जिले में उर्वरक (Fertilizer) की कमी नहीं

कटनी : जिले में खरीफ सीजन में किसानों के लिए उर्वरक का जिले में पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है. जिले की सहकारी समितियों, विपणन संघ, एमपी एग्रो और निजी विक्रेताओं को मिला कर 14,568 मीट्रिक टन रासायनिक उर्वरक की उपलब्धता मौजूद है. किसानों को उन की मांग और जरूरत के मुताबिक पर्याप्त उर्वरक दिया जाएगा.

इस संबंध में उपसंचालक, कृषि, मनीष मिश्रा ने बताया कि जिले में सर्वाधिक मात्रा में 7 हजार, 20.23 मीट्रिक टन यूरिया, एसएसपी उर्वरक 4,392.1 मीट्रिक टन और इस के अलावा डीएपी उर्वरक 1,188.51 मीट्रिक टन और एनपीके रासायनिक उर्वरक 1,967.8 मीट्रिक टन उपलब्ध है.

उपसंचालक, कृषि, मनीष मिश्रा द्वारा दी गई जानकारी अनुसार, जिले के डबल लौक केंद्र कटनी एवं बहारीबंद में 785.7 मीट्रिक टन यूरिया, 61.5 मीट्रिक टन डीएपी, 310.8 मीट्रिक टन एनपीके और 59.7 मीट्रिक टन एसएसपी उपलब्ध है. इसी तरह एमपी एग्रो कटनी में 55.65 मीट्रिक टन डीएपी, 136.5 मीट्रिक टन एनपीके और 48.3 मीट्रिक टन एसएसपी उपलब्ध है, जबकि निजी विक्रेताओं के पास 5,680 मीट्रिक टन यूरिया, एसएसपी उर्वरक 3,436 मीट्रिक टन और डीएपी उर्वरक 690 मीट्रिक टन और एनपीके रासायनिक उर्वरक 989 मीट्रिक टन उपलब्ध है.

जिले के 54 प्राथमिक कृषि शाख सहकारी समितियों के पास 544.27 मीट्रिक टन यूरिया, एसएसपी उर्वरक 848 मीट्रिक टन और इस के अलावा डीएपी उर्वरक 381.36 मीट्रिक टन और एनपीके रासायनिक उर्वरक 530.7 मीट्रिक टन उपलब्ध है.

अधिक वर्षा (Excessive Rainfall) से फसल को कैसे करें सुरक्षित

हरदा : जिले में पिछले कई दिनों से निरंतर बारिश हो रही है. इस वजह से कहींकहीं फसलों में पानी भराव की स्थिति एवं कीटव्याधियों और पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई देने की सूचनाएं मिल रही हैं.

कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों ने किसानों को अपनी फसलों को सुरक्षित रखने एवं उत्पादन अधिक लेने के लिए सलाह दी है कि बारिश की अधिकता के कारण जल भराव वाले खेतों से जल निकासी की समुचित व्यवस्था करें. वर्तमान स्थिति में खेती की लगातार निगरानी करें.

किसानों को यह भी सलाह दी गई है कि फसलों में तना मक्खी, गर्डल वीटल अर्थात रिंग कटर, सेमीलूपर का प्रकोप होने पर उचित सलाह के मुताबिक दवाओं का चयन कर फसलों में अनुशंसित पानी की मात्रा एवं कीटनाशक की मात्रा का समयसमय पर छिड़काव करें.

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि थायोमेथोक्साम आसोसाइक्लोसरम, 600 मिलीलिटर  प्रति हेक्टयर, सायहेलोथ्रिन 125 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर या इमिडाक्लोप्रिड, बीटा सायफ्लूथ्रिन 350 मिलीलिटर प्रति हेक्टरेयर का 500 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.

अगर खेत में केवल गर्डल वीटल का प्रकोप हो, तो थियाक्लोप्रिड 650 मिलीलिटर का 500 लिटर पानी के साथ घोल बना कर एक हेक्टयर खेत में छिड़काव करें. वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए अधिक आर्द्रता एवं कम तापमान होने के कारण फफूंदजनित रोगों का प्रकोप भी होने की संभावना बनी रहती है. ऐसी स्थिति में कार्बनडाजिम व मैंकोजेब 1.25 किलोग्राम अथवा टेबुकोनाजोल व सल्फर 1.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर को 500 लिटर पानी के साथ घोल बना कर एक हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें.

फसल 35 से 40 दिन अवस्था की होने पर नींदानाशक दवा का उपयोग न करें. जरूरत होने पर मजदूर लगा कर खरपतवार का नियंत्रण करें. उर्वरक का उचित उपयोग न होने के कारण वृद्धि एवं बढ़वार सही न होने पर तरल व घुलनशील उर्वरक जैसे एनपीके (19:19:19) का 2.5 ग्राम प्रति लिटर के हिसाब से उपयोग करें. साथ ही, सूक्ष्म तत्व तरल 500 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बना कर उपयोग करें.

जल भराव की स्थिति में फसल अगर पीली पड़ रही है, तो अमोनियम सल्फेट उर्वरक का उपयोग करें. उपसंचालक, कृषि, संजय यादव ने किसानों को सलाह दी है कि कीटनाशी के मिश्रण का प्रयोग वैज्ञानिक की सलाह के अनुसार ही करें.

बीएयू ने मनाया अपना 15वां स्थापना दिवस (Foundation Day)

भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय अपना 15वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस अवसर पर आयोजित 2 दिवसीय सम्मलेन “कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नव प्रवर्तक” का पिछले दिनों समापन हो गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवन कुमार ने हिस्सा लिया.

