केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान 16 जुलाई, 2025 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 97वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम शामिल हुए. इस कार्यक्रम का आयोजन भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम औडिटोरियम, एनएएससी कौम्प्लेक्स, पूसा, नई दिल्ली में किया गया. इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने उत्कृष्ट योगदान के लिए वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान पुरस्कार भी वितरित किए. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परिसर में आयोजित विकसित कृषि प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. साथ ही विभिन्न कृषि उत्पादों व प्रौद्योगिकी की जानकारी भी ली. इस कार्यक्रम में 10 कृषि प्रकाशनों का विमोचन किया गया. साथ ही कृषि क्षेत्र के विभिन्न समझौता ज्ञापनों का विमोचन भी किया गया.
इस कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, आईसीएआर के महानिदेशक डा. एमएल जाट सहित देशभर से आए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक और बड़ी संख्या में किसान शामिल रहे.
इस अवसर पर संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संपूर्ण भारतवासियों की तरफ से पूरी आईसीएआर की टीम को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आईसीएआर के साथ जिन देशों ने समझौता किया है और जिन देशों में भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात हो रहा है, उन की तरफ से भी आईसीएआर को बधाई. देश के जिन 80 करोड़ लोगों को राशन उपलब्ध हो रहा है, उन की तरफ से भी आईसीएआर बधाई का पात्र है. स्थापना दिवस गर्व का विषय है. स्थापना दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे वैज्ञानिकों की बौद्धिक क्षमता तुलना से परे है. अपने काम के दम पर हमारे वैज्ञानिक आज किसान कल्याण व विकास का मार्ग तय कर रहे हैं. उन्होंने कहा आज हम गेहूं का निर्यात कर रहे हैं. चावल उत्पादन में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. इस बार चावल का इतना उत्पादन हुआ है कि रखने के लिए अतिरिक्त जगह का प्रबंध किया जा रहा है. रिकौर्ड स्तर पर उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हरित क्रांति के दौरान वर्ष 1966 से 1979 तक हमारा खाद्यान्न उत्पादन प्रति वर्ष 2.7 मिलियन टन बढ़ा. वर्ष 1980 से 1990 तक उत्पादन में 6.1 मिलियन टन प्रति वर्ष उत्पादन में बढ़ोतरी हुई. वर्ष 2000 से 2013-14 तक खाद्यान्न उत्पादन में 3.9 मिलियन टन प्रति वर्ष बढ़ोतरी देखी गई. लेकिन 2013-14 से 2025 तक खाद्यान्न उत्पादन में 8.1 मिलियन टन की बढ़ोतरी हुई है. पिछले 11 सालों में खाद्यान्न उत्पादन में ढाई से तीन गुना वृद्धि देखी गई.
उन्होंने आगे बागबानी के क्षेत्र में हुई वृद्धि के बारे में बताया कि वर्ष 1966-1980 तक 1.3 मिलियन टन प्रति वर्ष बढ़ोतरी हुई थी. साल 1980-1990 में 2 मिलियन टन वृद्धि हुई. फिर साल 1990 से 2000 के दौरान 6 मिलियन टन वृद्धि हुई है। पिछले 11 सालों में बागबानी क्षेत्र में 7.5 मिलियन टन की बढ़ोतरी के साथ फल और सब्जियों का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि दूध उत्पादन में भी नवीन प्रौद्योगिकियों के साथ उत्पादन में वृद्धि हो रही है. दूध उत्पादन में साल 2000 से 2014 तक 4.2 मिलियन टन की वृद्धि देखी गई जबकि साल 2014 से 2025 के समय में यह वृद्धि 10.2 मिलियन टन प्रति वर्ष रही. यह आंकडे स्वयं में पिछले 11 सालों में उत्पादन क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय उपलब्धि को दर्शाते हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, छोटी जोत, वायरस अटैक और पशुपालन से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों के बावजूद भी वैज्ञानिकों के असाधारण योगदान के कारण उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है. उन्होंने आगे कहा कि प्राकृतिक खेतों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को सुरक्षित रखना है. इस के लिए उन्होंने वैज्ञानिकों से प्राकृतिक खेती के जरीए गुणवत्तापूर्ण उत्पाद की दिशा में काम करने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि दलहन और तिलहन में प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाने और बड़े स्तर पर शोध करने की आवश्यकता है. मुझे विश्वास है कि वैज्ञानिक इस दिशा में आगे बढेंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ दुनिया का सब से बड़ा अभियान था. इस अभियान के माध्यम से कई बातें निकल कर सामने आईं. इस के जरीए फसलवार और राज्यवार फसलों पर बैठकें करने और समाधान के प्रयास का रास्ता तय हुआ. सोयाबीन और कपास के बाद अब गन्ने व मक्के पर भी बैठक आयोजित की जाएगी. कपास को ले कर सवाल उठा कि इतनी किस्में विकसित होने के बावजूद उत्पादन क्यों घट गया. मैं बताना चाहता हूं कि वायरस अटैक के कारण फसलें प्रभावित हो रही है, बीटी कौटन भी वायरस अटैक की समस्या से जूझ रहा है. इस अभियान के जरीए शोध के लिए 500 विषय उभर कर हमारे सामने आए हैं, जिन पर काम किया जाएगा. अनुसंधान अब पूसा में तय नहीं होगा, खेत और किसान के हिसाब से आगे के शोध के रास्ते तय होंगे. उन्होंने आईसीएआर के महानिदेशक को ‘एक टीम-एक लक्ष्य’ की संकल्पना पर भी काम करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि एक लक्ष्य के साथ वैज्ञानिकों की टीम बना कर, किसान कल्याण के लिए कार्य करें.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की तरफ से उर्वरक की जांच के उपकरण सहित विभिन्न आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के विकास की मांग को ले कर भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि हमारे देश में जोत के आकार छोटे हैं, बड़ी मशीनों की जरूरत नहीं. छोटी मशीनें बनाने पर जोर देना होगा. जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने की दिशा में शोध होना चाहिए. जो विषय किसान ने दिए उस पर शोध होना चाहिए. कोई भी समझौता ज्ञापन करते समय ध्यान दिया जाए कि जिन कंपनियों के साथ समझौता हो रहा है वह किस कीमत पर बीज व उत्पाद बेच रही हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दिशा में आईसीएआर और कृषि विभाग को मिलकर एक साथ काम करने के निर्देश दिए.
उन्होंने किसानों से कहा कि अगर आप के साथ किसी भी तरह का धोखा हो रहा है, तो टोल- फ्री नंबर पर जरूर अपनी शिकायत दर्ज करवाइएगा. आधिकारिक तौर पर टोल फ्री नंबर जारी किया जाएगा. किसान भाइयोंबहनों के साथ धोखाधड़ी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगी. किसी ने भी अमानक उर्वरक या बीज बनाया तो सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि 30 हजार बायोस्टिमुलेंट बेचे जा रहे थे. जिस के संबंध में सख्ती से कदम उठाया गया है. मैंने सारे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिख कर इस संबंध में उचित कार्रवाई के लिए भी कहा है. किसी भी किसान को गैर उपयोगी उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. जिस प्रकार से जन औषधि केंद्रों के रूप में सस्ती दवाइयों की दुकान हैं, वैसे ही सस्ते उर्वरकों के लिए भी केंद्र या दुकान खोलने पर विचार किया जा सकता है.
अंत में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि आईसीएआर के स्थापना दिवस के इस अवसर पर किसान कल्याण के लिए समर्पित हो कर काम करने का संकल्प लें. मैं जानता हूं कि वैज्ञानिक आजीविका निर्वाह के लिए नौकरी नहीं करते, वैज्ञानिक का जीवन यज्ञ के समान है, जिस में सबकी सेवा का भाव निहित रहता है. मुझे विश्वास है कि आप अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करते हुए विकसित भारत के निर्माण में अहम योगदान करेंगे. एक बार और पूरी आईसीएआर की टीम को बहुतबहुत बधाई.