किसान डीएपी और यूरिया पर निर्भरता करें कम

झाबुआ : कलक्टर नेहा मीना के मार्गदर्शन में उपसंचालक, किसान कल्याण एवं कृषि विकास एनएस रावत के द्वारा निरंतर प्रयास से जिले के किसानों को उन की आवश्यकता के अनुरूप उर्वरक की आपूर्ति भी की जा रही है और उर्वरक भंडारण एवं वितरण कार्य गतिशील है. अद्यतन स्थिति में जिले में 8927 मीट्रिक टन यूरिया, डीएपी, 2488 मीट्रिक टन, एनपीके 3040 मीट्रिक टन, एमओपी 521 मीट्रिक टन और एसएसपी 1624 मीट्रिक टन भंडारित हो कर जिले के किसानों के लिए उपलब्ध है.

रबी के सीजन में किसानों के द्वारा बोनी के समय आधार डोज के लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है. विगत कई वर्षों से यह देखने में आया है कि किसानों द्वारा एक ही प्रकार के उर्वरक जैसे यूरिया, डीएपी, सुपर फास्फेट का ही प्रयोग किया जा रहा है. इस से एक ही प्रकार के उर्वरक के प्रति किसानों की निर्भरता बनी हुई है, जिस की पूर्ति अन्य उर्वरक जैसे 12:32:16 एवं 10:26:26 मिश्रित उर्वरकों का उपयोग कर किसान डीएपी एवं यूरिया पर निर्भरता कम कर सकते हैं. ये मिश्रित उर्वरक समितियों एवं बाजारों में निजी विक्रेताओं के पास भी आसानी से उपलब्ध रहते हैं.

रबी फसल गेहूं के लिए प्रति हेक्टेयर 120:60:40 किलोग्राम पोषक तत्व नत्रजन, सिंगल सुपर फास्फेट, पोटाश की आवश्यकता होती है. इन पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए किसान पहले विकल्प के रूप में 260 किलोग्राम यूरिया, 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 67 किलोग्राम पोटाश उर्वरक का उपयोग कर सकते है.

गेहूं फसल के लिए दूसरे विकल्प के रूप में किसान 168 किलोग्राम यूरिया, 188 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 12:32:16 एवं पोटाश 27 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग कर सकते है, वहीं तीसरे विकल्प के रूप में किसान 150 किलोग्राम यूरिया, 20 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 10:26:26 एवं पोटाश 25 किलोग्राम उर्वरक का उपयोग कर सकते हैं. इन तीनों विकल्पों से गेहूं फसल के लिए जरूरी तत्वों की पूर्ति की जा सकती है.

चना फसल के लिए प्रति हेक्टेयर 20:60:00 किलोग्राम पोषक तत्व नत्रजन एवं सिंगल सुपर फास्फेट की आवश्यकता होती है. इन पोषक तत्वों की पूर्ति करने के लिए पहले विकल्प के रूप में 43 किलोग्राम यूरिया के साथ 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फस्फेट का प्रयोग किया जा सकता है. दूसरे विकल्प के रूप में किसान 192 किलोग्राम मिश्रित उर्वरक 12:32:16 का उपयोग कर सकते है. वहीं तीसरे विकल्प के रूप में किसान 100 किलोग्राम यूरिया के साथ 100 मिश्रित उर्वरक 10:26:26 का उपयोग कर सकते है.

कृषि विभाग किसानों से आग्रह करता है कि उच्च गुणवत्ता वाले कृषि आदान उचित मुल्य पर अधिकृत विक्रेताओं से ही खरीदें और पक्का बिल अवश्य लें. अधिक जानकारी के लिए नजदीकी क्षेत्र के मैदानी अमलों, कृषि कार्यालय व कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं.

घटिया खादबीज की रोकथाम के लिए बनेगा कड़ा कानून

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रत्येक मंगलवार किसान और किसान संगठनों से संवाद के क्रम में पिछले दिनों नई दिल्ली में किसान संगठनों के सदस्यों से चर्चा की. उन्होंने किसान संगठनों के आए सभी अध्यक्ष, संयोजक व किसानों का स्वागत किया. किसान संगठनों ने कृषि की लागत कम करना, लाभकारी मूल्य देना, फसलों को पानी के भराव से बचाना, कीटनाशक व अच्छा बीज मिल सके और फसल को पशुओं से कैसे बचा सकें आदि के संबंध में चर्चा की व कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए.

उन्होंने आगे बताया कि किसान अनियंत्रित कीटनाशकों व उर्वरकों के उपयोग से धरती के स्वास्थ्य के खराब होने को ले कर भी चिंतित हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी सभी तक कैसे पहुंचे, ताकि सभी किसान उस का लाभ उठा पाएं.

किसानों ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा कि जानकारी के अभाव में कई बार किसान योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं. फसल बीमा योजना अच्छी योजना है, लेकिन सभी किसानों का बीमा नहीं हो पाता है. किसान क्रेडिट कार्ड पर पैसा मिलने के संबंध में भी किसानों ने सुझाव दिए हैं.

किसानों ने कई व्यावहारिक समस्याएं सामने रखी हैं, जैसे कि ट्रांफार्मर के जलने पर उसे समय सीमा में बदला जाए, ताकि फसल की सिंचाई प्रभावित न हो. किसानों ने फैक्टरियों से दूषित पानी निकलने और उस से फसलें या भूमिगत जल खराब होने की समस्या पर भी चर्चा की. यह चर्चा उन के लिए बहुत ही उपयोगी है, क्योंकि किसानों की सेवा ही देश की सच्ची सेवा है.

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की समस्याएं ऐसी हैं कि दिखने में छोटी लगती हैं, लेकिन इन का समाधान हो जाए तो किसानों की 10 से 20 फीसदी आमदनी बढ़ जाएगी. इसलिए हम ने तय किया है कि जो केंद्र सरकार से संबंधित समस्याएं हैं, जैसे किसानों को घटिया कीटनाशक व बीज न मिलें, इस के लिए कानून को और कड़ा बनाने आदि को ले कर केंद्र सरकार विचार करेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि कई चीजें ऐसी हैं, जो राज्य सरकारों को करनी हैं. किसानों के राज्यों से संबंधित सुझाव हम राज्य सरकारों को भेजेंगे.

fertilizer seeds

उन्होंने बताया कि किसानों ने मैनुअल सर्वे से रिकौर्ड को मेंटेन करने से होने वाली परेशानी से बचने को ले कर भी सुझाव दिए हैं, जो कि बहुत ही उपयोगी हैं. किसानों को धन्यवाद देता हूं कि वे चर्चा के लिए आए और उन्होंने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए. हमें जो सुझाव मिले हैं, उन पर मिल कर काम करेंगे और समस्याओं के समाधान पर राज्य सरकारों के साथ मिल कर भी प्रयास करेंगे.

नैनो डीएपी से मिल रही अधिक पैदावार

शिवपुरी : किसान कप्तान धाकड़ ने कृषि वैज्ञानिकों से फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए आवश्यक सलाह ली. सलाह लेने के उपरांत उन्होंने अपने खेत में होने वाली फसलों में नैनो डीएपी का उपयोग करना शुरू किया. परिणामस्वरूप, अब वे नैनो डीएपी के उपयोग से अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने किसानों को भी सलाह दी है कि वे भी नैनो डीएपी का उपयोग कर सकते हैं.

