उदयपुर: 22 फरवरी, 2024. कृषि संरचना और पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक अभियांत्रिकी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 19वीं दोदिवसीय वार्षिक कार्यशाला का शुभारंभ हुआ.

कार्यशाला का आयोजन एमपीयूएटी, उदयपुर एवं सीफेट, लुधियाना के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. कार्यशाला में परियोजना के देशभर में 14 केंद्र अपनी सालभर का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. कार्यशाला के मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने बताया कि प्लास्टिक का विवेकपूर्ण उपयोग कृषि के क्षेत्र में खासा मददगार साबित हो रहा है. निश्चित ही प्लास्टिक का पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव रहता है, परंतु इस का विवेकपूर्ण उपयोग अन्य पदार्थों का एक सस्ते विकल्प के रूप में अपनी पहचान पूरे विश्व में बन चुका है.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से उत्कृष्ट काम कर रहे हैं, जिस के परिणामस्वरूप भारत आज खाद्य पदार्थों के उत्पादन में आत्मनिर्भर तो हो ही चुका है और निर्यात में भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.

कार्यशाला के अध्यक्ष डा. एसएन झा, उपमहानिदेशक, अभियांत्रिकी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने वैज्ञानिकों को अपने अनुसंधान में आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस एवं इंटरनैट औफ थिंग का समावेश करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने आगे बताया कि वैज्ञानिकों को वर्तमान समस्याओं पर आधारित अनुसंधान करना चाहिए एवं रोज नए नवाचारों को अपने के लिए सक्षम बनना चाहिए.

डा. के. नरसिया, अतिरिक्त निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने वैज्ञानिकों से तकनीकी नवाचार करने एवं उस के आर्थिक पक्ष को संज्ञान में रखते हुए लागत कम करने आह्वान किया. डा. नचिकेत, निदेशक सीफैट, लुधियाना ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि जनमानस में प्लास्टिक को ले कर काफी भ्रांतियां हैं, जबकि विवेकपूर्ण उपयोग प्लास्टिक की उपयोगिता बढ़ाता है.

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