महिला किसानों के लिए खेती में और्गोनौमिक तकनीकों के जरीए प्रशिक्षण

अखिल भारतीय समन्वित कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजनाए, भाकृअप, कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के तत्वावधान में कृषि क्रियाओं में श्रमसाध्य विकल्पों के लिए क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण 17 मई और 18 मई को गोमाना गांव, ब्लौक छोटी सादडी, जिला प्रतापगढ़, राजस्थान में संपन्न हुआ. गोमाना व मालवदा गांव की कुल 30 महिलाओं को कृषि व घरेलू कार्यों में श्रमसाध्य उपकरणों का प्रशिक्षण दिया गया.

प्रशिक्षण के पहले दिन डा. हेमू राठौड़ ने समय व श्रम से बचने वाले वीमेन फ्रेंडली उपकरणों के बारे में बताया और उन के प्रयोग की जानकारी दी, जिस में दूध दोहने की बालटी व चौकी, सब्जी काटने का यंत्र, बहुपयोगी झोला, मक्की छीलक यंत्र, पौध रोपाई यंत्र, आराम सीट आदि कृषि यंत्र शामिल थे.

उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के कृषि यंत्रों का प्रयोग करने के फायदे और काम में लेने के तरीके पर भी विस्तृत जानकारी दी गई.

कार्यक्रम के दूसरे दिन महिलाओं को मूंगफली छीलक यंत्र, अफीम के फल में चीरा डालने का यंत्र व अन्य यंत्रों के प्रयोग के बारे में भी बताया गया.

प्रशिक्षण में विभिन्न कृषि गतिविधियों, उपयोग की जाने वाली विभिन्न मुद्राओं और स्वास्थ्य पर इस के प्रभाव पर भी ध्यान केंद्रित किया गया.

प्रशिक्षण में महिलाओं के समूह को मानवीय तरीके से खेतों पर काम करने और मशीनों के संचालन के दौरान स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में बताया गया.

प्रशिक्षुओं को मूंगफली का डेकार्टिकेटर (छीलक यंत्र) पसंद आया. आधे घंटे में ललिता देवी और अन्य महिलाओं ने 35 किलोग्राम मूंगफली को छील लिया.

कार्यक्रम के दौरान डा. हेमू राठौड़ ने स्वच्छ जल की उपयोगिता एवं जल को पीने योग्य बनाने के लिए अलगअलग तरीकों के बारे में जानकारी दी.

चारू नागर ने उन्हें अपने आहार में बाजरा व अन्य मोटे अनाज को शामिल करने के महत्व के बारे में बताया और कहा कि इन्हें सुपरफूड क्यों कहा जाता है. उन्होंने महिलाओं को व्यक्तिगत स्वास्थ्य व स्वच्छता के बारे में भी बताया और कृषि क्षेत्र के किसानों को संबंधित खतरों के बारे में जागरूक किया गया.

सत्र के अंत में आयोजित समारोह में मौजूद अधिकारियों में मुख्य अतिथि कपिल देव, जिला प्रबंधक आजीविका, संजय दखानी, जिला प्रबंधक आजीविका, दीपक जैन, ब्लौक परियोजना प्रबंधन, एवं निर्मला माली, क्लस्टर प्रभारी, अंबावली उपस्थित थे.

मुख्य अतिथि कपिल देव ने कार्यक्रम का अवलोकन करते हुए महिलाओं को उन्नत तकनीकों व उपकरणों के उपयोग में उन के लाभों से सभी महिलाओ को अवगत किया. वहीं संजय दखानी ने महिलाओं के कृषि कार्यों में मेहनत पर प्रकाश डाला एवं उन को समझाया कि इन तकनीकों को अपनाने से समय व श्रम की बचत की जा सकती है. वहां उपस्थित महिलाओं को मुख्य अतिथि कपिल देव व दीपक द्वारा किट वितरित किए गए. महिलाओं में उत्साह का वातावरण रहा और सभी ने कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. वहां उपस्थित सभी लोगों ने उपकरणों को इस्तेमाल करने की बात कही. चारू नागर यंग प्रोफैशनल ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया.

चावल के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए डा. एके सिंह सम्मानित

 

डा. अशोक कुमार सिंह, निदेशक और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति को प्रगतिशील किसान संघ, संगरूर द्वारा 14 मई, 2023 को चावल के विकास के माध्यम से बासमती के गुणवत्ता उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने में उन के उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया.

कई महत्वपूर्ण किस्में हुईं लोकप्रिय

इस अवसर पर बोलते हुए डा. एके सिंह ने कहा कि पूसा संस्थान द्वारा विकसित बासमती चावल की नई किस्मों, जैसे पीबी-1847, पीबी-1885 और पीबी-1886 से किसानों को लाभ होने और उन की आय में वृद्धि होने की उम्मीद है.

पद्म पुरस्कार विजेता किसान सेठपाल सिंह ने किसानों के कल्याण में आईएआरआई के योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने समारोह में सभी किसानों से पर्यावरण संरक्षण के साथसाथ उत्पादन और आय बढ़ाने के लिए लगातार नएनए तरीकों और किस्मों को अपनाने का आह्वान किया.