तहसील शिवपुरी के ग्राम पिपरसमां निवासी कप्तान धाकड़ ने बताया कि उन्होंने नैनो डीएपी का उपयोग बीजोपचार में किया. बीजोपचार के बाद उन्हें इस के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए, तो उन्होंने दानेदार खाद्य की मात्रा कम कर दी, जिस से पौधे का अंकुरण सही ढंग से हुआ. अभी वर्तमान में भी वे अपने खेत में नैनो डीएपी का उपयोग कर रहे हैं, जिस से आज उन की फसल बिलकुल ठीक हुई है. जिस फसल में उन्होंने दानेदार का उपयोग नहीं किया और नैनो डीएपी का उपयोग किया, उस फसल में उन्हें अच्छा फायदा हुआ है. उन्होंने नैनो डीएपी का उपयोग टमाटर में भी किया. टमाटर में भी इस के अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं.

उन्होंने किसानों को यही सलाह दी है कि गेहूं, सोयाबीन, चना आदि के लिए नैनो डीएपी का ही उपयोग करें. क्योंकि इस के उपयोग से बीज में सही अंकुरण होता है. पौधा भी सही रूप से विकसित होता है.

पराली जलाने की रोकथाम के लिए उड़नदस्‍ते तैनात

चंडीगढ़ : सीएक्यूएम के निर्देशों के तहत पंजाब और हरियाणा राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई व्यापक कार्ययोजनाओं का लक्ष्य खरीफ सीजन 2024 में धान की पराली जलाने की घटनाओं को रोकना है.

पंजाब और हरियाणा राज्यों में धान की कटाई के मौसम के दौरान धान की पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और निगरानी कार्रवाई को तेज करने के लिए सीएक्यूएम की सहायता करने वाले सीपीसीबी के उड़नदस्ते को 01 अक्तूबर, 2024 से 30 नवंबर, 2024 के दौरान पंजाब और हरियाणा के चिन्हित जिलों में तैनात किया गया है, जहां धान की पराली जलाने की घटनाएं आमतौर पर अधिक होती हैं.

इस तरह से तैनात किए गए उड़नदस्ते संबंधित अधिकारियों/जिला स्तर के अधिकारियों/संबंधित राज्य सरकार द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारियों के साथ निकट समन्वय में काम करेंगे.

पंजाब के जिन 16 जिलों में उड़नदस्‍ते तैनात किए गए हैं, उन में अमृतसर, बरनाला, बठिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फाजिल्का, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, मानसा, मोगा, मुक्तसर, पटियाला, संगरूर और तरनतारन शामिल हैं. वहीं हरियाणा के जिन 10 जिलों में उड़नदस्‍ते तैनात किए गए हैं, उन में अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर शामिल हैं.

उड़नदस्‍ते संबंधित अधिकारियों के साथ निकट समन्वय में जमीनी स्तर की स्थिति का आंकलन करेंगे और दैनिक आधार पर आयोग और सीपीसीबी को रिपोर्ट करेंगे. इस रिपोर्ट में आवंटित जिले में धान की पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. इस के अलावा सीएक्यूएम जल्द ही पंजाब और हरियाणा में कृषि विभाग और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ निकट समन्वय के लिए धान की कटाई के मौसम के दौरान मोहाली/चंडीगढ़ में “धान की पराली प्रबंधन” सेल स्थापित करेगा. दोनों राज्‍यों के विभिन्‍न जिलों में उड़नदस्‍ते तैनात किए गए हैं.

खादबीज की कालाबाजारी की तो होगी सख्त कार्यवाही

अशेाक नगर : कलक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी द्वारा निर्देशित किया गया कि सभी लोग इस बात का ध्यान रखें कि आगामी रवि सीजन को देखते हुए किसान भाइयों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसलिए सही प्रकार से उच्च गुणवत्ता के उर्वरकों का निर्धारित दर पर बिक्री किया जाना सुनिश्चित करें. साथ ही, डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके 20 :20 :0 :13 ,12:32:16, 16: 16 : 16, सिंगल सुपर फास्फेट एवं टीएसपी उर्वरकों से पूर्ति करने के लिए किसान भाइयों को तकनीकी रूप से सलाह दी जाएं. साथ ही, समस्‍त डीलरों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षण भी दिया गया. आने वाले समय में किसानों को पर्याप्त मात्रा में खादबीज उपलब्ध रहे.

बैठक में कलक्‍टर सुभाष द्विवेदी ने निर्देश दिए कि जिले में खादबीज की कालाबाजारी न हो, सुनिश्चित किया जाए. साथ ही, उन्होंने निर्देश दिए कि कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने यह भी कहा कि जिले में पर्याप्त मात्रा में यूरिया है. यूरिया की कोई कमी नहीं है. साथ ही, उन्होंने कृषि विभाग को निर्देशित किया कि किसानों की मांग के अनुसार डीएपी और एनपीके के प्रस्ताव बना कर शासन को भेजा जाए, जिस से जिले में खाद की कमी न रहे.

उन्होंने आगे कहा कि जिले में किसी प्रकार की कोई नकली खाद न बिके, यह सुनिश्चित किया जाए. बैठक उपसंचालक, कृषि, केएस कैन एवं समस्त वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और समस्त थोक एवं रिटेलर खादबीज विक्रेता एवं कृषक उत्‍पादन संगठन उपस्थित रहे.

पशु आहार बनाने में गांव की महिलाएं कर रही हैं तरक्की

हमारे देश के गांवों में बसने वाली  आबादी की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा खेती और पशुपालन से आता है. इस वजह से देश की ज्यादातर गांवदेहात की आबादी पशुपालन से जुड़ी हुई है, लेकिन कभीकभी पशुपालकों द्वारा सही चारा प्रबंधन और पोषण प्रबंधन न हो पाने के चलते प्रति पशु पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है और न ही बीमारियों का सही तरीके से प्रबंधन हो पाता है.

ऐसे में पशुपालकों की पशु आहार से जुड़ी समस्याओं को देखते हुए बिहार राज्य के समस्तीपुर जिले के चकलेवैनी ग्राम पंचायत की कैजिया गांव की महिलाओं ने स्थानीय स्तर पर पशु आहार बनाने का कारोबार शुरू कर आसपास के गांवों में पशुपालकों की पशु आहार से जुड़ी समस्या का निदान कर दिया है, जिस की बदौलत कैजिया गांव में चूल्हेचौके तक सिमटी रहने वाली घरेलू महिलाएं आज खुद की और पशुपालकों की तरक्की की कहानी तो लिख ही रही हैं, साथ ही साथ पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में मददगार भी साबित हो रही हैं.

छोटी बचत से हुई शुरुआत

पशु आहार बनाने से जुड़ी कैजिया गांव की महिलाओं को कुछ साल पहले तक घर से बाहर निकलने तक की मनाही थी, लेकिन आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम (भारत) द्वारा एक्सिस बैंक फाउंडेशन के सहयोग से इन गंवई महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए स्वयंसहायता समूह से जोड़ कर बचत की आदतों को बढ़ावा देने की पहल शुरू की गई.

साहूकारों के चंगुल से मिली नजात

कैजिया गांव की इन महिलाओं ने मां संतोषी स्वयंसहायता समूह बनाया, जिस में पहले साल 12 महिलाएं ही जुड़ीं, जिस से जुड़ कर इन महिलाओं ने हर महीने 20 रुपए से ले कर 100 रुपए तक की बचत की शुरुआत की.

महिलाओं ने इस बचत के पैसों का इस्तेमाल अपने घर की जरूरतों और साहूकारों का कर्ज चुकता करने में किया, जिस से धीरेधीरे इन महिलाओं का परिवार साहूकारों के चंगुल से मुक्त हो गया. इस के बाद 3 साल में इस समूह से 18 महिलाएं जुड़ गईं.

महिलाओं की इस स्वयंसहायता समूह की साख को देख कर स्थानीय बैंक ने 2 लाख रुपए का लोन भी स्वीकृत किया है, जिस से समूह से जुड़ी महिलाएं व्यवसाय कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकें.

