कृषक उत्पादक संगठन (FPO) की बैठक में मिली कृषि की जानकारी

संत कबीरनगर: जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर की अध्यक्षता में कृषक उत्पादक संगठन का प्रशिक्षण व कार्यशाला कलक्ट्रेट सभागार में आयोजित हुई.

प्रशिक्षण में अमिनेश श्रीवास्तव फैसिलिटेटर एफपीओ जनपद संत कबीरनगर द्वारा एफपीओ शक्ति पोर्टल पर एफपीओ की क्रियाकलाप एवं उन की क्षमता के अनुसार रैंकिंग के बारे में जानकारी दी. शक्ति पोर्टल पर कृषक उत्पादक संगठन भारत के खरीदारों के माध्यम से जुड़ सकते हैं और अपने उत्पाद को बेहतर मूल्य पर बेच सकते हैं.

उपनिदेशक कृषि डा. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा फार्म मशीनरी बैंक बीज विधान संयंत्र मिलेट्स प्रोसैसिंग यूनिट मिलेट स्टोर मोबाइल मिले स्टोर एवं अन्य कृषि यंत्र औयल मिल, स्मौल राइस मिल, स्मौल गोदाम इत्यादि अनुदान पर दिए जाते हैं.

जिला उद्यान अधिकारी द्वारा बताया गया कि खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत कृषक उत्पादक संगठनों एवं निजी किसानों को अनुदान पर इकाइयां लगाने के लिए 90 फीसदी प्रोत्साहन राशि से उपलब्ध कराई जाती है.

इसी प्रकार जिला प्रबंधक उद्योग केंद्र के द्वारा बताया गया कि प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत कृषक संगठनों को जो कंपनी ऐक्ट या सहकारिता ऐक्ट में बने हैं, उन्हें लागत राशि का 16 से 35 फीसदी अनुदान पर ऋण सीमा उपलब्ध कराई जाती है. इसी प्रकार ऋण ब्याज पर एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमैंट फंड के अंतर्गत ऋण सीमा पर 3 फीसदी की छूट उपलब्ध कराई जाती है.

जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर द्वारा बैठक में उपनिदेशक कृषि डा. राकेश कुमार सिंह को निर्देशित करते हुए कहा कि बैंक की तरफ से आने वाली समस्याओं को सूचीबद्ध कर आगामी बैठक में शामिल किया जाए.

साथ ही, विभागों द्वारा संचालित योजनाएं एवं कृषक उत्पादक संगठन की क्रियाकलाप की प्रस्तुति की जाए, जिस से कि वह किसानों के साथ जुड़ कर आधुनिक खेती में आगे बढ़ सके और अपने उत्पाद को बेहतर मूल्य दिलाए जाने के साथसाथ निर्यात प्रोत्साहन के साथ उस को जोड़ा जा सके.

इस अवसर पर निदेशक एफपीओ अमर राय, नगर पंचायत हैंसर प्रतिनिधि नीलमणि, जिला कृषि अधिकारी पीसी विश्वकर्मा, भूमि संरक्षण अधिकारी सीपी सिंह, जिला कृषि रक्षा अधिकारी शशांक, उपायुक्त राजकुमार शर्मा, प्रगतिशील किसान सुरेंद्र राय सहित संबंधित अधिकारी आदि उपस्थित रहे.

पर्यावरण प्रबंधन (Environmental Management) में प्लास्टिक अभियांत्रिकी पर कार्यशाला

उदयपुर: 22 फरवरी, 2024. कृषि संरचना और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक अभियांत्रिकी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 19वीं दोदिवसीय वार्षिक कार्यशाला का शुभारंभ हुआ.

कार्यशाला का आयोजन एमपीयूएटी, उदयपुर एवं सीफेट, लुधियाना के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. कार्यशाला में परियोजना के देशभर में 14 केंद्र अपनी सालभर का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. कार्यशाला के मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने बताया कि प्लास्टिक का विवेकपूर्ण उपयोग कृषि के क्षेत्र में खासा मददगार साबित हो रहा है. निश्चित ही प्लास्टिक का पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव रहता है, परंतु इस का विवेकपूर्ण उपयोग अन्य पदार्थों का एक सस्ते विकल्प के रूप में अपनी पहचान पूरे विश्व में बन चुका है.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से उत्कृष्ट काम कर रहे हैं, जिस के परिणामस्वरूप भारत आज खाद्य पदार्थों के उत्पादन में आत्मनिर्भर तो हो ही चुका है और निर्यात में भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.