200 किसानों के साथ, सुखमिंदर सिंह भट्टल (अध्यक्ष, पीएफए), सुखजीत सिंह भंगू (सचिव, पीएफए), दर्शन सिंह नेनेवाल (भारती किसान मोरचा इकाई, पंजाब). जसविंदर सिंह ग्रेवाल, ज्वाइंट डायरेक्टर कृषि विभाग, पंजाब, डा. जगमोहन सिंह, परहत सिंह (यू ट्यूबर), डा. रेनू सिंह, नरेश कुमार पात्रा, डा. दलेर सिंह, गुरमेल सिंह गहिला और हरप्रीत सिंह कमालपुर इस मौके पर मौजूद रहे.

शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं व अन्य अवसंरचनाओं का वर्चुअल उद्घाटन

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं व अन्य अवसंरचनाओं का वर्चुअल उद्घाटन भी किया. इस में क्षेत्रीय शहद परीक्षण प्रयोगशाला, आईसीएआर-आईआईएचआर बेंगलुरु, कर्नाटक, आईएआरआई, पूसा, नई दिल्ली, केवीके कुपवाड़ा जम्मूकश्मीर, स्कास्ट कश्मीर, केवीके, दमोह, मध्य प्रदेश, बनासकांठा सहकारी दुग्ध उत्पादन संघ, पालनपुर व नवसारी कृषि विश्वविद्यालय गुजरात, कृषि महाविद्यालय, पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश, निफ्टेम, सोनीपत, हरियाणा, मधुमक्खी रोग निदान केंद्र, एफसीआरआई, हैदराबाद तेलंगाना, बी बाक्स व मधुमक्खीपालन उपकरण निमार्ण इकाई-एसएफएसी, कोरिया एग्रो प्रोड्यूसर लि., छत्तीसगढ़ – शहद और अन्य मधुमक्खीपालन उत्पाद संग्रह, व्यापार, ब्रांडिंग और विपणन यूनिट, एसएफएसी, चुली एग्रो प्रोड्यूसर लि., उत्तराखंड, शहद और अन्य मधुमक्खीपालन उत्पाद संग्रह, व्यापार, ब्रांडिंग और विपणन यूनिट-एसएफएसी, उन्नति कृषक सहकारी समिति, छत्तीसगढ़- शहद और अन्य मधुमक्खीपालन उत्पाद संग्रह व्यापार, ब्रांडिंग और विपणन यूनिट शामिल हैं.

कार्यक्रम में मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन, मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल, आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे, छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, बागबानी आयुक्त प्रभात कुमार, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति प्रमोद कुमार मिश्रा, पूर्व कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार बिसेन, राकेश पाल, सत्यप्रकाश आदि भी मौजूद थे.

एग्रीइनपुट एंड प्लांट न्यूट्रिशन कंपनी ने अरुण गोविल को बनाया अपना ब्रांड एंबेसडर

मुंबई : 15 मई, 2023. एग्रीइनपुट एंड प्लांट न्यूट्रिशन कंपनी ठाकर कैमिकल्स लि. ने भारतीय टेलीविजन के एक प्रसिद्ध और सब से प्रभावशाली चेहरे अरुण गोविल को ब्रांड एंबेसडर के रूप में औनबोर्ड किया, जो रामानंद सागर द्वारा 80 के दशक में रामायण सीरियल में राम की भूमिका निभाने के लिए प्रसिद्ध हैं.

इस एसोसिएशन का मुख्य मकसद एग्रोकैमिकल्स के विवेकपूर्ण उपयोग पर जागरूकता फैलाना है, जो टिकाऊ खेती का समर्थन करता है, हमारे अन्नदाता किसान की भलाई को उन्नत करता है और बढ़ती आबादी को खिलाने की चुनौतियों का सामना करने के लिए सामाजिक व आर्थिक लाभ प्रदान करना है.

ग्रामीण क्षेत्र में अरुण गोविल का जनआकर्षक चेहरा जमीनी स्तर पर किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने में कंपनी की मदद करेगा.

प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अरुण गोविल ने कहा, “मैं ठाकर कैमिकल्स लि. के साथ इस सहयोग से खुश हूं. कंपनी 3 दशकों से अधिक समय से अपनी फसल सुरक्षा विधियों के माध्यम से किसान समुदाय की प्रगति की दिशा में काम कर रही है. पूरी टीम को उन के शानदार प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं. मैं इस सहयोग के माध्यम से किसान समुदाय में अधिक से अधिक खुश चेहरों को देखना चाहता हूं और किसानों की भलाई के लिए कंपनी के प्रयासों का समर्थन करना चाहता हूं.

इस अवसर पर राज कुमार गुप्ता, प्रबंध निदेशक, ठाकर कैमिकल लि. ने कहा, “किसान हमारे देश के असली नायक हैं. हम अपने किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं और 3 दशकों से अधिक समय से उन की सेवा कर रहे हैं.

