बकरी दुग्ध उत्पादन एवं प्रोसैसिंग पर ट्रेनिंग

उदयपुर : एमपीयूएटी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. लोकेश गुप्ता ने बताया कि महाविद्यालय के द्वारा रोजगारपरक शिक्षण के साथसाथ दुग्ध एवं फूड प्रोसैसिंग और अभिनव दुग्ध एवं खाद्य उत्पाद के बारे में उद्यमियों, किसानों, बेरोजगारों एवं ग्रामीणों को समयसमय पर तकनीकी कौशल प्रदान किया जाता है.

उन्होंने बताया कि इसी क्रम में महाविद्यालय द्वारा ‘बकरी दुग्ध उत्पादन एवं उत्पाद प्रोसैसिंग’ पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों, बेरोजगारों एवं गांव के लोगों का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के द्वारा स्वकौशल विकसित करना है. साथ ही, उद्यमिता विकास के लिए संपूर्ण तकनीकी सहायता प्रदान करना है.

कौशल विकास कार्यक्रम समन्वयक डा. निकिता वधावन ने बताया कि महाविद्यालय द्वारा भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय द्वारा प्रायोजित उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम वर्षपर्यंत आयोजित किए गए हैं. इन कार्यक्रमों में प्रतिभागियों ने भारी तादाद में उत्साहपूर्वक भाग लिया था.

उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के लिए यह गौरव का विषय है कि उन प्रतिभागियों में से कई अब उद्यमी में रूपांतरित हो गए हैं.

डा. निकिता वधावन का कहना था कि उन उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम के प्रतिभागियों का इस तरह से उद्यमियों में रूपांतरण सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय एवं महाविद्यालय के साझा उद्देश्य का सफल क्रियान्वयन है. महाविद्यालय में अभी ‘बकरी दुग्ध उत्पादन एवं उत्पाद प्रसंस्करण’ पर उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम के पहले दिन से ही प्रतिभागियों को सैद्धांतिक जानकारी के साथसाथ प्रायोगिक जानकारी दी गई. इस के लिए महाविद्यालय ने राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न विशेषज्ञों को आमंत्रित कर प्रतिभागियों को विशिष्ट मार्गदर्शन प्रदान किया.

Goatगौरतलब है कि इस कौशल विकास कार्यक्रम के प्रतिभागी ग्रामीण बकरी दुग्ध उत्पादक हैं और वो यहां कौशल विकास एवं ज्ञान उन्नयन के साथसाथ आने वाली समस्याओं के निस्तारण के लिए विषय विशेषज्ञों से जानकारी लेने के उद्देश्य से आए थे. प्रतिभागियों को बकरी दुग्ध उत्पादन एवं संरक्षण की प्रचलित विधियों के साथ आधुनिक विधियों का दृश्य श्रृव्य माध्यम से विश्लेषणात्मक अध्ययन कराया गया और दोनों विधियों के फायदे एवं नुकसान बताए गए. बकरी दुग्ध ग्रामीण स्तर का प्रचलित एवं प्रसिद्ध उत्पाद है एवं पौष्टिकता से भरपूर बकरी दुग्ध में अपार व्यावसायिक संभावनाएं हैं.

इस कार्यक्रम में बकरी दुग्ध एवं उस से बनने वाले उत्पादों की व्यावसायिक संभावनाओं को सरलीकृत तरीके से समझाया जा रहा है, ताकि बकरीपालक व्यावसायिक उपक्रम आरंभ कर सकें. इस कौशल विकास कार्यक्रम में बकरी दुग्ध से पनीर भी विकसित किया गया, जिस पर महाविद्यालय में काफी समय से अनुसंधान चल रहा था.

एमपीयूएटी के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय ने डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अति उत्कृष्ट संसाधन और तकनीकी कौशल पर विश्वास जताते हुए महाविद्यालय को एक बहुत ही बड़ी जिम्मेदारी प्रदान की है.

यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है. महाविद्यालय ने भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय द्वारा प्रायोजित 7 दिवसीय उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किया था. उस कौशल विकास कार्यक्रम की सफलता से प्रभावित हो कर भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मंझले उद्यम मंत्रालय ने महाविद्यालय को इस तरह के और भी कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदान की है. इस कार्यक्रम में बकरीपालकों का कौशल उन्नयन किया जा रहा है, जो निश्चित रूप से उन के जीवनस्तर को बढ़ाएगा. साथ ही, पौष्टिकता से भरपूर बकरी दुग्ध के उत्पादों को बड़े पैमाने पर पहचान दिलाएगा.