कार्यशाला के अध्यक्ष डा. एसएन झा, उपमहानिदेशक, अभियांत्रिकी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने वैज्ञानिकों को अपने अनुसंधान में आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस एवं इंटरनैट औफ थिंग का समावेश करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने आगे बताया कि वैज्ञानिकों को वर्तमान समस्याओं पर आधारित अनुसंधान करना चाहिए एवं रोज नए नवाचारों को अपने के लिए सक्षम बनना चाहिए.

डा. के. नरसिया, अतिरिक्त निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने वैज्ञानिकों से तकनीकी नवाचार करने एवं उस के आर्थिक पक्ष को संज्ञान में रखते हुए लागत कम करने आह्वान किया. डा. नचिकेत, निदेशक सीफैट, लुधियाना ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि जनमानस में प्लास्टिक को ले कर काफी भ्रांतियां हैं, जबकि विवेकपूर्ण उपयोग प्लास्टिक की उपयोगिता बढ़ाता है.

डा. नचिकेत ने वैज्ञानिकों को बहुआयामी अनुसंधान कार्यों को एक छत के नीचे ला कर सामूहिक प्रयास करने के लिए प्रेरित किया. कार्यालय में डा. राकेश शारदा, परियोजना समन्वयक सीफैट, लुधियाना ने परियोजना का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिस में उन्होंने नई तकनीकियों की जानकारी दी.

कार्यशाला में टीबीएस राजपूत, पूर्व परियोजना निदेशक, भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली एवं इंजीनियर आनंद झांबरे, कार्यकारी निदेशक, एनसीपीएएच, नई दिल्ली विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया, जो कि नई परियोजनाओं एवं वार्षिक प्रतिवेदन की समीक्षा की गई.

डा अरविंद वर्मा, अनुसंधान निदेशक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने अतिथियों का स्वागत किया एवं उदयपुर केंद्र की वर्षभर की उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण दिया. साथ ही, उन्होंने प्लास्टिक का खेती में संभावित उपयोगों पर चर्चा की.

दुनिया में गन्ने की सब से ज्यादा कीमत भारत में: हुई और बढ़ोतरी

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सत्र 2023-24 के गन्ने की एफआरपी से तकरीबन 8 फीसदी और लागत से 107 फीसदी अधिक है. नया एफआरपी 10 फरवरी से प्रभावी होगा. केंद्र सरकार के इस फैसले से 5 करोड़ से अधिक गन्ना किसानों और चीनी क्षेत्र से जुड़े लाखों दूसरे लोगों को फायदा होगा.

गन्ने की सब से ज्यादा कीमत भारत में

उल्लेखनीय है कि भारत के गन्ना किसानों को पहले से ही दुनिया में गन्ने की सब से ज्यादा कीमत दी जा रही है. फिर भी सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को सब से सस्ती चीनी उपलब्ध करा रही है. सरकार के इस फैसले के बाद अब चीनी मिलें गन्ने की एफआरपी 10.25 फीसदी की रिकवरी पर 340 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करेंगी. प्रत्येक 0.1 फीसदी की अधिक रिकवरी पर किसानों को 3.32 रुपए की अतिरिक्त कीमत मिलेगी, जबकि 0.1 फीसदी की कमी होने पर समान राशि की कटौती की जाएगी.

मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह भी कहा कि पिछले 10 सालों में मोदी सरकार ने किसानों को उन की फसल का सही मूल्य उचित समय पर दिलाने का प्रयास किया है. पिछले सत्र यानी 2022-23 का 99.5 फीसदी गन्ना बकाए का भुगतान कर दिया गया है. सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप के चलते चीनी मिलें भी आत्मनिर्भर हो गई हैं और अब उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही है.