समापन समारोह के शुरू होने से पूर्व मंत्री श्रवन कुमार ने वृक्षारोपण किया एवं लैग्वेज लैब का उद्घाटन किया. उन्होंने नवाचारी किसानों द्वारा लगाए गए स्टाल का भ्रमण किया एवं कृषि और इस से संबंधित उद्यम के लिए किए गए कई तरह के नवाचारों का अवलोकन किया.

इस समारोह में अन्य अतिथि के तौर पर गोपालपुर के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज, पीरपैंती के विधायक ललन कुमार, सुल्तानगंज के विधायक ललित नारायण मंडल, विधान पार्षद डा. एनके यादव के अलावा और भी अतिथियों ने हिस्सा लिया.

अपने अध्यक्षीय भाषण में कुलपति डा. डीआर सिंह ने विश्वविद्यालय के 15वें स्थापना दिवस पर सभी वैज्ञानिकों और कर्मियों को बधाई देते हुए विश्वविद्यालय के उत्थान में पूर्व के सभी कुलपतियों के योगदानों की सराहना की. उन्होंने प्रथम कुलपति डा. मेवालाल चौधरी को याद करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की स्थापना और इस विशाल संरचना के पीछे कोई एक व्यक्ति प्रथम कुलपति डा. मेवालाल चौधरी ही हैं. साथ ही, कुलपति ने विश्वविद्यालय को अस्तित्व में लाने से ले कर इस ऊंचाई पर पहुचाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री का आभार जताया. उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को देश और दुनिया में पहुंचाने के लिए पत्रकारों और मीडिया वालों का भी आभार जताया.

कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा कि बीएयू ने पिछले 16 से 18 माह के भीतर ही 14 पेटेंट हासिल किए हैं, जो कि अपनेआप में गर्व का विषय है. विश्वविद्यालय रोजगार सृजन में विशेष योगदान दे रहा है. यहां से उत्तीर्ण विद्यार्थी तुरंत बेहतर रोजगार पा रहे हैं, वहीँ युवाओं को स्वावलंबी बना कर भी विश्वविद्यालय निरंतर रोजगार सृजन कर रहा है. इस प्रकार विश्वविद्यालय नौकरी खोजने की मानसिकता से उबार कर युवाओं को नौकरी देने वाली स्थिति तक खड़ा कर रहा है.

उन्होंने बागबानी के क्षेत्र में समूचे देश में सबौर के योगदानों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि बिहार के किस जिले में कौन सी खेती सही से हो सकती है, इस का पूरा डाटा बीएयू के पास है और इस के अनुरूप ही नई किस्मों को विकसित किया जा रहा है.

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय की शोध, शिक्षा और प्रसार गतिविधियों से आज पूरा राज्य लाभान्वित हो रहा है. उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा किसानों में नवाचार को प्रोत्साहन देने की सराहना की.

पीरपैंती के विधायक ललन कुमार ने प्राकृतिक और जैविक खेती में नवाचार और उद्यम के अवसरों पर प्रकाश डाला. साथ ही, उन्होंने भागलपुर के आसपास की क्षेत्रों में आर्सेनिक और फ्लोराइड के बढ़ते प्रभाव पर ध्यान दिलाया और इस से निबटने के उपाय खोजने का सुझाव दिया.

उन्होंने कहा कि अब सिर्फ फूड पार्क की आवश्यकता है, जिस से किसानों को अपना फल और सब्जियों की प्रोसैसिंग करने में मदद मिलेगी.

गोपालपुर के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज ने कहा किसान आगे बढ़ेगा, तो पूरा समाज, राज्य और देश आगे बढ़ेगा.

सुल्तानगंज के विधायक ललित नारायण मंडल ने बदलते वातावरण में कृषि की चुनौतियों पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी शोधों को किसानोपयोगी बनाते हुए जल्द से जल्द किसानों को समर्पित करने का आह्वान किया.

कार्यक्रम में उत्कृष्ट काम करने वाले वैज्ञानिकों, कर्मियों, छात्रों और किसानों को सम्मानित किया गया. विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कई पुस्तकों का विमोचन किया, जिन में “कृषि खाद्य प्रणाली के प्रवर्तक”, “संकल्प से समृद्धि का आधार”, “बढ़ते कदम” और “कृषक संदेश” प्रमुख है. प्राकृतिक खेती पर आधारित फिल्म का लोकार्पण मंत्री श्रवण कुमार ने किया, जिसे विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा अभिनीत किया गया. इसे बीएयू मीडिया सैंटर द्वारा बनाया गया है.

नवाचारी रेडियो का किया लोकार्पण
विश्वविद्यालय की स्थापना दिवस के साथसाथ यहां से प्रसारित होने वाले सामुदायिक रेडियो स्टेशन का 5वां स्थापना दिवस भी है. इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में एक बड़े आकर का रेडियो सेट का लोकार्पण किया गया. 5 फुट चौड़े और 3 फुट लंबे इस बड़े रेडियो सेट पर विश्वविद्यालय से प्रसारित सामुदायिक रेडियो स्टेशन से यह कार्यक्रम 24 घंटे चलते रहेंगे. लोग इस के आगे सेल्फी भी ले सकेंगे. इसे परिसर में लगाने का उद्देश्य नई पीढ़ी को रेडियो सुनने के लिए प्रोत्साहित करना है. साथ ही, एक माध्यम के रूप में रेडियो की विश्वसनीयता सब से अधिक होने अवगत कराना है.

गौरतलब है कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत अभी 3 सामुदायिक रेडियो स्टेशन का संचालन हो रह है, वहीँ चौथा रेडियो स्टेशन कृषि विज्ञान केंद्र, कटिहार में अगले माह से शुरू हो रहा है.