श्री अन्न से ढेरों लाभ

नई दिल्ली : 14 दिसंबर 2023. आसियान-भारत श्रीअन्न महोत्सव का शुभारंभ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने दिल्ली में किया. आसियान में भारतीय मिशन द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सहयोग से आयोजित 2 दिनी इस महोत्सव में भारत सहित आसियान देशों के नीति निर्माता, उद्यमी, विशेषज्ञ स्टार्टअप व अधिकारियों ने भाग लिया.

समारोह में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी व शोभा करंदलाजे एवं सचिव मनोज अहूजा भी मौजूद थे. अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के अनुरूप महोत्सव का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और श्रीअन्न एवं श्रीअन्न आधारित उत्पादों के लिए बाजार तैयार करना है.

उन्होंने कहा कि श्रीअन्न किसानों, उपभोक्ताओं व पर्यावरण हेतु असंख्य लाभ प्रदान करते हैं एवं वैश्विक खाद्य पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.

Shree Annमहोत्सव में शरीक भारत, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलयेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, थाईलैंड व वियतनाम से आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अर्जुन मुंडा ने श्रीअन्न के उत्पादन व खपत को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नीतियों और बाजार नवाचारों पर प्रकाश डालते हुए इस की बढ़ी खपत से जुड़े सामाजिक व आर्थिक, पोषण और जलवायु संबंधी लाभों पर प्रकाश डाला. भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के वृहद आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस ठोस प्रयास ने सीमाओं से बाहर निकल कर इस आयोजन को अद्वितीय महत्व के वैश्विक मील के पत्थर के रूप में तबदील कर दिया है.

टिकाऊ कृषि और पोषण सुरक्षा के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गहरी समझ, वैश्विक एजेंडे में श्रीअन्न को सब से आगे रखने में भारत की सक्रिय प्रगति के पीछे प्रेरणाशक्ति रही है.
अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मनाना, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण सुनिश्चित करने के लिए श्रीअन्न के बारे में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण रहा है. इस ने अनुसंधान और विकास के साथ विस्तार सेवाओं में निवेश को प्रेरित किया है, जो हितधारकों को श्रीअन्न की उत्पादकता, गुणवत्ता और संबंधित उत्पादन विधियों को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है. जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों की स्थिति में श्रीअन्न की महत्ता और भी बढ़ जाती है.

उन्होंने आगे कहा कि श्रीअन्न प्राचीन अनाज है, जिस की खूबी है कि ये छोटे होते हैं, लेकिन पौष्टिक होते हैं और शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं. खेती, जलवायु और भोजन पोषण को सुरक्षित करने के लिए हमारे दृष्टिकोण में क्रांति लाने की शक्ति से श्रीअन्न परिपूर्ण हैं.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हर माने में मोटे अनाज न केवल समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के वाहक हैं, बल्कि एक ऐसा सतत समाधान भी पेश करते हैं, जो हमारी वर्तमान चिंताओं से मेल खाता है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि श्रीअन्न विविध वातावरण में पनपने की क्षमता रखते हैं, अधिकतम पोषण लाभ प्रदान करते हुए इन के लिए न्यूनतम संसाधनों की जरूरत होती है. श्रीअन्न समय की कसौटी पर खरे उतरे, जिस में नम्यता, अनुकूलनशीलता, आवश्यक पोषक तत्वों का खजाना शामिल है. आहार में श्रीअन्न को अपनाना सिर्फ खुद को पोषण देने के बारे में ही नहीं है, बल्कि यह धरती को पोषित करने, सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ, अधिक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करने से संबधित हैं.

मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हम अपने किसानों पर पड़ने वाले प्रभाव को पहचानें, क्यों श्रीअन्न सिर्फ फसलें नहीं हैं, बल्कि वे हमारे कृषि समुदायों के लिए आशा की किरण हैं. जो अनिश्चित जलवायु में स्थिरता प्रदान करते हैं. सूखे की स्थिति में पनपने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध श्रीअन्न सही माने में जलवायु हितैषी फसलों की कसौटी पर खरे उतरते हैं. शाकाहारी, ग्लूटन फ्री भोजन की बढ़ती मांग के मद्देनजर श्रीअन्न वैकल्पिक खाद्य प्रणाली प्रदान करता है. श्रीअन्न मानवता के लिए प्रकृति के उपहार के रूप में है, साथ ही सतत भविष्य के भोजन का एक आशाजनक स्रोत भी है.

Shree Annउन्होंने कहा कि भारत सरकार ने व्यापक अभियान प्रारंभ किए हैं और सब के समर्थन से कुपोषण से निबटने, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए श्रीअन्न को बेहतर समाधान के रूप में स्थापित किया है.