इन महिलाओं ने बचत के दौरान यह महसूस किया कि उन्हें गांव में ही कुछ ऐसा व्यवसाय करना चाहिए, जिस से वह लाभ भी कमा सकें और उन के घर के पुरुषों का दूसरे शहरों में पलायन भी रुके. ऐसी दशा में इन महिलाओं ने आपस में तय किया कि उन के आसपास बकरीपालक और पशुपालकों की तादाद अधिक है. ऐसे में उन्होंने पाया कि पशुपालकों में अच्छी क्वालिटी के पशु आहार की मांग स्थानीय स्तर पर अधिक है. फिर क्या था, महिलाओं ने छोटे स्तर पर पशु आहार बनाने की मशीन लगाने का फैसला लिया.

इन महिलाओं ने एकेआरएसपीआई से अपनी यह मंशा सांझा की, तो एकेआरएसपीआई ने एक्सिस बैंक फाउंडेशन के सहयोग से उन के इस सपने को पूरा करने के लिए पशु आहार बनाने में उपयोग होने वाली मशीनरी को उपलब्ध कराने का फैसला लिया. इस पर कुल लागत तकरीबन 1 लाख, 97 हजार रुपए की आई. बाकी इस व्यवसाय में उपयोग आने वाले कच्चे माल को महिलाओं ने अपनी बचत के पैसों से खरीदारी करने का फैसला लिया.

समूह की महिलाएं पशु आहार बनाने के लिए खड़े दाने और चारा पीसने के लिए फीड ग्राइंडर मशीन, कैटल फीड मशीन, मिक्स करने के लिए मिक्सर मशीन, वजन करने के लिए वेट मशीन और थ्री फेज के बिजली कनैक्शन का उपयोग करती हैं.

उत्पादक समूह बना कर शुरू किया उत्पादन

कैजिया गांव की महिलाओं ने स्थानीय स्तर पर ही मां तारा उत्पादक समूह बना कर पशु आहार बनाने का काम शुरू किया है. चूंकि इन महिलाओं ने जब मशीनें लगाईं, तभी लौकडाउन लगा दिया गया. लेकिन मशीनें सप्लाई करने वाली कंपनी ने इन महिलाओं को मशीन चलाने और पशु आहार बनाने की औनलाइन ट्रेनिंग दी.

कम पढ़ीलिखी इन महिलाओं ने इसे बड़ी संजीदगी से सीखा और ये महिलाएं आज पशु आहार बनाने का काम कर रही हैं.

स्थानीय स्तर पर आसानी से मिलता है कच्चा माल

इस उत्पादक समूह की सचिव पूनम देवी ने बताया कि पशु आहार बनाने में उपयोग होने वाला कच्चा माल वाजिब दाम पर स्थानीय स्तर पर मिल जाता है. ऐसे में तैयार पशु आहार पशुपालकों को बाजार में उपलब्ध दूसरे ब्रांड की तुलना में सस्ता पड़ता है. इस वजह से उन के पशु आहार की मांग स्थानीय स्तर पर अधिक है.

समूह की कोषाध्यक्ष प्रमिला ने बताया कि पशु आहार बनाने में जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, उस में चोकर और खलियां, मोरिंगा पाउडर, मक्का, बाजरा, तेलयुक्त व तेलरहित चावल की पौलिश, मूंगफली, सोयाबीन, तिल्ली, सरसों, सूरजमुखी की खली, खनिज लवण, नमक, विटामिन व गुड़ प्रमुख हैं.

Ladli Award
Ladli Award

पोषक तत्त्वों का रखा जाता है खयाल

कैजिया गांव में स्थानीय स्तर पर महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे पशु आहार में पर्याप्त मात्रा में खनिज लवण, वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, न्यूक्लिक एसिड, विटामिन की मात्रा उपलब्ध रहती है, जिस से बकरियां, गायभैंस अधिक समय तक और अधिक मात्रा में दूध देती हैं. इस महिला समूह द्वारा तैयार पशु आहार पशुओं को अधिक स्वादिष्ठ और पौष्टिक लगता है.

समूह की सदस्य रीना देवी ने बताया कि उन के समूह द्वारा तैयार किया जाने वाला पशु आहार आसानी से व जल्दी पच जाता है. इस से पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रहता है और उन की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. इस वजह से पशुओं में बीमारियां होने की संभावनाएं कम होती हैं.

उन्होंने आगे बताया कि उन के समूह द्वारा तैयार पशु आहार संतुलित होने से पशु की दूध देने की क्षमता बढ़ती है व अन्य पशु आहारों से सस्ता होने से दूध की प्रति लिटर लागत भी कम होती है.

उन्होंने यह भी बताया कि उन के उत्पाद में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व मौजूद होते हैं, जिस से पशुओं का ऋतु चक्र नियमित होता है और वह समय पर गर्भ धारण करती है.

लौकडाउन में बना मददगार

कैजिया गांव में भी कोरोना के चलते देश में लगे लौकडाउन की वजह से दूसरे शहरों में नौकरी करने वाले लोग अपने गांव लौट आए. इस दशा में उन के घरों की महिलाओं ने लौकडाउन के दौरान भी पशु आहार तैयार कर उस की मार्केटिंग कर अपने घर की माली हालत को बिगड़ने से बचाने में अहम भूमिका निभाई.

अब पुरुषों पर निर्भर नहीं

समूह की सचिव पूनम ने बताया कि कभी हम घर के पुरुष सदस्यों पर निर्भर हुआ करते थे और आज हमारे यहां के पुरुष नौकरी कर पशु आहार की मार्केटिंग में जुटे हुए हैं. इस से इन का दूसरे शहरों की तरफ पलायन तो रुका ही है, साथ ही स्थानीय लैवल पर रोजगार मिलने में भी मदद मिली है.

आमदनी बढ़ाने में हुई सफल

एकेआरएसपीआई के बिहार प्रदेश के रीजनल मैनेजर सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि कैजिया गांव की ये महिलाएं छोटे और बड़े पशुओं के लिए खुद ही मिनरल आहार तैयार करती हैं, जिस पर प्रति किलोग्राम तकरीबन 20 से 25 रुपए की लागत आती है, जिसे वह आसानी से 35 रुपए की दर से बेच लेती हैं. इस प्लांट की जो सब से बड़ी खूबी है वह है, इस प्लांट का संचालन खुद महिलाएं ही करती हैं.

उन्होंने बताया कि गांव की कम पढ़ीलिखी महिलाओं ने पशु आहार बनाने के कारोबार में कामयाबी पा कर यह साबित कर दिया है कि आज के दौर में महिलाएं किसी से कमतर नहीं रहीं.

गंवई महिलाओं के लोकल लैवल पर पशु आहार बनाने के कारोबार की कामयाबी के मसले पर एकेआरएसपीआई के बिहार में कृषि प्रबंधक डा. बसंत कुमार ने बताया कि समस्तीपुर के ज्यादातर गांवों में लोग पशुपालन के कारोबार से जुड़े हुए हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि पशुओं से अधिक दूध उत्पादन के लिए और बीमारियों से बचाव के लिए पशुओं को संतुलित पशु आहार खिलाया जाना जरूरी हो जाता है. ऐसे में पोषक तत्त्वों से युक्त गुणवत्तापूर्ण और सस्ता पशु आहार लोकल लैवल पर मिलना पशुपालकों के लिए चुनौतीपूर्ण था. ऐसे में चकलेवैनी ग्राम पंचायत के कैजिया गांव की महिलाओं ने लोकल लैवल पर पशु आहार बनाने का कारोबार शुरू कर पशुपालकों की समस्या को काफी हद तक कम करने का काम किया है.

उन्होंने यह भी बताया कि महिलाएं पशु आहार बना कर अपने घर की आमदनी बढ़ाने में खासा मददगार साबित हुई हैं.