“अरुण गोविल को ब्रांड एंबेसडर के रूप में साइन करना किसान समुदाय को अपने सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले उत्पादों के साथ सेवा देने की हमारी प्रतिबद्धता की दिशा में एक अतिरिक्त प्रयास है, जो उन्हें उपज बढ़ाने में मदद करता है.

“हमें पूरी उम्मीद है कि यह सहयोग हमारे किसानों के हम पर विश्वास की दिशा में एक अच्छा कदम साबित होगा.

ठाकर कैमिकल्स लि. के निदेशक सुमित गुप्ता ने कहा, “हम अपनी कंपनी के ब्रांड एंबेसडर के रूप में भारतीय टेलीविजन के जानेमाने चेहरे अरुण गोविल को औनबोर्ड पा कर रोमांचित हैं. हमें खुशी है कि अरुण गोविल ने पहली बार एक एग्रीइनपुट एंड प्लांट न्यूट्रिशन फर्म, जो ठाकर कैमिकल्स लि. है, का समर्थन करने के लिए सहमति दी है.

विवेक मित्तल, निदेशक विपणन ने कहा, ”इस सहयोग और सामूहिक टीम के प्रयासों के माध्यम से हमारे पास निकट भविष्य में विस्तार की आक्रामक योजना है. हम आने वाले भविष्य में निश्चित रूप से नई ऊंचाइयों को छुएंगे, क्योंकि हमारे अभिनव दृष्टिकोण और अच्छी गुणवत्ता वाली उत्पाद श्रृंखला टिकाऊ खेती में योगदान देती है.

ठाकर कैमिकल्स लि. के बारे में

ठाकर समूह की उत्पत्ति वर्ष 1956 में हुई थी, जब स्व. नंद गोपाल गुप्ता ने कृषि इनपुट और पौध पोषण क्षेत्र में एक महान साम्राज्य स्थापित करने का विचार किया था. एक प्रमुख के रूप में उन के कभी न खत्म होने वाले दूरदर्शी विचारों के चलते वर्ष 1988 में ठाकर कैमिकल्स लि. अस्तित्व में आया और आज इसे कीटनाशक उद्योग में एक ब्रांड के रूप में पहचाना जाता है.

ठाकर कैमिकल्स प्लांट न्यूट्रिशन में एक मार्केट लीडर और उभरता हुआ लीडर है, क्योंकि उन का जोर गुणवत्ता वाले उत्पादों पर है, जो एक मजबूत मार्केटिंग नेटवर्क के साथ बेहतरीन निर्माण बुनियादी ढांचे के साथ इस के आदर्श वाक्य ‘शुद्धता का विश्वास दिलाए सुरक्षा का अहसास’ को साबित करता है.

एग्रीइनपुट्स और प्लांट न्यूट्रिशन की एक विस्तृत श्रृंखला के सचेत उत्पादन के लिए ठाकर कैमिकल्स लि. के पास हरियाणा में अत्याधुनिक, नवीकरणीय और सौर ऊर्जा से संचालित उत्पादन सुविधा है, जो इष्टतम प्रदर्शन स्तर सुनिश्चित करने के लिए एक एकीकृत वातावरण प्रदान करती है और उच्च गुणवत्ता वाले फार्मूलेशन के उत्पादन की सुविधा प्रदान करना है. उन के उत्पादों की निरंतर मांग, उन के नियमित किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों और उत्पाद प्रदर्शन शिविरों का अंतिम परिणाम है, जो किसानों की संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए अकसर आयोजित किए जाते हैं. हाल के वर्ष में 5 गुना से अधिक की वृद्धि को देखते हुए कंपनी ने युद्ध स्तर पर अपने क्षेत्र में विस्तार की योजना बनाई है और इसलिए कई वैश्विक संगठनों के साथ रणनीतिक गठजोड़ किया है. उन के उत्पाद देशभर में 15,000 से अधिक आउटलेट वाले डीलरों के नेटवर्क के माध्यम से पूरे भारत में बेचे जाते हैं.

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युक्ता शर्मा,
जनसंपर्क अधिकारी,
घोंघा इंटीग्रल एलएलपी
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उत्पादक लाभकारी कीटों के संरक्षण पर जागरूकता अभियान सप्ताह

देश में विलुप्त हो रही उत्पादक कीट प्रजातियों के संरक्षण के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्राकृतिक राल एवं गोंद अनुसंधान संस्थान, रांची द्वारा संचालित लाख कीट संरक्षण परियोजना के तहत महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में स्थित राजस्थान कृषि महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग द्वारा इन कीटों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए 16 मई से ले कर 22 मई के दौरान जागरूकता अभियान सप्ताह मनाया गया.

इस अवसर पर केंद्र द्वारा 16 मई को द्वितीय राष्ट्रीय लाख कीट दिवस पर स्नातक व स्नातकोत्तर छात्रों का एकदिवसीय लाख प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया.