बिहार कृषि विश्वविद्यालय को मिले 2 पुरस्कार (Awards)

नई दिल्ली : यहां चल रहे टिकाऊ कृषि सम्मलेन और अवार्ड्स कार्यक्रम में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर को 2 पुरस्कार से नवाजा गया. पहला “प्रसार और प्रशिक्षण में उत्कृष्टता पुरस्कार” (Extension & Training Excellence Award) और दूसरा ‘हरियाली उत्पादन नवाचारी पुरस्कार” (Green Harvest Innovator award) दिया गया.

एग्रीकल्चर पोस्ट डौट कौम और इंडी एग्री संस्था द्वारा दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सैंटर में आयोजित सम्मलेन में यह पुरस्कार विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरके सोहाने और सहनिदेशक, प्रसार शिक्षा, डा. आरएन सिंह ने प्राप्त किया.

“प्रसार और प्रशिक्षण में उत्कृष्टता पुरस्कार” विश्वविद्यालय द्वारा बिहार राज्य में कृषि प्रसार और किसानों के उत्थान के लिए बेहतरीन तरीके से प्रशिक्षण देने के लिए प्रदान किया गया.

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय ने अपने विभिन्न इकाइयों के माध्यम से विगत वर्ष 2853 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिस में 1,03,506 पुरुष और महिला किसानों ने हिस्सा लिया है, वहीँ किसान चौपाल और आईसीटी के माध्यम से राज्य में कृषि प्रसार के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल की है. विश्वविद्यालय के इन प्रयासों से प्रोद्योगिकी हस्तांतरण और अपनाने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

ग्रीन हार्वेस्ट इनोवेटर अवार्ड विश्वविद्यालय परिसर में सघन हरियाली के आच्छादन, विभिन्न उद्यानों, फूलों के कचरों से विभिन्न उत्पाद बनाने, खाली स्थानों को खेती के उपयोग में लाने रूफ गार्डनिंग, मृदा स्वास्थ्य के लिए किए गए काम, पार्थेनियम जागरूकता, पारिस्थितिकी तंत्र को बरकरार रखने में मधुमक्खियों और मकड़ियों के योगदान पर जागरूकता लाने एवं उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रदान किया गया.

बिहार कृषि विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि पर कुलपति डा. डीआर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने राज्य में कृषि और किसानों के उत्थान के लिए बेहतर काम कर रही है. साथ ही, हम टिकाऊ खेती और हरित आच्छादन (ग्रीन कवरेज) को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं. हमारे इस प्रयास को पुरस्कृत किया जाना खुशी की बात है.

किसानों जैसा कोई नवाचारी (Innovator) अन्य क्षेत्र में नहीं

भागलपुर : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में “कृषि खाद्य प्रणालियों के परिवर्तन में जमीनी स्तर पर नवाचार और नवप्रवर्तक” (Grassroots Innovation and innovators in Transforming Agri-Food System) (GIITAS-2024) विषय पर राष्ट्रीय सम्मलेन हुआ.

विश्वविद्यालय के 15वीं स्थापना दिवस के पूर्व दिवस से शुरू हुआ यह राष्ट्रीय सम्मलेन 2 दिन तक चला. राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, गुजरात के सहयोग से आयोजित इस सम्मलेन में राज्यभर से नवाचारी किसानों ने हिस्सा लिया. सम्मलेन का उद्देश्य कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहित करना रहा.

सम्मलेन समारोह में अतिथियों में डा. अरविंद सी. रानाडे, निदेशक, राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान, डा. वीवी सदामते, योजना आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार और मुख्य समन्वयक कृषि एक्सटेंशन प्लेटफार्म एसए(टीएएएस), डा. यूके दुबे, उपरजिस्ट्रार, पीपीवी एवं एफआरए, नई दिल्ली के अलावा कौशल्या फाउंडेशन से कौशलेंद्र कुमार और सम्मानित किसान इत्यादि मौजूद रहे.

सत्र की अध्यक्षता डा. डीआर सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर ने की. अतिरिक्त गणमान्य व्यक्तियों में डा. आरके सोहाने, संयोजक और प्रसार शिक्षा निदेशक, बीएयू, सबौर; डा. एके सिंह, अनुसंधान निदेशक, बीएयू, सबौर; डा. एके साह, अधिष्ठाता (कृषि), बीएयू, सबौर और डा. एके ठाकुर, प्रसार शिक्षा निदेशक, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना शामिल थे.

किसानों जैसा नवाचारी कोई नहीं

कुलपति डा. डीआर सिंह ने आज के दौर में कृषि क्षेत्र में नवाचार की नितांत आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक नित्य नए पेटेंट हासिल कर रहे हैं, लेकिन अब हमारे वैज्ञानिक किसानों द्वारा विकसित तकनीक को परिष्कृत कर के पेटेंट दर्ज कराएंगे और पेटेंट के उपरांत प्राप्त रायल्टी को किसानों से साझा करेंगे.

उन्होंने कहा कि किसान से बड़ा नवाचारी कोई अन्य क्षेत्र के लोग नहीं करते, लेकिन किसानों को उन की खोज को पहचान नहीं मिलती. अब विश्वविद्यालय अपने राज्य के किसानों के नवाचार को औफिसियल सोशल मीडिया प्लेटफार्म से देशदुनिया में प्रचारित करेगा और किसान को उन की वाजिब पहचान दिलाएगा.

