सबसौयलर मिट्टी  को बनाए हवादार

आज भारीभरकम मशीनों को जुताई, फसल की कटाई व दूसरे जरूरी कामों के लिए खेत में चलते देखना आम बात है. इस तरह की खेती में खेत की लगभग 25 सैंटीमीटर से ज्यादा गहराई तक की परत कड़ी बनती जा रही है.

खेत की निचली सतह में इस तरह की कड़ी परत बन जाने की वजह से मिट्टी में पानी व हवा का आनाजाना कम हो जाता है. मिट्टी के कड़ा होने के कारण पानी जमीन में नीचे की ओर नहीं जा पाता और खेतों में पानी भराव जैसी परेशानी पैदा होने लगती है.

इतना ही नहीं, इन्हीं सख्त परतों के चलते पौधों की जड़ें भी मिट्टी में ज्यादा गहराई तक नहीं जा पाती हैं. सख्त परतों के नीचे मौजूद पोषक तत्त्वों व पानी का इस्तेमाल भी नहीं कर पाती हैं. नतीजा पैदावार कम होती है.

खेत में बनी इन सख्त परतों से नजात दिलाने के लिए एक मशीन तैयार की गई है, जिस को सबसौयलर  कहते हैं. यह सबसौयलर  कई आकार, प्रकार व नामों से बाजार में उपलब्ध हैं. इस मशीन के इस्तेमाल से खेत की निचली सतहों में मौजूद कठोर परतों को तोड़ कर मिट्टी को मुलायम व हवादार बना दिया जाता है, जिस से खेत में पानी भराव जैसी स्थिति पैदा नहीं होती व पैदावार भी अच्छी मिलती है.

इस मशीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की मिट्टी में हो सकता है, लेकिन हलकी बलुई दोमट, दोमट व चिकनी मिट्टी में इस का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है, क्योंकि इस  तरह की मिट्टी में ही ज्यादातर सख्त परतें बनती हैं.

सबसौयलर से जुताई के फायदे

इस मशीन का खास काम मिट्टी में बनी सख्त परतें तोड़ना है व जब ये परतें टूट जाती हैं, तो उस के कई फायदे होते हैं.

* सख्त परतें टूट जाने से मिट्टी में हवा का आवागमन बढ़ता है और मिट्टी में मौजूद फायदेमंद छोटे जीवों की काम करने की ताकत बढ़ जाती है.

* मिट्टी में पानी का आवागमन बढ़ता है, जिस से खेत की पानी सोखने की कूवत बढ़ जाती है व खेत में पानी भराव के हालात पैदा नहीं होते.

* कड़ी परतें टूट जाने के बाद पौधों की जड़ें खेत में ज्यादा गहराई तक जा कर पोषक तत्त्वों व पानी का अवशोषण करती हैं, जिस से उन के विकास में बढ़वार तो होती ही है, साथ ही खेत में मौजूद पोषक तत्त्व व पानी का सही इंतजाम भी होता है.

*  इस मशीन के इस्तेमाल से खेत में दीमक का असर भी कम हो जाता है, क्योंकि मशीन चलने से दीमक के घर खत्म हो जाते हैं.

* जब सबसौयलर खेत चले में तो पौधों की जड़ें ज्यादा गहरी जाती हैं, इसलिए आंधीतूफान व बाढ़ वगैरह की स्थिति आने पर फसल गिरने की समस्या कम हो जाती है.

* ज्यादा लवण वाली मिट्टी में इस मशीन को चलाने से मिट्टी की ऊपरी सतह में मौजूद लवण की फालतू मात्रा पानी के साथ रिस कर जमीन के काफी नीचे चली जाती है और खेत ऊसर नहीं बनता.

