आधुनिक बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों के विकास के लिए 7,500 करोड़ रुपए स्‍वीकृत

कोच्चि : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परशोत्तम रूपाला एवं पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पिछले दिनों केरल के कोचिन पोर्ट अथा एमरिटी विलिंगडन द्वीप थोप्पुमपडी के समुद्रिका हाल में कोचिन फिशिंग हार्बर के आधुनिकीकरण और उन्नयन की परियोजना की आधारशिला रखी.

इस कार्यक्रम में एर्नाकुलम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद हिबी ईडन, कोच्चि निर्वाचन क्षेत्र के विधानसभा सदस्य केजे मक्सी, एर्नाकुलम निर्वाचन क्षेत्र के विधानसभा सदस्य टीजे विनोद, कोच्चि नगरनिगम के महापौर, एडवोकेट अनिल कुमार, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय के विशेष कार्य अधिकारी डा. अभिलक्ष लि‍खी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. सुवर्णा चंद्रपरागरी, केरल सरकार के मत्स्यपालन विभाग के प्रमुख सचिव केएस श्रीनिवास और कोचिन बंदरगाह प्राधिकरण की अध्‍यक्ष डा. एम. बीना उपस्थित रहे.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग ने मार्च, 2022 में सागरमाला योजना के अंतर्गत बंदरगाह नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के साथ कन्वर्जन्स में प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत थोप्पुमपडी में कोचिन फि‍शिंग हार्बर के आधुनिकीकरण और उन्‍नयन के लिए कोचिन पोर्ट ट्रस्‍ट के प्रस्‍ताव को स्‍वीकृति दी थी. उन्होंने कुल 169.17 करोड़ रुपए की परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता प्रदान की थी.

700 मछली पकड़ने वाली नौकाओं के नाविकों को मिलेगा सीधा लाभ

इस परियोजना का लाभ कोचिन मछली पकड़ने के बंदरगाह पर 700 मछली पकड़ने वाली नौकाओं के नाविकों को होगा. इन नौकाओं से लगभग 10,000 मछुआरों को प्रत्यक्ष आजीविका मिलेगी और लगभग 30,000 मछुआरों को अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका अर्जित करने में सहायता मिलेगी. आधुनिकीकरण परियोजना से इस क्षेत्र में स्वच्छता की स्थितियों में पर्याप्त सुधार होगा और मछली और मत्‍स्‍य उत्पादों के निर्यात से आय में वृद्धि में होगी.

आधुनिकीकरण पर होगा जोर

आधुनिकीकरण के अंतर्गत शुरू की गई मुख्य गतिविधियों में वातानुकूलित नीलामी हाल, मछली ड्रेसिंग इकाई, पैकेजिंग इकाई, आंतरिक सड़कें, लोडिंग और अनलोडिंग प्लेटफार्म, कार्यालय, डारमेट्री और फूड कोर्ट की स्थापना शामिल है.

इस परियोजना में सार्वज‍निक निजी भागीदारी के तहत 55.85 करोड़ रुपए के कोल्ड स्टोरेज, स्लरी और ट्यूब आइस प्लांट, मल्टीलेवल कार पार्किंग सुविधा, रिवर्स औस्मोसिस प्लांट, फूड कोर्ट, खुदरा बाजार आदि की स्थापना की जाएगी.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने कहा कि सरकार ने मस्‍त्‍यपालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), सागरमाला योजना और प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना के तहत मछली पकड़ने के आधुनिक बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों के विकास के लिए सरकार ने 7,500 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं की स्‍वीकृति दी है.

‘मछुआरों की आजीविका’ विषय पर राष्ट्रीय वैबिनार का आयोजन

नई दिल्ली : भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य विभाग ने आजादी का अमृत महोत्‍सव के तहत ‘सस्‍टेनेबिलिटी औफ फिश मील इंडस्‍ट्री एंड द लाइवलीहुड्स औफ फिशरमैन’ यानी ‘फिश मील उद्योग की निरंतरता एवं मछुआरों की आजीविका’ विषय पर एक राष्ट्रीय वैबिनार का आयोजन किया. इस कार्यक्रम की सहअध्यक्षता मत्‍स्‍यपालन विभाग में संयुक्त सचिव (आईएफ) सागर मेहरा और भारत सरकार के मत्‍स्‍यपालन विभाग में संयुक्त सचिव (एमएफ) डा. जे. बालाजी ने की.

कार्यक्रम में मछुआरा समुदाय के प्रतिनिधियों, निर्यातकों, उद्यमियों, मत्स्य संघों, मत्स्य विभाग के अधिकारियों, भारत सरकार के अधिकारियों और विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मत्स्य विभाग के अधिकारियों, राज्य कृषि, पशु चिकित्सा एवं मत्स्यपालन विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, मत्स्य अनुसंधान संस्थानों के संकायों, मत्स्य सहकारी समितियों के अधिकारियों, वैज्ञानिकों, छात्रों और मत्स्‍यपालन से जुड़े देशभर के हितधारकों ने भाग लिया.

वैबिनार की शुरुआत भारत सरकार के मत्‍स्‍यपालन विभाग में संयुक्‍त सचिव सागर मेहरा के स्वागत भाषण से हुई. उन्होंने बताया कि एक्वाकल्चर के जरीए पैदा होन वाली तकरीबन 70 फीसदी मछलियों और क्रस्टेशियन को प्रोटीनयुक्त भोजन खिलाया जाता है, जिस में फिश मील प्रमुख रूप से शामिल होता है. फिश मील उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, आवश्यक एमीनो एसिड, विटामिन, आवश्यक खनिज (जैसे फास्फोरस, कैल्शियम एवं आयरन) और मछलियों के विकास के लिए आवश्‍यक अन्य तत्‍वों से भरपूर एक पूरक पौष्टिक आहार है. बेहतरीन पोषण मूल्य के कारण इसे पालतू पशुओं के आहार के लिए पूरक प्रोटीन के तौर पर पसंद किया जाता है.