मिली थ्री स्टार रेटिंग

कुलपति डा. डीआर सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कृषि उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ावा देने में नवप्रवर्तकों की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने उल्लेख किया कि किसानों के योगदान को एक पुस्तक के रूप में दर्ज किया गया है, जिस में वैज्ञानिक मार्गदर्शन के तहत प्रौद्योगिकियों को और परिष्कृत किया जाना है. भविष्य में बेहतर प्रौद्योगिकियों को उद्योग के साथ साझा किया जाएगा, जिस में रायल्टी किसानों और वैज्ञानिकों के बीच विभाजित होगी.

उन्होंने प्रयोगशाला के एनएबीएल प्रमाणन का भी महत्व बताया, जो राज्य के लिए एक उपलब्धि है. उन्होंने विश्वविद्यालय की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री पर ध्यान आकर्षित करवाया, जिसे केंद्र सरकार से थ्री स्टार रेटिंग मिली है.

नई किस्मों पर जोर

उन्होंने अपने उद्बोधन में 54 राज्य उत्पादों के भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणीकरण के लिए चल रहे काम पर जोर दिया. उन्होंने वहां उपस्थित नवाचारी किसानों को खरीफ मक्का और खरीफ प्याज की नई किस्मों और मूंगफली में अनुसंधान हस्तक्षेपों के बारे में बताया और किसानों से अपने विकास के लिए एक ज्ञान भागीदार के रूप में विश्वविद्यालय का साझेदार बनने का आग्रह किया.

आम को मिलेगा बढ़ावा

कुलपति डा. डीआर सिंह ने अपने संबोधन में आगे कहा कि जल्द ही बीएयू, सबौर आम की गुणवत्तायुक्त फलन को बढ़ावा देने के लिए एक संगोष्ठी करेगा. साथ ही, आने वाले दिनों में एक्सपोर्टर सम्मलेन भी करेगा.

मैडिकल साइंस के बाद सबसे बड़ा एग्रीकल्चर साइंस

कुलपति डा. डीआर सिंह ने किसानों से आह्वान किया कि अपने बच्चों को कृषि शिक्षा की ओर आगे आएं. उन्होंने कहा कि मैडिकल साइंस के बाद कोई दूसरा बड़ा साइंस है, तो वह एग्रीकल्चर साइंस ही है, इसलिए सिर्फ मैडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा की ओर भागने से बेहतर है कि कृषि को अपनाएं.

अपने स्वागत भाषण में प्रसार शिक्षा निदेशक डा. आरके सोहाने ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रसार के क्षेत्र में किए जा रहे कामों और कृषि में नवाचार को बढ़ावा देने में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अब तक के प्रयासों से अवगत कराया.

4,50,000 से अधिक बार देखा जाने वाला प्रमुख यूट्यूब चैनल

राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के निदेशक डा. आरके सोहाने ने ग्रीनहाउस प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म सिंचाई, फूलों की खेती, औषधीय पौधों की खेती और वर्मी कंपोस्ट उत्पादन सहित विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित विभिन्न मूल्यवर्धित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में बताया.

उन्होंने कृषि और पशुधन क्षेत्रों में नवीन विस्तार मौडल पर भी चर्चा की, जिन्हें अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाया जा रहा है और विश्वविद्यालय के आईसीटी नवाचारों पर अंतर्दृष्टि साझा की, जैसे कि 4,50,000 से अधिक बार देखा जाने वाला एक प्रमुख यूट्यूब चैनल है बीएयू, सबौर.
निदेशक डा. अरविंद सी. रानाडे ने कृषि में नवाचार के अवसरों पर प्रकाश डाला और किसानों को अपने नवाचार को ले कर आगे आने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि कृषि में नवाचार की अपार संभावनाएं हैं. इसलिए किसान नित्य नई खोज करते रहें और कुछ भी नया करने में कामयाब हो जाते हैं, तो हमें यानी  राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (NIF) को बताएं, हम आप की खोज को ऊंचाई तक ले जाएंगे और आप को पहचान भी दिलाएंगे. उन्होंने किसान हितों के प्रति समर्पण के लिए बीएयू, सबौर की सराहना की.

उन्होंने किसानों के खेतों में प्रौद्योगिकी के दस्तावेजीकरण और सत्यापन और इसे उन के नाम पर पंजीकृत करने में एनआईएफ के प्रयासों पर चर्चा की.

किसान बनें नवाचारी

आयोग के पूर्व कृषि सलाहकार डा. वीवी सदामते ने किसानों को सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी के अभाव की समस्या की ओर इंगित किया और कहा कि नवाचार को बढ़ावा देना हो, तो सरकार की योजनाएं इस में सहायक साबित हो सकती हैं.

उन्होंने किसान को नवाचारी बनने के लिए आईसीटी अपनाने का सुझाव दिया, जिसे बीएयू सफलतापूर्वक लागू कर रहा है.

डा. सदामते ने नवाचार करने के लिए सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने का सुझाव दिया. साथ ही, युवाओं को कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन और प्रोसैसिंग के अवसर तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया.

41 नई फसल किस्म और 14 नए पेटेंट जारी

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डा. अनिल कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान क्रियाकलापों की रूपरेखा प्रस्तुत की. हाल ही में नवीन अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 682.29 लाख रुपए आवंटित किए गए हैं. विश्वविद्यालय ने 41 नई फसल किस्मों और 14 नए पेटेंट जारी किए हैं, जो कृषि अनुसंधान के लिए नई दिशाएं प्रदान करते हैं.