कृषि मंत्रालय श्रीअन्न के संवर्धन को बढ़ावा देने और इन की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत मिलेट्स उपमिशन सक्रिय रूप से कार्यान्वित कर रहा है. कृषि मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों व राज्यों के साथ मिल कर देश में श्रीअन्न के प्रचारप्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. खाद्य एवं कृषि संगठन में मिलेट्स को “एक देश-एक प्राथमिकता उत्पाद” के रूप में नामांकित कर के और इसे 21 जिलों में “एक जिला-एक उत्पाद” तक विस्तारित कर के, हम ने श्रीअन्न की क्षमता का दोहन किया है, उन के पोषण मूल्य और आर्थिक व्यवहार्यता का दोहन किया है.

उन्होंने बताया कि भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान को श्रीअन्न के लिए वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र में बदलने संबंधी, मार्च-2023 में वैश्विक मिलेट्स सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई उद्घोषणा, श्रीअन्न की खेती व वैश्विक अनुसंधान सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हमारी मेहनत का प्रतीक है. आईआईएमआर ने विभिन्न संस्थानों में 25 बीज हब, 18 केंद्र स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है व अन्य कृषि संस्थानों के सहयोग से श्रीअन्न की 200 से अधिक उन्नत किस्में विकसित की हैं. इस से उच्च गुणवत्ता वाले श्रीअन्न बीजों की अधिशेष उपलब्धता सुनिश्चित हुई है, जिस का उद्देश्य वार्षिक बीज प्रतिस्थापन अनुपात 10 फीसदी तक बढ़ाना है.

महोत्सव में खाद्य सुरक्षा, व्यापार सहयोग सहित अन्य विषयों को ले कर पैनल चर्चा के साथ ही एफपीओ एवं स्टार्टअप द्वारा श्रीअन्न आधारित उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई.

अंतर्देशीय मछली उत्पादन में बढ़त

नई दिल्ली: पिछले 5 वर्षों के दौरान देश में अंतर्देशीय मछली उत्पादन में 7.94 फीसदी की सालाना वृद्धि देखी गई. वर्ष 2022-23 में 131.13 लाख टन का उच्चतम मछली उत्पादन दर्ज किया गया.

पिछले 5 वर्षों के दौरान वर्षवार साल 2018-19 में अंतर्देशीय मछली उत्पादन 8.62 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर्ज करते हुए 97.2 लाख टन रहा, जबकि वर्ष 2019-20 में 7.37 फीसदी वृद्धि दर्ज करते हुए 104.37 लाख टन रहा.

इसी प्रकार वर्ष 2020-21 में 7.8 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर्ज करते हुए 112.49 लाख टन और वर्ष 2021-22 में 7.76 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर्ज करते हुए 121.21 लाख टन और वर्ष 2022-23 में 8.18 फीसदी वार्षिक वृद्धि दर्ज करते हुए 131.13 लाख टन रहा.

भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग ने देश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल और कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिन में शामिल हैं :

(i). केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) का कार्यान्वयन: नीली क्रांति: एकीकृत विकास और वर्ष 2015-16 से 2019-20 की अवधि के दौरान मत्स्यपालन का प्रबंधन, 3,000 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ.

(ii). “प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) – भारत में मत्स्यपालन क्षेत्र के सतत और उत्तरदायी विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाने की योजना” का कार्यान्वयन 20,050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करेगा.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का उद्देश्य भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना, गुणवत्तापूर्ण मछली उत्पादन, प्रजातियों के विविधीकरण, निर्यात उन्मुख प्रजातियों को बढ़ावा देना, ब्रांडिंग, मानकों और प्रमाणन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, उत्पादन के बाद के बुनियादी ढांचे, निर्बाध कोल्ड चेन और आधुनिक मछली पकड़ने के बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों के विकास पर जोर देते हुए निर्माण के लिए सहायता प्रदान करना है.

(iii). 7522.48 करोड़ रुपए के कुल फंड आकार के साथ मत्स्यपालन और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड का कार्यान्वयन, वर्ष 2018-19 से 2023-24 तक रियायती वित्त प्रदान करने के लिए 5 वर्ष की अवधि के लिए लागू किया गया.

(iv). मछुआरों और मछली किसानों की पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए वर्ष 2018-19 में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना का विस्तार.

वर्ष 2018 के बाद से देश में अंतर्देशीय मछली उत्पादन में तेजी से वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2018-19 में 97.20 लाख टन से बढ़ कर वर्ष 2022-23 में 131.13 लाख टन हो गया, जो वर्ष 2018-19 से 2022-23 के दौरान कुल अंतर्देशीय मछली उत्पादन में 34.9 फीसदी की रिकौर्ड वृद्धि दर्शाता है.