नवाचारी किसानों को फार्म एन फूड एग्री अवार्ड

भारतनेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जिले यानी बहुत ही पिछड़े जनपद सिद्धार्थ नगर में खेतीबारी, बागबानी सहित खेती से जुड़े दूसरे कामों में विशेष उपलब्धियों वाले किसानों के उत्साहवर्धन के लिए राज्य स्तरीय फार्म एन फूड अवार्ड का आयोजन 26 अगस्त, 2023 को सिद्धार्थ नगर जिला मुख्यालय पर स्थित विकास भवन के डा. अंबेडकर सभागार में किया गया. इस अवार्ड के लिए चयन समिति ने ऐसे किसानों का चयन किया, जिन किसानों ने खेती, बागबानी, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन, डेरी, मशरूम, बकरीपालन इत्यादि के जरीए अपनी और अपने परिवार के साथ अन्य लोगों की आय में इजाफा करने में कामयाबी पाई है. उन का चयन विभिन्न मापदंडों के आधार पर पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया, जिस से इन किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले विभिन्न पुरस्कारों के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

इस आयोजन के मुख्य अतिथि सिद्धार्थ नगर जिले के मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार (आईएएस) रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में उपनिदेशक, कृषि, जिला उद्यान अधिकारी सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.

अतिथि बोले

Awardsइस मौके पर जयेंद्र कुमार ने कहा कि देश की आमदनी का बड़ा हिस्सा अन्नदाता किसानों की कड़ी मेहनत से आता है. ऐसे में अगर किसान उन्नत तकनीकी जानकारी, खेती में मशीनों और यंत्रों का प्रयोग करते हुए उच्च उत्पादकता वाली किस्मों का प्रयोग करें, तो किसानों की आमदनी के साथसाथ देश की आय में भी इजाफा किया जा सकता है.

उपनिदेशक कृषि ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि महकमे से तमाम योजनाएं क्रियान्वित हैं, जिस का लाभ किसान लेबीकर अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं.

उन्होंने किसानों को यह भी बताया कि इस के लिए विभाग में पारदर्शी चयन प्रक्रिया अपनाई जाती है. ऐसे में जो किसान औनलाइन टोकन जनरेट करने में कामयाब रहते हैं, उन्हें योजनाओं का लाभ सीधे दिया जाता है.

उद्यान अधिकारी ने बताया कि बागबानों और किसानों के लिए सब्जी की खेती, बागबानी सहित पौलीहाउस जैसी आय बढ़ाने वाली तकनीकियों पर सरकारी अनुदान उपलब्ध है. इच्छुक किसान विभाग से संपर्क कर योजना का लाभ ले सकते हैं.

‘फार्म एन फूड’ पत्रिका की सराहना

मुख्य विकास अधिकारी जयेंद्र कुमार किसानों की प्रिय पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें ‘फार्म एन फूड’ पीडीएफ में पढ़ने को मिली थी, लेकिन पहली बार प्रिंट पत्रिका को पढ़ने का मौका मिला है.

उन्होंने आगे कहा कि इस पत्रिका के लेख किसानों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकते हैं.

आयोजन में ये भी रहे मुख्य सहयोगी

दिल्ली प्रैस की पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय एग्री अवार्ड में आयोजन सहयोगी के रूप में सिद्धार्थ नगर जिले के काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों को उत्पाद की मार्केटिंग और निर्यात में सहयोगी एफपीओ कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने आयोजन को सफल बनाने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी. इस एफपीओ के निदेशक मंडल से जुड़े श्रीधर पांडेय ने आयोजन के लिए सभी जरूरी संसाधनों को मुहैया कराने से ले कर आयोजन को सफल बनाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई.

ये हैं प्रायोजक

Awardsआटा, मैदा, चोकर सहित तमाम तरह के प्रोडक्ट बनाने वाली अग्रणी कंपनी माधव गोविंद फूड्स प्राइवेट लि., सिद्धार्थ नगर ने इस कार्यक्रम के प्रायोजक के रूप में उच्च स्तरीय संसाधन मुहैया कराया.

इस कंपनी के निदेशक अनूप छापड़िया ने इस मौके पर कंपनी के उत्पादों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन की कंपनी उपभोक्ताओं को गुणवत्तायुक्त विश्व स्तरीय उत्पाद मुहैया कराने के लिए संकल्पबद्ध है.

उन्होंने आगे कहा कि चूंकि उन की कंपनी के उत्पाद किसानों द्वारा उगाए गए खाद्यान्न से तैयार किए जाते हैं. ऐसे में देश के अन्नदाता किसानों के लिए आयोजित इस सम्मान समारोह में प्रायोजक की भूमिका निभा कर कंपनी गर्व महसूस करती है.

किसानों ने साझा किए अपने अनुभव

Awards‘फार्म एन फूड एग्री अवार्ड’ से पुरस्कृत होने वाले किसानों ने अपनी सफलता से जुड़े अनुभव भी दूसरे किसानों से शेयर किए. नेशनल अवार्डी किसान राम मूर्ति मिश्र ने किसानों को बताया कि पहले उन्हें अपने कृषि उत्पाद थोड़ाथोड़ा औनेपौने दाम पर बिचौलियों के हाथों बेचना पड़ता था, लेकिन उन्होंने 356 किसानों के साथ मिल कर सिद्धार्थ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड नाम से किसानों की एक कंपनी बनाई. इस के बाद इस एफपीओ से जुड़े किसान अपने कृषि उत्पाद एक जगह कंपनी को इकठ्ठा बेचते हैं, जिस से उन की आमदनी में काफी इजाफा हुआ है.

उन्होंने आगे बताया कि एफपीओ बनाने से उन की आमदनी तो बढ़ी ही, उन के साथसाथ दूसरे किसानों की आदमनी में भी इजाफा हुआ है.

सब्जी उत्पादक किसान अहमद अली ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन के पास खुद की जमीन नहीं है, फिर भी वे बीते 20 सालों से किराए की जमीन में लगभग 20 एकड़ केला, टमाटर, लौकी, नेनुआ जैसी फसलें उगा कर हर साल लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं.

इन्हें मिला सम्मान

राज्य स्तरीय फार्म एन फ़ूड अवार्ड 2023 के तहत कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के निदेशक, राणा प्रताप सिंह और आनंद प्रकाश पाठक को कृषि बागबानी व काला नमक धान की खेती के साथ उत्पादों की बिक्री में बेहतर मूल्य प्रोत्साहन के लिए, अखंड प्रताप सिंह को आम की बागबानी के लिए, राम बरन चौधरी को काला नमक चावल उत्पादन के लिए, सुशीला मिश्रा को कृषि में महिलाओं की भागीदारी के लिए, महीबुल्लाह खान को काला नमक चावल उत्पादन के लिए मुख्य अतिथि के हाथों पुरस्कृत किया गया.

Awardsउत्कृष्ट कृषि पत्रकारिता और लेखन के लिए इंद्रमणि पांडेय, हरिप्रसाद पाठक, विजय श्रीवास्तव, सलमान आमिर, देवेंद्र श्रीवास्तव, एमपी गोस्वामी, सत्यप्रकाश गुप्ता, जीतेंद्र पांडेय, अभिमन्यु चौधरी, राजेश चंद्र शर्मा, अरविंद कुमार मिश्रा, मनोज भगवान को सम्मानित किया गया, जबकि टैक्निकल सपोर्ट यूनिट अरविंद कुमार मिश्रा, कौमन फेसेलिटी सैंटर से अभिषेक सिंह, प्रगतिशील किसान अनिल चौधरी व मो. मुस्लिम को भी सम्मानित किया गया. कृषि महकमे की तरफ से प्राविधिक सहायक अरुण कुमार व मोहर सिंह को सम्मानित किया गया, जबकि उच्च उत्पादकता के लिए प्रगतिशील किसान राम लौट त्रिपाठी और जय प्रकाश सिंह को सम्मानित किया गया.

