Grain Storage : महिलाओं को मिलीं अनाज भंडारण के लिए कोठियां

Grain Storage : नौतपा की विदाई पर अंगारे बरसाता आसमान और बीचबीच में अंगड़ाई लेती बदलियां सुकून के छींटे देती प्रतीत हो रही थीं. अवसर था विकसित कृषि संकल्प अभियान का और जगह थी ग्राम पंचायत हींता का विशाल परिसर. पूरे परिसर के धवल शामियाने के नीचे महिलापुरुष किसानों का हुजूम मन लगा कर कृषि वैज्ञानिकों की बातों को सुन और समझ रहा था. निश्चित ही किसानों को खरीफ 2025 में अच्छे उत्पादन लेने की उम्मीद भी थी.

सच कहें तो पूरे परिसर में उत्वसी माहौल था. हो भी क्यों नहीं, हींता पंचायत समिति भींडर का वह खुशहाल गांव है जिसे प्रदेश के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे की पहल पर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 3 वर्ष के लिए गोद ले रखा है. इस मौके पर चटकीली धूप के बावजूद महिलाओं का हुजूम अंत तक डटा रहा. एमपीयूएटी ने भी खुल कर किसानों को भरपूर सहयोग किया.

अनाज भंडारण कोठियां, स्प्रेयर मशीन मुफ्त मिलीं :

भारतीय तिलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईओआर) हैदराबाद की ओर से तिलहन फसलों को बढ़ावा देने के लिए गांव की 50 अनुसूचित जाति की महिलाओं को अनाज भंडारण के लिए अनाज भंडारण कोठियां मुफ्त प्रदान की गईं. 2 क्विंटल अनाज भंडारण क्षमता वाली कोठी पा कर महिलाएं भी खुश थीं. इस के अलावा 15 कृषकों को स्प्रेयर मशीन और 10 किसानों को सोयाबीन प्रदर्शन के लिए बीज का वितरण किया गया.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने प्रतीकात्मक तौर पर महिला किसान कंचन बाई मेघवाल को कोठी, कृषक मिट्ठूलाल को स्प्रेयर मशीन (पौध संरक्षण यंत्र) और दूदाराम मेघवाल को 30 किलो सोयाबीन का उन्नत बीज जेएस 20-116 प्रदान किया.

इस पर खुशी से उतावली हुईं सभी महिलाएं अपनीअपनी अनाज भंडारण कोठियों के पास खड़ी हो गईं. पूरे परिसर में कतारबद्ध कोठियों के अंबार के पास खड़ी महिलाओं के साथ कुलपति डा. कर्नाटक, अनुसंधान निदेशक डा. अरविंद वर्मा, डा. आरएल सोनी, डा. लतिका व्यास ने फोटो खिंचवाए. महिलाएं विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ फोटो खिंचवा कर खूब प्रफुल्लित दिखीं. सुबह 11 बजे ’कृषक संवाद और गोष्ठी’ के रूप में शुरू हुआ कार्यक्रम शाम 6 बजे तक चला.

दरअसल पूरे देश का कृषि तंत्र दिनांक 29 मई से शुरू हुए विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत प्री खरीफ अभियान चला कर किसानों से संपर्क साधने में लगा है. राजस्थान में कृषि विज्ञान केंद्रों की टीम, कृषि विभाग, एनबीएसएस, उद्यान विभाग के शीर्ष व फील्ड अधिकारी रोजाना गांवगांव जा कर किसानों से संपर्क कर उन्हें खरीफ में की जाने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी देने में जुटे हैं. यह अभियान 12 जून, 2025 तक जारी रहेगा. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री भारत सरकार शिवराज सिंह चैहान ने देशभर में उत्सवी अभियान चला कर किसानों तक सीधी पहुंच की संकल्पना को साकार रूप दिया है. इसी क्रम में एमपीयूएटी के अधीन 8 केवीके की टीमें पूरे अभियान के दौरान लगभग 60 हजार किसानों तक पहुंचेंगी.

