Millet: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सामुदायिक एवं व्यावसायिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेविवाई) के अंतर्गत मेवाड़ क्षेत्र की परंपरागत फसलों के प्रसंस्करणों का उत्कृष्टता केंद्र के तहत बड़गांव, उदयपुर में दो दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण का प्रमुख विषय था मिलेट (Millet) प्रसंस्करण, जिस का उद्देश्य प्रतिभागियों को मिलेट आधारित व्यावसायिक संभावनाओं से परिचित कराना एवं उन्हें स्वरोजगार की ओर प्रेरित करना था.
मिलेट्स (Millets) की आज बड़े पैमाने पर मांग है और यह कम मेहनत में तैयार होने वाली फसल है. मिलेट्स की प्रोसैसिंग कर अनेक उत्पाद बनाए जा रहे हैं जो न केवल ज्यादा मुनाफा देते हैं, बल्कि सेहतमंद भी हैं
कार्यक्रम की शुरुआत परियोजना की प्रमुख अन्वेषक डा. कमला महाजनी के व्याख्यान से हुई, जिस में उन्होंने मिलेट्स (मोटे अनाज) के पोषणात्मक एवं कृषि संबंधी महत्त्व को बताया. उन्होंने बताया कि मिलेट्स न केवल स्वास्थ्यवर्धक हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच भी ये फसलें कम पानी और कम लागत में अच्छे उत्पादन की क्षमता रखती हैं. उन्होंने उपस्थित किसानों व महिलाओं को मिलेट के विभिन्न प्रकार, उनके उपयोग एवं पोषण मूल्य के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की. साथ ही, उन्होंने बताया कि किस तरह से महिलाएं मिलेट से विभिन्न प्रकार के उत्पादों को निर्मित कर के उन्हें बाजार में बेच कर खुद का स्टार्टअप स्थापित कर सकती हैं.
इस के बाद योगिता पालीवाल द्वारा मूल्य संवर्धित मिलेट उत्पादों, जैसे रागी चौकलेट, सांवा स्टिक्स, राजगिरा चकली, शक्करपारे और न्यूट्राफ्लोर इत्यादि के निर्माण का प्रायोगिक प्रशिक्षण आयोजित किया गया. प्रतिभागियों ने सक्रिय सहभागिता करते हुए इन उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया सीखी तथा अनुभव किया कि मिलेट्स को किस प्रकार घरेलू स्तर पर उपयोगी एवं विपणन योग्य उत्पादों में रूपांतरित किया जा सकता है.
डा. सीमा द्वारा उत्पादों की पैकेजिंग के बारे में बताया गया. प्रशिक्षण में 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया जो गिर्वा तथा बडगांव पंचायत समिति की विभिन्न गांवों से समिलित हुए थे.
महिला प्रतिभागी दमयंती गोस्वामी व शगंगा द्वारा बताया गया कि यह कार्यक्रम न केवल कौशल विकास की दृष्टि से उपयोगी सिद्ध हुआ, बल्कि इस से महिलाओं को मिलेट आधारित लघु उद्योगों की संभावनाओं की ओर नई दिशा भी प्राप्त हुई.