आमतौर पर यह मछली और झींगा के आहार में प्रोटीन का प्रमुख स्रोत होता है. हर साल लगभग 2 करोड़ टन कच्चे माल के उपयोग से फिश मील एवं फिश औयल का उत्पादन किया जा रहा है. उन्‍होंने तकनीकी चर्चा शुरू करने के लिए सभी पैनलिस्टों का स्वागत किया.

उच्च गुणवत्ता वाले फिश मील के उत्पादन पर जोर

तकनीकी सत्र की शुरुआत सीएलएफएमए के प्रबंध समिति के सदस्‍य निसार एफ. मोहम्मद द्वारा ‘ओवरव्‍यू औफ फिश मील इंडस्‍ट्री’ यानी ‘फिश मील उद्योग का संक्षिप्‍त परिचय’ विषय पर परिचर्चा के साथ हुई. उन्होंने फिश मील के महत्व को उजागर किया और बताया कि उच्च गुणवत्ता वाले फिश मील का उत्पादन कैसे किया जा सकता है.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि फिश मील में मछली के कचरे का उपयोग किए जाने से जल प्रदूषण कम होता है. यह पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और मेमनों, सूअरों आदि में मृत्यु दर को कम करता है.

दूसरे वक्ता बेंगलुरु के इंडियन मैरीन इनग्रेडिएंट्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष मोहम्मद दाऊद सैत ने फिश मील उद्योग की समस्‍याओं एवं चुनौतियों के बारे में बात की.

उन्होंने मत्स्यपालन उद्योग की उन्नति एवं कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से भारत के फिश मील एवं फिश औयल उत्पादकों को साथ लाने के लिए निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया.

फिश मील-फीड उद्योग पर हुई चर्चा

अवंति फीड प्रा. लिमिटेड के अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ए. इंद्र कुमार ने फिश मील और श्रिंप फीड उद्योग के बारे में बात की, जो साल दर साल लगातार बढ़ रहा है. एक्‍वाकल्‍चर के जरीए उत्‍पादन तकरीबन 95 फीसदी झींगा का निर्यात किया जाता है. इसलिए सभी आयातकों की मांग टिकाऊ एक्‍वाकल्‍चर एवं मैरीटाइम ट्रस्ट से उत्‍पादित मछलियों के लिए होती है.

वरिष्‍ठ वैज्ञानिक एवं वेरावल-आईसीएआर सैंट्रल इंस्टीट्यूट औफ फिशरीज टैक्नोलौजी के प्रभावी वैज्ञानिक डा. आशीष कुमार झा ने ‘फिश मील एंड इट्स अल्‍टरनेटिव टु एक्वा फीड इडस्‍ट्री’ यानी ‘एक्‍वा फीड उद्योग में फिश मील एवं उस का विकल्प’ विषय पर चर्चा की.

उन्‍होंने ओवरफिशिंग, बायकैच और प्रदूषण के 3 मुद्दों के बारे में जानकारी दी. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि कीट, पत्ते, फल, बीज आदि को फिश मील के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

आईसीएआर- सीएमएफआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डा. एपी दिनेश बाबू ने भारतीय समुद्री मत्‍स्‍य उद्योग में किशोर मछलियों को न पकड़ने के बारे में बात की. उन्‍होंने मेश साइज रेग्यूलेशन, जुवेनाइल बाइकैच रिडक्शन डिवाइस (जेबीआरडी) और न्यूनतम कानूनी दायरे (एमएलएस) को लागू करने का सुझाव दिया.

मछलियों की बरबादी को रोकने पर दिया जोर

कर्नाटक सरकार के मत्‍स्‍य निदेशक रामाचार्य ने आग्रह किया कि तरीबन 12 से 18 फीसदी मछलियां बरबाद हो रही हैं, इसलिए उद्योग को मदद दी जानी चाहिए.

उन्होंने माना कि सही नीतिगत उपायों और विनियमन जैसे विभिन्‍न मुद्दों के बारे में तमाम प्‍ लेटफार्म के जरीए जागरूकता पैदा की जा रही है. कर्नाटक सरकार ने बिना नियमन के मछली पकड़ने पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाए हैं.

संयुक्त सचिव (एमएफ) डा. जे. बालाजी ने जागरूकता पैदा करने और किशोर मछलियों को पकड़े जाने के कारणों पर ध्यान दिए जाने के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि मछलियों की दोबारा आूपर्ति में कृत्रिम रीफ स्‍थापित करना काफी महत्‍वपूर्ण होगा. इस से किशोर मछलियों के पकड़े जाने पर भी लगाम लगेगी.

उस के बाद मंच परिचर्चा के लिए खुला और उस का नेतृत्व संयुक्त सचिव (एमएफ) डा. जे. बालाजी ने किया. मत्‍स्‍य किसानों और उद्योग के प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए सवालों एवं शंकाओं पर चर्चा की गई और उन्हें आश्‍वस्‍त किया गया.

उपरोक्‍त व्यावहारिक चर्चाओं के साथसाथ क्षेत्रीय रणनीति एवं कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्‍य से बाद की कार्यवाही के लिए कई बिंदु तैयार किए गए.

वैबिनार का समापन मत्‍स्‍यपालन विभाग में सहायक आयुक्‍त (एफवाई) डा. एसके द्विवेदी द्वारा अध्यक्ष, प्रतिनिधियों, अतिथि वक्ताओं एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव के किया गया.