Conference : ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अतंर्गत किसान सम्मेलन

Conference : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार, 29 मई से 12 जून, 2025 तक देशभर में विकसित कृषि संकल्प अभियान-2025 चल रहा है. इस अभियान का मकसद देश भर के गांवों में अनेक कार्यक्रमों के जरीए कृषि की नवीनतम तकनीकों एवं सरकारी योजनाओं की जानकारी को किसानों तक सीधा पहुंचाना है. साथ ही, आधुनिक तकनीकों से खरीफ फसल प्रबंधन और उत्पादकता वृद्धि के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. इस के साथ ही, खेती व किसानों को समृद्ध करने के लिए “लैब टू लैंड” विजन के साथ विज्ञान एवं वैज्ञानिक किसानों के खेत में पहुंच रहे हैं.

इस अभियान के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली एवं कृषि इकाई, विकास विभाग, दिल्ली सरकार भी दिल्ली देहात में 29 मई से 12 जून, 2025 तक विशेष अभियान का आयोजन कर रही है.

दिल्ली क्षेत्र में विकसित कृषि संकल्प अभियान

इस कड़ी में, 02 जून, 2025 को कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली एवं कृषि इकाई, विकास विभाग, दिल्ली सरकार ने नजफगढ ब्लौक के जाफरपुर कलां, सुरेरहा एवं खेरा डाबर गांव में किसान सम्मेलन का आयोजन किया, जिस में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डा. हर्षवर्धन ने दिल्ली के आसपास क्षेत्र के लिए सब्जियों की विभिन्न प्रजातियां, जो दिल्ली क्षेत्र में अच्छा उत्पादन दे सके, साथ ही साथ पोषण से संबंधित जितनी भी तकनीकियां है जैसे किचन गार्डन की स्थापना करना और उस में लगने वाले मौसम के अनुसार सब्जियां और मानव पोषण के लिए संतुलित आहार आदि के साथ संरक्षित खेती की विस्तृत जानकारी दी.

डा. रामस्वरूप बाना, प्रधान वैज्ञानिक ने जल संरक्षण की तकनीकियों पर विशेष ध्यान देते हुए जानकारी साझा की. साथ ही, उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है उन क्षेत्र में किसान अपने खेत में एक छोटा सा तालाब बना कर बारिश के पानी को संरक्षित कर उस का सही इस्तेमाल कर सकते हैं.

इस के अलावा उन्होंने मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई पद्धति, कम समय में अधिक आय के साथसाथ बाजरा एवं दलहनी फसलों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसी क्रम में डा. इंदु चोपड़ा ने फसल उत्पादन के लिए मिट्टी एवं पानी एवं उर्वरकों के प्रबंधन एवं महत्व को समझाया और उन्होंने यह भी बताया कि हर फसल लेने के बाद मिट्टी और पानी की जांच करें और उस के अनुसार ही मिट्टी के पोषण के लिए खाद का प्रबंध करें.

डा. हेमलता ने संरक्षित खेती पर विशेष जोर दिया और उन्होंने बताया कि छोटे से छोटे जगह में भी आप हाईटेक नर्सरी बना कर अच्छा उत्पादन कर सकते और युवा किसान इस में अच्छी आय प्राप्त सकते हैं.

इसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के वैज्ञानिकों ने आगामी खरीफ फसलों से जुड़ी आधुनिक तकनीकों की जानकारी के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार विभिन्न फसलों के चयन और संतुलित खादों के प्रयोग, पशुओं का रखरखाव, बागबानी एवं फलों की खेती मृदा स्वास्थ्य कार्ड, धान की सीधी बोआई, हरि खाद का प्रयोग, पशुपालन के लिए आहार एवं रोग प्रबंधन आदि की विस्तृत जानकारी दी.

इस अभियान के तहत कृषि इकाई, दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने दिल्ली में संचालित हो रही प्राकृतिक खेती, प्राकृतिक खेती के घटक, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की विस्तृत जानकारी किसानों के साथ साझा की. कार्यक्रम के शुरुआत में डा. डीके राणा, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली ने बताया कि तकनीकों एवं अनुसंधान को किसानों के खेत में ले जाने में यह अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिस में दिल्ली के किसान उत्साहित हो कर भागीदारी कर रहे हैं.

Fertilizer Retailer: सफल खुदरा उर्वरक विक्रेता के लिए महत्वपूर्ण 5 ‘आर’

Fertilizer Retailer : डा. अजीत कुमार कर्नाटक प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर द्वारा आयोजित 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता प्राधिकार पत्र प्रशिक्षण के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे.