पराली से जैव ऊर्जा

नई दिल्ली: केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री आरके सिंह ने बताया कि सरकार ने पंजाब राज्य सहित देशभर में खेत की पराली सहित जैव ऊर्जा स्रोतों से नए और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं.

उन्होंने बताया कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने नवंबर, 2022 में 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 की अवधि के लिए 1715 करोड़ रुपए के बजटीय परिव्यय के साथ राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम (एनबीपी) को दो चरणों में लागू करने के लिए अधिसूचित किया है.

पहले चरण का बजट परिव्यय 858 करोड़ रुपए है. यह कार्यक्रम केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान कर के बायोएनर्जी संयंत्रों की स्थापना का समर्थन करता है. एनबीपी के बायोमास कार्यक्रम और अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम घटक के तहत, परियोजना डेवलपर्स पंजाब राज्य के सभी जिलों सहित देश में कहीं भी जैव ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित कर सकते हैं. इन परियोजनाओं को सीएफए संबंधित योजना दिशानिर्देशों के अनुसार प्रदान किया जाता है.

उन्होंने कहा कि पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने विभिन्न अपशिष्ट / बायोमास स्रोतों से संपीड़ित बायो गैस (सीबीजी) के उत्पादन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने और बढ़ावा देने और प्राकृतिक गैस के साथ इस का उपयोग करने के उद्देश्य से 1 अक्तूबर, 2018 को “किफायती परिवहन की ओर सतत विकल्प (एसएटीएटी)” पहल शुरू की है.

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री आरके सिंह ने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा कार्यान्वित गोबरधन योजना के तहत मौडल सामुदायिक बायो गैस संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रति जिले में 50.00 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध है.

उन्होंने कहा कि विद्युत मंत्रालय ने मौजूदा कोयला संचालित थर्मल पावर प्लांटों में बायोमास के मिश्रण को बढ़ावा देने के लिए समर्थ मिशन (थर्मल पावर प्लांट में बायोमास के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन) को अधिसूचित किया है.

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, पंजाब और हरियाणा राज्यों और राजस्थान और उत्तर प्रदेश के एनसीआर जिलों में बायोमास पेलेट संयंत्रों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित किए हैं.

मंत्री आरके सिंह ने बताया कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में जैव ऊर्जा परियोजनाओं में खेत की पराली के उपयोग के लिए जागरूकता पैदा करने की पहल की है.

विद्युत मंत्रालय के राष्ट्रीय बायोमास मिशन ने थर्मल पावर संयंत्रों में बायोमास कोफायरिंग को बढ़ावा देने के लिए देश के 18 राज्यों में किसानों सहित विभिन्न हितधारकों के लिए 51 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं.

राजस्थान में मूंग और मूंगफली की ज्यादा खरीद करेगी सरकार

जयपुर: राज्य में अधिक से अधिक किसानों को समर्थन मूल्य पर खरीद का लाभ मिले, इस के लिए मूंग और मूंगफली की पंजीकरण क्षमता को 90 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी किया गया है.

प्रबंध निदेशक, राजफैड, संदेश नायक ने बताया कि जिन केंद्रों पर पंजीयन क्षमता पूरी हो चुकी है, वहां 20 फीसद अतिरिक्त पंजीयन सीमा बढ़ाई गई है. किसान बढ़ी हुई पंजीयन सीमा का लाभ प्राप्त कर सकेंगे.

उन्होंने आगे बताया कि किसान पंजीयन सीमा बढ़ाने पर मूंग के लिए 12,731 एवं मूंगफली के लिए 17,025 कुल 29,756 अतिरिक्त किसान पंजीयन करवा सकेंगे. दलहन व तिलहन खरीद की कुल सीमा भारत सरकार द्वारा स्वीकृत लक्ष्य तक सीमित रहेगी.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि मूंग, उड़द, मूंगफली एवं सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर जारी मूंगफली के लिए 9,443 किसानों द्वारा पंजीकरण करवाया गया है.

प्रबंध निदेशक संदेश नायक ने बताया कि अब तक 5,584 किसानों से 11,487 मीट्रिक टन मूंग और मूंगफली की खरीद की जा चुकी है, जिसकी राशि लगभग 98 करोड़ रुपए है. उड़द एवं सोयाबीन के बाजार भाव समर्थन मूल्य दर से अधिक होने के कारण किसानों द्वारा समर्थन मूल्य पर उक्त जिंस के विक्रय में रुचि नहीं ली जा रही है.

उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि समर्थन मूल्य खरीद योजना का लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से ई-मित्र के माध्यम से आवश्यक दस्तावेज यथा गिरदावरी, बैंक की पासबुक, आधारकार्ड सहित शीघ्र पंजीयन करावें, ताकि किसानों को जिंस तुलाई हेतु पंजीयन की प्राथमिकता के क्रम में तुलाई दिनांक आवंटित की जा सके.

प्रबंध निदेशक संदेश नायक ने बताया कि किसान दलहन व तिलहन को सुखा कर और साफसुथरा कर अनुज्ञेय नमी की मात्रा के अनुरूप तुलाई केंद्रों पर लाएं. किसानों की समस्या के समाधान के लिए किसान हेल्पलाइन नंबर 18001806001 जारी किया है, जहां किसान अपनी समस्या का निराकरण कर सकते हैं.

किसानों के सपनों को उड़ान देते ड्रोन

खूंटी( झारखंड): जनजातीय गौरव दिवस के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के खूंटी से विकसित भारत संकल्प यात्रा का उद्घाटन किया. सरकारी कल्याण कार्यक्रमों को मैदानी स्तर पर उतारने के लिए एक देशव्यापी पहल के रूप में शुरू होने वाली इस पहल ने अब एक अभिनव मोड़ ले लिया है, जो कृषि और संबद्ध गतिविधियों में ड्रोन प्रौद्योगिकी की परिवर्तनगामी शक्ति को दर्शाता है.

विकसित भारत संकल्प यात्रा की पहुंच 2.60 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों और 4,000 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों तक हो गई है. यह यात्रा एक विशाल आउटरीच कार्यक्रम, प्रगति और समावेशिता का प्रतीक बन गई है.

जैसेजैसे यात्रा गति पकड़ रही है, एक उल्लेखनीय पहलू जो ध्यान का केंद्र बन रहा है, वह है, कृषि परिदृश्य में ड्रोन का एकीकरण. इस पहल का उद्देश्य किसानों को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करना, उन्हें उत्पादकता और सतत व्यवहारों को बढ़ाने के लिए उपकरण प्रदान करना है.

ड्रोन : शो के सितारे

लोग विकसित भारत संकल्प यात्रा की आईईसी वैन और ड्रोन के शो की उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं. ये दोनों शो के सितारे बन गए हैं. घनगरज के साथ उड़ने वाली मशीनें दर्शकों, विशेषकर किसानों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं, क्योंकि पूरे अभियान के दौरान इन का प्रत्यक्ष प्रदर्शन किया जाता है. यह प्रदर्शन कृषि में क्रांति लाने में ड्रोन की क्षमता को दर्शाते हैं. ध्यान सिर्फ बढ़ी हुई दक्षता पर नहीं है, बल्कि किसानों को सूझबूझ के साथ निर्णय लेने के लिए ज्ञान और उपकरणों के साथ सशक्त बनाने पर है.

ड्रोन प्रदर्शनों को देश के कोनेकोने में स्थित किसान समुदाय, विशेषकर महिला किसानों से अत्यधिक प्रशंसा प्राप्त हो रही है. केरल से हिमाचल प्रदेश तक, गुजरात से त्रिपुरा तक, संदेश स्पष्ट था – ड्रोन कृषि में सकारात्मक बदलाव का प्रेरक हैं.

प्रत्यक्ष प्रदर्शन में उर्वरकों के संतुलित उपयोग को दर्शाया गया है, जिस में अतिरिक्त रासायनिक उर्वरकों से बचने के महत्व पर जोर दिया गया है. ड्रोन ने नैनो यूरिया, नैनो डीएपी (डाईअमोनियम फास्फेट), और अन्य सूक्ष्म पोषक उर्वरकों का छिड़काव किया, जो प्रौद्योगिकी द्वारा कृषि में लाई जाने वाली सटीकता और दक्षता को प्रदर्शित करता है. ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक छिड़काव के प्रत्यक्ष प्रदर्शन ने प्रभावी कीट प्रबंधन में इस तकनीक की क्षमता को और उजागर किया.

तरल उर्वरकों और कीटनाशकों के हवाई छिड़काव का प्रत्यक्ष प्रदर्शन एक ऐसी विधि को बढ़ावा देता है, जो सीमित समय सीमा में अत्यधिक उर्वरक उपयोग को नियंत्रित करती है.

नारी शक्ति: ड्रोन की क्षमता को उजागर करना

महिलाओं के नेतृत्व में विकास सुनिश्चित करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर प्रयास रहा है. इस दिशा में एक और कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री महिला किसान ड्रोन केंद्र लौंच किया.