आज चीनी मिलें चीनी के साथ एथेनाल भी बना रहीं

लखनऊ : 10 जून, 2023. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विगत 6 वर्षों में प्रदेश के गन्ना विभाग ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं. उत्तर प्रदेश देश के सब से बड़े गन्ना उत्पादक राज्य से सब से अधिक चीनी उत्पादन करने वाले राज्य में बदल गया है. साथ ही, सब से बड़े एथेनाल उत्पादक राज्य और खांडसारी की सर्वाधिक यूनिट वाला राज्य भी उत्तर प्रदेश है. उत्तर प्रदेश की मिठास को गन्ने ने दुनिया में पहुंचाया है.

मुख्यमंत्री लोक भवन में राज्य गन्ना उत्पादन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाणपत्र वितरण, 25 सहकारी गन्ना और चीनी मिल समितियों के नवनिर्मित भवनों का डिजिटली लोकार्पण करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने 4 गन्ना समितियों के प्रतिनिधियों, 8 चीनी मिलों के प्रतिनिधियों और प्रगतिशील गन्ना किसानों को सम्मानित किया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मांग और पूर्ति बाजार का नियम है. जब चीनी ज्यादा होती है, तो इस की मांग कम होती है और बाजार में उचित दाम नहीं मिलता है. चीनी मिल मालिकों ने सरकार से एथेनाल बनाने की अनुमति मांगी, जिस से वे समय पर किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कर सकें. आज ज्यादातर चीनी मिलें चीनी के साथ एथेनाल भी बना रही हैं. एथेनाल के माध्यम से उत्तर प्रदेश ग्रीन एनर्जी का केंद्र भी बन रहा है.

उत्तर प्रदेश की धरती में एक एकड़ में 1,000 क्विंटल गन्ना उत्पादन की क्षमता है. इन किसानों ने एक एकड़ में 1,000 क्विंटल गन्ना उत्पादन के हमारे सपने को सच किया है. ‘प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्’.

आज यहां इस कार्यक्रम में 2,640 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन करने वाले किसान भी मौजूद हैं. हमारे अन्नदाता किसानों ने अपनी सामर्थ्य और परिश्रम से यह सिद्ध किया है कि यदि हम थोड़ा सा भी प्रयास करें, तो उत्तर प्रदेश की धरती से इतना गन्ना उत्पादन हो सकता है.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आज यहां सहकारी गन्ना समितियों के भवनों का लोकार्पण भी किया गया है. यह भवन इन समितियों के कामों को व्यवस्थित बनाने के साथ ही खाद और चीनी के गोदाम के रूप में भी प्रयोग किए जा सकते हैं.

गन्ना विभाग ने पिछले 6 वर्षों में हर क्षेत्र में कुछ नया कर के दिखाया है. इस का परिणाम है कि वर्ष 2007 से वर्ष 2017 के बीच कुल गन्ना मूल्य का भुगतान 1 लाख करोड़ के लगभग हुआ था, जबकि वर्ष 2017 से वर्ष 2023 के 6 वर्षों में गन्ना किसानों को 2 लाख, 13 हजार, 400 करोड़ रुपए के गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है. साथ ही, अन्नदाता किसानों के खातों में डीबीटी के माध्यम से यह राशि चीनी मिल मालिकों द्वारा भेजी गई है. खांडसारी उद्योग में हुई अतिरिक्त गन्ना पेराई का नकद भुगतान किया गया है. एथेनाल उत्पादन का भी अतिरिक्त मूल्य मिल रहा है.

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने चीनी मिलों द्वारा 14 दिनों में गन्ना मूल्य का भुगतान किए जाने की व्यवस्था की है, जबकि लगभग 100 चीनी मिलें एक सप्ताह से 10 दिनों के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान कर रही हैं, शेष चीनी मिलें भी धीरेधीरे यह काम करने लगेंगी. हमारी सरकार ने 4 बंद चीनी मिलों को चलाया है और इस दौरान 2 नई चीनी मिलें भी स्थापित की गई हैं. चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा थे. उन्होंने छपरौली की चीनी मिल का पुनरुद्धार किए जाने की बात कही थी. पिछली सरकारों ने इस विषय में कोई काम नहीं किया. यह गर्व का विषय है कि हमारी सरकार ने छपरौली में नई चीनी मिल स्थापित की.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बस्ती की मुंडेरवा में चीनी मिल बंद होने पर आंदोलन हुआ था. हमारी सरकार ने वहां एक नई चीनी मिल की स्थापना की. वह अपनी पूरी क्षमता से चल रही है. ये चीनी मिलें किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने और विकास का प्रतीक बनी हैं. इस से अनेक लोगों को रोजगार मिला है और गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान हो रहा है.

उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयास से बंद चीनी मिलें चलाई जा रही हैं, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के माध्यम से विगत 6 वर्षों में प्रदेश में लगभग 23 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा मिली है. इस से गन्ना खेती का दायरा बढ़ा है और गन्ना किसानों की तादाद 45 लाख से बढ़ कर 60 लाख हुई है.

कई चीनी मिलें टिश्यू कल्चर के माध्यम से किसानों को अच्छा गन्ना बीज समय से उपलब्ध करा रही हैं. ये खेती की उत्पादकता और गन्ना किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जीडीपी में गन्ना और चीनी का सम्मिलित योगदान लगभग 9 फीसदी है. आज जिन किसानों, चीनी मिलों के प्रतिनिधियों और महिला स्वयंसेवी सहायता समूहों के सदस्यों को सम्मानित किया गया है, उन का उत्तर प्रदेश की प्रगति में बड़ा योगदान है.