इस के साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र, सिद्धार्थ नगर से कृषि प्रोत्साहन और किसानों की आय बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिकों का चयन भी पुरस्कार के लिए किया गया था, जिस में कृषि विज्ञान केंद्र, सोहना सिद्धार्थ नगर, वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्यक्ष डा. ओमप्रकाश, फसल सुरक्षा वैज्ञानिक
प्रदीप कुमार, वैज्ञानिक कृषि प्रसार डा. शेष नारायण सिंह को सम्मानित किया गया. इस के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से नामित किसान जटाशंकर पांडेय को एकीकृत कृषि प्रणाली और विक्रम को जैविक खेती के लिए सम्मानित किया गया.
उद्यान और बागबानी क्षेत्र से प्रभुनाथ राम, राकेश वर्मा और राधेश्याम मौर्या को पुरस्कृत किया गया, वहीं पशुपालन और डेरी के क्षेत्र से पशु चिकित्साधिकारी सिद्धार्थ नगर डा. प्रदीप कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी अरुण कुमार प्रजापति और पशुपालक इंद्रजीत व हरिलाल को सम्मानित किया गया.

मत्स्य क्षेत्र से मत्स्य विभाग से शिव प्रकाश मिश्र व कुलदीप सक्सेना के साथ मत्स्यपालक बिरजू साहनी व राजेश कुमार साहनी को सम्मानित किया गया. सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में अभिलाष चतुर्वेदी के साथ ही विनोद प्रजापति, उमेश श्रीवास्तव, सिद्धार्थ गौतम, व अर्जुन पासवान के साथ ही गौतम बुद्ध जागृति समिति की तरफ से कृषि क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए खरीदन प्रसाद व सुनील कुमार गौतम को सम्मानित किया गया.

इस के अलावा काला नमक धान पर शोध कर रहे कृषि शोध छात्र छितिज पांडेय को भी सम्मानित किया गया.

किसान श्रीधर पांडेय ने की पहल तो बढ़ गई आमदनी

सिद्धार्थ नगर जिले के उस्का बाजार के रहने वाले श्रीधर पांडेय पिछले 30 सालों से खेती में अभिनव प्रयोग करते आ रहे हैं. इसी का परिणाम है कि उन्होंने बीते 30 सालों में खेती से होने वाली आमदनी को चार गुना तक बढ़ाने में सफलता पाई है. वे खेती से न केवल अपनी आय बढ़ाने में कामयाब रहे हैं, बल्कि उन्होंने अपने जैसे लगभग 3,000 परिवारों की आय में भी इजाफा करने में सफलता पाई.

किसान श्रीधर पांडेय ने बताया कि सिद्धार्थ नगर जिला नेपाल सीमा से सटा हुआ है. ऐसे में नेपाल से छोड़े जाने वाले नदियों के पानी से पूरा जिला बाढ़ की चपेट में आ जाता है. इस दशा में किसानों की न केवल फसल नष्ट हो जाती थी, बल्कि बाढ़ के समय हजारों परिवार बेघर हो जाते थे. ऐसे में फसल को बाढ़ से बचाने के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर काम करना शुरू किया. ऐसे हालात को देखते हुए मैं ने एक संस्था ‘गौतम बुद्ध जागृति समिति’ नाम से बनाई और किसानों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण के मसले पर ट्रेनिंग देने के लिए सहयोग मांगना शुरू किया. मेरे प्रयासों को देखते हुए कई एजेंसियां आगे आईं और उन्होंने किसानों के मुद्दे पर सहयोग किया.

Awardsबाढ़ रोधी फसलों के अपनाने से नुकसान में आई कमी

श्रीधर पांडेय की संस्था ‘गौतम बुद्ध जागृति समिति’ ने सिद्धार्थ नगर जिले के हजारों किसानों को बाढ़ के दौरान फसल सुरक्षा उपायों पर सजग किया है, जिस से हर साल बाढ़ से होने वाले नुकसान में काफी कमी आई है. अब किसान ऐसी किस्मों का प्रयोग करते हैं, जो लंबे समय तक बाढ़ के पानी में डूबे रहने के बावजूद भी बाढ़ को सहन कर लेती हैं, जिस से फसल नष्ट नहीं होती है.

काला नमक धान की खेती को ले कर पहल

श्रीधर पांडेय ने बताया कि सिद्धार्थ नगर जिले का काला नमक धान अपनी खुशबू और खूबी के चलते पूरी दुनिया में पहचान रखता है. ऐसे में काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों से बिचौलिए औनेपौने दाम पर चावल खरीद कर विदेशों में भारी दाम पर निर्यात कर रहे थे.
उन्होंने काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों को वाजिब मूल्य दिलाने के लिए ‘कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ नाम से एफपीओ बनाया और किसानों को काला नमक धान की प्रोसैसिंग और पैकेजिंग पर ट्रेनिंग दे कर उन्हें कुशल बना दिया. उन की इस पहल का परिणाम रहा कि काला नमक धान की खेती करने वाले किसान जिन का चावल महज 60 से 70 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता था, वही चावल अब ‘कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ के जरीए 150 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है.

उन्होंने किसानों द्वारा उगाए जाने वाले जीआई टैग प्राप्त चावल को अब ई-कौमर्स प्लेटफार्म पर भी बेचना शुरू कर दिया है, जिस से किसानों का मुनाफा और भी बढ़ गया है.

मोटे अनाज की खेती और प्रोसैसिंग

श्रीधर पांडेय की कंपनी ‘कपिलवस्तु फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ द्वारा अब किसानों के जरीए मोटे अनाज की खेती करवा कर उन्हें प्रोसैसिंग में भी निपुण किया जा रहा है, जिस से किसान बाजार में बढ़ रहे मोटे अनाज और उस के उत्पादों को तैयार कर अधिक मुनाफा ले पाएं.

श्रीधर पांडेय के इन प्रयासों को देखते एक प्रगतिशील किसान के तौर पर अपनी सक्रिय भागीदारी निभाते हुए खुद की आमदनी बढ़ाने के साथ ही दूसरे किसानों के आय को बढ़ाने की जो पहल की है, वह दूसरे किसानों के लिए नजीर बन चुका है.

फार्म एन फूड एग्री अवार्ड में किसानों का हुआ सम्मान

हमारे देश में किसानों को खेतीबारी से जुड़ी तकनीकी और व्यावहारिक जानकारी देने वाली पत्रिकाओं में दिल्ली प्रैस के गौरवशाली प्रकाशनों में शुमार पाक्षिक पत्रिका ‘फार्म एन फूड’ का स्थान सब से ऊपर है. यही वजह है कि इस पत्रिका के लेखक को कृषि पत्रकारिता के क्षेत्र में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा साल 2019 में कृषि क्षेत्र में प्रिंट मीडिया हिंदी की श्रेणी में दिए जाने वाले कृषि अनुसंधान और विकास में उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए चौधरी चरण सिंह अवार्ड प्रदान किया जा चुका है.

‘फार्म एन फूड’ को यह सम्मान यों ही नहीं मिला है, बल्कि ‘फार्म एन फूड’ पत्रिका सरल भाषा में अपने शोधपरक व व्यावहारिक लेखों को न केवल किसानों तक पहुंचाने का काम करती है, बल्कि समयसमय पर राज्य लैवल, रीजनल लैवल और नैशनल लैवल के एग्री अवार्ड समारोहों का आयोजन कर खेती में लीक से हट कर अच्छा करने वाले किसानों, कृषि वैज्ञानिकों, कृषि संस्थानों, कृषि पत्रकारों आदि को सम्मानित कर उन के हौसले को आगे बढ़ाने का काम भी करती रही है.