जहां उन्होंने कहा “वर्तमान में जमीन धीरेधीरे घट रही है और आबादी बढ़तेबढ़ते आज 140 करोड़ हो चुकी है. ऐसे में फसल उत्पादन बढ़ाने की गति को बनाए रखना बहुत जरूरी है. अब समय आ गया है कि शोध का शिक्षण हो. वैज्ञानिकों को किसान के खेत पर जा कर कार्य करना होगा ताकि, तकनीक को किसान हाथोंहाथ सीख सकें.” इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और सलूंबर के 51 खुदरा उर्वरक विक्रेताओं ने भाग लिया जिन में 7 महिलाएं भी शामिल थी.

उन्होंने आगे कहा कि एक अच्छा खाद उर्वरक विक्रेता बनने के लिए कृषि उत्पादों के बारे में संपूर्ण जानकारी का होना बहुत जरूरी है और जानकारी सुनियोजित और स्तरीय प्रशिक्षण से ही संभव है, जो एमपीयूएटी की नियमित गतिविधि है. आज भी दुख इस बात का है कि आम आदमी खाद के नाम पर केवल यूरिया को जानता है जबकि, ऐसा नहीं है. उर्वरक के प्रमुख घटक, नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक उर्वरक आजकल चलन में हैं. डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने सलाह दी कि खुदरा उर्वरक विक्रेताओं को प्राकृतिक खेती से जुड़ी सामाग्री भी अपने स्टोर में रखनी चाहिए ताकि, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल सके.

प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरएल सोनी ने कहा कि एक सफल खुदरा उर्वरक विक्रेता के लिए व्यापार में फाइव ‘आर’ की काफी महत्ता है. ये पांच आर हैं – रिस्क, रिलेशन, रेग्यूलेटरी, रेप्युटेशन और रेट. इन्हें आत्मसात कर व्यापार किया जाए तो सफलता पक्की है.

उन्होंने आगे कहा कि उर्वरक विक्रेताओं को किसानों से सीधा संपर्क स्थापित कर विभिन्न प्रकार की नवीनतम एवं आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए और उन की आमदनी को बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. डा.आरएल सोनी ने उर्वरकों के संतुलित उपयोग एवं मृदा परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व प्रबंधन , समन्वित पोषक तत्व के लाभ, जैविक खेती और उस के लाभ, कार्बनिक खेती आदि के बारे में भी चर्चा की.

इस कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि छात्र कल्याण अध्यक्ष डा. मनोज महला ने प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरक उपयोग दक्षता बढ़ाने के उपाय सुझाए. टिकाऊ खेती, समन्वित कृषि पद्धति की फसल विविधीकरण आदि विषयों पर जानकारी दे कर उन का ज्ञानवर्धन किया.

प्रशिक्षण समन्वयक एवं कार्यक्रम संचालक डा. लतिका व्यास, प्राध्यापक ने बताया कि इस प्रशिक्षण में 15 दिन तक विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों एवं राज्य सरकार के कृषि अधिकारियों ने प्रशिक्षणार्थियों को उर्वरक प्राधिकार पत्र की महत्ता एवं इस से जुड़ी सभी तरह की जानकारियां प्रदान की. सभी ने प्रशिक्षण का लाभ किसानों तक पहुंचाने की अपील की.

इस समारोह में खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी प्रशिक्षणार्थियों को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वारा प्रमाणपत्र एवं प्रशिक्षण संबंधी साहित्य प्रदान किए गए. साथ ही, प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण के अनुभव भी साझा किए.

“विकसित क़ृषि संकल्प अभियान” की शुरुआत

अविकानगर : केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर के द्वारा “विकसित क़ृषि संकल्प अभियान” की शुरुआत दिनांक 29 मई, 2025 को सुबह 9 से 11 बजे मालपुरा तहसील की लावा पंचायत में स्थानीय विधायक कन्हैयालाल चौधरी कैबिनेट मंत्री जलदाय विभाग, मुख्य अथिति एवं विशिष्ट अथिति के रूप मे जिला प्रमुख टोंक और मालपुरा तहसील के प्रधान सकराम चोपड़ा एवं अन्य जनप्रतिनिधि गणों की उपस्थिति मे कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे.