ऐसे करें मशीन का इस्तेमाल

इस मशीन को ट्रैक्टर के पीछे लगा कर खेत में चलाया जाता है. हालांकि इस का खास काम मिट्टी की कड़ी परतों को तोड़ना है, लेकिन इस के मूल ढांचे में थोड़ा सा बदलाव कर इस को ज्यादा कारगर बना दिया गया है. अब इस मशीन से परत तोड़ने के साथसाथ खेत में गहराई पर खाद देने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

सबसौयलर का इस्तेमाल करते समय कुछ जरूरी बातों का खयाल रखें :

*      सबसौयलर के टाइंस की दूरी ठीक होनी चाहिए.

*      खेत में नमी बहुत ज्यादा या बहुत कम नहीं होनी चाहिए.

*      सबसौयलर चलाने के बाद खेत में भारी मशीनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

ग्रीष्मकालीन जुताई में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्र

खेत की जुताई अब आमतौर पर ट्रैक्टरचालित कृषि यंत्रों द्वारा ही की जाती है. कृषि यंत्रों के इस्तेमाल से जुताई का काम कम समय में बेहतरी के साथ होता है. खासकर गरमी के समय खेत की जुताई कर के कुछ दिनों के लिए खाली छोड़ देना फसल उत्पादन के लिए अच्छी प्रक्रिया है.

एमबी प्लाऊ : यह एक टैक्टरचालित कृषि यंत्र है. इस के बार पौइंट प्लाऊ मिट्टी की सख्त सतह को तोड़ने में सक्षम बनाते हैं. इस का प्रयोग प्राथमिक जोत के आपरेशन के लिए किया जाता है. यह फसल अवशेषों को काट कर पूरी तरह से मिट्टी में दबा देता है. यह पूरी तरह से लोहे का बना होता है. इस में नीचे लगा फाल मिट्टी को काटता है और फाल से लगाई हुई लोहे की मुड़ी हुई प्लेट मिट्टी को पलटती है.

डिस्क प्लाऊ : इस में एक साधारण फ्रेम, डिस्क बीम असेंबली, रौकशाफ्ट, एक भारी स्प्रिंग फरों ह्वील और गेज ह्वील शामिल होते हैं. डिस्क के कोण 40 से 45 डिगरी तक वांछित कटाई की चौड़ाई के अनुसार और खुदाई के लिए 15 से 25 डिगरी तक व्यवस्थित किए जा सकते हैं. इस का प्रयोग बंजर भूमि और अप्रयुक्त भूमि में कृषि हेतु भूमि की प्रारंभिक कटाव प्रक्रिया के लिए खासतौर पर सख्त व शुष्क, बंजर, पथरीली और ऊबड़खाबड़ भूमि पर और जो भूमि कूड़ाकरकट वाली है, पर किया जाता है.

सबसौयलर : सालोंसाल खेत को कम गहरे तक जुताई करने से खेत के नीचे की जमीन कठोर हो जाती है, जिस के कारण जड़ें ज्यादा फैल नहीं पातीं और फसल की पैदावार में कमी आती है, इसलिए सबसौयलर द्वारा हमें 2 साल में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए. इस का प्रयोग मिट्टी की सख्त सतह को तोड़ने, मिट्टी को ढीला करने और मिट्टी में पानी पहुंचाने की व्यवस्था को उत्तम बनाने व अनप्रयुक्त पानी की निकासी के लिए किया जाता है.

कल्टीवेटर: यह एक अत्यंत बहुपयोगी उपकरण है, क्योंकि इसे ग्रीष्मकालीन जुताई के साथ ही द्वितीयक जुताई के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे सीड्ररील के लिए रूपांतरित किया जा सकता है. यह कल्टीवेटर केवल सूखी स्थिति में इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि मिट्टी को पलटने के बजाय यह मिट्टी को चीरता है और खरपतवार को काट कर और नोच कर यह उन्हें सतह पर ला छोड़ता है. इस कल्टीवेटर का वहां इस्तेमाल किया जाता है, जहां फसल के अवशेषों को सतह पर ला कर छोड़ने की जरूरत होती है.

जुताई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

* खेत में 15 अप्रैल से 15 मई तक गहरी जुताई करें.