इसी कड़ी में गांधी व लालबहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर 2 अक्तूबर के दिन आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित  कृषि  विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया में और दिल्ली प्रैस द्वारा केंद्र के सभागार में रीजनल लैवल फार्म एन फूड एग्री अवार्ड, 2021 का आयोजन किया गया.

कार्यक्रम की शुरुआत कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष प्रोफैसर रवि प्रकाश मौर्य ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि जिन किसानों का चयन रीजनल फार्म एन फूड एग्री अवार्ड के लिए किया गया है, उन्होंने खेती में जोखिम को कम करते हुए कम लागत में अधिक उत्पादन लेने का काम किया है.

उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने खेती, बागबानी, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन, डेरी, मशरूम, बकरीपालन इत्यादि के जरीए अपनी और अपने परिवार के साथ अन्य लोगों की आय में इजाफा करने में कामयाबी पाई है, उन का चयन विभिन्न मापदंडों के आधार पर पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया है, जिस से इन किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले विभिन्न पुरस्कारों के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.

Farming Awardsअतिथियों ने कहा

इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम इंडिया के बिहार प्रदेश के रीजनल मैनेजर सुनील पांडेय ने कहा कि ‘फार्म एन फूड’ की भूमिका वास्तव में सराहनीय है.

उन्होंने आगे बताया कि ‘फार्म एन फूड’ द्वारा बीते साल समस्तीपुर में आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम इंडिया के साथ मिल कर छोटे और मझोले किसानों के लिए राज्य लैवल का अवार्ड आयोजित किया गया था. इस से अवार्ड में शामिल किसानों का हौसला काफी बढ़ा है.

उन्होंने यह भी बताया कि एकेआरएसपी-आई, बिहार के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, वैशाली, सारण, सीतामढ़ी और नालंदा  में पेयजल और स्वच्छता, जल प्रबंधन, बकरीपालन, खेती की गतिविधियों को बढ़ावा देने, सिंचाई, महिला बचत समूहों को बढ़ावा देने, नवीकरणीय ऊर्जा, आंगनबाड़ी, कोविड राहत के काम  व प्राथमिक शिक्षा सहित युवाओं के लिए कौशल विकास के मसले पर काम कर रही है.

उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में एकेआरएसपी-आई छोटे और मझोले किसानों की आय बढ़ाने के लिए सभी जरूरी प्रयास कर रही है.

बिहार में एकेआरएसपी-आई के कृषि प्रबधंक डा. बसंत कुमार ने छोटे और मझोले किसानों द्वारा उन्नत तरीके से किए जा रहे बकरीपालन की सफलता से वहां मौजूद किसानों को अवगत कराया.

उन्होंने बताया कि गांव में ही पशु सखियों के जरीए पशुपालकों को स्थानीय लैवल पर सेवाएं मिलने से पशुपालन में आने वाले जोखिम में काफी कमी आई है.

बस्ती जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक प्रसार राघवेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में कृषि विज्ञान केंद्रों की अहम भूमिका है. साथ ही, कृषि की नई तकनीकों के लिए छोटे व मझोले किसानों को बढ़ावा देना है.

दिल्ली प्रैस से ‘फार्म एन फूड’ के प्रभारी भानु प्रकाश राणा ने कहा कि कृषि में नईनई तकनीकियों की जानकारी के लिए सभी को कृषि यानी खेतीकिसानी से संबंधित पत्रपत्रिकाएं जरूर पढ़नी चाहिए. पत्रपत्रिकाएं ही वे सशक्त माध्यम हैं, जो कृषि वैज्ञानिकों/किसानों द्वारा व सरकारी योजनाओं की जानकारी देने का काम करती हैं.

बस्ती के किसानों को भी मिला सम्मान

Farming Awardsबस्ती जिले में खेती में विशेष उपलब्धियों को प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसानों में विजेंद्र बहादुर पाल, अरविंद सिंह, अमित विक्रम त्रिपाठी, राम मूर्ति मिश्र व अहमद अली को भी फार्म एन फूड एग्री अवार्ड से नवाजा गया.

इन संस्थानों और कृषि वैज्ञानिकों को मिला अवार्ड

इस अवसर पर बिहार में खेती के जरीए किसानों की आय बढ़ाने के लिए आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम इंडिया, बिहार के रीजनल मैनेजर सुनील पांडेय व कृषि प्रबंधक डा. बसंत कुमार, सिद्धार्थ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, बस्ती को भी सम्मानित किया गया.

नंदनी नगर पीजी कालेज के समाज कार्य विभाग के अध्यक्ष डा. केके. शुक्ल को भी सम्मानित किया गया. डा. केके. शुक्ल ने कहा कि उन्होंने समाज कार्य के विद्यार्थियों में कृषि क्षेत्र के स्थायित्व व सतत विकास के लिए विभिन्न विषयों पर विद्यार्थियों को प्रोजैक्ट का अवसर उपलब्ध कराया है. इस से कृषि क्षेत्र में आने वाले बदलाव के बारे में पता चलता है और उस पर किसानों को आवश्यक सुझाव देने में मदद मिलती है.

इस आयोजन की सफलता में प्रो. डा. रवि प्रकाश मौर्य का विशेष योगदान रहा. उन्होंने इस अवार्ड के लिए पूरी तन्मयता के साथ लोगों से समन्वय कर इसे सफल बनाया.

बलिया के इन किसानों को मिला अवार्ड

  1. अशोक तिवारी, जिराबस्ती, हनुमानगंज, 2. श्रीप्रकाश वर्मा, ब्रह्माइन, हनुमानगंज, 3. नवीन कुमार पांडेय, नसीराबाद, सागरपाली, हनुमानगंज, 4. धीरेंद्र कुमार शर्मा, अमडरिया, रतसर, गड़वार, 5. सुधीर कुमार सिंह, चकरशुल, गड़वार, 6. टुनटुन यादव, रामगढ़, सिंहपुर, गड़वार, 7. अजय कुमार पांडेय, मेढौराकला, टुटवारी, सोहांव, 8. संतोष कुमार सिंह, दौलतपुर, सोहांव, 9. रामाकांत सिंह, रामापुर, सोहांव, 10. अखिलेश सिंह, देउली, बांसडीह रोड, दुबहड़, 11. ब्रह्मानंद तिवारी, वघौली, बांसडीह रोड, दुबहड़, 12. जितेंद्र नारायण सिंह, रुस्तमपुर, बांसडीह रोड, दुबहड़, 13. रंगनाथ मिश्र, सोनवानी, बेलहरी, 14. हरिदेव प्रसाद वर्मा, बिगही, बेलहरी, 15. अजय कुमार पांडेय, समरथपाह, सोनवानी, बेलहरी, 16. मणिशंकर तिवारी, चकगिरधर, बैरिया, 17. राज मंगल ठाकुर, नौरंगा, बैरिया, 18. शंकर दयाल वर्मा, बैरिया, 19. हीरालाल मौर्य, जमीनबटी, मुरली छपरा, 20. सत्येंद्र यादव, भगवानपुर, मुरली छपरा, 21. सत्येंद्र नाथ पांडेय, भोजापुर, सावन छपरा, मुरली छपरा, 22. तारकेश्वर सिंह, हरपुर, डुमरिया, रेवती, 23. संजय वर्मा, उदहा, रेवती, 24. भगवान वर्मा, दिनहा, रेवती, 25. जय प्रकाश पांडेय, मिरगिरी टोला, बांसडीह, 26. रितिका दूबे, मिरगिरी टोला, बांसडीह, 27. किरन सिंह, खरौनी, बांसडीह 28. हरेराम चौरसिया, मनियर, 29. विनोद उपाध्याय, मनियर, 30. सत्यप्रकाश उपाध्याय, मनियर, 31. आनंद प्रकाश सिंह, सुलतानपुर, भरखरा, बेरुआरबारी, 32. सुशील कुमार श्रीवास्तव, करमर, बेरुआरबारी, 33. निर्भय कुमार उपाध्याय, कुनिहा, भरखरा, बेरुआरबारी, 34. ललन वर्मा, खेजुरी, पन्दह, 35. प्रेमचंद्र वर्मा, खेजुरी, पन्दह, 36. गुलाबचंद प्रजापति, खसरा, पन्दह, 37. बाबूराम वर्मा, जजौली, नवानगर, 38. सुरेश चंद प्रसाद, बघुड़ी, नवानगर, 39. हरिनारायण वर्मा, हडसर, दुहाविहरा, नवानगर 40. हवलदार सिंह, नगहर, रसड़ा,41. वीरबहादुर वर्मा, सिसवार खुर्द, सिसवार कला, रसड़ा, 42. राधेश्याम वर्मा, कमतैला, रसड़ा, 43. इंद्रजीत वर्मा, कुकरहा, चुघड़ा, चिलकहर, 44. तारकेश्वर सिंह, हजौली, चिलकहर, 45. सुनील वर्मा, ऊंचेणा, चिलकहर,46. राकेश सिंह, मलप हरसेनपुर, नगरा, 47. डा. राना प्रताप सिंह, सुलतानपुर, नगरा, 48. मनमोहन सिंह, मलप, हरसेनपुर, नगरा, 49. सुरेंद्र कुमार, तिनई खीदीरपुर, पलीया खास, सीपर, 50. कमलेश कुमार सिंह, जजौली, जजौली-2, सीपर, 51. अरविंद सिंह, शाहपुर टिटिहा, किडिहरापुर, सीपर.