लावा पंचायत में कार्यक्रम के बाद दोपहर 11 से 1 बजे तक अविकानगर संस्थान के सभागार में भी विकसित क़ृषि संकल्प अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम में भी मंत्री एवं अन्य अथिति भाग लेंगे. दिनांक 29 मई, 2025 के कार्यक्रम में अविकानगर संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र निवाई, मालपुरा तहसील के कृषि और पशुपालन विभाग के सारे कर्मचारी उपस्थित रह कर किसानों की खरीफ की फसल एवं पशुपालन से संबंधित सभी समस्याओं का निदान करेंगे और प्रगतिशील किसान के विचार भी सभा में साझा होंगे एवं किसान के फीडबैक का भी भविष्य के हिसाब से मूल्यांकन किया जाएगा.

राजस्थान राज्य के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा नामित स्टेट कोऔर्डिनेटर एवं निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर ने बताया कि कल के दोनों कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ कृषि और पशुपालन विभाग के कर्मचारी उपस्थित रह कर किसान से विस्तार से बातचीत करेंगे. अविकानगर से शुरू हो रहे इस कार्यक्रम में निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर ने अधिक से अधिक भाग लेने के लिये टोंक जिले के सभी किसान से अपील की.

Conference : “बागबानी में तेजी से कैसे हो विकास” पर राष्ट्रीय सम्मेलन

Conference : कृषि क्षेत्र में आजीविका सुधार के लिए “बागबानी के तीव्र विकास” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 28 से 31 मई, 2025 तक बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में किया जा रहा है. इस सम्मेलन में देशभर से प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, नीतिनिर्माताओं और शिक्षाविदों ने भाग लिया. इस का उद्देश्य भारत में बागबानी क्षेत्र की वृद्धि के लिए नवाचार पूर्ण रणनीतियों और कार्य योजना पर विचार करना था.

इस कार्यक्रम में डा. संजय कुमार, अध्यक्ष, एएसआरबी, नई दिल्ली (मुख्य अतिथि), डा. एचपी सिंह, पूर्व उप महानिदेशक (बागबानी), नई दिल्ली, डा. एआर पाठक, पूर्व कुलपति, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, डा. एसएन झा, उप महानिदेशक, कृषि अभियांत्रिकी, आईसीएआर, नई दिल्ली, डा. आलोक के सिक्का, भारत प्रतिनिधि, आईडब्लूएमआई, नई दिल्ली, डा. बबिता सिंह, न्यासी, एएसएम फाउंडेशन, डा. फिजा अहमद, निदेशक, बीज एवं फार्म, बीएयू सबौर एवं आयोजन सचिव मौजूद थे.

इस कार्यक्रम में डा. संजय कुमार ने कहा कि बागबानी राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. उन्होंने बताया कि बागबानी क्षेत्र प्रति इकाई क्षेत्रफल पर सब से अधिक लाभ देता है, और यह स्वागत योग्य परिवर्तन है कि किसान पारंपरिक खाद्यान्न फसलों से हट कर उच्च मूल्य वाली बागबानी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं.

डा. संजय कुमार ने पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़ कर विपणन, ब्रांडिंग और प्रसंस्करण के बाद की प्रक्रिया पर जोर दिया. उन्होंने क्षेत्रीय विशेषताओं को बढ़ावा देने और उपज के नुकसान को कम करने के लिए जीआई विशिष्ट मौल और खुदरा स्टोर स्थापित करने का सुझाव दिया. कुपोषण की समस्या पर भी उन्होंने बागबानी के विविधीकृत उपायों के माध्यम से एकीकृत समाधान की आवश्यकता पर बल दिया.

मौके पर मौजूद

डा. एचपी सिंह ने ‘विकसित भारत’ पहल के अंतर्गत सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता बताई और लचीली, अधिक उपज देने वाली, संसाधन कुशल तकनीकों को अपनाने की बात कही. डा. एआर पाठक ने एएसएम फाउंडेशन के सदस्यों के योगदान की सराहना की और उन के देशभक्ति भाव को इस पावन अवसर पर याद किया. साथ ही, उत्कृष्ट योगदान के लिए उन को सम्मान भी प्रदान किए गए.