कोमलापति वेंकट रावनम्मा आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं. उन्होंने केवल 12 दिनों में कृषि उद्देश्यों के लिए ड्रोन उड़ाने का कौशल हासिल कर लिया और 30 नवंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने अनुभवों को साझा किया.

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांवों में कृषि उद्देश्यों के लिए ड्रोन को नियोजित करने के निहितार्थ के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने बताया कि ड्रोन समय की बचत के साथसाथ पानी से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने में भी मदद करता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि वेंकट जैसी महिलाएं उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो भारत की नारी शक्ति की क्षमता पर संदेह करते हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में कृषि में ड्रोन का उपयोग महिला नीति विकास का प्रतीक बन जाएगा. इस के अतिरिक्त उन्होंने विकसित भारत संकल्प यात्रा में महिलाओं की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया.

मत्स्यपालन के लिए ढेरों योजनाएं

नई दिल्ली : देश में मत्स्यपालन क्षेत्र की क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करने के लिए केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीन मत्स्यपालन विभाग मछलीपालन के आमूल विकास और मछुआरों के कल्याण के लिए विभिन्न पहल कर रहा है. इन पहलों में अन्य बातों के साथसाथ 3 प्रमुख योजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है, जिस में पहला नीली क्रांति पर केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस): मत्स्यपालन का एकीकृत विकास और प्रबंधन वर्ष 2015-16 से 2019-20 की अवधि के दौरान 3,000 करोड़ रुपए के केंद्रीय परिव्यय के साथ कार्यान्वित किया गया. उपरोक्त अवधि के दौरान इस योजना के तहत 5,000 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए, जबकि दूसरा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिए लागू की गई, जिस में कुल 20,050 करोड़ रुपए का निवेश और परियोजनाएं शामिल हैं. इस के लिए अब तक 7209.31 करोड़ रुपए की केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ 17527.22 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं और

तीसरा, रियायती वित्त प्रदान करने के लिए 7522.48 करोड़ रुपए की निधि के साथ वर्ष 2018-19 से मत्स्यपालन और एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ) लागू किया गया है. इस योजना के तहत मत्स्यपालन बुनियादी सुविधाओं के निर्माण के लिए राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों सहित विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों को 5588.63 करोड़ रुपए की मत्स्यपालन अवसंरचना परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है.

इस के अलावा केंद्रीय बजट 2023-24 में सरकार ने 6,000 करोड़ रुपए के लक्षित निवेश के साथ पीएमएमएसवाई की एक नई उपयोजना की घोषणा की गई है, जिसएनका लक्ष्य मछुआरों, मछली विक्रेताओं और सूक्ष्म व लघु उद्यमों की गतिविधियों को और सक्षम बनाने, मूल्य श्रृंखला दक्षता में सुधार करने और बाजार का विस्तार करना है.

पारंपरिक मछुआरों के लाभ के लिए योजनाओं के तहत समर्थित सुविधाओं में अन्य बातों के अलावा शामिल हैं-

– मछली पकड़ने पर प्रतिबंध की अवधि के दौरान सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े सक्रिय पारंपरिक मछुआरों के परिवारों के लिए आजीविका और पोषण संबंधी सहायता, मछुआरों और मछली पकड़ने वाले जहाजों को बीमा कवर, पारंपरिक मछुआरों को नावें और जाल प्रदान करना, संचार/ट्रैकिंग उपकरण. पीएमएमएसवाई समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समुद्री सुरक्षा किटों की आपूर्ति, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों की खरीद के लिए पारंपरिक मछुआरों को समर्थन, समुद्री शैवाल संस्कृति और बाइवाल्व संस्कृति जैसी वैकल्पिक आजीविका गतिविधियों, प्रशिक्%

‘कृषि एवं खाद्य प्रणाली में समावेशी व्यवसाय’ विषय पर कार्यशाला

हिसार : कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अपने संबोधन में ‘समावेशी व्यवसाय’ विषय पर काम कर रहे उद्यमियों व किसानों के लिए विश्वविद्यालय की ओर से उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि एबिक सैंटर न केवल चयनित स्टार्टअप्स को तकनीकी सहायता प्रदान कर रहा है, बल्कि जरूरत के अनुसार उन्हें माली मदद भी प्रदान करता है. एबिक युवा व किसानों को उन के उत्पाद की प्रोसैसिंग, मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग, सर्विसिंग व ब्रांडिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सहायता प्रदान करता है, ताकि वे अपने व्यवसाय को उच्च स्तर पर स्थापित कर सकें.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय हर जिले में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से ग्रामीण व शहरी महिलाओं, युवाओं व प्रदेश के किसानों को स्वावलंबी, समृद्ध और आर्थिक रूप से संपन्न बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि एचएयू प्रदेश के 6 लाख किसानों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है.

