Soil : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मृदा विज्ञान विभाग द्वारा पिछले दिनों एक तकनीकी कार्यक्रम आयोजित किया गया. कुलपति प्रो. बीआर कंबोज के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में उपरोक्त विभागाध्यक्ष डा. दिनेश तोमर, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डा. रमेश कुमार सहित विभाग के अधिकारी, विश्वविद्यालय के सभी विभागाध्यक्ष और मृदा विभाग के वैज्ञानिक उपस्थित रहे.

इस कार्यक्रम में अनुसंधान निदेशक डा राजबीर गर्ग ने कहा कि प्रयोगों की संख्या कम होने के साथसाथ उन की दक्षता बढ़नी चाहिए. सतत खेती के तरीके खोजने के लिए गिनती की बजाय रिसर्च की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि वे ऐसे अनुसंधान कार्यों को पहले करें, जिस से किसानों के साथसाथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सके.

डा. राजबीर गर्ग ने कार्यशाला में सेवानिवृत अनुभवी वैज्ञानिकों की एक समिति गठित करनें का सुझाव भी दिया, ताकि भविष्य में वैज्ञानिक अपने अनुभव का इस्तेमाल करते हुए दीर्घकालिक प्रयोगों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें. जिस से आने वाली पीढ़ियों के लिए उन की अहमियत और वैज्ञानिक सटीकता बनी रहेगी. उन्होंने दीर्घकालिक उर्वरक प्रयोगों की गहराई से समीक्षा करने के साथसाथ उसे बेहतर तरीके से लागू करने पर भी जोर दिया.

उन्होंने आगे पोषक तत्व, सिंचाई एवं फसल अवशेष प्रबंधन के लिए टिकाऊ विकल्प खोजने व बढ़ती मृदा लवणता और खराब जल गुणवत्ता की समस्याओं का प्रभावी समाधान निकालने पर भी विशेष बल दिया. डा. राजबीर गर्ग ने फसलों में बहुपोषक तत्वों की कमी को पोषक तत्वों के उपयुक्त संयोजन से दूर करने और अन्य कृषि रसायनों के साथ इन की संगतता खोजने के लिए  बहुविषयी दृष्टिकोण अपनाने की भी सलाह दी.

उन्होंने कहा कि नए प्रयोगों में केवल गोबर की खाद तक सीमित न रहते हुए, प्रेसमड (गन्ने की मैली), प्रोम, फसल अवशेष जैसे जैविक खाद शामिल किए जाएं, ताकि कृषि में संसाधनों का अधिक टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित हो सके.

अनुसंधान निदेशक डा. राजबीर गर्ग ने मृदा में जैविक पदार्थों की कमी जैसे पर्यावरण से जुड़ी एक बड़ी चिंता भी वैज्ञानिकों को ध्यान दिलाई. उन्होंने समस्या को समझने और हल करने के लिए खास अध्ययनों की जरूरत पर भी जोर दिया, जो मृदा स्वास्थ्य, उर्वरता और पैदावार को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है. सतत प्रथाओं को बढ़ावा देने के साथ उन्होंने फास्फोरस रिच औ और्गैनिक मैन्योर के महत्व को दोहराया. इस कार्यशाला के समापन अवसर पर विभागाध्यक्ष डा. दिनेश तोमर ने सभी अधिकारियों का धन्यवाद किया.

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