डा. एसएन झा ने मखाना और लीची जैसी फसलों पर केंद्रित अनुसंधान की आवश्यकता को रेखांकित किया और विश्वविद्यालय आधारित अनुसंधान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कार्यात्मक प्रजनन की सिफारिश की.

डा. आलोक के सिक्का ने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया. उन्होंने आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के संतुलन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि बागबानी कृषि जीडीपी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. डा. फिजा अहमद, आयोजन सचिव ने विश्वविद्यालय की प्रमुख उपलब्धियों को साझा किया, जिन में 19 पेटेंट, 1 ट्रेडमार्क, 56 किसान किस्मों का पंजीकरण और जीआई डाक टिकटों का जारी होना शामिल है.

वैज्ञानिकों को किया सम्मानित :

इस सम्मेलन के दौरान महत्वपूर्ण शोध पत्रिकाओं एवं प्रकाशनों का विमोचन किया गया और बागबानी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया. इस कार्यकम के उद्घाटन सत्र का समापन इस सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि बागबानी के क्षेत्र में नवाचार, सततता एवं समावेशिता को बढ़ावा दे कर ग्रामीण आजीविका को मजबूत किया जाएगा.

Training : भेड़बकरी और खरगोश पालन पर ट्रेनिंग

Training : केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर में “व्यावसायिक भेड़बकरी एवं खरगोश पालन पर 7 दिवसीय उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम” का सफलतापूर्वक समापन हुआ. यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 से 27 मई, 2025 तक संस्थान के एग्री बिजनेस इंक्यूबेशन सेंटर एवं केड फाउंडेशन उदयपुर की देखरेख में आयोजित किया गया.

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 5 राज्यों बिहार, हरियाणा, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश एवं राजस्थान से आए कुल 45 प्रतिभागियों ने भाग लिया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. अरुण कुमार तोमर निदेशक, केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान अविकानगर ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की. इस कार्यक्रम की सफलता पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम पशुपालकों और नव उद्यमियों के लिए अधिक लाभकारी होते हैं. उन्होंने प्रतिभागियों को पशुपालन के क्षेत्र में नवाचार तकनीकी उन्नयन और सतत विकास को अपनाने की दिशा में भी प्रेरित किया.

इस समारोह के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डा. अनिल कुमार पूनिया निदेशक भारतीय ऊंट अनुसंधान केंद्र, बीकानेर एवं विशिष्ट अतिथि जीएस भाटी कार्यकारी निदेशक केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड जोधपुर ने अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने प्रतिभागियों को पशुपालन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाते हुए व्यवसाय को एक नए आयाम तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित किया.

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वयक डा. अजित सिंह महला ने किया, जबकि सहसमन्वयक के रूप में डा. अमरसिंह मीना एवं गौतम चोपड़ा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस अवसर पर डा. एसएस डांगी, डा. एसएस मिश्रा, डा. अजय कुमार, डा. अरविंद सोनी, नरेश बिश्नोई, प्रकाश बिश्नोई एवं केड फाउंडेशन टीम की उपस्थिति रही.

एक सप्ताह भर चले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुपालन के विभिन्न पहलुओं जैसे- स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रजनन प्रबंधन, पोषण प्रबंधन, विपणन रणनीति एवं व्यवसाय योजना निर्माण पर विशेषज्ञ सलाह एवं संवाद सत्र आयोजित किए गए. साथ ही, प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान को अधिक लाभकारी बताते हुए अपने अनुभव भी साझा किए.

Training : युवा महिलाओं के लिए फलसब्जी प्रसंस्करण पर ट्रेनिंग

Training : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय में आयोजित तीन दिवसीय “फलसब्जी प्रसंस्करण प्रशिक्षण” का सफल समापन हुआ. यह प्रशिक्षण केंद्रीय कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर (उड़ीसा) के निर्देशन में संचालित अखिल भारतीय समन्वित कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत “तकनीकी हस्तक्षेप और उद्यमशीलता विकास के माध्यम से लैंगिक समानता को बढ़ावा देना” विषय पर केंद्रित रहा.