Farming Awards ये कृषि विशेषज्ञ हुए सम्मानित

  1. प्रो. रवि प्रकाश मौर्य, सोहांव, बलिया, 2. डा. प्रेमलता श्रीवास्तव, सोहांव, बलिया, 3. डा. सोमेंद्र नाथ, सोहांव, बलिया, 4. डा. मनोज कुमार, सोहांव, बलिया, 5. प्रो. डीके सिंह, कोटवा, आजमगढ़, 6. डा. आरके सिंह, कोटवा, आजमगढ़ 7. डा. आरपी सिंह, कोटवा, आजमगढ़, 8. डा. राजेशचंद्र वर्मा, अंकुशपुर, गाजीपुर-2, 9. डा. जय प्रकाश सिंह, अंकुशपुर गाजीपुर-2, 10. राजीव कुमार सिंह, केवीके, जौनपुर-1, 11. डा. संदीप कुमार, केवीके, हैदरगढ़, बाराबंकी, 12. डा. रामकेवल, केवीके, बक्सर, बिहार, 13. डा. शिव कुमार सिंह, केवीके, गाजीपुर-1, 14. डा. अशोक कुमार सिंह, बलिया, 15. डा. मुनवेंद्र पाल, बलिया, 16. डा. संजीत कुमार सिंह, बलिया.

फार्म एन फूड अवार्ड ने किसानों का बढ़ाया हौसला

फार्म एन फूड पत्रिका देश के किसानों को न केवल खेतीकिसानी से जुड़ी जानकारी मुहैया कराती है, बल्कि आम बोलचाल की भाषा में यह पत्रिका खेतीबारी की नई तकनीकी, बागबानी, पशुपालन, कुक्कुटपालन, मत्स्यपालन, डेरी व डेरी उत्पाद, फूड प्रोसैसिंग, खेती वगैरह से जुड़ी मशीनों सहित खेत से बाजार सहित ग्रामीण विकास और किसानों की सफलता की कहानियों और अनुभवों को अन्नदाता किसानों तक अपने लेखों और समाचारों के जरीए पहुंचाने का काम करती रही है.

यही वजह है कि इस पत्रिका का प्रसार देश में तेजी से बढ़ रहा है और खेती में रुचि रखने वाले पाठकों की तादाद में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. पिछले 2 सालों से जब देश और दुनिया कोरोना के कहर से जूझ रही थी, उस दशा में भी ‘फार्म एन फूड’ ने किसानों का साथ नहीं छोड़ा है, क्योंकि यह पत्रिका किसानों को प्रिंट और डिजिटल दोनों ही में खेतीबारी से जुड़ी तकनीकी जानकारियां देने का काम कर रही है. इतना ही नहीं, यह पत्रिका न केवल लेखों के जरीए किसानों की मददगार बनी हुई है, बल्कि समयसमय पर उन का सम्मान कर के किसानों के प्रयासों और अनुभवों को लोगों की नजर में लाने का काम करती रही है. इसी क्रम में किसानों के सम्मान के लिए पिछले कई सालों से फार्म एन फूड अवार्ड का आयोजन देश भर के अनेक राज्यों में होता रहा है.

साल 2021 में यह आयोजन मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में राज्य स्तरीय फार्म एन फूड एग्री अवार्ड के नाम से किया गया, जिस के आयोजन में जल योद्धा के नाम से मशहूर उमाशंकर पांडेय ने मुख्य सहयोगी की भूमिका निभाई जिन्हें २६ जनवरी २०२३ को भारत सरकार ने ‘पदम श्री सम्मान’ से भी नवाजा है .

15 दिसंबर, 2021 को मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित चित्रकूट के कामदगिरी मुख्य द्वार स्थित सभागार में उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश से आए तकरीबन 100 किसानों का जमावड़ा गवाह बना और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले किसानों को सम्मानित किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि मदन दास ने कहा कि पानी और शुद्ध पर्यावरण जीवन की मूलभूत आवश्यकता है.

आज अधिकांश पानी प्रदूषित हो गया है. पर्यावरण अशुद्ध हो गया है. उन्होंने यह भी कहा कि किसान अन्नदाता है, स्वराज्य का मुखिया है. हमें किसानों के लिए, उन की आवश्यकताओं के लिए तैयार रहना चाहिए. मैं दिल्ली प्रैस को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने चित्रकूट में राज्य स्तरीय पुरस्कार दे कर किसानों को सम्मानित किया है. किसानों का सम्मान करना गौरव की बात है.

महोबा नगरपालिका के चेयरमैन, प्रतिनिधि सौरभ तिवारी ने कहा कि किसान राजाओं का राजा है. जय जवान जय किसान ही असली भारत है. वहीं युवा किसान नेता गणेश विश्व ने कहा कि भारत की खुशहाली का रास्ता खेत और खलिहान से हो कर गुजरता है. जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के जल योद्धा सम्मान से सम्मानित किसान पैरोकार उमाशंकर पांडेय ने कहा कि धरती पर हर किसी को सीना तान कर चलने का अधिकार है.वह किसान है. धरती से धनधान्य पैदा करने वाले किसान को ही धरतीपुत्र कहा गया है. किसानों को हीनभावना त्याग कर अपने पूर्वजों की भांति राष्ट्र और समाज के लिए सदैव नवाचार करते रहना चाहिए.

किसान अरविंद ने कहा कि किसान पलायन को रोकना होगा. वहीं किसान कल्लू यादव ने कहा कि सरकार और समाज को किसानों के साथ खड़ा होना चाहिए, ताकि अच्छे बीज मिलें, समय पर पानी मिले और बाजार का सही भाव मिले.

