दशक में रामायण सीरियल में राम की भूमिका निभाने के लिए प्रसिद्ध हैं.

इस एसोसिएशन का मुख्य मकसद एग्रोकैमिकल्स के विवेकपूर्ण उपयोग पर जागरूकता फैलाना है, जो टिकाऊ खेती का समर्थन करता है, हमारे अन्नदाता किसान की भलाई को उन्नत करता है और बढ़ती आबादी को खिलाने की चुनौतियों का सामना करने के लिए सामाजिक व आर्थिक लाभ प्रदान करना है.

ग्रामीण क्षेत्र में अरुण गोविल का जनआकर्षक चेहरा जमीनी स्तर पर किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने में कंपनी की मदद करेगा.

प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अरुण गोविल ने कहा, “मैं ठाकर कैमिकल्स लि. के साथ इस सहयोग से खुश हूं. कंपनी 3 दशकों से अधिक समय से अपनी फसल सुरक्षा विधियों के माध्यम से किसान समुदाय की प्रगति की दिशा में काम कर रही है. पूरी टीम को उन के शानदार प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं. मैं इस सहयोग के माध्यम से किसान समुदाय में अधिक से अधिक खुश चेहरों को देखना चाहता हूं और किसानों की भलाई के लिए कंपनी के प्रयासों का समर्थन करना चाहता हूं.

इस अवसर पर राज कुमार गुप्ता, प्रबंध निदेशक, ठाकर कैमिकल लि. ने कहा, “किसान हमारे देश के असली नायक हैं. हम अपने किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं और 3 दशकों से अधिक समय से उन की सेवा कर रहे हैं.

“अरुण गोविल को ब्रांड एंबेसडर के रूप में साइन करना किसान समुदाय को अपने सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ सेवा देने की हमारी प्रतिबद्धता की दिशा में एक अतिरिक्त प्रयास है, जो उन्हें उपज बढ़ाने में मदद करता है.

“हमें पूरी उम्मीद है कि यह सहयोग हमारे किसानों के हम पर विश्वास की दिशा में एक अच्छा कदम साबित होगा.

ठाकर कैमिकल्स लि. के निदेशक सुमित गुप्ता ने कहा, “हम अपनी कंपनी के ब्रांड एंबेसडर के रूप में भारतीय टेलीविजन के जानेमाने चेहरे अरुण गोविल को औनबोर्ड पा कर रोमांचित हैं. हमें खुशी है कि अरुण गोविल ने पहली बार एक एग्रीइनपुट एंड प्लांट न्यूट्रिशन फर्म, जो ठाकर कैमिकल्स लि. है, का समर्थन करने के लिए सहमति दी है.

विवेक मित्तल, निदेशक विपणन ने कहा, ”इस सहयोग और सामूहिक टीम के प्रयासों के माध्यम से हमारे पास निकट भविष्य में विस्तार की आक्रामक योजना है. हम आने वाले भविष्य में निश्चित रूप से नई ऊंचाइयों को छुएंगे, क्योंकि हमारे अभिनव दृष्टिकोण और अच्छी गुणवत्ता वाली उत्पाद श्रृंखला टिकाऊ खेती में योगदान देती है.

ठाकर कैमिकल्स लि. के बारे में

ठाकर समूह की उत्पत्ति वर्ष 1956 में हुई थी, जब स्व. नंद गोपाल गुप्ता ने कृषि इनपुट और पौध पोषण क्षेत्र में एक महान साम्राज्य स्थापित करने का विचार किया था. एक प्रमुख के रूप में उन के कभी न खत्म होने वाले दूरदर्शी विचारों के चलते वर्ष 1988 में ठाकर कैमिकल्स लि. अस्तित्व में आया और आज इसे कीटनाशक उद्योग में एक ब्रांड के रूप में पहचाना जाता है.