इस अवसर पर चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी सहित गन्ना विभाग के अधिकारी, चीनी मिलों एवं सहकारी समितियों के प्रतिनिधि और तमाम किसान उपस्थित थे.

राजस्थान किसान महोत्सव : कृषि मेले में उन्नत कृषि तकनीकों से किसान होंगे रूबरू

जयपुर : कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों को नवीनतम तकनीकों से रूबरू करवाने के लिए राज्य सरकार 16 जून से 18 जून को किसान मेले का आयोजन कर रही है. कृषि, प्रौद्योगिकी और व्यापार के क्षेत्र में लोगों को एक मंच पर लाने और कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में समावेशित विकास सुनिश्चित करने के लिए इस तरह के मेलों की महत्वपूर्ण भूमिका है. इस तरह के कृषि मेलों के जरीए किसानों को एक ही मंच पर कृषि से जुड़ी ढेरों जानकारियां मिल जाती हैं.

राज्य व संभाग स्तरीय मेलों का आयोजन

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि 16 जून से 18 जून को जेईसीसी, सीतापुरा, जयपुर में ‘राजस्थान किसान महोत्सव’ का आयोजन किया जाएगा. साथ ही, 23-24 जून को उदयपुर एवं 30 जून-01 जुलाई को जोधपुर में संभाग स्तरीय किसान मेलों का आयोजन किया जा रहा है. राज्य स्तरीय किसान मेले में लगभग 50 हजार और संभाग स्तरीय मेले में लगभग 20-20 हजार किसान हिस्सा लेंगे.

उन्होंने बताया कि मेले में कृषि से जुड़ी नई कृषि तकनीकें किसानों को बताई जाएंगी, जिस से खेती में कम लागत में अधिक आमदनी मिल सके और किसानों की माली हालत मजबूत बन सके.

मेले में क्या होगा विशेष

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि किसान महोत्सव में स्मार्ट फार्म, कृषि, बागबानी, पशुपालन, डेरी, मत्स्यपालन व कृषि विपणन की विश्वस्तरीय तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा. साथ ही, कृषि उत्पाद, औजार, बीज आदि की वृहद प्रदर्शनी लगाई जाएगी और अत्याधुनिक कृषि मशीनरी का प्रदर्शन भी किया जाएगा.

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि मेले में किसानों के लिए जाजम चौपाल भी रखी गई है, जिस में किसान विषय विशेषज्ञों से संवाद कर खेती की अनेक जानकारी ले सकेंगे. कार्यक्रम में किसानों के लिए विषयवार सेमिनार और कृषक गोष्ठियों का कार्यक्रम भी रखा गया है.

मेला युवाओं के लिए खास होगा

युवाओं के रोजगार को ले कर कृषि मेले में स्टार्टअप्स से मुलाकात करवाई जाएगी, जिस से युवा कृषि के क्षेत्र में उद्यमी बन कर नए रोजगारों का सृजन कर सकेंगे और नए लोगों को भी मौका दे सकेंगे. इस के अलावा मेले में मनोरंजन का विशेष ध्यान रखा जाएगा. इस के लिए फिल्म, साहित्य व सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखे जाएंगे.

किसान सम्मान निधि योजना, समस्या का समाधान शिविर

समस्त किसान भाइयों को सूचित किया जाता है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत जिन किसानों को कोई समस्या है इस के निवारण हेतु अंतिम अवसर प्रदान किया जा रहा है, जिस के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में दिनांक 22.05.2023 से 10.06.2023 तक शिविर लगना प्रारंभ है जिस में चौदहवीं किस्त प्राप्त करने हेतु यह अनिवार्य है कि किसान पोर्टल पर भूमि का विवरण दर्ज करवाना ई-केवाईसी, बैंक खाते में आधार सीडिंग/एनपीसीआई में लिंक करवाना आदि. यदि उपरोक्त उल्लिखित कार्य नहीं कराए जाते तो चौदहवीं किस्त नहीं जाएगी.

उक्त योजना में पात्र किसानों को लाभ देने का अभियान चलाया जा रहा है जिस में प्रत्येक शिविर में ग्राम प्रधान कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक, लेखपाल, जन सेवा केंद्र के प्रतिनिधि एवं इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के प्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे जिस में भूलेख अंकन, ई-केवाईसी कराने अथवा बैंक खाते की आधार सीडिंग युक्त बैंक खाता पोस्ट औफिस के माध्यम से खुलवाने के लिए अपने आधार एवं खतौनी की नकल सहित ग्राम पंचायत में आयोजित शिविर में उपस्थित हो कर समस्या का समाधान अवश्य करावें. कृषक स्वयं भी भारत सरकार के पीएम किसान मोबाइल एप डाउनलोड कर फेसियल ई-केवाईसी कर सकते है या अपने नजदीकी जन सेवा केंद्र पर भी खाते की आधार सीडिंग एवं एनपीसीआई लिंकिंग करा सकते हैं. यदि किसी ने जन सेवा केंद्र के माध्यम से नया पंजीकरण कराया गया है एवं पंजीकरण किसी भी स्तर पर निरस्त है तो पुन: अपने अभिलेख अपडेट करावें. आधार के अनुसान नाम नहीं दर्ज है तो पीएम किसान पोर्टल पर ओटीपी आधारित प्रक्रिया से नाम सही कराएं. यदि किसी कृषक का एनपीसीआई खाते से लिंक नहीं है अपना बैंक खाता पोस्ट औफिस के माध्यम से खुलवा लें.