हरियाणा एवं तेलंगाना को समावेशी व्यापार से जोड़ा जाएगा

संयुक्त राष्ट्र की एशिया और प्रशांत क्षेत्रीय आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनओ) के आर्थिक मामलों के अधिकारी मार्ता पेरेज ने बताया कि यह संगठन हरियाणा व तेलगांना में हकृवि और इन्वेस्ट इंडिया के संयुक्त सहयोग से ‘कृषि एवं खाद्य प्रणाली में समावेशी व्यवसाय’ विषय पर किसानों के हित और आमदनी बढ़ाने के लिए योजनाएं तैयार करेगा.

उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत उपरोक्त दोनों प्रदेशों के किसानों के संसाधनों का खर्चा कम करने व उन को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उद्यमियों को समृद्ध बनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे.

हैफेड के चेयरमैन कैलाश भगत ने कहा कि हकृवि द्वारा तैयार उन्नत फसल किस्मों के माध्यम से किसान लगातार पैदावार बढ़ा रहा है. साथ ही, हैफेड किसानों के बासमती चावल के निर्यात करने में हर संभव प्रयास कर रहा है.

हरियाणा सरकार के विदेशी सहकारिता विभाग के सलाहाकर पवन चौधरी ने कहा कि हरियाणा प्रदेश पूरे भारतवर्ष में उद्यमियों को समस्त सुविधाएं मुहैया करवाने में अव्वल है. उन्होंने पीएम कुसुम योजना, मेरी फसल-मेरा ब्योरा, परिवार पहचानपत्र, किसान उत्पादक संगठन जैसी स्कीमों के बारे में संयुक्त राष्ट्र से आई टीम के सदस्यों को अवगत कराया. साथ ही, उन्होंने हरियाणा में स्थापित 4 फूड पार्क, 3,000 से ज्यादा फूड प्रोसैसिंग यूनिट, 5 कोल्ड चेन के कार्यों के बारे में भी जानकारी दी.

उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा प्रदेश स्ट्राबेरी एवं दुग्ध उत्पादन में भी अव्वल है. हरियाणा का विदेशी सहकारिता विभाग प्रदेश के उद्यमियों के उत्पादों को निर्यात करने पर निरंतर काम कर रहा है.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में ढेरों लाभ

नई दिल्ली: मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय 5 वर्षों के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 20050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) नाम की एक प्रमुख योजना लागू कर रहा है. देश में मत्स्यपालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए यह योजना वित्तीय वर्ष 2020-21 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक प्रभावी रहेगी. इस योजना के तहत पिछले 3 वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 2020-21 से 2022-23) और चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) के दौरान विभिन्न राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों की मत्स्यपालन विकास परियोजनाएं देश में मछलीपालन और जलीय कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 17118.62 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) मछली उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रौद्योगिकी, फसल के बाद की अवसंरचना एवं प्रबंधन और मूल्य श्रृंखला के आधुनिकीकरण और मजबूती, पता लगाने की क्षमता और गुणवत्ता सुधार में महत्वपूर्ण अंतराल को पाटने के लिए डिजाइन की गई है और इसे कार्यान्वित किया गया है.

मत्स्यपालन मूल्य श्रृंखला को आधुनिक और मजबूत करने के लिए पीएमएमएसवाई फसल कटाई के बाद की अवसंरचना जैसे मछली पकड़ने के बंदरगाह व मछली लैंडिंग केंद्र, कोल्ड स्टोरेज और बर्फ संयंत्र, रेफ्रिजरेटेड और इंसुलेटेड वाहनों सहित मछली परिवहन वाहनों, बर्फ तोड़ने और बर्फ कुचलने वाली इकाइयों, बर्फ व मछली होल्डिंग बक्सों के निर्माण, मोटरसाइकिल, साइकिल और आटोरिकशा, मूल्य संवर्धन उद्यम इकाइयों के साथसाथ सुपरमार्केट, खुदरा मछली बाजार और आउटलेट, मोबाइल मछली और जीवित मछली बाजारों सहित आधुनिक स्वच्छ बाजारों का समर्थन करती है. पिछले 3 वित्तीय वर्षों (वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23) और चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) के दौरान उपरोक्त गतिविधियों के लिए अब तक पीएमएमएसवाई निवेश के अंतर्गत 4005.96 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं.