बकरी के दूध से साबुन (Goat Milk Soap) बढ़ाएगा खूबसूरती

‘कोमल त्वचा का राज,’ ‘चेहरे पर ग्लो लाएं’ ‘चेहरे को खूबसूरत बनाएं’ जैसे इश्तिहारों से अखबार व दीवार अटे पड़े हैं, वहीं दूसरी ओर दुकानों पर भी साबुन के कई तरह के प्रोडक्ट देखने को मिलते हैं. पर आजकल बकरी के दूध से तैयार साबुन की मांग काफी बढ़ गई है.

बकरी का दूध केवल सेहत को ही नहीं, बल्कि सौंदर्य को भी कई तरह के फायदा पहुंचाता है. देश के कई जगहों पर तो स्वयं सहायता समूहों का गठन कर बकरी के दूध से साबुन, पनीर व दही जैसी चीजें बना कर बाजार में उतारी हैं.

केंद्रीय बकरी अनुसंधान (सीआईआरजी) ने बकरी के दूध से बने कई उत्पाद प्रदर्शनी में प्रस्तुत किए.

अनुसंधान का कहना है कि सीआईआरजी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का एक प्रमुख शोध संस्थान है, जो बकरियों पर शोध करता है. यह संस्थान ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा है. वर्तमान में देश में रोजाना 50 लाख टन बकरी के दूध का उत्पादन होता है. बकरी के दूध में पाचन तत्व, मध्यम व छोटे फैटी एसिड्स और महिलाओं के दूध के समान घटक होते हैं, इसलिए यह बच्चों के लिए भी फायदेमंद है.

बकरी का दूध प्रीबायोटिक, एंेटीइंफैक्शन और ऐंटीऔक्सीडेंट से भरपूर होता है. इस में लिनोलिक एसिड, सेलेनियम, नियासिन, विटामिन ए, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, जिंक और मिनरल जैसे पोषक तत्व होते हैं. यह दूध कई बीमारियों में लाभदायक होता है.

यही वजह है कि बकरी का दूध जल्दी पच जाता है, क्योंकि इस में मिलने वाला वसा काफी कम होता है. नवजात शिशुओं के लिए भी यह दूध काफी लाभदायक होता है, साथ ही साथ हड्डियों को मजबूत करता है. इस में सूजनरोधी और कैंसररोधी अवयव भी हैं. यह प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है. डेंगू व चिकनगुनिया में कम होती प्लेटलेट्स को बढ़ाने में बकरी के दूध का सेवन फायदेमंद है.

आउटबाउंड काल सुविधा से किसानों की कृषि मंत्रालय से होगी सीधी बात

नई दिल्ली: 21 फरवरी, 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कृषि भवन में किसान काल सैंटर आउटबाउंड काल सुविधा का शुभारंभ किया. कृषि भवन स्थित डीडी किसान के स्टूडियो में यह सुविधा स्थापित की गई है.

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के विभिन्न प्रभागों के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य अधिकारी अब मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित योजनाओं पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए किसानों को इस केंद्र से आउटबाउंड काल कर सकते हैं.

साथ ही, समयसमय पर विभागीय मंत्री भी देशभर के किसानों में से किसी से भी योजनाओं के बारे में सीधी बातचीत कर के उन की प्रतिक्रिया व सुझाव प्राप्त कर सकेंगे. इस के द्वारा किसानों से फीडबैक मिलने से उन के हित में समुचित काम तेजी से किया जा सकेगा. योजनाओं की प्रश्नावली और लाभार्थी किसानों की सूची इस केंद्र में उपलब्ध है.

यहां अर्जुन मुंडा ने तमिलनाडु व झारखंड के किसानों को फोन कर संवाद किया और कृषि अवसंरचना कोष, प्रति बूंद अधिक फसल सहित केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को मिल रहे लाभों के बारे में जानकारी प्राप्त की. साथ ही, इन योजनाओं को ले कर दूसरे किसानों को जागरूक करने का आग्रह भी किया.

Kisan Call Center

मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों के लिए बेहतर कार्यान्वयन और योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए आवश्यक सुधार लाने के संबंध में अधिकारियों से नियमित आधार पर चयनित किसानों को फोन करने और फीडबैक तंत्र का उपयोग करने का आग्रह किया. इस अवसर पर सचिव (कृषि एवं किसान कल्याण) मनोज अहूजा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कृषि भवन में कृषि क्षेत्र व किसानों के हित में जल्दी ही शुरू की जा रही दूसरी सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की. उन्होंने इंटीग्रेटेड कंट्रोल ऐंड कमांड सैंटर का अवलोकन भी किया.