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रभारी डा. विशाखा सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम में उदयपुर जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की युवा महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को मौसमी फलसब्जियों के प्रसंस्करण से संबंधित विभिन्न उत्पादों की व्यावहारिक जानकारी दी गई. इन में टोमैटो कैचअप, टोमैटो प्यूरी, लहसुन का अचार, कच्चे आम का अचार, मशरूम अचार, लहसुन कचरी की चटनी और मिश्रित सब्जियों का तुरंत अचार शामिल है.

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने प्रसंस्करण के साथसाथ पैकेजिंग, लेबलिंग, मार्केटिंग, श्रम प्रबंधन, सरकारी योजनाओं की जानकारी, उद्योग स्थापना की प्रक्रिया एवं आवश्यक लाइसेंसिंग पर भी विस्तार से युवा महिलाओं का मार्गदर्शन किया. इस कार्यक्रम की प्रशिक्षण समन्वयक डा. सुमित्राने बताया कि प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय की लहसुन प्रसंस्करण इकाई, टोमैटो प्रोसेसिंग प्लांट और बैकरी इकाई का भ्रमण भी कराया गया, जिस से उन्हें उद्योग संचालन का वास्तविक अनुभव प्राप्त हुआ.

इस कार्यक्रम की परियोजना समन्वयक डा. विशाखा बंसल ने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के लिए वित्तीय सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए उन्हें संगठित हो कर व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रेरित किय. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निदेशक डा. अरविंद वर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों द्वारा निर्मित उत्पादों का अवलोकन किया एवं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने स्वयं के उद्यम की शुरुआत करने के लिए प्रोत्साहित किया.

इस प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागी चंदा देवी एवं शांता मेघवाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस प्रशिक्षण ने उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर एक ठोस दिशा दी है और वे प्राप्त ज्ञान का सदुपयोग करते हुए स्वावलंबन की राह पर आगे बढेंगी. सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण किट के रूप में एप्रन, ग्लव्स, हेड कवर, शेफ चाकू सेट, सब्जियों के बीज, खाद्य प्रसंस्करण एवं सरकारी योजनाओं की बुकलेट वितरित की गई.

राजस्थान में विकसित कृषि (Agriculture) संकल्प अभियान का आगाज

Agriculture: देश भर में पखवार तक चलने वाले कृषि अभियान के तहत राजस्थान प्रदेश में 29 मई से 12 जून तक विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत हर गांव, हर खेत के किसान से कृषि वैज्ञानिक रूबरू होंगे और खरीफ में अधिकाधिक लाभ मुहैया कराया जाएगा. केंद्र सरकार की पहल पर कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीआरई), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) एवं कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 29 मई से लगातार 15 दिन तक इस अभियान की धमक गुंजारित होगी.

राजस्थान में अभियान की कमान डा. जेपी मिश्रा निदेशक आईसीएआर अटारी जोधपुर को सौंपी गई है. इस अभियान में दूरदराज के प्रवासी गांवों का लक्षित किया गया है. जिन में आदिवासी और खास कर भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में जा कर कृषि वैज्ञानिक क्षेत्रीय खरीफ फसलों से जुड़ी आधुनिक तकनीकों, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के उपयोग, विभिन्न सरकारी योजनाओं, नीतियों एवं कृषि में नवाचारों की जानकारी किसानों को बताएंगे.

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मेवाड़ बागड़ संभाग में अभियान का आगाज प्रसार शिक्षा निदेशालय के अधीन कृषि विज्ञान केंद्र बांसवाड़ा, भीलवाड़ा प्रथम – द्वितीय, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद एवं वलभ्भनगर के अलावा केवीके बड़गांव की टीमें प्रभावी भूमिका निभाएंगी.

सभी केवीके को 126 ब्लौक के 550 गांवों को कवर करने का लक्ष्य दिया गया है. अभियान के तहत कृषि वैज्ञानिकों की टीमें किसानों से सीधा संवाद करेंगी ताकि, खाद्यान उत्पादन में वृद्धि के साथसाथ गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जा सके. इस अभियान के आगाज के मौके पर गुरूवार को प्रसार शिक्षा निदेशालय के अधीन 9 केवीके के माध्यम से विविध कार्यक्रम भी आयोजित होंगे.

अभियान में इन बिंदुओं पर रहेगा फोकस:

– प्रमुख खरीफ फसलों की आधुनिक कृषि पद्धतियों के बारे में किसानों के बीच जागरूकता पैदा करना.