उक्त कार्यशाला में स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के कुल 60 छात्रछात्राओं ने भाग लिया. प्रशिक्षण कार्यशाला में कीट विज्ञान विभागाध्यक्ष डा. रमेश बाबू एवं पूर्व विभागाध्यक्ष डा. मनोज कुमार महला ने विभिन्न उत्पादक कीटों (मधुमक्खी, लाख कीट एवं रेशम कीट) की महत्ता एवं संरक्षण के बारे में बताया.

इस अवसर पर परियोजना अधिकारी डा. हेमंत स्वामी ने बताया कि देश में रंगीनी एवं कुसुमी लाख कीट के माध्यम से लाख उत्पादित किया जा रहा है. रंगीनी लाख कीट का उत्पादन मुख्यतः बेर, पलाश पर किया जा रहा है, जबकि कुसुमी कीट प्रजाति का उत्पादन कुसुम के पेड़ों पर किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि राजस्थान के क्षेत्रों में भी रंगीनी लाख उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, पर तकनीकी जानकारी व जागरूकता की कमी में लाख का उत्पादन बहुत कम हो रहा है, जबकि लाख की सर्वाधिक खपत राजस्थान में होती है.

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, बड़गाव के वैज्ञानिक डा. दीपक जैन ने बताया कि आदिवासी बहुल क्षेत्र में लाख की खेती की संभावना है. किसान अपनी परंपरागत खेती के साथ लाख कीट का पालन कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं.

उत्पादक कीट जागरूकता सप्ताह 16 मई, 2023 को केंद्र द्वारा उदयपुर क्षेत्र के किसानों में लाख उत्पादन के प्रति रुझान बढ़ाने एवं जागरूक करने के लिए कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया.

इस प्रशिक्षण में क्षेत्र के 40 से अधिक किसानों ने लाख उत्पादन तकनीक की पूरी जानकारी प्राप्त की. इसी के साथ प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को लाभकारी लाख कीट के संरक्षण के साथ कम लागत से अधिक उत्पादन की जानकारी दी गई, जिस से उन की आजीविका के स्तर में वृद्धि होगी.

प्रशिक्षण के दौरान किसानों ने कीट विज्ञान विभाग स्थित लाख कीट संग्रहालय एवं जीन बैंक का अवलोकन किया. इस दौरान उद्यान विभाग के डा. विरेंद्र सिंह ने लाख के विभिन्न पोषक वृ़क्षों की जानकारी दी एवं कीट विज्ञान विभाग के डा. अनिल व्यास ने लाख कीट के जीवनचक्र व प्रमुख प्राकृतिक शत्रु कीटों की जानकारी दी.

राज्यपाल द्वारा एमपीयूएटी के स्मार्ट गांव में उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रशंसा

उदयपुर: यूनिवर्सिटी सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (यूएसआर) के तहत प्रदेश की प्रत्येक राज्यपोषित विश्वविद्यालय द्वारा गांव को गोद ले कर उसे स्मार्ट विलेज में रूपांतरित किए जाने की राज्यपाल द्वारा पहल की गई. राज्यपाल द्वारा वर्ष 2022 में स्मार्ट गांव में विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों का खुद ही अवलोकन किया. पूर्व में भी वर्ष 2021-22 में एमपीयूएटी के स्मार्ट गांव को प्रदेश के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ. इन प्रयासों के परिणामस्वरूप स्मार्ट गांव में कृषि, सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में थोड़ाबहुत परिवर्तन हुआ.

इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण घटक सभी राजकीय एवं गैरराजकीय संस्थानों को साथ ले कर कृषि, शिक्षा, पशुपालन, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. साथ ही, कारपोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत एक करोड़ रुपए से अधिक के काम संपादित किए जा चुके हैं. वहीं वर्ष 2022-23 में विश्वविद्यालय के 130 वैज्ञानिकों एवं अन्य अधिकारियों द्वारा 42 बार भ्रमण किया और कुलपति ने भी इन गांवों में 4 बार भ्रमण कर काम की योजना के क्रियान्वयन का निरीक्षण किया. विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न परियोजनाओं द्वारा विकसित तकनीकी एवं यंत्रों आदि का भी इन गांवों में प्रदर्शन किया गया.

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा 36 एकदिवसीय प्रशिक्षणों के माध्यम से 2311 किसान और किसान महिलाएं लाभान्वित हुए.

विश्वविद्यालय द्वारा फसल, सब्जी, फल एवं गृह वाटिका उत्पादन पर विभिन्न प्रशिक्षण एवं 165 प्रदर्शन किसानों के खेतों पर आयोजित किए गए.

राजस्थान कृषि महाविद्यालय, मात्स्यकी महाविद्यालय, डेरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के 168 एनएसएस के छात्रों द्वारा स्मार्ट गांव मदार एवं ब्राह्मणों के हुंदर में स्वच्छता अभियान, जल प्रबंधन एवं पोषक अनाज उत्पादन पर जागरूकता रैली आयोजित की गई. बंजर भूमि विकास के लिए ग्राम पचांयत एवं वन विभाग के सहयोग से 175 वृक्ष नीम, करंज, जामुन, सुबबूल एवं मोरिंगा आदि का वृक्षारोपण किया गया. पशुपालन विभाग के सहयोग से पशु चिकित्सा शिविर में 360 पशुओं और 590 भेड़बकरियों का टीकाकरण किया गया और लंपी वायरस से बचाव के लिए पशुपालकों को जागरूक किया गया.