इस केंद्र के जरीए मंत्रालय के विभिन्न डिजिटल सिस्टम को इंटीग्रेट कर के नीति निर्धारण और निर्णयों में मदद मिलेगी. यहां देशभर के खेतों का अध्ययन हो सकेगा, ताकि सरकार और क्या सुधार कर सकती है, यह निर्णय लेने में सुविधा होगी, साथ ही मौसम, फसल, मिट्टी की सेहत, नाशीजीव, बाजार संबंधी जानकारी की उपलब्धता से खेतीकिसानी को फायदा पहुंचाया जा सकेगा.

भारत और सस्केचेवान के बीच कृषि व्यापार संबंध मजबूत होंगे

नई दिल्ली: कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और कनाडा के सस्केचेवान प्रांत के प्रधानमंत्री स्कौट मो के बीच कृषि भवन, नई दिल्ली में बैठक संपन्न हुई.

इस बैठक का एजेंडा दालों, पोटाश, कृषि प्रौद्योगिकियों और अनुसंधान साझेदारी के सुसंगत और विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत के साथ सस्केचेवान के बीच जारी व्यापार संबंधों के बारे में चर्चा करना था.

राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने भारत की ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के लिए भारत और सस्केचेवान के बीच व्यापार संबंधों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि सस्केचेवान यूरेनियम, पोटाश, दालों, मटर, चना और अर्धरासायनिक लकड़ी के गूदे के उत्पादों और वस्तुओं का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता है और भारत में दालों के आयात के सब से बड़े स्रोतों में से एक है.

उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी, कृषि तकनीक और अपशिष्ट जल उपचार के क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने पर जोर दिया. भारत और सस्केचेवान के बीच नियमित तकनीकी समूह की बैठकों के माध्यम से टिकाऊ कृषि के क्षेत्र में जानकारी के आदानप्रदान, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को मजबूत बनाने का प्रस्ताव रखा.

Agricultural Trade Relations

सस्केचेवान के प्रधानमंत्री स्कौट मो ने इस बात का उल्लेख किया कि भारतसस्केचेवान संबंध मजबूत हुए हैं और सस्केचेवान भागीदार देशों को ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा हासिल करने में मदद कर रहा है.

उन्होंने वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कृषि खाद्य उत्पादन प्रणाली को आगे बढ़ाने, टिकाऊ कृषि, खाद्य उत्पादों, नवाचार को साझा करने और प्राकृतिक संसाधनों को विकसित करने के महत्व को भी रेखांकित किया.

इस के अलावा उन्होंने टिकाऊ कृषि, कैनोला और गेहूं जैसी फसलों के कार्बन फुटप्रिंट के बारे में तुलनात्मक विश्लेषण और बेंचमार्क अध्ययन के लिए ग्लोबल इंस्टीट्यूट फौर फूड सिक्योरिटी (जीआईएफएस) के महत्व पर जोर दिया और भारत के साथ प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम टिकाऊ उत्पादन प्रथाओं को साझा करने की इच्छा जताई.

प्रधानमंत्री स्कौट मो ने तकनीकी समूह की बैठकों के माध्यम से भारत और सस्केचेवान के बीच सहयोग के क्षेत्रों, जानकारी के आदानप्रदान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बारे में चर्चा करने और संभावनाओं का पता लगाने पर सहमति प्रकट की. दोनों पक्षों ने आपसी संबंधों को मजबूत बनाने के लिए चर्चा में निरंतरता और नियमित संवाद का समर्थन किया.

किसान दिवस (Farmers’ Day) पर किसान हुए सम्मानित

संत कबीरनगर: ‘किसान दिवस’ के अवसर पर रबी सीजन के अंतर्गत किसानों द्वारा उठाई गई शिकायतों का संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा समाधान बताया गया. भूमि संरक्षण अधिकारी द्वारा बताया गया कि वाटरशैड एरिया के अंतर्गत मिट्टी के नुकसान को रोकने के लिए उन के द्वारा मेंड़बंदी, समतलीकरण, फसल उत्पादन का काम कराया जाता है. किसानों द्वारा रकशाकोड, तेनुआराजा, सेउआपर गांव में नीलगाय, जंगली सूअर एवं बंदरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाए जाने की शिकायत की गई.