(अनिल कुमार)

उप कृषि निदेशक,बस्ती

भाकृअनुप- भाकृअनुसं (एनआईआरएफ) : कृषि विज्ञान में उत्कृष्टता के शिखर पर

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, जिसे पूसा संस्थान और हरित क्रांति के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है, वर्ष 2023 के लिए राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) द्वारा कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की श्रेणी के अंतर्गत की गई रैंकिंग में सर्वोच्च शिखर पर पहुंच गया है. नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के 8वें संस्करण की घोषणा 5 जून, 2023 को भारत सरकार के विदेश और शिक्षा राज्य मंत्री डा. राजकुमार रंजन सिंह द्वारा की गई थी.

एनआईआरएफ ने लगभग 8,686 उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग जारी की, जिन्होनें रैंकिंग कवायद में भाग लिया. पूर्व में 4 श्रेणियां और 7 विषय क्षेत्र थे. कृषि और संबद्ध क्षेत्र को पहली बार एक विषय क्षेत्र के रूप में जोड़ा गया है.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार में उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को जारी रखा है. संस्थान पहले से ही एक वैश्विक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित होने के मार्ग पर चल पड़ा है. इस ने कृषि, सामुदायिक विज्ञान, बी. टैक (इंजीनियरिंग) और बी. टैक (जैव प्रौद्योगिकी) के 4 विषयों में स्नातक कार्यक्रम शुरू किए हैं. नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप व्यावसायिक शिक्षा पर जोर देने के लिए कई डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू करने की योजना है.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के संकाय की कड़ी मेहनत और प्रतिभा के अलावा संस्थान के निदेशक और कुलपति डा. अशोक कुमार सिंह की योजना और मार्गदर्शन, और अधिष्ठाता और संयुक्त निदेशक (शिक्षा) डा. अनुपमा सिंह एवं सहअधिष्ठाता डा. अतुल कुमार के समर्पित प्रयासों से संस्थान को रैंकिंग में पहला स्थान प्राप्त करने में सफलता मिली है. संस्थान भाकृअनुप के महानिदेशक एवं सचिव डेयर, डा. हिमांशु पाठक के साथसाथ उपमहानिदेशक (शिक्षा), डा. आरसी अग्रवाल और उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान), डा. टीआर शर्मा को उन के प्रेरणा, समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करता है.

डा. राजकुमार रंजन सिंह, विदेश और शिक्षा राज्यमंत्री, भारत सरकार ने भाकृअनुसं को पुरस्कार प्रदान किया.

उत्तर प्रदेश में मत्स्य विभाग की योजनाओं के लिए आवेदन शुरू

लखनऊ : मछुआ समाज व बेरोजगार युवाओं के लिए उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग द्वारा तमाम तरह की अनुदान योजनाएं चलाई जा जा रही हैं, जिस के लिए आवेदक को उत्तर प्रदेश के मत्स्य विभाग के पोर्टल से औनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है. मत्स्य विभाग की तरफ से विभागीय योजनाओं के लिए लाभार्थियों के आवेदन की तारीख तय हो गई है. कोई भी व्यक्ति जो विभाग के अनुदान योजनाओं का लाभ लेना चाहता है, वह 30 मई, 2023 से विभागीय पोर्टल वैबसाइट http://fisheries.up.gov.in पर औनलाइन आवेदन कर सकता है.

इन योजनाओं में मिलेगा सहायता अनुदान

विभाग के औनलाइन पोर्टल का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मत्स्य विकास विभाग के कैबिनेट मंत्री डा. संजय कुमार निषाद द्वारा किया गया.

इस अवसर पर उन्होंने मत्स्य विकास से संबंधित कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत निजी भूमि पर तालाब बनाने, मत्स्य बीज हैचरी बनाने, बायोफ्लाक पौंड, रियरिंग तालाब बनाने, रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, इंसुलेटेड व्हीकल्स, मोटरसाइकिल विद आइसबौक्स, थ्रीव्हीलर विद आइसबौक्स, साइकिल विद आइसबौक्स, जिंदा मछली विक्रय केंद्र, मत्स्य आहार प्लांट, मत्स्य आहार मिल, केज संवर्धन, पेन संवर्धन, सजावटी मछली रियरिंग यूनिट, कियोस्क निर्माण, शीतगृह निर्माण, मनोरंजन मात्स्यिकी, डाइग्नोस्टिक मोबाइल लैब, मत्स्य सेवा केंद्र एवं सामूहिक दुर्घटना बीमा सहित कुल 30 योजनाओं के लिए औनलाइन आवेदन 30 मई से 15 जून, 2023 तक आमंत्रित किया जा सकेगा.

मछलीपालन पर होगा जोर

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त (अल्ट्रामौडर्न) फिश मार्केट की स्थापना की जा रही है. वर्तमान में जनपद चंदौली में अल्ट्रामौडर्न फिश मंडी निर्माणाधीन है.

उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मात्स्यिकी सैक्टर के संगठित विकास के लिए केंद्र प्रायोजित परियोजना के अंतर्गत जनपद गोरखपुर एवं मथुरा में इंटीग्रेटेड एक्वापार्क बनाए जाने की परियोजना का प्रावधान हैं, जिस की लागत प्रति इकाई सौ करोड़ रुपए है. वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए जनपद गोरखपुर एवं मथुरा में इंटीग्रेटेड एक्वापार्क की स्थापना का प्रस्ताव राज्य स्तरीय अनुश्रवण एवं अनुमोदित समिति द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है.