ठाकर कैमिकल्स प्लांट न्यूट्रिशन में एक मार्केट लीडर और उभरता हुआ लीडर है, क्योंकि उन का जोर गुणवत्ता वाले उत्पादों पर है, जो एक मजबूत मार्केटिंग नेटवर्क के साथ बेहतरीन निर्माण बुनियादी ढांचे के साथ इस के आदर्श वाक्य ‘शुद्धता का विश्वास दिलाए सुरक्षा का अहसास’ को साबित करता है.

एग्रीइनपुट्स और प्लांट न्यूट्रिशन की एक विस्तृत श्रृंखला के सचेत उत्पादन के लिए ठाकर कैमिकल्स लि. के पास हरियाणा में अत्याधुनिक, नवीकरणीय और सौर ऊर्जा से संचालित उत्पादन सुविधा है, जो इष्टतम प्रदर्शन स्तर सुनिश्चित करने के लिए एक एकीकृत वातावरण प्रदान करती है और उच्च गुणवत्ता वाले फार्मूलेशन के उत्पादन की सुविधा प्रदान करना है. उन के उत्पादों की निरंतर मांग, उन के नियमित किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों और उत्पाद प्रदर्शन शिविरों का अंतिम परिणाम है, जो किसानों की संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए अकसर आयोजित किए जाते हैं. हाल के वर्ष में 5 गुना से अधिक की वृद्धि को देखते हुए कंपनी ने युद्ध स्तर पर अपने क्षेत्र में विस्तार की योजना बनाई है और इसलिए कई वैश्विक संगठनों के साथ रणनीतिक गठजोड़ किया है. उन के उत्पाद देशभर में 15,000 से अधिक आउटलेट वाले डीलरों के नेटवर्क के माध्यम से पूरे भारत में बेचे जाते हैं.

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें :

युक्ता शर्मा,
जनसंपर्क अधिकारी,
घोंघा इंटीग्रल एलएलपी
+91 8750807676
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उत्पादक लाभकारी कीटों के संरक्षण पर जागरूकता अभियान सप्ताह

देश में विलुप्त हो रही उत्पादक कीट प्रजातियों के संरक्षण के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्राकृतिक राल एवं गोंद अनुसंधान संस्थान, रांची द्वारा संचालित लाख कीट संरक्षण परियोजना के तहत महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में स्थित राजस्थान कृषि महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा इन कीटों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए 16 मई से ले कर 22 मई के दौरान जागरूकता अभियान सप्ताह मनाया गया.

इस अवसर पर केंद्र द्वारा 16 मई को द्वितीय राष्ट्रीय लाख कीट दिवस पर स्नातक व स्नातकोत्तर छात्रों का एकदिवसीय लाख प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया.

उक्त कार्यशाला में स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के कुल 60 छात्रछात्राओं ने भाग लिया. प्रशिक्षण कार्यशाला में कीट विज्ञान विभागाध्यक्ष डा. रमेश बाबू एवं पूर्व विभागाध्यक्ष डा. मनोज कुमार महला ने विभिन्न उत्पादक कीटों (मधुमक्खी, लाख कीट एवं रेशम कीट) की महत्ता एवं संरक्षण के बारे में बताया.

इस अवसर पर परियोजना अधिकारी डा. हेमंत स्वामी ने बताया कि देश में रंगीनी एवं कुसुमी लाख कीट के माध्यम से लाख उत्पादित किया जा रहा है. रंगीनी लाख कीट का उत्पादन मुख्यतः बेर, पलाश पर किया जा रहा है, जबकि कुसुमी कीट प्रजाति का उत्पादन कुसुम के पेड़ों पर किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि राजस्थान के क्षेत्रों में भी रंगीनी लाख उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, पर तकनीकी जानकारी व जागरूकता की कमी में लाख का उत्पादन बहुत कम हो रहा है, जबकि लाख की सर्वाधिक खपत राजस्थान में होती है.