वन अधिकारी द्वारा बताया गया कि ग्राम प्रधान के सहयोग से उन्हें वनरक्षक के माध्यम से पकड़ कर जंगल में छोड़े जाने की व्यवस्था है. विद्युत विभाग की शिकायत के अंतर्गत बताया गया कि मुखलिसपुर कथेच्या में बिजली के तार बहुत ज्यादा नीचे लटक रहे हैं, जिस से फसल कटाई में व्यवधान होगा और आग लगने की संभावना रहेगी, जिसे समय रहते दुरुस्त कर लिया जाए.

वहीं सहायक अभियंता द्वारा बताया गया कि इस की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. फसल कटाई के बाद खाली होने पर काम कर लिया जाएगा.

किसानों द्वारा जल निगम विभाग द्वारा गांव में काम करने के बाद चकरोड सड़क इत्यादि काट कर छोड़ दी जा रही है. इस के संबंध में शिकायत प्रस्तुत की गई. विभाग का कोई भी अधिकारी उपस्थित नहीं था. डेयरी डवलपमैंट बोर्ड के अधिकारी द्वारा समितियांे के माध्यम से फैट परसेंटेज एवं एसएनएफ के आधार पर दुग्ध क्रय करने की बात बताई गई. देशी गाय के पशुपालक के लिए मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालन प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है, जिस में साहिवाल गिर, थारपारकर और हरियाणा नस्ल की गायों के पशुपालकों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

 

किसानों द्वारा अवगत कराया गया कि उन का पंजीकरण में भूमि कम दर्ज होने के कारण एक ओर बीज अनुदान में कम धनराशि प्राप्त हो रही है, तो वहीं दूसरी ओर धान की बिक्री करने में उन के उत्पादन में कटौती की जा रही है. मौके पर तहसील स्तर पर सत्यापन किए जाने में देरी होती है. इस के समाधान निकाले जाने की व्यवस्था की जाए.

बैठक के बाद मुख्य विकास अधिकारी संत कुमार द्वारा प्रगतिशील किसान सुरेंद्र प्रसाद पाठक को राज भवन में उन के कृषि उत्पादन छप्पनकद्दू को प्रथम पुरस्कार प्राप्त होने की दशा में सम्मानित किया गया.

उल्लेखनीय है कि 17-19 फरवरी, 2023 को राजभवन, लखनऊ में आयोजित प्रादेशिक फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी में जनपद संत कबीरनगर के 13 किसानों द्वारा जिला उद्यान अधिकारी संत कबीरनगर के माध्यम से अपने प्रदर्श को भेजा गया था.

उक्त कार्यक्रम में कुल 3 किसानों के 4 प्रदर्शों को पुरस्कार प्राप्त हुआ है, जिस में सुरेंद्र प्रसाद पाठक, गांव उमिला को गोल एवं लंबे छप्पनकद्दू के लिए क्रमशः प्रथम एवं तृतीय पुरस्कार, हौसिला प्रसाद, गांव महुली खास को बींस के लिए प्रथम पुरस्कार एवं घुरहू, गांव महुली खास को फूलगोभी के लिए तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है.

‘किसान दिवस’ के अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी द्वारा प्रगतिशील किसान सुरेंद्र प्रसाद पाठक को इस आशय का प्रमाणपत्र दे कर सम्मानित किया गया. किसान सुरेंद्र प्रसाद पाठक द्वारा इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी, उप कृषि निदेशक, जिला उद्यान अधिकारी और अन्य अधिकारियों को अपने खेत मे उत्पादित छप्पनकद्दू भेंट स्वरूप प्रदान किया.

इस अवसर पर उप कृषि निदेशक डा. राकेश कुमार सिंह, जिला कृषि अधिकारी पीसी विश्वकर्मा, जिला उद्यान अधिकारी समुद्र गुप्त मल्ल सहित संबंधित अधिकारी एवं सम्मानित किसान आदि उपस्थित रहे.