एक ट्रिलियन इकोनौमी में मत्स्य विभाग का होगा महत्वपूर्ण योगदान

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि उत्तर प्रदेश की एक ट्रिलियन इकोनौमी में मत्स्य विभाग का महत्वपूर्ण योगदान होगा. योजना की शुरुआत से ले कर अब तक 18,951.20 लाख रुपए का अनुदान लाभार्थियों को वितरित किया गया है. योजना के तहत 1,794 (क्षेत्रफल 1386.12 हेक्टेयर) निजी भूमि पर तालाबों, 59 (क्षेत्रफल 73.21 हेक्टेयर) खारे भूमि पर तालाबों, 176 (क्षेत्रफल 165.632 हेक्टेयर) रियरिंग यूनिट, 661 बायोफ्लाक, 32 मत्स्य बीज उत्पादन हैचरी, 660 रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, 19 इंसुलेटेड व्हीकल्स एवं मोबाइल लैब, 143 मोटरसाइकिल विद आइसबौक्स, 50 थ्रीव्हीलर विद आइसबौक्स, 1379 साइकिल विद आइसबौक्स, 34 जिंदा मछली विक्रय केंद्र, 45 मत्स्य आहार मिल, 29 कियोस्क, 1 बैकयार्ड आर्नामेंटल फिश रियरिंग यूनिट, 85 केज सहित कुल 6904 परियोजनाएं पूरी कराई गईं, जिस की कुल परियोजना लागत 33173.0425 लाख रुपए है. 11513 परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है, जिस की कुल परियोजना लागत 32050.517 लाख रुपए है.

मत्स्य विकास मंत्री डा. संजय निषाद ने कहा कि रिवर रैचिंग कार्यक्रम के तहत नदियों में मत्स्य संरक्षण के लिए 188.15 लाख बड़े आकार के मत्स्य बीज (मत्स्य अंगुलिकाएं) गंगा नदी प्रणाली में बहाई जा चुकी है, जिस पर 488.90 लाख रुपए की धनराशि खर्च हुई.

उन्होंने आगे कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के साथ प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 107015.42 लाख रुपए की कार्ययोजना का अनुमोदन राज्य स्तरीय अनुमोदन एवं अनुश्रवण समिति से प्राप्त करते हुए उक्त कार्ययोजना का अनुमोदन राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड को प्रेषित करते हुए भारत सरकार से 44260.63 लाख रुपए का केंद्रांश अवमुक्त किए जाने के लिए अनुरोध किया गया है, जबकि सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत अब तक 102840 मछुआरों/मत्स्यपालकों को आच्छादित किया गया है.

डा. संजय निषाद ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत ग्राम समाज के पट्टे पर आवंटित तालाबों में मत्स्यपालन हेतु निवेश और मत्स्य बीज बैंक की स्थापना हेतु सुविधा प्रदान की जा रही है. परियोजना की इकाई लागत 4 लाख रुपए पर 40 फीसदी 1.60 लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत अब तक 849.78 लाख रुपए का अनुदान 648 लाभार्थियों को दिया गया है, जिस से 612.50 हेक्टेयर जलक्षेत्रों में मत्स्यपालन हेतु निवेश के लिए अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 10.00 करोड़ का बजट प्रावधान कराया गया है, जिस के अंतर्गत 625 हेक्टेयर जलक्षेत्रों में मत्स्यपालन निवेश एवं मत्स्य बीज बैंक की स्थापना के लिए लगभग 700 लाभार्थियों को लाभान्वित किया जाएगा.

मछली पकड़ने के साजोसामान पर मिलेगा अनुदान

मंत्री डा. संजय निषाद ने बताया कि निषादराज बोट सब्सिडी योजना के अंतर्गत मत्स्यपालकों/मछुआरों को मछली पकड़ने एवं नौकायन हेतु नाव, जाल, लाइफ जैकेट, आइसबौक्स आदि क्रय करने की सुविधा प्रदान करने हेतु आवेदनपत्र लिया जा रहा है. योजना की इकाई लागत 67,000 रुपए पर 40 फीसदी 26,800 रुपए का अनुदान दिया जाएगा. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 5.00 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान कराया गया है, जिस के अंतर्गत नाव, जाल आदि खरीदने के लिए 1865 मछुआरों को लाभान्वित किया जाएगा.

ट्रेनिंग के साथ मिलेगी सुरक्षा

मत्स्य मंत्री डा. संजय निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष के अंतर्गत मत्स्यपालकों/मछुआरों के आर्थिक/सामाजिक उत्थान एवं स्वरोजगार हेतु मत्स्यपालक/मछुआरा बाहुल्य ग्रामों में अवसंरचनात्मक सुविधाओं का निर्माण, दैवीय आपदाओं से हुई किसी क्षति में वित्तीय सहायता, चिकित्सा सहायता, मछुआ आवास निर्माण सहायता, मत्स्यपालकों एवं मछुआरों के प्रशिक्षण, महिला सशक्तिकरण सहित कुल 6 योजनाएं चलाई जा रही हैं. योजना में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 25 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान कराया गया है. योजना के अंतर्गत सामुदायिक भवन निर्माण, मछुआ आवास निर्माण, दैवीय आपदा में चिकित्सा सहायता, प्रशिक्षण एवं महिला सशक्तिकरण के माध्यम से मत्स्यपालकों एवं मछुआरों को लाभान्वित किया जाएगा.

मछुआरों को बिना जमानत के मिलेगा बैंक ऋण

इस अवसर पर मत्स्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. रजनीश दुबे ने बताया कि मंत्री डा. संजय कुमार निषाद के दिशानिर्देशन में मत्स्य विकास विभाग द्वारा मत्स्यपालकों एवं मत्स्य गतिविधियों में लगे हुए व्यक्तियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. बैंकों के माध्यम से किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दिलाई जा रही है, जिस के अंतर्गत 1.60 लाख रुपए तक का बैंक ऋण बिना किसी जमानत के दिया जाता है. अब तक 13,788 मत्स्यपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया गया है.