– किसानों के लिए लाभकारी विभिन्न सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में जानकारी का प्रचार करना.

– सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित उर्वरकों के संतुलित उपयेाग के लिए किसानों द्वारा उचित निर्णय लेने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के उपयोग का प्रचार करना.

– रासायनिक उर्वरकों के विवेकपूर्ण और उचित उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाना.

– जमीनी स्तर पर नावाचारों के बारे में किसानों से प्रतिक्रिया एकत्र करना और उस के अनुसार अनुसंधान प्राथमिकताओं को संरेखित करना.

प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरएल सोनी ने बताया कि अभियान के दौरान विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक टिकाऊ खेती में मृदा प्रबंधन, खरीफ फसलों की उन्नत किस्मों की जानकारी, उत्पादन तकनीक, आजीविका सुरक्षा के लिए फसल विविधीकरण आदि विषयों पर व्याख्यान देंगे. इस मौके पर प्रसार शिक्षा निदेशालय की ओर से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ प्री खरीफ अभियान को रेखांकित एक मार्गदर्शिका का प्रकाशन किया गया है. इस अभियान के दौरान किसानों को उक्त मार्गदर्शिका का वितरण भी किया जाएगा.

Agricultural Exhibition : नरसिंहपुर में हुआ कृषि प्रदर्शनी का आयोजन

Agricultural Exhibition : भारत के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश में कृषि उद्योग समागम-2025 में पिछले दिनों कृषि प्रदर्शनी का आयोजन किया.

इस कृषि प्रदर्शनी में आधुनिक कृषि तकनीकों, यंत्रों और नवाचारों का प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शनी में ड्रोन आधारित कृषि तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस उपकरण, पावर स्प्रेयर, सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र, जैविक एवं नैनो फर्टिलाइजर सहित विविध नवीनतम संसाधनों को प्रदर्शित किया गया.

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभी स्टालों का अवलोकन कर विकसित की गई तकनीकों की तारीफ की. उन्होंने प्रदर्शनी में किसानों से बात कर उत्पादों की क्वालिटी, तकनीक एवं विपणन के विषय में जानकारी ली और उन के नवाचारों की सराहना की. साथ ही, उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के प्रयासों की सराहना की एवं उन्हें आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए मजबूत कड़ी बताया.

इस के साथ ही, पशुपालन विभाग द्वारा गोवंश संवर्धन योजना के अंतर्गत प्रदर्शनी में भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू गायों का प्रदर्शन भी किया गया. इस में गिर नस्ल की उस गाय को विशेष रूप से प्रस्तुत किया गया, जो हाल ही में आयोजित भारतीय उन्नत नस्ल की दुधारू गाय प्रतियोगिता, 2025 में प्रथम स्थान प्राप्त किया था.

Fish Transportation: मछलियों की आवाजाही के लिए होगा ड्रोन का इस्तेमाल

Fish Transportation : मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्यपालन विभाग ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, मत्स्यपालन और जलीय कृषि की प्रगति की समीक्षा करने के लिए 23 मई, 2025 को नई दिल्ली में “मत्स्य पालन सचिव सम्मेलन 2025” और जलीय कृषि में प्रौद्योगिकी और नवाचार के दोहन पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया. इस दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड और प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सहयोजना  के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई, जिस में योजनाओं की उपलब्धियों और प्रमुख उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया गया.

यह बैठक मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में मत्स्यपालन विभाग के सचिव डा. अभिलक्ष लिखी की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में राज्य मत्स्य विभागों, भारतीय रिजर्व बैंक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, ओपन नेटवर्क फौर डिजिटल कौमर्स, लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम और आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने राज्यों से नवाचार, बुनियादी ढांचे और संस्थागत तालमेल के माध्यम से मत्स्यपालन क्षेत्र को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने का आग्रह किया.