कृषि ऐक्सपर्टों (Agricultural experts) ने दी किसानों को खास जानकारियां

बस्ती: उप कृषि निदेशक, बस्ती की अध्यक्षता में ‘किसान दिवस’ बैठक का आयोजन विकास भवन सभागार में किया गया, जिस में जनपद के विभिन्न विभागों के अधिकारियों एवं उन के प्रतिनिधियों के साथ ही प्रगतिशील किसानों ने प्रतिभाग किया.

किसान दिवस बैठक की कार्यवाही शुरू की गई, जिस में पिछले किसान दिवस में आई दिक्कतों के निस्तारण की स्थिति संबंधित अधिकारियों द्वारा किसानों को विस्तार से बताई गई. कृषि विज्ञान केंद्र, बंजरिया के वैज्ञानिक डा. वीबी सिंह ने बताया कि जो किसान नवाचार कर रहे हैं, उन से चर्चा जारी रहनी चाहिए.

डा. वीबी सिंह ने बताया कि जिन किसानों को केवीके से सरसों बीज प्राप्त कर बोआई की थी, उन की फसल बहुत बढ़िया है और उन के पौधे तकरीबन 6-7 फुट के हुए हैं और प्रत्येक पौधे में 7 से 8 कल्ले लग रहे हैं, जिस का उत्पादन 3 क्विंटल प्रति बीघा से अधिक होने की संभावना है.

गेहूं व सरसों में जल विलेय उर्वरक 18ः18ः18 या 19ः19ः19 प्रति एकड़ में 2 किलोग्राम छिड़काव पानी में मिला कर करें और जब गेहूं में रेड़े या दाने आना शुरू हों, तब 0-0-50-0 डालना चाहिए.

वैज्ञानिक डा. वीबी सिंह ने बताया कि गेहूं में सामान्य मिट्टी में कम से कम 3 बार सिंचाई जरूर करनी चाहिए और सरसों में हर 65 दिन पर सिंचाई करने से पैदावार बढ़ती है.

मुंडेरवा चीनी मिल के मुख्य गन्ना प्रबंधक कुलदीप द्विवेदी ने बताया कि अब तक मिल 30.29 लाख की पेराई कर चुकी है. इस वर्ष का 70 फीसदी गन्ना मूल्य भुगतान 61.86 लाख रुपए कर दिया गया है.

उप कृषि विपणन अधिकारी अजय प्रताप सिंह ने बताया कि अब तक 1.29 लाख मीट्रिक टन धान खरीद लक्ष्य के सापेक्ष 70 फीसदी यानी 9,0287.17 मीट्रिक टन की खरीद की जा चुकी है और 98.12 फीसदी भुगतान 19,320.63 लाख रुपया किसानों को भुगतान किया जा चुका है.

Farmers Day

महेंद्र कुमार मिश्रा, अधिशाषी अभियंता, विद्युत वितरण खंड 3 ने बताया कि सोलर रूफ टौफ योजना बिजली विभाग एवं उत्तर प्रदेश नेडा से संचालित है, जिस के पास विद्युत कनैक्शन है, वह इस योजना का लाभ ले सकते हैं. प्रति किलोवाट सोलर का तकरीबन 55,000 रुपए पर 18,000 रुपए केंद्र सरकार एवं 15,000 रुपए राज्य सरकार देगी. इस प्रकार प्रति किलोवाट 33,000 रुपए का अनुदान सरकार द्वारा दिया जा रहा है.

जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने किसानो से अपील की कि रसायनों का कम से कम प्रयोग करें. यदि खेती से संबंधित कोई समस्या आती है, तो कृषि विभाग द्वारा संचालित सहभागी फसल निगरानी या निदान प्रणाली जिसे पीसीएसआरएस भी कहते हैं पर फोन, व्हाट्सएप या मैसेज द्वारा समस्या का समाधान 24 से 48 घंटे की अंदर कर दिया जाता है, जिस का नंबर 9452257111 व 9452247111 है.