डा. एके साह, अधिष्ठाता (कृषि) ने उपस्थित लोगों को ई-लाइब्रेरी और एआरआईएस सेल जैसी सुविधाओं के परिचालन के साथसाथ स्नातक अध्ययन के लिए 8 और स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए 14 स्मार्ट कक्षाओं के क्रियान्वयन के बारे में जानकारी दी. 11 पाठ्यक्रमों वाला ईएलपी मौड्यूल सफलतापूर्वक चल रहा है. 80 से अधिक छात्रों ने नैट/जेआरएफ/एसआरएफ जैसी प्रमुख परीक्षाओं के लिए अर्हता प्राप्त की है, और 600 से अधिक छात्रों ने बिहार लोक सेवा आयोग, पटना द्वारा विज्ञापित कृषि सेवा भरती के लिए प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की है.

उद्घाटन सत्र के उपरांत 4 तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिस में नवाचारी किसानों ने अपने अनुभव साझा किए. साथ ही, वैज्ञानिकों ने अपनी प्रस्तुतीकरण दी.

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. आरएन सिंह, सहनिदेशक, प्रसार शिक्षा, बीएयू, सबौर ने दिया. उन्होंने राज्य के किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग लेने के लिए किसानों और सभी गणमान्य व्यक्तियों व इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी वैज्ञानिकों, कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया.

ग्रामीण महिलाएं मधुमक्खी पालन (Beekeeping) को बनाएं रोजगार

हिसार : हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर बीआर कंबोज के मार्गदर्शन में मधुक्रांति परियोजना के अंतर्गत मधुमक्खीपालन पर कीट विज्ञान विभाग में 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. प्रशिक्षण एचएयू एवं इंडियन औयल कारपोरेशन लिमिटेड के बीच हुए अनुबंध के तहत दिया गया.

विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा. बलवान सिंह मंडल ने बताया कि किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करने के साथसाथ उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मधुमक्खीपालन का प्रशिक्षण दिया गया. हरियाणा के भूमिहीन बेरोजगार, अशिक्षित ग्रामीण पुरुष व महिला किसानों में मधुमक्खीपालन के प्रति रुचि पैदा करने के साथसाथ छोटी मधुमक्खीपालन की इकाइयां स्थापित करने के लिए उन्हें प्रेरित भी किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि बेरोजगार, अशिक्षित और कम जोत वाले किसान मधुमक्खीपालन को रोजगार के रूप में अपना कर अपनी माली हालत को मजबूत कर सकते हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य मधुमक्खीपालन को खासकर महिलाओं में लोकप्रिय बना कर उन के लिए स्वरोजगार स्थापित करना है.

प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले किसान न केवल खुद का व्यवसाय स्थापित करेंगे, बल्कि दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम होंगे. मधुमक्खीपालन अपनाने से किसानों और खासतौर से महिलाओं के लिए आजीविका के साधन भी बढ़ेंगे.

कीट विज्ञान विभाग की अध्यक्ष व परियोजना अधिकारी डा. सुनीता यादव ने बताया कि प्रशिक्षकों को मधुमक्खीपालन इकाई की स्थापना के लिए नि:शुल्क मधुमक्खी बक्से एवं आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी.

उन्होंने आगे बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र की देखरेख में प्रशिक्षुओं को उन के उत्पादों की मार्केटिंग करने के बारे में भी मदद की जाएगी. कृषि विज्ञान केंद्र, करनाल के वरिष्ठ संयोजक डा. महा सिंह जागलान ने करनाल जिले के विभिन्न गांवों से इस प्रशिक्षण के लिए 30 प्रतिभागियों का चयन किया.

इंडियन औयल कारपोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक राजीव रंजन ने कहा कि हरियाणा में मधुमक्खीपालन में रोजगार के बेहतरीन अवसर हैं. विश्वविद्यालय किसानों से सीधेतौर पर जुड़ कर उन के उत्थान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. महिला किसान मधुमक्खीपालन के व्यवसाय को अपना कर संतुलित आहार में पोषण तत्व सहित अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं.

इस अवसर पर इंडियन औयल कारपोरेशन के उपमहाप्रबंधक विपिन कुमार, प्रबंधक नीतीश कुमार सिंह, प्रशिक्षण कार्यक्रम के सहसंयोजक डा. सुरेंद्र सिंह यादव, डा. मनोज कुमार व हरीश कुमार भी मौजूद रहे.

जल्द करा लें फसल बीमा (Crop Insurance) यह है बीमा कराने की अंतिम तिथि

भोपाल : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत भोपाल जिले में एग्रीकल्चर इंश्योरेस कंपनी औफ इंडिया लि. के माध्यम से किसानों को फसल बीमा (Crop Insurance) योजना का लाभ दिया जा रहा है. इस योजना के तहत खरीफ 2024 के लिए सभी ऋणी, अऋणी, डिफाल्टर, बंटाईदार किसानों के लिए बीमा की अंतिम 15 अगस्त, 2024 थी, परंतु उक्त दिन स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में शासकीय अवकाश होने के कारण सभी किसानों के लिए फसल बीमा की अंतिम तिथि 15 अगस्त से 16 अगस्त, 2024 कर दी गई है.

फसल बीमा के लिए इन कागजात की होगी जरूरत

ऋणी किसानों का फसल बीमा से संबधित बैंक शाखा द्वारा अनिवार्य रूप से करा दिया जाता है एवं अऋणी किसान फसल बीमा के लिए बैंक, एमपी औनलाइन जनसेवा केंद्र सीएससी एवं प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों के माध्यम से अपनी फसलों का बीमा करा सकते हैं.

अऋणी किसानों को बीमा कराने के लिए आवश्यक दस्तावेज आधारकार्ड (नवीनतम), मोबाइल नंबर, बैंक की पासबुक, जिस में किसान का नाम, खाता संख्या, आईएफएससी कोड स्पष्ट हो, खसरा बी-1 (नवीनतम), खसरा अनुसार बोई गई फसल का प्रमाणित बोआई प्रमाणपत्र, किराएदार किसान के लिए किरायानामा का शपथपत्र के साथ निकटतम सीएससी केंद्र, बैंक अथवा प्राथमिक सहाकरी ऋण समिति से संपर्क कर सकते हैं.

किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा होने पर 72 घंटे के अंदर किसान सीधे अथवा अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से टोल फ्री नंबर 18002337115 पर नुकसान की जानकारी दे सकते हैं.

अतिवृष्टि, बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति में 72 घंटे के अंदर फोन करें एवं नुकसानी तिथि एवं वास्तविक आपदा की स्थिति भी दर्ज करें. नुकसानी तिथि फसल की बोनी की तिथि से दर्ज करने पर राशि मान्य नहीं की जाएगी.

फोन करते वक्त विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखा जाए. किसानों को सूचित किया जाता है, ऋणी एवं अऋणी किसानों के लिए बीमा की अंतिम तारीख 16 अगस्त, 2024 से पूर्व ही अपनी फसलों का बीमा कराएं एवं अधिक जानकारी के लिए स्थनीय कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क करें.

भारत दुनिया का फूड बास्केट बनेगा

नई दिल्ली : 5 अगस्त, 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. उन्होंने सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण पढ़े, पर कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों की प्राथमिकता में कभी किसान नहीं रहा.

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषणों में जवाहरलाल नेहरू ने साल 1947 में एक बार भी किसान पर चर्चा नहीं की,  1948 में एक बार उल्लेख किया, 1949 से लेकर 1961 तक कोई विशेष चर्चा नहीं की. इंदिरा गांधी ने भी 15 अगस्त के अपने भाषणों में 1966 में 2 बार बात की, 1967 में एक बार चर्चा की, 1968 में 3 बार उल्लेख किया, 1969 में 3 बार चर्चा की, 1970 में एक बार और 1971, 1972, 1973 में भी केजुअली लिया गया. किसानों की कोई पोलिसी की बात नहीं की. वहीं, राजीव गांधी ने भी कभी किसान कल्याण को प्राथमिकता नहीं दी, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में 2014 में 6 बार, 2024 में 23 बार, 2016 में 31 बार, 2017 में 20 बार, 2018 में 17  बार, 2019 में 17 बार, 2020 में 17 बार, 2021 में 15 बार किसानों का नाम लिया है. किसान का नाम, खेती को प्राथमिकता पर बात की. नरेंद्र मोदी के दिल में किसान था, इसलिए जबान पर किसान बारबार आता है.

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि फसल खराब होने के बाद मुआवजे को ले कर कई बार गड़बड़ियां सामने आई हैं, इसलिए विजनरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों की तरफ से धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने डिजिटल कृषि मिशन शुरू करने का संकल्प लिया.

उन्होंने कहा कि मुझे कहते हुए गर्व है कि किसानों को आधार की तरह एक डिजिटल पहचान दी जाएगी. किसान आईडी बनाई जा रही है, जिसे किसान की पहचान के रूप में जाना जाएगा. इस किसान आईडी को राज्य के भूमि के रिकौर्ड के साथ जोड़ा जाएगा. अब किसान कोई भी फसल बोएगा, उस के रिकौर्ड में कोई हेराफेरी नहीं हो सकती, क्योंकि वो डिजिटल है. कोई भी उस में गड़बड़ नहीं कर सकता. फसल बोई गई है तो बोने के बाद जैसे ही फसल आती है, मोबाइल से वीडियोग्राफी कर के उस को सुरक्षित कर दिया जाएगा, ताकि फसल कौन सी बोई है, उस में कोई गड़बड़ न कर सके. किसानों के नुकसान के आकलन के लिए व्यवस्था बना रहे हैं कि सीधे रिमोट सेंसिंग से होगा. जैसा नुकसान होगा, वो सौ फीसदी वैसा ही आ जाएगा.

कृषि के लिए मोदी सरकार का विजन

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारी सरकार मोदी के नेतृत्व में एक विजन से काम कर रही है और इसलिए उस विजन को प्रकट करना है.

अगले 5 साल का विजन बताते हुए उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज के इस दौर में हमें जलवायु अनुकूल, बायोफोर्टिफाइड नई फसल किस्में तैयार करना पड़ेगी. हम 1,500 नई किस्में तैयार करने जा रहे हैं, प्रधानमंत्री मोदी कुछ दिनों में ही 109 नई किस्में किसानों को समर्पित करने वाले हैं, ताकि बढ़ते हुए तापमान के बाद भी कृषि में उत्पादन लगातार बढ़ता रहे. किसानों को डिजिटल आइडेंटिटी दी जा रही है, सरकार मिशन के तौर पर काम कर रही है. फसल विविधीकरण पर काम किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती हमारे विजन में है. लैब रिसर्च को लैंड तक ले जाना हमारा विजन है. वन हेल्थ अप्रोच पर हम काम कर रहे हैं, जो मानव, पशु, पौधे और पर्यावरण स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को उजागर करता है.

उन्होंने कहा कि हमारा मंत्रालय बीज की 1,500 से ज्यादा नई किस्में तैयार कर रहा है. 18,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ सौ एक्सपोर्ट ओरिएंटेड बागबानी क्लस्टर विकसित किए जाएंगे. आधुनिक पोस्ट हार्वेस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व निवेश कर रहे है. ई-नाम 2.0 का शुभारंभ और अतिरिक्त 1,500   मंडियों का एकीकरण का काम किया जा रहा है. 6,800 करोड रुपए निवेश के साथ तिलहन मिशन की शुरुआत कर आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं. बहुआयामी अप्रोच के माध्यम से बीज क्षेत्र के विकास पर जोर दिया जा रहा है. 50,000 गांवों को जलवायु अनुकूल गांव के रूप में विकसित करने के लिए हम पहल करने जा रहे हैं. सूक्ष्म सिंचाई के तहत 1 करोड़, 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने की योजना पर काम किया जाएगा.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम अगले 2 सालों में 200 जिलों में मौजूद फसल प्रणाली में 2,500 पारंपरिक किस्म को वापस लाने पर जोर दे रहे हैं. अगले 5 सालों में आदर्श दलहन और तिलहन गांव के विकास पर हम काम करेंगे.