किसान संगोष्ठी का आयोजन कुलपति के मुख्य आतिथ्य में हुआ, जिस में विश्वविद्यालय के प्रबंध समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ अधिकारी परिषद के सदस्यों सहित 175 संभागीयों ने भाग लिया.

विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से एक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिस में 93 रोगियों का उपचार किया गया और निःशुल्क दवाएं वितरित की गईं. प्रसार शिक्षा निदेशालय में आयोजित कृषि शिक्षा दिवस पर 3 दिसंबर, 2022 को ग्राम मदार से 52 विद्यार्थियों ने भाग लिया और कृषि संग्रहालय का अवलोकन किया. इफको के सहयोग से गेहूं की फसल पर ड्रोन द्वारा नेनो यूरिया का छिड़काव किया गया, जिस में कुलपति, निदेशक प्रसार शिक्षा, अधिष्ठाता एवं उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षणार्थियों की उपस्थिति रही. डीडी किसान दूरदर्शन दल का विश्वविद्यालय द्वारा क्रियान्वित की जा रही विभिन्न गतिविधियों की वीडियोग्राफी रिकौर्ड की गई.

प्रत्येक माह में एक विशिष्ट कार्यक्रम के अंतर्गत विश्वविद्यालय के द्वारा स्मार्ट गांव में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, नशामुक्ति शिविर, वरिष्ठ नागरिक स्वास्थ्य शिविर, प्रौढ़ साक्षात्कार दिवस, पोषक दिवस एवं कंप्यूटर साक्षात्कार दिवस इत्यादि कार्यक्रमों में 528 छात्र, किसान एवं किसान महिलाएं लाभान्वित हुईं. इन गांव में 8 स्वंयसहायता समूह की 120 किसान महिला सदस्य हैं, जो कि सब्जी उत्पादन, सिलाई केंद्र, अनाज भंडारण, दूध उत्पादन, सोलर लाइट, सोलर कुकर इत्यादि गतिविधियों से लाभान्वित हो रही हैं.

गोदित गांव में सीएसआर स्कीम के तहत संपादित किए गए काम :

सोलर ट्री 5 किलोवाट क्षमता के संयंत्र की स्थापना : नाबार्ड के सहयोग से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मदार में सोलर ट्री की स्थापना की गई, जिस की लागत मूल्य 9.08 लाख रुपए है.

ड्रोन : आईआईएफएल, मुंबई और ब्लूइनफिनिटी लैब्स प्रा. लि. के सहयोग से कीटनाशक/पेस्टीसाइड/ उर्वरक छिड़काव के लिए 25 किलोग्राम क्षमता का ड्रोन विश्वविद्यालय को दिया गया, जिस की लागत मूल्य 30 लाख रुपए है. इस का उपयोग स्मार्ट गांव में किया जा रहा है.

कक्षा में विद्यालय फर्नीचर : राजस्थान माइंस एवं मिनरल प्रा. लि. के सहयोग से बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय, मदार में 150 बच्चों को टेबल, स्टूल और 4 अलमारी मुहैया कराई गई. तकरीबन 3.94 लाख रुपए का फर्नीचर हस्तांतरित किया गया.

कंप्यूटर टेबलेट: आईआईएफएल, मुंबई के सहयोग से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मदार को 50 कंप्यूटर टेबलेट, औक्सीजन कंसंट्रेटर और कोविड किट उपलब्ध कराए गए.

सभा भवन : आईआईएफएल, मुंबई के सहयोग से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मदार मेें कन्वेशन हाल का निर्माण 42 लाख रुपए की लागत से किया गया है.

खेल मैदान की चारदीवारी : राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए विधायक मद से 10 लाख रुपए की लागत से खेल मैदान की चारदीवारी का काम प्रगति पर है.

ग्वालियर में रखी गई गोबर आधारित कंप्रेस्ड बायो गैस संयंत्र की नींव

ग्वालियर : पेट्रोलियम सेक्टर में अग्रणी कंपनी इंडियन औयल कार्पोरेशन की अगुआई आदर्श गौशाला व गोबर आधारित सीबीजी संयंत्र यानी कंप्रेस्ड बायो गैस संयंत्र की नींव ग्वालियर में रखी गई.

इस मौके पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुरू से ही वेस्ट टू वैल्थ पर जोर रहा है. इस दिशा में यह सीबीजी संयंत्र काफी कारगर साबित होगा.

10,000 गायों की गौशाला में शुरू हुआ प्लांट

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रकृति का जो नियम है, उस के अनुरूप काम करने से समाज जीवन संतुलित रहता है और प्रकृति भी संतुलित रहती है. इसीलिए भारत सरकार द्वारा गोबर धन योजना भी लाई गई है.

उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि ग्वालियर में लगभग 10,000 गायों की देखरेख इस गौशाला में की जा रही है और उन की पहल पर ही यह सीबीजी संयंत्र लगाया जा रहा है, जिस से वेस्ट टू वैल्थ की थीम भी यहां सार्थक होगी.