जिले के प्रगतिशील किसान अवघेश पांडेय ने बताया कि जंगली जानवर और चूहे आदि से बचाव के लिए किसान निम्न उपाय अपनाएं:

यदि नील गाय, सूअर, जंगली जानवर से छुटकार पाना हो, तो 5 लिटर मट्ठे में आधा किलोग्राम लहसुन पीस कर घोल बना लें और किसी एयरटाइट बरतन में 15 दिन रखने के बाद खेत में छिड़क देने से 15 से 20 दिन तक ये जानवर खेतों में नहीं आते.

वहीं अवघेश पांडेय ने बताया कि यदि चूहे फसल बरबाद कर रहे हैं, तो सुर्ती, बेसन एवं घी को आटे में मिला कर गोली बना लें और खेतों रख देने से जो भी चूहा इसे खाएगा, वह भाग जाएगा.

यदि किसान पोटाश बनाना चाहते हैं, तो 3 किलोग्राम पके बेल में 1 किलोग्राम गुड़ को 90 दिन तक एयरटाइट डब्बे में बंद करके रख दें. उस के बाद पोटाश तैयार हो जाएगा, जिस का प्रयोग कम लागत में किया जा सकता है.

अंत में उप कृषि निदेशक द्वारा उपस्थित सदस्यों व किसानों को ‘किसान दिवस’ में प्रतिभाग करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और ‘किसान दिवस’ के समापन की घोषणा की गई.

पशुधन विभाग में मिलेगा सवा लाख लोगों को रोजगार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि राजधानी लखनऊ में आयोजित ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के तहत पशुधन विभाग में 2,131.65 करोड़ रुपए की 532 निवेश परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई. इन परियोजनाओं के मूर्तरूप लेने से 1,23,167 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा.

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि सेरेमनी में 1250 करोड़ रुपए की परियोजनाओं के आधारशिला का लक्ष्य था, जिस के सापेक्ष 180 फीसदी ज्यादा सफलता प्राप्त हुई है.

मंत्री धर्मपाल सिंह विधानसभा भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के अंतर्गत पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग की निवेश परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि 532 निवेशक परियोजनाओं में से अयोध्या मंडल में सर्वाधिक 111 परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई है. क्षेत्रवार इन्वेस्ट उत्तर प्रदेश के अंतर्गत जेबीसी में पूर्वांचल में 229, मध्यांचल में 145, पश्चिमांचल में 114 और बुंदेलखंड में 44 निवेशकों द्वारा विशेष रुचि दिखाई गई है.

उन्होंने आगे बताया कि एनीमल हसबेंडरी इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमैंट फंड, पोल्ट्री सैक्टर और नेशनल लाइव स्टाक मिशन के क्षेत्र में निवेश किया गया है. साथ ही, उत्तर प्रदेश में ब्रीडिंग फाम्र्स के प्रति निवेशकों द्वारा विशेष आकर्षण दिखाया गया है, जिस से प्रदेश में उन्नत नस्ल व प्रजाति के दुधारू पशु प्राप्त होंगे, इस से दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में तीव्र वृद्धि होगी और किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ेगी.

प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में 10,021.66 करोड़ रुपए की 253 परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई. परियोजनाओं के पूरे होने पर 25,338 लोगों को रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा कि बरेली में सर्वाधिक 1,002 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है, जो ऐतिहासिक है.

इसी तरह बागपत जिले में 800 करोड़ रुपए का निवेश उल्लेखनीय उपलब्धि है. इन के अलावा जनपद में बाराबंकी में 600 करोड़ रुपए, हापुड़ में 502 करोड़ रुपए, मेरठ में 450 करोड़ रुपए, बुलंदशहर में 422.70 करोड़ रुपए, कानपुर देहात में 410 करोड़ रुपए और शाहजहांपुर में 300 करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है.

मंत्री धर्मपाल सिंह ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश की कानून व्यवस्था सुदृढ़ हुई है, जिस से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है. इसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश में बड़ी तादाद में निवेश हो रहा है. प्रदेश को 01 ट्रिलियन डालर इकोनौमी बनाए जाने एवं आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में जीबीसी का महत्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने लक्ष्य से अधिक निवेश प्राप्त करने के लिए विभाग के अधिकारियों की प्रसंशा की और उन्हें प्रोत्साहित किया.