खेतीबारी और जड़ीबूटी के जानकार ओपी मिश्र ने कहा कि आज जब किसानों के लिए खेतीबारी से जुड़े साहित्य का अभाव हो गया है, ऐसे में फार्म एन फूड पत्रिका द्वारा आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग कर किसानों के लिए लेखों के जरीए जानकारियों का खजाना खोल दिया है.

उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि फार्म एन फूड अवार्ड पा कर यह पता चला कि अगर किसान उन्नत तकनीकी का उपयोग करे तो वह कभी भी घाटे में नहीं रहेगा. उन्होंने इस तरह के आयोजन को बेहद सराहनीय कदम बताते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से किसानों का मनोबल बढ़ता है. बस्ती जिले से आए प्रगतिशील किसान राममूर्ति मिश्र ने कहा कि वे पिछले 30 वर्षों से भी अधिक समय से दिल्ली प्रैस की पत्रिकाओं के नियमित पाठक रहे हैं. दिल्ली प्रैस ने देश के हर तबके को ध्यान में रख कर पत्रिकाएं निकाली हैं.

उस ने समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि वे साल 2009 से फार्म एन फूड पत्रिका के नियमित पाठक हैं. इस पत्रिका में जितने सारगर्भित ढंग से किसानों के लिए जानकारियां दी जाती हैं, वह खेतीबारी से जुड़ी किसी अन्य पत्रिका में आज तक पढ़ने को नहीं मिलीं. किसान विजेंद्र बहादुर पाल ने कहा कि किसान तभी प्रगति कर सकता है, जब वह आधुनिक तकनीक और उन्नत कृषि प्रणाली का उपयोग करे. इस के लिए सरकार भी तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. किसान इन योजनाओं का लाभ ले कर घाटे की खेती से उबर सकते हैं.

सेना के रिटायर्ड व प्रगतिशील किसान अमित विक्रम त्रिपाठी ने दिल्ली प्रैस की पत्रिका फार्म एन फूड के प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि मीडिया द्वारा किसानों के लिए इतने बड़े स्तर पर आयोजन फार्म एन फूड के किसानों के विकास के समर्पण की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है. सम्मानित हुए कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र, थरियांव, फतेहपुर के वैज्ञानिक डा. जितेंद्र सिंह एवं डा. साधना वैश को कृषि क्षेत्र में किए गए उपलब्धिपूर्ण कामों के लिए राज्य स्तरीय फार्म एन फूड एग्री अवार्ड से सम्मानित किया गया. फतेहपुर के किसानों के प्रोत्साहन के लिए प्रदान किया गया.

वैज्ञानिक डा. जितेंद्र सिंह को उत्तर प्रदेश के कई जनपदों में किसानों के बीच उपलब्धिपूर्ण कामों के साथ पहचान बनाने और बुंदेलखंड में कृषि विकास के स्थायीकरण की मुहिम पर साल 2005 से 2012 तक लगातार किसानों के साथ काम करने व 8 तकनीकी मौडल, जो किसानों को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने का मौडल है, को गांव व किसानों के बीच स्थापित करने के लिए यह अवार्ड दिया गया.

उन्होंने बताया कि मौडल गांव की सफलता की कहानी को आईसीएआर की वैबसाइट पर भी देखा जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि इस अवार्ड से पूर्व भी खेतीबारी के लिए किए जा रहे कामों के लिए उन्हें बुंदेलखंड गौरव अवार्ड 2018 व आयुक्त चित्रकूट धाम मंडल, बांदा द्वारा प्रशस्तिपत्र प्रदान किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि जल योद्धा उमाशंकर पांडेय व प्रगतिशील किसान, जिन्होंने गांव और खेत में लाभकारी खेती के मौडल स्थापित किए हैं, उन के कामों के चलते यह अवार्ड मिला. गृह विज्ञान की वैज्ञानिक डा. साधना वैश को महिला सशक्तीकरण, पोषण सुरक्षा और मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में किए जा रहे कामों के लिए फार्म एन फूड एग्री अवार्ड दे कर सम्मानित किया गया.

इस मौके पर उन्होंने सभी किसानों के साथ ही फार्म एन फूड और दिल्ली प्रैस समूह का आभार व्यक्त किया. किसानों की सफलता व अनुभवों का आदानप्रदान आकर्षण का केंद्र रहे फार्म एन फूड अवार्ड में प्रगतिशील किसानों द्वारा अपने कृषि उत्पाद और नवाचारों के बारे में जानकारी दी गई. कार्यक्रम में आए किसानों को किसान राम मूर्ति मिश्र ने जैविक खेती की जानकारी दी और बताया कि किसान जैविक विधि से खेती कर के न केवल लागत में कमी ला सकते हैं, बल्कि डेढ़ से दोगुना आमदनी भी ले सकते हैं.

चित्रकूट के किसानों ने औषधीय खेती से आमदनी बढ़ाने के टिप्स दिए और बताया कि उन्होंने किस तरह से चित्रकूट में औषधीय खेती करने वाले किसानों को बिचौलियों के चंगुल से नजात दिला कर उन की आमदनी को दोगुना किया है. किसान बने फार्म एन फूड के वार्षिक ग्राहक फार्म एन फूड द्वारा किसानों के लिए आयोजित किए गए कार्यक्रम में आए तकरीबन 100 किसानों को दिल्ली प्रैस की तरफ से इस पत्रिका की सैंपल कौपी मुफ्त उपलब्ध कराई गई.

पत्रिका में छपे ज्ञानवर्धक लेखों को पढ़ कर कई किसान पत्रिका की विशेष स्कीम के तहत वार्षिक ग्राहक भी बने. इस मौके पर किसानों का कहना था कि खेतीबारी से जुड़ी इतनी अच्छी पत्रिका के ग्राहक बन उन्हें देशभर के किसानों और कृषि विशेषज्ञों के अनुभवों और सु?ावों के बारे में घर बैठे जानकारी मिलेगी. इतना ही नहीं, कई किसानों का कहना था कि पत्रिका के रजिस्टर्ड डाक से मिलने के कारण उन्हें शहर तक पत्रिका के लिए भागदौड़ से भी छुटकारा मिल रहा है.

पुरस्कार पा कर खिले चेहरे:  डा. जितेंद्र सिंह, कृषि वैज्ञानिक, डा. साधना वैश, वैज्ञानिक (गृह विज्ञान), उमाशंकर पांडेय, जलग्राम जखनी, बांदा, गणेश प्रसाद मिश्र, ओम प्रकाश मिश्र (हर्बल मैडिसनल प्लांट ऐक्सपर्ट), डा. शिव प्रेम याज्ञिक (क्षेत्रीय इतिहासकार, बुंदेलखंड क्षेत्र, कर्बी), विजेंद्र बहादुर पाल, बस्ती, अमित विक्रम त्रिपाठी, बस्ती, राहुल अवस्थी (जैविक किसान, कृषि सलाहकार) बांदा, अखिलेश्वर सिंह (फूलों की खेती) बांदा, सीए अंकित अग्रवाल, अरविंद चतुर्वेदी, गंगा प्रसाद पांडेय, रामकुमार शुक्ल, सुरेखा (कृषि व समाज कार्य), अरविंद छिरौलिया,

अंबिका प्रसाद यादव (गनीवा फार्म कुरिया), रामकेश यादव, श्रवण कुमार पांडेय, संजय कुमार यादव, रामबाबू मिश्रा, देवनाथ अवस्थी, गणेश प्रसाद मिश्र, शिवसागर सिंह राजपूत, महेश कुमार मिश्र, सौरभ तिवारी, ललित कुमार पांडेय, संतोष त्रिपाठी, महानंद सिंह पटेल, अमरनाथ सिंह पटेल, चंदन सिंह पटेल, रामराज सिंह, सचिन तुलसा त्रिपाठी (कृषि पत्रकार) को पुरस्कार मिले.