* कम से कम 20 से 30 सैंटीमीटर तक गहरा हल चलाएं.

* खेत में खरपतवार होने के हालात में 10 से 15 दिन के अंतराल में जुताई को दोहराएं.

* खेत में कीटपतंगे नष्ट करने के लिए सुबह 7 बजे से 11 बजे तक व शाम 4 बजे से 6 बजे तक जुताई करें.

* खेत में जुताई करने से पहले गोबर की खाद डालें.

पौटेटो प्लांटर : आलू की बोआई करे आसान

हाथ से आलू बोआई करने पर काफी समय और मजदूर लगते हैं. कई बार समय पर मजदूर भी नहीं मिल पाते. इस के चलते आलू बोआई के काम में देरी हो जाती है. इसी काम को अगर आलू बोआई यंत्र द्वारा यानी पोटैटो प्लांटर द्वारा किया जाए तो यह काम बहुत जल्दी और अच्छे तरीके से होता है.

यंत्र से बोआई करने पर खेत में आलू बीज एक तय दूरी और सही गहराई पर बोया जाता है. इस से फसल की पैदावार भी अच्छी मिलती है.

आलू बोने के 2 तरह के यंत्र आजकल चलन में हैं, एक सैमीआटोमैटिक आलू प्लांटर और दूसरा आटोमैटिक प्लांटर. दोनों ही तरह के यंत्र ट्रैक्टर में जोड़ कर चलाए जाते हैं.

सैमीआटोमैटिक प्लांटर

सैमीआटोमैटिक प्लांटर में आलू बीज भरने के लिए बड़ा बौक्स लगा होता है, जिस में आलू बीज भर दिया जाता है और उसी के साथ नीचे की ओर घूमने वाली डिस्क लगी होती है. इन डिस्कों के पीछे आदमियों के बैठने की जगह भी होती है.

बोआई के समय जब डिस्क घूमती है तो छेदों में से आलू बीज नीचे गिरते जाते हैं और उस के साथ ही यंत्र द्वारा मिट्टी से आलू दबते चले जाते हैं. इस यंत्र से आलू बोआई के साथसाथ मेंड़/कूंड़ भी बनते जाते हैं. जितनी आलू के लिए डिस्क लगी होंगी, उतनी लाइन में ही आलू की बोआई होगी.

आलू बोआई करने के लिए हर डिस्क के पीछे बैठने के लिए सीट लगी होती है. इस पर आलू डालने वाला व्यक्ति बैठा होता है. जितनी डिस्क होंगी उतने ही आदमियों की जरूरत होगी क्योंकि जब ऊपर हौपर में से आलू नीचे आता है तो डिस्क में डालने का काम वहां बैठे आदमी द्वारा किया जाता है.

आटोमैटिक प्लांटर

आटोमैटिक प्लांटर में अलग से किसी शख्स की जरूरत नहीं होती, केवल ट्रैक्टर पर बैठा व्यक्ति इसे नियंत्रित करता है. इस की खूबी यही है कि इस में आलू खुदबखुद बोआई के लिए नीचे गिरते चले जाते हैं और खेत में बोआई होती जाती है. साथ ही, मेंड़ भी बनती जाती है लेकिन इस के लिए ट्रैक्टर चलाने वाले को यंत्र के इस्तेमाल करने की सही जानकारी होनी चाहिए. यह यंत्र सैमीआटोमैटिक की तुलना में महंगा होता है.

कीमत : 2 लाइनों में बोआई करने वाले मैन्यूअल पोटैटो प्लांटर की कीमत 40,000 है, 3 लाइनों में बोआई करने वाले प्लांटर की कीमत 50,000 है, वहीं 4 लाइनों में बोआई करने वाले प्लांटर की कीमत 60,000 रुपए है. आटोमैटिक पोटैटो प्लांटर की कीमत तकरीबन 1 लाख, 20 हजार रुपए तक हो सकती है. यह अनुमानित कीमत है.