31 करोड़ रुपए की लागत वाला होगा यह संयंत्र

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी व धर्मेंद्र प्रधान और इंडियन औयल कार्पोरेशन की टीम को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने 31 करोड़ रुपए की लागत से इस परियोजना को ग्वालियर में प्रारंभ करने का निर्णय लिया है.

उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2024 में यह संयंत्र चालू होने के बाद स्वच्छ भारत की दृष्टि से भी परियोजना सार्थक होगी. यह परियोजना गोबरधन योजना की पहल के रूप में है, साथ ही जैविक खेती को बढ़ावा देगी, प्रदूषण समाप्त करने की दिशा में कारगर होगी, इस से रोजगार के अवसर सृजित होंगे एवं गौशाला भी आत्मनिर्भर हो सकेगी. इस से नगरनिगम अपने वाहनों में इस से उत्पन्न ईंधन का उपयोग कर सकेगा. साथ ही, समाज व पर्यावरण को निश्चित रूप से इस से बहुत लाभ होगा.

उन्होंने कहा कि हम जैविक व प्राकृतिक खेती की बात कर रहे हैं, उस दिशा में जाने में भी इस से मदद मिलेगी.

क्या है कंप्रेस्ड बायो गैस

भारत का पेट्रोलियम मंत्रालय कंप्रेस्ड बायो गैस के रूप में नए ईंधन विकल्पों की तलाश कर रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा जैव ईंधन के क्षेत्र में वर्ष 2030 तक 20 फीसदी की बढ़ोतरी किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इसे घटा कर अभी वर्ष 2025 कर दिया गया है.

कंप्रेस्ड बायो गैस अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ है, जिसे वाहनों को चलाने और खाना पकाने के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा. इस गैस को बायोमास से तैयार किया जाता है. बायोमास यानी कृषि अपशिष्ट, मवेशी गोबर, शुगरकेन प्रेस मड, नगरनिगम ठोस अपशिष्ट व सीवेज उपचार संयंत्र अपशिष्ट आदि से निकला हुआ गैस. इस में करीब 55 फीसदी से ले कर 60 फीसदी तक मीथेन, 40 से 45 फीसदी कार्बन डाई औक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड होता है. जब बायो गैस में से कार्बन डाई औक्साइड, जल वाष्प व हाइड्रोजन सल्फाइड को हटाया जाता है और फिर कंप्रेस्ड किया जाता है, तो सीबीजी यानी कंप्रेस्ड बायो गैस प्राप्त होता है. इस में मीथेन की मात्रा 90 फीसदी होती है. इस गैस का इस्तेमाल आटोमोटिव, इंडस्ट्री और कामर्शियल क्षेत्र में सीएनजी की जगह किया जा सकेगा. इस के उत्पादन और उपयोग से कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, प्रदूषण में कमी, जलवायु परिवर्तन में लाभ, किसानों को अतिरिक्त लाभ होगा.

इतनी होगी कीमत

कंप्रेस्ड बायो गैस की शुरुआती कीमत 46 रुपए होगी, जिस पर 5 फीसदी जीएसटी यानी 2.30 रुपए लगाया जाएगा. इस आधार पर इस की कीमत 48.30 रुपए प्रति किलोग्राम तय की गई है.

ये लोग रहे शामिल

कार्यक्रम में केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (स्वतंत्र प्रभार) एवं नर्मदा घाटी विकास राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह, गौशाला के संचालक ऋषि महाराज, इंडियन औयल के कार्यकारी निदेशक शांतनु गुप्ता, तेल उद्योग राज्य स्तरीय समन्वयक दीपक कुमार बसु सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं अन्य गणमान्य लोग भी शामिल हुए.

36वें स्थापना दिवस पर कृषि वानिकी संस्थान बना राष्ट्रीय नोडल एजेंसी

झांसी : कृषि वानिकी अनुसंधान के क्षेत्र में कार्यरत देश के एकमात्र शोध संस्थान केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान, झांसी का स्थापना दिवस 8 मई को मनाया गया. इस केंद्र की स्थापना सब से पहले राष्ट्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान केंद्र के रूप में 8 मई, 1988 की गई थी, लेकिन 1 दिसंबर, 2014 को इस का नाम बदल कर केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान कर दिया गया. यह संस्थान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीन एग्रोफोरेस्ट्री के मसले पर शोध का काम करता है.

उत्तर प्रदेश के झांसी में स्थित यह केंद्र कुल 254.859 एकड़ में फैला हुआ है. यह संस्थान छोटे और मझोले किसानों के लिए विभिन्न कृषि जलवायु स्थितियों के लिए मजबूत कृषि वानिकी मौडल विकसित करने और उस से जुड़ी तकनीकियों के प्रसार को बढ़ावा देने का काम करता है. साथ ही, ग्रामीणों और किसानों के जीवन स्तर में सुधार भी लाना इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य है.