पीएमएमएसवाई एक मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचे की स्थापना की व्यवस्था करती है और मत्स्य प्रबंधन योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यकता आधारित सहायता प्रदान करती है. इस के अतिरिक्त पीएमएमएसवाई जलीय कृषि, समुद्री कृषि और फसल कटाई के बाद के प्रबंधन और मत्स्यपालन में विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देती है, जिस का उद्देश्य आय बढ़ाना और मछुआरों और मत्स्यपालन क्षेत्र से जुड़े अन्य हितधारकों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति में सुधार करना है.

पीएमएमएसवाई के अंतर्गत मछली पकड़ने पर प्रतिबंध की अवधि के दौरान पारंपरिक और सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े, पात्र सक्रिय समुद्री और अंतर्देशीय मछुआरा परिवारों के लिए आजीविका और पोषण संबंधी सहायता के लिए सालाना 60 लाख वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जबकि पीएमएमएसवाई 3320 लाख मछुआरों के बीमा कवरेज का समर्थन करती है और मछली पकड़ने के जहाजों के लिए ब्याज सहायता योजना का भी समर्थन करती है.

इस के अतिरिक्त पीएमएमएसवाई के तहत जलीय कृषि प्रणाली, मैरीकल्चर और पोस्टहार्वेस्ट मैनेजमेंट गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्देशीय जलीय कृषि के लिए 20823.40 हेक्टेयर तालाब क्षेत्र, 3942 बायोफ्लौक इकाइयां, 11927 पुनःसंचार जलीय कृषि प्रणाली (आरएएस), जलाशयों में 44,408 जलाशय पिंजरे और 543.7 हेक्टेयर पेन, समुद्री शैवाल राफ्ट और मोनोलाइन इकाइयों की 1,11,110 इकाइयां, 1489 बाईवाल्व खेती इकाइयां, 562 कोल्ड स्टोरेज, 6542 मछली भंडारण इकाइयों को मंजूरी दी गई है.

पीएम किसान सम्मान निधि योजना में करोडों का घोटाला, ये हैं असली जिम्मेदार

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में पीएम किसान सम्मान निधि योजना में करोड़ों का फर्जीवाड़ा हुआ है. देश के एक राज्य के एक जिले में कुछ लोगों ने सरकार को 18 करोड़ की चपत लगा दी, अब सोचिए कि इस तरह के फर्जीवाड़े देशभर के लैवल पर कितने होते होंगे.

ऐसे मामलों में कुछ लोगों को पकड़ कर उन से रकम की उगाही कर ली जाती है, पर फिर लीपापोती कर के ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. मुजफ्फरपुर के फर्जीवाड़े में 11,600 अपात्र लोगों ने इस कांड को अंजाम दिया. नोटिस मिलने के बाद अब तक सिर्फ 22 लाख रुपया ही वापस हुआ है.

दिक्कत यह है कि आम जनता और सरकारी लोगों में भ्रष्टाचार इस कदर जड़ें जमाए हुए है कि वे तिकड़म लगा कर ऐसी करतूतों को आसानी से अंजाम दे कर सरकारी पैसा डकार जाते हैं.

बिहार के ही जहानाबाद जिले के 1,321 फर्जी किसान पीएम किसान योजना का 1.87 करोड़ रुपया डकार गए थे.

आईटीआर दाखिल करने वाले किसान भी इस योजना का लाभ उठा रहे थे. इन के अलावा, पति के साथ पत्नी व बच्चे भी किसान बन कर योजना का लाभ ले रहे थे, जबकि नियम के मुताबिक किसान परिवार में एक घर से एक ही सदस्य को इस योजना का लाभ दिया जाना है.

यह फर्जीवाड़ा कैसे होता है, इस के लिए सतना का उदाहरण लें, तो वहां की सूची में उन भूमिहीन फर्जी किसानों की संख्या ज्यादा है, जिन्होंने स्वपंजीयन किया है, लेकिन स्वपंजीयन के बाद उन की पहचान को तहसीलदार ने सत्यापित किया है, इस के बाद उन के खातों में किसान सम्मान निधि की राशि मिलने लगी.

सवाल यह है कि इतना बड़ा घोटाला तहसीलदार, पटवारी की जानकारी या उन के शामिल हुए बिना संभव है क्या? सरकार फर्जी किसानों से तो पैसा वापस ले लेती है, पर अगर कोई सरकारी मुलाजिम इस कांड में फंसा हुआ है, तो उस पर क्या सख्त कार्यवाही की गई, इस पर गोलमोल जवाब दे देती है या फिर ऐसे भ्रष्टाचारी लोग कानून में खामियां देख कर घपला करते हैं कि जांच की आंच उन तक नहीं पहुंच पाती है, जबकि सजा के तो वे भी बराबर के हकदार हैं.