बेड पर आलू बोआई वाला आटोमैटिक प्लांटर

मोगा इंजीनियरिंग वर्क्स से अमनदीप सिंह ने बताया कि पूरी तरह आधुनिक तकनीक से बना हमारा एक नया आटोमैटिक पोटैटो प्लांटर है जिसे जर्मन तकनीक पर बनाया गया है. यह प्लांटर बोआई के साथ बेड बनाता है और खाद भी डालता है. इस खास प्लांटर से बनाई गई बेड अधिक चौड़ी होती है, जो 24 इंच की होती है. इस की खासीयत यह है कि इस तकनीक में आलू की 15-20 फीसदी अधिक पैदावार मिलती है और आलू हरा भी नहीं होता. फसल पर पाले का असर भी नहीं होता है.

इस यंत्र के जरीए एक दिन में 30 से 35 बीघा तक खेत में आलू की बोआई की जा सकती है. इस यंत्र को चलाने के लिए कम से कम 45 हार्सपावर के ट्रैक्टर की जरूरत होती है.

अधिक जानकारी के लिए आप अमनदीप सिंह से उन के मोबाइल नंबर 8285325047 पर बात कर सकते हैं.

महिंद्रा पोटैटो प्लांटर

छोटे और बड़े सभी फार्मों के लिए यह खास आलू बोआई यंत्र है. इस यंत्र को इस्तेमाल करने के लिए 45 हौर्सपावर के ट्रैक्टर की जरूरत होती है. इस मशीन निर्माता का कहना है कि इस यंत्र के इस्तेमाल से हर पौधे की दूरी इस में लगे खास इम्प्लीमैंट से तय की जा सकती है. इस में बीज बोने की गहराई 4 से 5 सैंटीमीटर रखी जाती है.

इस पोटैटो प्लांटर के 3 मौडल हैं जिन से 2 लाइनों, 3 लाइनों और 4 लाइनों में आलू की बोआई की जा सकती है. 2 लाइनों वाले प्लांटर में आलू बीज टैंक में रखने की कूवत 300 किलोग्राम व 3 कतारों वाले प्लांटर में 450 किलोग्राम और 4 कतार वाले प्लांटर में 600 किलोग्राम आलू बीज एकसाथ भरा जा सकता है. इस से अलग दूसरे टैंक में 100 किलोग्राम फर्टिलाइजर (खाद) भरा जा सकता है.

कंपनी का कहना है कि इस यंत्र के इस्तेमाल के लिए महिंद्रा का अर्जुन नोवो ट्रैक्टर खास है. इसलिए हमारा सुझाव है कि आप महिंद्रा पोटैटो प्लांटर का इस्तेमाल अर्जुन नोवो के साथ करें.

अर्जुन नोवो 650 डिआई एमएस

आलू बोआई व आलू खुदाई यंत्र को इस्तेमाल करने के लिए महिंद्रा का यह ट्रैक्टर मौडल 49.9 हौर्सपावर का है जिस में 4 सिलैंडर हैं. पावर स्टीयरिंग है और इस में 60 लिटर तेल की क्षमता वाला टैंक है.

यह ट्रैक्टर खेत में 40 एप्लीकेशन पर काम कर सकता है. आलू बोआई व आलू खुदाई यंत्र के साथ इस के इस्तमाल के अच्छे नतीजे मिलते हैं. इस ट्रैक्टर में 1,800 किलोग्राम वजन उठाने की कूवत है. इस में बेहतर कूवत वाली हाइड्रोलिक तकनीक है जो खेती के कामों को आसान बनाती है. रखरखाव पर कम खर्च और अपनी श्रेणी के ट्रैक्टरों में कम से कम ईंधन पर चलने वाला अच्छे नतीजे देने वाला ट्रैक्टर है.

अधिक जानकारी के लिए किसान टोल फ्री नंबर 18004256675 पर बात कर सकते हैं.