इस अवसर पर पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने कहा कि पशुधन मंत्री के मार्गदर्शन में दुग्ध उत्पादन के साथसाथ पशुपालन के क्षेत्र में विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रम क्रियान्वित किए जा रहे हैं, जिस से किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ रही है. प्रदेश में पशुधन एवं डेयरी क्षेत्र में अपार नई संभावनाएं हैं, जिस से निवेशक आकर्षित हो रहे हैं.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश दुग्ध नीति-2022 के तहत निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, जिस से डेयरी सैक्टर में अधिकाधिक लाभ सुनिश्चित किया जाना संभव हो रहा है और उस में निहित व्यावसायिक लाभों की जानकारी किसानों और पशुपालकों को भी मिल रही है.

बैठक में पशुधन विभाग के विशेष सचिव देवेंद्र पांडेय, अमर नाथ उपाध्याय, रिाम सहाय यादव, दुग्ध आयुक्त शशिभूषण लाल सुशील, पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक आनंद कुमार, निदेशक पशुपालन सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

पीएम सूर्य घर योजना (PM Surya Ghar Yojana): मिलेगी मुफ्त बिजली

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना शुरू कर देशभर के तकरीबन एक करोड़ घरों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है. इस क्रम में मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा झाबुआ एवं अलीराजपुर जिलों के साथ ही कंपनी कार्यक्षेत्र के 16 जिलों के अधिक से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को योजना से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

इस योजना के तहत 2 किलोवाट क्षमता तक के सोलर संयंत्र पर 30,000 रुपए प्रति किलोवाट की सब्सिडी उपभोक्ताओं को मिलेगी एवं 30,000 रुपए प्रति किलोवाट की राशि का भुगतान उपभोक्ता को करना होगा. इसी प्रकार तीसरे किलोवाट के लिए 18,000 रुपए की सब्सिडी निर्धारित है.

इस तरह 3 किलोवाट क्षमता तक के संयंत्र के लिए अधिकतम 78,000 रुपए की सब्सिडी मिलेगी और कुल रुपए 1,02,000 की राशि का भुगतान आवेदकों को करना होगा. वहीं 3 किलोवाट से अधिक की क्षमता वाले कनैक्शनों के लिए भी सब्सिडी की अधिकतम सीमा 78,000 रुपए ही रहेगी.

इस योजना का लाभ ऐसे परिसर, जिन पर उपभोक्ता का मालिकाना हक हो और उन्हें विगत 6 महीने की अवधि में से किसी भी एक महीने के बिल की प्रति प्रस्तुत करने पर प्राप्त होगा. कनैक्शन के लिए आवेदनपत्र मय गैरवापसी शुल्क 1,000 रुपए के भुगतान सहित नैटबैंकिंग या केडिट कार्ड या फिर डेबिट कार्ड के माध्यम से संबद्ध पोर्टल https://pmsuryaghar.gov.in  पर करना होगा.

आवेदक को आवेदनपत्र के संलग्न सूची में से सोलर रूफटौफ पैनल खरीद करने के लिए किसी भी एक पंजीकृत विक्रेता के नाम का चयन करना होगा एवं आवेदक और सोलर रूफटौफ पैनल के पंजीकृत विक्रेता के मध्य अनुबंध निष्पादित किया जाएगा एवं निष्पादित अनुबंध के अनुसार आवेदक और सोलर रूफटौफ पैनल के पंजीकृत विक्रेता के मध्य उत्पन्न किसी भी तरह के कानूनी विवादों का निबटारा उन्हें स्वयं करना होगा.

इस संबंध में विद्युत वितरण कंपनी के अधीक्षण यंत्री डीएस चैहान ने बताया कि शासन व कंपनी की ओर से लागू इस योजना का उद्देश्य उपभोक्ताओं को आर्थिक लाभ दिलाने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के माध्यम से पर्यावरणीय हितों की रक्षा करना भी है.

इसलिए झाबुआ एवं अलीराजपुर जिलों के अधिक से अधिक उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ लेना चाहिए. योजना की विस्तृत जानकारी https://pmsuryaghar.gov.in पर उपलब्ध है एवं संबद्ध विद्युत वितरण कंपनी के स्थानीय कार्यालय से भी संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है.