हमारा लक्ष्य है कि हम दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करें. मिशन मोड पर जलवायु अनुकूल कृषि पर काम किया जा रहा है. छोटे किसान भी अधिक लाभ कमा सकें, इस के लिए मौडल फार्म बना रहे हैं.

सम्मान निधि से किसान स्वावलंबी और सशक्त हुआ है

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम किसान सम्मान निधि पर चर्चा कर रहे थे, कांग्रेस ने किसानों को सीधी मदद की बात की, लेकिन कांग्रेस ने कभी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजना नहीं बनाई. सीमांत किसानों के लिए 6,000 रुपए की राशि माने रखती है. इस किसान सम्मान निधि के कारण किसान आत्मनिर्भर बने हैं, किसान सशक्त भी हुए हैं और किसानों का सम्मान भी बढ़ा है, लेकिन कांग्रेस को किसानों का सम्मान नज़र नहीं आ रहा है.

उन्होंने कहा कि, अगर खेती के लाभ को बढ़ाना है, तो व्यापक दृष्टिकोण अपनाना पड़ेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्देश दिया है कि खेती और खेती से संबंधित सारे विभाग एक दिशा में चलें. हम जानते हैं कि विभाग अलगअलग हैं, कैमिकल फर्टिलाइजर विभाग अलग है, जल शक्ति विभाग अलग है, इसलिए सरकार ये प्रयास कर रही है कि अलगअलग विभाग चाहे वो एनिमल हस्बेन्डरी हो, फिशरीज हो, हार्टिकल्चर हो, ये मिल कर प्लानिंग करें, एक दिशा में चलें, ताकि हम खेती में लाभ को और ज्यादा बढ़ाने का काम कर सकें. एकएक दृष्टिकोण ये सरकार अपनाएगी.

संवाद से समाधान की तरफ बढ़ेंगे

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से ये निवेदन करना है कि किसान को वोट बैंक न समझें, किसान को इनसान मान कर व्यवहार करें. राज्य सरकारों का सहयोग जरूरी है, क्योंकि बिना राज्य सरकारों के सहयोग के केंद्र काम नहीं कर सकता है, इसलिए जो हमारा सहकारी संघवाद है, उस भावना का आदर करते हुए अलगअलग राज्यों के कृषि मंत्रियों को बुलाया, चाहे किसी पार्टी के हों, हम ने पार्टी का भेद नहीं किया और वहां की कृषि समस्याओं पर चर्चा कर के उन के समाधान का प्रयास किया है. हम राज्यों के साथ मिल कर काम करते रहेंगे. कृषि विज्ञान केंद्र, किसान और विज्ञान को जोड़ने के लिए बने हैं.

सभी सांसदों से आग्रह करता हूं कि, एक बार अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र में जरूर जाएं, वहां के कामों में भागीदारी करें. हमारे साइंटिस्ट, जो रिसर्च लैब में काम करते हैं, उसे लैंड तक ले जाएं. प्रधानमंत्री मोदी का विजन है कि आने वाले 2047 तक भारत न केवल अपनी जनता के लिए पोषणयुक्त पर्याप्त अन्न, फल और सब्जियां पैदा करेगा, बल्कि दुनिया का फूड बास्केट भी बन कर उभरेगा. कृषि में समस्याएं हैं, लेकिन समाधान भी हैं.

हम किसानों से बात करेंगे, किसान संगठनों से भी बात करेंगे, हम संवाद से समाधान की तरफ बढ़ेंगे और सब को साथ ले कर आगे चलेंगे. हम इस देश की कृषि और किसानों के कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ेंग.

किसानों का दल जाएगा कृषि प्रशिक्षण (Agricultural Training) के लिए

रायसेन : उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की राज्य योजनांतर्गत रायसेन जिले के 30 किसानों का दल नोडल अधिकारी और ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी गैरतगंज सुरेंद्र सिंह रघुवंशी के साथ कृषक प्रशिक्षण सहभ्रमण हेतु सीहोर के लिए भेजा गया. कृषक दल को सहायक संचालक उद्यान रमाशंकर द्वारा हरी झंडी दिखा कर भेजा गया.

इस अवसर पर ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी अंजू शर्मा और शाखा प्रभारी पिंकी गाडगे भी उपस्थित रहीं.

भ्रमण सहप्रशिक्षण के लिए भेजने के पूर्व किसानों को मप्र शासन द्वारा संचालित उद्यानिकी की उन्नतशील विभिन्न योजनाएं जैसे फल क्षेत्र विस्तार योजना, सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना, मसाला क्षेत्र विस्तार योजना, ड्रिप, स्प्रिंकलर एवं मिनी स्प्रिंकलर संयंत्र, संरक्षित खेती योजनांतर्गत पौलीहाउस, नैटहाउस निर्माण करना, पौलीहाउस एवं नैटहाउस के अंदर सब्जी एवं फूलों की उच्च तकनीकी से खेती, प्लास्टिक मल्चिंग, जैविक खेती, वर्मी कंपोस्ट यूनिट, पैकहाउस यूनिट, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन एवं अन्य उद्यानिकी की खेती के बारे में अवगत कराया गया.