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, बड़गाव के वैज्ञानिक डा. दीपक जैन ने बताया कि आदिवासी बहुल क्षेत्र में लाख की खेती की संभावना है. किसान अपनी परंपरागत खेती के साथ लाख कीट का पालन कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं.

उत्पादक कीट जागरूकता सप्ताह 16 मई, 2023 को केंद्र द्वारा उदयपुर क्षेत्र के किसानों में लाख उत्पादन के प्रति रुझान बढ़ाने एवं जागरूक करने के लिए कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया.

इस प्रशिक्षण में क्षेत्र के 40 से अधिक किसानों ने लाख उत्पादन तकनीक की पूरी जानकारी प्राप्त की. इसी के साथ प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को लाभकारी लाख कीट के संरक्षण के साथ कम लागत से अधिक उत्पादन की जानकारी दी गई, जिस से उन की आजीविका के स्तर में वृद्धि होगी.

प्रशिक्षण के दौरान किसानों ने कीट विज्ञान विभाग स्थित लाख कीट संग्रहालय एवं जीन बैंक का अवलोकन किया. इस दौरान उद्यान विभाग के डा. विरेंद्र सिंह ने लाख के विभिन्न पोषक वृ़क्षों की जानकारी दी एवं कीट विज्ञान विभाग के डा. अनिल व्यास ने लाख कीट के जीवनचक्र व प्रमुख प्राकृतिक शत्रु कीटों की जानकारी दी.

राज्यपाल द्वारा एमपीयूएटी के स्मार्ट गांव में उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रशंसा

उदयपुर: यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (यूएसआर) के तहत प्रदेश की प्रत्येक राज्यपोषित विश्वविद्यालय द्वारा गांव को गोद ले कर उसे स्मार्ट विलेज में रूपांतरित किए जाने की राज्यपाल द्वारा पहल की गई. राज्यपाल द्वारा वर्ष 2022 में स्मार्ट गांव में विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों का खुद ही अवलोकन किया. पूर्व में भी वर्ष 2021-22 में एमपीयूएटी के स्मार्ट गांव को प्रदेश के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ. इन प्रयासों के परिणामस्वरूप स्मार्ट गांव में कृषि, सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में थोड़ाबहुत परिवर्तन हुआ.

इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण घटक सभी राजकीय एवं गैरराजकीय संस्थानों को साथ ले कर कृषि, शिक्षा, पशुपालन, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. साथ ही, कारपोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत एक करोड़ रुपए से अधिक के काम संपादित किए जा चुके हैं. वहीं वर्ष 2022-23 में विश्वविद्यालय के 130 वैज्ञानिकों एवं अन्य अधिकारियों द्वारा 42 बार भ्रमण किया और कुलपति ने भी इन गांवों में 4 बार भ्रमण कर काम की योजना के क्रियान्वयन का निरीक्षण किया. विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न परियोजनाओं द्वारा विकसित तकनीकी एवं यंत्रों आदि का भी इन गांवों में प्रदर्शन किया गया.

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा 36 एकदिवसीय प्रशिक्षणों के माध्यम से 2311 किसान और किसान महिलाएं लाभान्वित हुए.

विश्वविद्यालय द्वारा फसल, सब्जी, फल एवं गृह वाटिका उत्पादन पर विभिन्न प्रशिक्षण एवं 165 प्रदर्शन किसानों के खेतों पर आयोजित किए गए.

राजस्थान कृषि महाविद्यालय, मात्स्यकी महाविद्यालय, डेरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के 168 एनएसएस के छात्रों द्वारा स्मार्ट गांव मदार एवं ब्राह्मणों के हुंदर में स्वच्छता अभियान, जल प्रबंधन एवं पोषक अनाज उत्पादन पर जागरूकता रैली आयोजित की गई. बंजर भूमि विकास के लिए ग्राम पचांयत एवं वन विभाग के सहयोग से 175 वृक्ष नीम, करंज, जामुन, सुबबूल एवं मोरिंगा आदि का वृक्षारोपण किया गया. पशुपालन विभाग के सहयोग से पशु चिकित्सा शिविर में 360 पशुओं और 590 भेड़बकरियों का टीकाकरण किया गया और लंपी वायरस से बचाव के लिए पशुपालकों को जागरूक किया गया.