कार्यक्रम में मत्स्य विकास विभाग के विशेष सचिव एवं निदेशक प्रशांत शर्मा ने मत्स्य विभाग की उपलब्धियों एवं आगामी योजनाओं के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मत्स्यपालकों और मत्स्य गतिविधियों से जुड़े लोगों को विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए विभाग द्वारा हर संभव काम किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मशरूम प्रशिक्षण केंद्र

बस्ती : उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में उद्यान विभाग के औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र में स्थित मशरूम प्रशिक्षण इकाई द्वारा साल 2023 के लिए ट्रेनिंग शेड्यूल जारी कर दिया गया है. इस के जरीए बेरोजगार नौजवानों को मशरूम उत्पादन से जुड़ी तकनीकी और व्यावहारिक जानकारियां प्रदान की जाएगी. इस केंद्र पर बस्ती जिले के अलावा प्रदेश के किसी भी जनपद के प्रतिभागी ट्रेनिंग में हिस्सा ले सकते हैं.

मशरूम प्रशिक्षण इकाई के प्रभारी विवेक ने बताया कि वर्तमान वर्ष 2023-24 में औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती में मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम की तिथियां निर्धारित की गई हैं.

उन्होंने यह भी बताया है कि मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम 6 जून से 8 जून, 11 सितंबर से 13 सितंबर, 10 अक्तूबर से 12 अक्तूबर, 16 नवंबर से 18 नवंबर एवं 12 दिसंबर से 14 दिसंबर तक तीनदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम होना है.

उन्होंने आगे बताया कि दूरदराज के प्रशिक्षणार्थियों के लिए कृषक छात्रावास में एकसाथ 25 किसानों के ठहरने की निःशुल्क व्यवस्था है. परंतु भोजनबोर्डिंग एवं जलपान की व्यवस्था प्रशिक्षणार्थियों को स्वयं करना होगा.

उन्होंने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि प्रत्येक प्रशिक्षण सत्र के लिए प्रति प्रशिक्षणार्थी 50 रुपए पंजीकरण शुल्क भी जमा करना होगा.

इस प्रशिक्षण में शामिल होने वाले लोगों को मशरूम की विभिन्न प्रजातियों को मौसम के अनुसार उगाने के बारे में विस्तृत ट्रेनिंग दी जाएगी. इसी के साथ प्रशिक्षणार्थियों को न केवल मशरूम उत्पाद बनाने व उस के विपणन की भी जानकारी दी जाएगी. इस टेनिंग में अलगअलग तापमान के अनुसार विभिन्न प्रजातियों का चयन कर वर्षभर उत्पादन लेने की तकनीकी भी बताई जाएगी, जिस में बटन मशरूम, दूधिया या पराली मशरूम के उत्पादन के सभी विधियों पर जानकारी दी जाएगी.

मशरूम प्रभारी विवेक ने बताया कि इस केंद्र से बटन, ढिंगरी व दूधिया प्रजाति के मशरूम स्पान तैयार कर शासकीय दर पर उत्पादकों को दिए जाते हैं. ट्रेनिंग से जुड़ी विशेष जानकारी या आवेदन के लिए कार्यालय संयुक्त निदेशक, औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र, बस्ती के टेलीफोन नंबर 05542-246843 या मशरूम प्रभारी विवेक के मोबाइल नंबर 8840536039 पर संपर्क किया जा सकता है.

छात्रहितधारक संवाद आर्थिक निर्भरता का आधार स्तंभ : डा. मीनू श्रीवास्तव

उदयपुर : 29 मई 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय के संघटक सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय के प्लेसमेंट सेल एंड इनफार्मेशन ब्यूरो द्वारा प्लेसमेंट और फैलोशिप संबंधी उपलब्ध संस्थानों/संस्थाओं के आमुखीकरण के उद्देश्य से छात्रहितधारक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया. स्वागत करते हुए महविद्यालय की अधिष्ठाता डा. मीनू श्रीवास्तव ने कहा कि हितधारक निर्णयों को सूचित करने में मदद करते हैं, जो दीर्घकालिक स्थिरता के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करते हैं. विशेष रूप से, हितधारक छात्रछात्राओं को सशक्त बनाने और निर्णय लेने की प्रक्रिया में लैस करने में मददगार होते हैं.

आयोजन सचिव डा. गायत्री तिवारी प्रोफैसर, मानव विकास एवं पारिवारिक अध्ययन विभाग व इंचार्ज, प्लेसमेंट सेल एंड इनफार्मेशन ब्यूरो ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य. प्रतिभागियों को सामुदायिक सेवा के कामों से संबंधित रोजगार, फैलोशिप और इंटर्नशिप के विषय में आमुखीकरण करना था.

उन्होंने आगे बताया कि बदलते दौर में रोजगार के प्रकार में बहुत सा बदलाव आया है. समय आ गया है कि नई पीढ़ी को सेवा साधक के स्थान पर सेवा प्रदाता के रूप में तैयार किया जाए. सामुदायिक और व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय होने के कारण से ये ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है कि नौजवानों को इस दिशा में सबल किया जाए.

इस अवसर पर 2 सत्रों का_ आयोजन किया गया. पहले सत्र में जतन संस्थान के प्रोग्राम मैनेजर मनीष और दिव्यांशु पाठक और ब्लौक कोआर्डिनेटर, हर्ष शर्मा द्वारा पावरप्वाइंट के माध्यम से स्टूडेंट्स मोबिलाइजेशन इनिशिएटिव फौर लर्निंग थ्रू एक्सपोजर (स्माइल) की जानकारी दी गई, जिस में स्माइल और यूथ अड्डा की आवश्यकता, महत्व, उद्देश्यों के साथ ही कार्यक्रम के दौरान दिए जाने वाले प्लेसमेंट और फैलोशिप के विषय में विस्तार से चर्चा की गई.