किसानों के दल को गांव ईटखेडी जिला सीहोर के अंतर्गत फल अनुसंधान केंद्र में खाद्य प्रसंस्करण इकाई पर प्रशिक्षण एवं फलों, सब्जियों, मसाले की खेती पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. उस के बाद सीआईएई भोपाल में भ्रमण दल को उन्नत कृषि यंत्रों के बारे में अवगत कराया जाएगा.

भ्रमण दल सीहोर से इछावर में कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा पुष्प फसल, जैविक खेती, सूक्ष्म सिंचाई, सब्जी, मसाला, फलों की उन्नतशील खेती के विषय में अवगत कराया जाएगा. रात्रि विश्राम किया जाएगा. इस के बाद 8   अगस्त को कृषि विज्ञान केंद्र, सीहोर में कृषि मौसम केंद्र का भ्रमण, आईईपीएसआईएनएम पर प्रशिक्षण एवं उद्यानिकी की विशिष्ट तकनीकी के बारे में बताया जाएगा.

क्लेम देने में देरी हुई तो बीमा कंपनी देगी 12 फीसदी पेनल्टी

नई दिल्ली : 6 अगस्त 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संसद में प्रश्नकाल के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संबंध में प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती फसल बीमा योजनाओं में कई तरह की कठिनाइयां थीं, किसानों के लिए उच्च प्रीमियम थी, दावों के निबटान में विलंब होता था, किसान और किसान संगठनों को कई तरह की आपत्तियां थीं. नरेंद्र मोदी नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाए और जब से ये योजना आई है, आप तुलना कर के देख लीजिए, पहले केवल 3.51 करोड़ आवेदन आते थे, लेकिन अब 8.69 करोड़ आवेदन आए हैं, क्योंकि किसानों को भरोसा है.

उन्होंने आगे कहा कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब अऋणी किसानों के केवल 20 लाख आवेदन आते थे, अब 5.48 करोड़ आए हैं. कांग्रेस सरकार में कुल किसान आवेदन 3.71 करोड़ थे, जो अब 14.17 करोड़ हैं. किसानों ने 32,440 करोड़ रुपए प्रीमियम दिया, जबकि उन्हें 1.64 लाख करोड़ रुपए क्लेम दिया गया.

योजना में 3.97 करोड़ किसान हुए कवर

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पुरानी फसल बीमा योजना में बीमा आवश्यक रूप से किया जाता था और बीमा की प्रीमियम राशि बैंक अपनेआप काट लेते थे. हमारी सरकार ने इस विसंगति को दूर किया है. अब किसान की मरजी है तो वह बीमा कराएं और अगर मरजी नहीं है तो न कराएं.

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पहले अऋणी किसान बीमा नहीं करवाता था, लेकिन अब वह भी चाहे तो बीमा करवा सकता है. अब तक इस में 5 लाख 1,000 हेक्टेयर कवर हुआ, जो साल 2023 में बढ़ कर 5.98 लाख हो गया है, वहीं 3.97 करोड़ किसान कवर हुए हैं और किसान निरंतर फसल बीमा योजना अपना रहे हैं.

उन्होंने कहा कि योजना को आसान बनाने के लिए सरकार ने अनेक उपाय किए हैं, जिस से कि योजना का लाभ लेने में किसानों को कोई दिक्कत न हो.

नुकसान का आंकलन रिमोट सेंसिंग से

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक और नवाचार किया गया है. अब नुकसान का आंकलन नजरी नहीं, रिमोट सेंसिंग के माध्यम से कम से कम 30 फीसदी करना अनिवार्य कर दिया गया है. कई बार क्लेम भुगतान में देरी होती है. अगर देरी होती है, तो बीमा कंपनी 12 फीसदी पेनल्टी देगी, जो सीधे किसान के खाते में जाएगी. अगर हम देरी के कारण देखें, तो अधिकांश राज्यों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी में अपने हिस्से को देरी से जारी करना सब से बड़ा कारण है.

उन्होंने कहा कि मैं सभी राज्य सरकारों से निवेदन करता हूं कि अपना हिस्सा जारी करने में देर न करें. कई बार उपज के आंकड़े देरी से प्राप्त होते हैं. कुछ मामलों में बीमा कंपनी और राज्यों के बीच विवाद सामने आता है. पहले एक व्यवस्था थी कि जब राज्य सरकार अपनी राशि जारी करती थी, तभी केंद्र सरकार अपना हिस्सा देती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने अब एक प्रावधान किया है और राज्य सरकार के शेयर से खुद को को डीलिंक कर लिया है, इसलिए अब केंद्र अपना शेयर तत्काल जारी करेगी, ताकि किसान के भुगतान में देरी न हो. किसान को कम से कम केंद्र की राशि समय पर मिल जाए.

पीएम फसल बीमा योजना के 3 मौडल

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूरे देश के हर जिले के और हर किसान के लिए है. प्रधानमंत्री फसल बीमा के 3 अलगअलग मौडल हैं और उस मौडल में केंद्र सरकार केवल पोलिसी बनाती है. राज्य सरकार जिस मौडल को चुनना चाहे, उस मौडल को चुनती है.

ये फसल बीमा योजना हर राज्य के लिए आवश्यक नहीं है. जो राज्य इस योजना को अपनाना चाहे अपनाए और जो राज्य नहीं अपनाना चाहे, नहीं अपनाए.

उन्होंने कहा कि बिहार में अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू नहीं किया गया है. बिहार की एक अपनी योजना है, वह उस योजना के हिसाब से अपने किसान को लाभान्वित करते हैं.