मछुआरों की सुरक्षा और परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया गया, जिस में संसाधन मानचित्रण, बायोमेट्रिक पहचान और चेहरे की पहचान जैसे पहलू शामिल हैं. हरित और नीले स्थिरता सिद्धांतों के साथ संरेखित स्मार्ट, एकीकृत मछली पकड़ने के बंदरगाहों और आधुनिक मछली बाजारों के विकास को भविष्य की प्रमुख प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने जीवित मछली परिवहन के लिए ड्रोन तकनीक पर पायलट परियोजना की जानकारी दी. इस का लक्ष्य 70 किलोग्राम पेलोड वाला ड्रोन विकसित करना है, जो कठिन इलाकों में एग्रीगेटर से वितरण बिंदु तक जीवित मछली ले जा सके. उन्होंने मानक संचालन प्रक्रियाओं और सहायक सब्सिडी संरचना के माध्यम से ड्रोन पहल को मजबूत करने पर भी जोर दिया.

आईसीएआर संस्थानों के समर्थन से उन्नत मत्स्यपालन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के साथसाथ प्रसंस्करण, विपणन और पैकेजिंग पर विशेष रूप से क्लस्टर विकास और एक स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से विशेष ध्यान देने को प्रोत्साहित किया गया. मत्स्यपालन को बढ़ावा देने के लिए अमृत सरोवर का लाभ उठाने पर जोर दिया गया और राज्यों से सहयोग मांगा गया. मत्स्यपालन सचिव ने सजावटी मत्स्यपालन को बढ़ावा देने और समुद्री शैवाल की खेती और कृत्रिम चट्टानों के विकास का आह्वान किया और इन उभरते क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया.

मत्स्य विभाग में संयुक्त सचिव सागर मेहरा ने अंतर्देशीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अंतर्देशीय मत्स्यपालन से संबंधित प्रमुख मुद्दों की जानकारी दी. उन्होंने राज्यों से राष्ट्रीय मत्स्य विकास पोर्टल पर पंजीकरण के लिए आवेदन जुटाने में तेजी लाने और विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत लाभों तक पहुंच बढ़ाने की सुविधा प्रदान करने का आग्रह किया ताकि, विभिन्न मत्स्यपालन पहलों के कार्यान्वयन को मजबूत किया जा सके.

मत्स्य विभाग में संयुक्त सचिव नीतू कुमारी प्रसाद ने मजबूत बुनियादी ढांचे, स्मार्ट बंदरगाहों और प्रजातियों के विविधीकरण के विकास के महत्व पर जोर दिया. तटीय राज्यों से समुद्री कृषि क्षेत्रीकरण को आगे बढ़ा कर, अत्याधुनिक तकनीक को अपना कर, जहाज की निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक और एफएओ की ब्लू पोर्ट पहल और राष्ट्रीय स्थिरता उद्देश्यों के साथ स्मार्ट बंदरगाह परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाकर स्मार्ट और टिकाऊ मत्स्यपालन की ओर आगे बढ़ने का आग्रह किया गया.

इस कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान, यह नोट किया गया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और संबद्ध पहलों के तहत मत्स्य विकास को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय प्रगति कर रहे हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिन पर केंद्रित ध्यान और समर्थन की आवश्यकता है. साथ ही, किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत मछली किसानों के लिए संस्थागत लोन तक पहुंच अभी भी एक चिंता का विषय बनी हुई है. इसलिए इस बात पर जोर दिया गया कि समावेशी और प्रभावी लोन देने में सक्षम बनाने के लिए आधुनिक मत्स्यपालन प्रथाओं और प्रौद्योगिकी संचालित मौडल पर वित्तीय संस्थानों और बैंकों को और अधिक ध्यान देने की जरूरत है.

इस के साथ ही, बढ़ते मछली उत्पादन के साथ, कई राज्यों ने मूल्य श्रृंखला दक्षता बढ़ाने के लिए स्वच्छ मछली कियोस्क और आधुनिक मछली बाजारों सहित कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. इस के अलावा, बाजार संपर्कों में सुधार भौतिक और डिजिटल दोनों, मछुआरों और किसानों के लिए उचित मूल्य और स्थिर आय देने में मदद करेगी. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड जैसी योजनाओं के लिए समर्पित पंजीकरण अभियान और राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड पोर्टल पर नामांकन के माध्यम से आउटरीच में तेजी लाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई.

इस कार्यशाला के अंत में इस बैठक ने सहयोग को बढ़ावा देने, क्षमता निर्माण पहलों को बढ़ाने और हितधारकों के बीच संचार अंतराल को पाटने का महत्वपूर्ण कार्य भी किया.