किसान संगोष्ठी का आयोजन कुलपति के मुख्य आतिथ्य में हुआ, जिस में विश्वविद्यालय के प्रबंध समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ अधिकारी परिषद के सदस्यों सहित 175 संभागीयों ने भाग लिया.

विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से एक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिस में 93 रोगियों का उपचार किया गया और निःशुल्क दवाएं वितरित की गईं. प्रसार शिक्षा निदेशालय में आयोजित कृषि शिक्षा दिवस पर 3 दिसंबर, 2022 को ग्राम मदार से 52 विद्यार्थियों ने भाग लिया और कृषि संग्रहालय का अवलोकन किया. इफको के सहयोग से गेहूं की फसल पर ड्रोन द्वारा नेनो यूरिया का छिड़काव किया गया, जिस में कुलपति, निदेशक प्रसार शिक्षा, अधिष्ठाता एवं उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षणार्थियों की उपस्थिति रही. डीडी किसान दूरदर्शन दल का विश्वविद्यालय द्वारा क्रियान्वित की जा रही विभिन्न गतिविधियों की वीडियोग्राफी रिकौर्ड की गई.

प्रत्येक माह में एक विशिष्ट कार्यक्रम के अंतर्गत विश्वविद्यालय के द्वारा स्मार्ट गांव में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, नशामुक्ति शिविर, वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य शिविर, प्रौढ़ साक्षात्कार दिवस, पोषक दिवस एवं कंप्यूटर साक्षात्कार दिवस इत्यादि कार्यक्रमों में 528 छात्र, किसान एवं किसान महिलाएं लाभान्वित हुईं. इन गांव में 8 स्वंयसहायता समूह की 120 किसान महिला सदस्य हैं, जो कि सब्जी उत्पादन, सिलाई केंद्र, अनाज भंडारण, दूध उत्पादन, सोलर लाइट, सोलर कुकर इत्यादि गतिविधियों से लाभान्वित हो रही हैं.

गोदित गांव में सीएसआर स्कीम के तहत संपादित किए गए काम :

सोलर ट्री 5 किलोवाट क्षमता के संयंत्र की स्थापना : नाबार्ड के सहयोग से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मदार में सोलर ट्री की स्थापना की गई, जिस की लागत मूल्य 9.08 लाख रुपए है.

ड्रोन : आईआईएफएल, मुंबई और ब्लूइनफिनिटी लैब्स प्रा. लि. के सहयोग से कीटनाशक/पेस्टीसाइड/ उर्वरक छिड़काव के लिए 25 किलोग्राम क्षमता का ड्रोन विश्वविद्यालय को दिया गया, जिस की लागत मूल्य 30 लाख रुपए है. इस का उपयोग स्मार्ट गांव में किया जा रहा है.

कक्षा में विद्यालय फर्नीचर : राजस्थान माइंस एवं मिनरल प्रा. लि. के सहयोग से बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय, मदार में 150 बच्चों को टेबल, स्टूल और 4 अलमारी मुहैया कराई गई. तकरीबन 3.94 लाख रुपए का फर्नीचर हस्तांतरित किया गया.

कंप्यूटर टेबलेट: आईआईएफएल, मुंबई के सहयोग से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मदार को 50 कंप्यूटर टेबलेट, औक्सीजन कंसंट्रेटर और कोविड किट उपलब्ध कराए गए.

सभा भवन : आईआईएफएल, मुंबई के सहयोग से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मदार मेें कन्वेशन हाल का निर्माण 42 लाख रुपए की लागत से किया गया है.

खेल मैदान की चारदीवारी : राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए विधायक मद से 10 लाख रुपए की लागत से खेल मैदान की चारदीवारी का काम प्रगति पर है.