दूसरे सत्र में बेसिक हेल्थ सर्विसेज (बीएचएस) की डा. संजना मोहन, न्युट्रिशन प्रोग्राम मैनेजर और न्युट्रिशन डायरैक्टर डा. नूपुर आडी ने बताया कि यह एक गैरलाभकारी संगठन है, जो समुदाय में निहित एक उत्तरदायी, सहानुभूतिपूर्ण प्राथमिक स्वास्थ्य ‘देखभाल का चक्र’ प्रदान करता है. उत्तरदायी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और पोषण सेवाओं के नेटवर्क के माध्यम से बीएचएस सब से कमजोर समुदायों तक पहुंचता है. बीएचएस मानव संसाधन और प्रौद्योगिकी में नवाचारों के संयोजन का उपयोग करते हुए निवारक, प्रोत्साहक और उपचारात्मक देखभाल की निरंतरता प्रदान करता है.

सत्र में प्रतिभागियों को संस्था द्वारा की जा रही विविध गतिविधियों में वालंटियर की आवश्यकता और जिम्मेदारियां, संभावित भावी रोजगार से अवगत कराया गया.

इस अवसर पर डा. विशाखा सिंह, विभागाध्यक्ष, आहार विज्ञान व पोषण विभाग, डा. सुमित्रा मीणा, डा. कीर्ति खुराना, फिजिशियन, डा. मयंक खुराना, फिजियोथेरेपिस्ट, डा. दशरथ चुंडावत, कम्युनिटी कोआर्डिनेटर, संजय चित्तौड़ा, आद्या झा, इंडिया फैलो की सक्रिय भागीदारी रही.

प्रश्नोत्तरी सत्र में प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया गया. संचालन और संयोजन यंग प्रोफैशनल डा. स्नेहा जैन ने किया.

आयकार्ट और यूबीएफसी साझेदारी : भारत की खाद्य और कृषि मूल्य श्रृंखला में विकास

मुंबई : 26 मई, 2023. खाद्य और कृषि मूल्य श्रृंखला में भारत के पहले इंटीग्रेटेड टैक प्लेटफार्म आयकार्ट और यूबीएफसी (उन्नयन भारत फाइनेंस कारपोरेशन) ने टैक्नोलौजी और फाइनेंस के साथ खाद्य और कृषि मूल्य श्रृंखला को सशक्त बनाने के लिए साझेदारी करने की योजना के बारे में घोषणा की है. दोनों कंपनियों के संबंधित प्रबंधन ने विनियामक अनुमोदन के अधीन आयकार्ट द्वारा यूबीएफसी में बहुमत हिस्सेदारी के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है.

आयकार्ट को बाजार पहुंच की पेशकश करने, कृषि मूल्य श्रृंखला को डिजिटाइज करने और व्यापार ऋण प्रदान करने के लिए जाना जाता है. वहीं यूबीएफसी भी डेरी मूल्य श्रृंखला में काम करता है. जिन के पास पशु हैं, उन उधारकर्ताओं को छोटे लोन प्रदान करता है.

आयकार्ट और यूबीएफसी की संयुक्त ताकत खाद्य और कृषि मूल्य श्रृंखला के लिए एक अधिक न्यायसंगत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मदद करेगी. बेहतर बाजार पहुंच, उन्नत तकनीक एवं खाद्य और कृषि क्षेत्र में शामिल समुदायों को सरल तरीके से वित्त पोषण प्रदान करेगी.

“यूबीएफसी के साथ साझेदारी करने और समग्र खाद्य और आपूर्ति पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने से खुश हूं,” आयकार्ट के संस्थापक और सीईओ देबर्शी दत्ता ने कहा, “आयकार्ट में हमारा दृष्टिकोण वित्त, प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से कृषि मूल्य श्रृंखला में पारंपरिक व्यवसायों को मजबूत करना है. हम यूबीएफसी के साथ इस साझेदारी को ले कर उत्साहित हैं, जो हमें MSMEs और FPOs को सक्षम करने के लिए हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा, जो भारत की मजबूत कहानी के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं.”

दोनों कंपनियां साथसाथ मिल कर प्रौद्योगिकी और वित्त के साथ खाद्य और कृषि मूल्य श्रृंखला को सक्षम करने के लिए अपनी विशेषज्ञता का फायदा उठाएंगी, जिस से व्यवसायों के लिए बाजारों तक पहुंच बनाना, उन के संचालन को बढ़ाना, आय में वृद्धि करना और अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने में आसानी होगी.

भविष्य में आयकार्ट के सहयोग से यूबीएफसी के सहसंस्थापक अवनीश त्रिवेदी ने कहा, “यूबीएफसी ने हमेशा छोटे शहरों और शहरों में सूक्ष्म और नैनो व्यवसायों की समस्याओं का समाधान करने के लिए एक फिजिटल मौडल के माध्यम से अधिक गतिशील दृष्टिकोण अपनाने का लक्ष्य रखा है. हम ने पूरे देश में छोटे व्यवसायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए समान भौगोलिक क्षेत्रों में संचालन करने वाले आयकार्ट के साथ तालमेल पाया. यह साझेदारी हमें पारस्परिक उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करेगी.”

दोनों कंपनियों के बीच यह रणनीतिक अधिग्रहण उन की विकास सीढ़ी को बढ़ाने में मदद करेगा और उन की विशेषज्ञता और सेवाओं के साथ ही उन के खाद्य और कृषि मूल्य श्रृंखला व्यवसाय को बढ़ाने में एकदूसरे की सहायता करेगा.