कृषि वानिकी आधारित एफपीओ बनाए जाने की आवश्यकता
एग्रोफोरेस्ट्री को बढ़ावा देने के क्षेत्र में काम कर रहे इस संस्थान ने 8 मई को अपना 36वां स्थापना दिवस मनाया. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी, प्रो. एके सिंह रहे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि कृषि वानिकी यानी एग्रोफोरेस्ट्री आज आदर्श गांव की बुनियादी जरूरत बन चुकी है.

उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए पेड़ों की कमी महसूस हो रही है. इसलिए कृषि वानिकी आधारित कृषक उत्पादक संगठन यानी एफपीओ बनाए जाने की आवश्यकता है.

प्रो. एके सिंह ने बताया कि किसानों को कृषि वानिकी की जानकारियां समयसमय पर देने की आवश्यकता है और सजावटी पौधों के साथसाथ बड़े पेड़ भी लगाना जरूरी है, जो पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में योगदान करते हैं.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. आरबी सिन्हा, आईएफएस, वरिष्ठ नीति सलाहकार, एफएओ कार्यालय, नई दिल्ली ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पेड़ लगाने के बाद किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हो. साथ ही, इस बात पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है कि किसानों को कौन सा पौधा लगाना है और उस के लिए बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित हो, जिस से किसान कृषि वानिकी पद्धतियां आसानी से अपना सकें.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, डा. फ्रैंकलिन एल. खोबुंग, संयुक्त सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का सामना एवं समाधान कृषि वानिकी द्वारा मुमकिन है.

उन्होंने कृषि वानिकी संस्थान द्वारा किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त पौध प्रदान करने की सिफारिश की. साथ ही, यह भी कहा कि जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने में कृषि वानिकी का महत्वपूर्ण योगदान है.

संयुक्त सचिव ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार का पत्र संस्थान के निदेशक को सौंपा, जिस में कृषि वानिकी संस्थान को गुणवत्तायुक्त पौध के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी, कृषि वानिकी सूचनाओं का राष्ट्रीय रिपोजिट्री एवं राज्य सरकारों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय संस्थान का दर्जा दिया गया है.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भाकृअनुप के सहायक महानिदेशक, डा. राजवीर सिंह ने कहा कि कृषि वानिकी की भविष्य की डगर ऐसी हो, जिस में विकास के लिए विभिन्न विभागों का एकीकृत रूप में काम करने की जरूरत है, तभी परिणाम अच्छे आएंगे. इस प्रकार कृषि, वन एवं पशुपालन विभाग को एकीकृत रूप में काम करने की जरूरत है.

संस्थान के निदेशक, डा. ए. अरुणाचलम ने पावर प्वाइंट प्रिजेंटेशन के द्वारा संस्थान की अनुसंधान, प्रशिक्षण एवं प्रसार गतिविधियों की 35 वर्ष की उपलब्धियों का लेखाजोखा प्रस्तुत किया.

उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि बुंदेली धरती को हराभरा रखने में कृषि वानिकी का अहम योगदान है. उन्होंने आह्वान किया कि बुंदेलखंड के हर बाशिंदे को अपने खेत, बांध, तालाब इत्यादि का ध्यान रखना होगा.

उन्होंने यह भी कहा कि हम सब मिल कर यह संकल्प लें कि अपने जीवन व दिनचर्या को ऐसा बनाएं कि प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान न हो, कार्बन का उत्सर्जन कम हो और जलवायु के बदलते परिवेश में उन्नत तकनीकी का प्रयोग कर जलवायु के कुप्रभावों को दूर करें. उन्होंने संस्थान में चल रहे विभिन्न प्रकार के शोध कार्यों के बारे में भी चर्चा की.

इस अवसर पर संस्थान द्वारा प्रकाशित प्रसार बुलेटिन, सफलता की कहानियां, कृषि वानिकी तकनीकियां और स्ट्राबेरी बुकलेट इत्यादि का विमोचन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया. स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया और खेलकूद प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सर्टिफिकेट एवं मैडल प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया गया.

इस कार्यक्रम में डा. वीपी सिंह, डा. बेहरा, डा. डोबरियाल, डा. निषिराय, डा. पुरुषोत्तम शर्मा, डा. एके सिंह, डा. राजन, विनीत निगम और कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के डीन एवं डायरैक्टर, ग्रासलैंड के विभागाध्यक्ष, दतिया अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष एवं संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी, कर्मचारी एवं बुंदेलखंड के विभिन्न जनपदों से 35 किसान एवं महिलाएं उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन डा. आरपी द्विवेदी एवं आभार डा. एके हांडा ने प्रस्तुत किया.

मध्य प्रदेश में मूंग व उड़द खरीदी के पंजीयन की शुरुआत

किसानों को अपनी फसल की पैदावार की वाजिब कीमत मिल सके, इस के लिए सरकार ने उपज खरीद के लिए पंजीकरण की तिथियों का ऐलान किया है.

केंद्र सरकार ने खरीफ मौसम में मूंग के लिए 7,755 रुपए प्रति क्विंटल और उड़द के लिए 6,600 रुपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया था. इस जायद सीजन में सरकार इसी मूल्य पर मूंग और उड़द खरीदेगी.

पंजीयन की शुरुआती तिथि जारी

मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने घोषणा की है कि वर्ष 2023-24 में मूंग और उड़द की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए 8 मई से पंजीयन शुरू होगा.

जो किसान उड़द व मूंग की खेती करते हैं और अपनी उपज को उचित दामों पर बेचना चाहते हैं, वे 19 मई तक ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द फसलों का पंजीयन करवा लें.

सरकार ने मूंग फसलों की खरीद के लिए 32 जिलों और उड़द के लिए 10 जिलों में उपज खरीद करने का निर्णय लिया है. किसानों को अपनी फसल पैदावार का उचित मूल्य मिल सके, इस के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है.

मध्य प्रदेश के 32 जिलों में मूंग और उड़द की खेती ज्यादा होती है. इन जिलों के किसान 8 मई से पंजीयन करवा कर अपनी मूंग या उड़द फसलों को बेच सकते हैं.

मूंग खरीद के लिए प्रदेश के 32 जिलों में पंजीयन होगा, जिन में नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, रायसेन, हरदा, सीहोर, जबलपुर, देवास, सागर, गुना, खंडवा, खरगोन, कटनी, दमोह, विदिशा, बड़वानी, मुरैना, बैतूल, श्योपुरकलां, भिंड, भोपाल, सिवनी, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, छतरपुर, उमरिया, धार, राजगढ़,
मंडला, शिवपुरी, अशोक नगर, बालाघाट और इंदौर में पंजीयन केंद्र हैं.

उड़द के लिए 10 जिलों में जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, पन्ना, मंडला, उमरिया, सिवनी और बालाघाट में पंजीयन करवा सकते हैं.

हाल ही के दिनों में रबी फसल उपज से किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था. कारण, बेमौसम बरसात व ओलों से फसल खराब हो गई थी, जिस से पैदावार पर बुरा असर पड़ा और किसानों की आय पर भी बुरा असर पड़ा.

अब उड़द व मूंग की उपज का बेहतर दाम किसानों को मिल जाए, तो किसानों को कुछ राहत जरूर मिलेगी.

मोटेअनाजों को बढ़ावा देने को किसानों में बंटेगा निःशुल्क मिनी किट

बस्ती: इस साल पूरी दुनिया में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए खाद्य और कृषि संगठन के अनुमोदन के पश्चात संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा साल 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है. इस को ले कर संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिस का नेतृत्व भारत ने किया और 70 से अधिक देशों ने इस का समर्थन भी किया.

इसी को ध्यान में रखते हुए देश के सभी राज्यों की सरकारें मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए तमाम सहूलियतें मुहैया करा रही हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिलों में मोटे अनाजों के निःशुल्क मिनी किट के जरीए इस की खेती को बढ़ावा दिए जाने की योजना है.

इस मसले में बस्ती मंडल में संयुक्त कृषि निदेशक अविनाश चंद्र तिवारी ने बताया कि खरीफ 2023-24 में धान की नर्सरी तैयार करने का समय शुरू होने वाला है. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा श्री अन्न यानी मोटा अनाज या मिलेट, जिस में रागी, मडुवा, कोदो, ज्वार, बाजरा जैसी फसलें शामिल हैं का निःशुल्क मिनी किट एवं तिल का बीज किसानों में वितरित किया जाना है.

उन्होंने बताया कि मोटे अनाजों के मिनी किट के अलावा प्रमाणित और आधारीय बीज मंडल के तीनों जनपदों बस्ती, संतकबीर नगर व सिद्धार्थनगर के लिए आवंटित हो गया है. इसी महीने वितरण के लिए यह उपलब्ध करा दिया जाएगा.

उन्होंने यह भी बताया कि धान के साभा सब-1, सीओ-51, एनडीआर – 2064, बीपीटी -5204, एमटीयू-7029, सरजू-52 धान का प्रमाणित और आधारीय बीज भी मिलेगा.
किसान अपने ब्लौक के राजकीय कृषि बीज भंडार से बीज और मिनी किट प्राप्त कर सकते हैं.

उन्होंने आगे बताया कि अगर किसान घर का बीज नर्सरी के लिए प्रयोग करते हैं तो थिरम अथवा कार्बेन्डाजिम का 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम अथवा ट्राइक्रोडर्मा 5 ग्राम प्रति किलोग्राम से बीज शोधित कर के ही प्रयोग में लाएं.

उन्होंने यह भी बताया कि जीवाणुजनित रोग, झुलसा एवं कंडुआ रोग के प्रकोप के नियंत्रण के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन अथवा 40 ग्राम प्लांटोमाइसीन 25 किलोग्राम बीज को 10 लिटर पानी में 12 घंटे तक भिगोबीकर दूसरे दिन छाया में सुखा कर नर्सरी डालें. भूमि शोधन के लिए ट्राइकोडर्मा 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर 60 से 70 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मिला कर छाया में नमी बना कर रखते हुए एक सप्ताह तक रखें और खेत की अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिला दें.