August: खेत में लगी फसलों के लिए अगस्त का महीना बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है. बारिश न होने पर फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. लगातार ज्यादा बारिश होने पर फसलें गलने लगती है. ऐसी स्थिति में पानी निकालने की व्यवस्था होनी चाहिए. अगस्त के महीने में, किसानों को खरीफ फसलों की देखभाल, खरपतवार नियंत्रण और कीटरोग प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
प्रो. रवि प्रकाश मौर्य निदेशक प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी भाटपार रानी ने बताया कि इस समय रूकरूक कर लगातार बारिश हो रही है, जो फसलों के लिए लाभदायक है. परंतु लगातार बारिश होने पर कीटरोग पनपने लगते हैं, इस की पहचान कर रोकथाम करना चाहिए. नाइट्रोजन की शेष मात्रा का भी फसलों में आवश्यकता अनुसार टौप ड्रैसिंग करें.
धान की रोपाई के 25-30 दिन बाद अधिक उपज वाली प्रजातियों में 30 किलोग्राम नाइट्रोजन ( 65 किलोग्राम यूरिया), सुगंधित प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 15 किलोग्राम नाइट्रोजन (33 किलोग्राम यूरिया) की टौप ड्रैसिंग करें. नाइट्रोजन की इतनी ही मात्रा की दूसरी और अंतिम टौप ड्रैसिंग धान की रोपाई के 50-60 दिन बाद करनी चाहिए.
धान में खैरा रोग लगने की संभावना जिंक की कमी के कारण होती है. इस रोग में पत्तियां पीली पड़ जाती है, जिस पर बाद में कत्थई रंग के धब्बे बन जाते हैं. इस के प्रबंधन के लिए 5 किलोग्राम जिंक सल्फेटअ और 20 किलोग्राम यूरिया को 1,000 लिटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
मक्का की फसल में नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम (87 किलोग्राम यूरिया) की दूसरी और अंतिम टौप ड्रैसिंग बोआई के 45-50 दिन बाद, नरमंजरी निकलते समय करनी चाहिए. ध्यान रहे कि खेत में उर्वरक प्रयोग करते समय पर्याप्त नमी हो.
उड़द और मूंग के खेत में निराईगुड़ाई कर खरपतवार निकाल दें. पीला मोजैक रोग से बचने के लिए डाइमेथोएट 30 ई.सी. की एक लिटर मात्रा को 500-600 लिटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से शाम को छिड़काव करें.
इस समय गन्ने की लंबाई तकरीबन 2 मीटर की हो जाती है. गन्ना बांधने का कार्य पूरा कर लें. ध्यान रहे कि बांधते समय हरी पत्तियां एक समूह में न बंधे. शिमला मिर्च, टमाटर व गोभी की मध्यमवर्गीय किस्मों की पौधशाला में नर्सरी पूरे माह भर डाल सकते हैं. पत्तागोभी की नर्सरी माह के अंतिम सप्ताह में डालें. नर्सरी बारिश से बचाने के लिए पौलीथिन से कवर करनी चाहिए. बैगन, मिर्च, अगैती फूलगोभी व खरीफ प्याज की रोपाई करें. बैगन, मिर्च, भिंडी की फसलों में निराईगुड़ाई व जल निकास और फसल सुरक्षा की व्यवस्था करें.
कद्दू वर्गीय सब्जियों में मचान बनाकर उस पर बेल चढ़ाने से उपज में वृद्धि और स्वस्थ फल बनेंगे. परवल लगाने के लिए मेघा नक्षत्र (15 अगस्त के आस पास का समय) सब से बढ़िया रहता है.
आम, अमरूद, नीबू, आंवला, बेर, बेल, अनार आदि के नए बाग लगाने का समय अभी चल रहा है. इन की पौध किसी विश्वसनीय पौधशाला से ही प्राप्त कर लगाएं. किसी कारण से किसी खेत में कोई फसल नही लगा पाए हो तो उस में लाही/तोरिया की बोआई माह सितंबर में मौका मिलते ही करें. यह कम अवधि 90-95 दिन की तिलहनी फसल है, इसे काटकर गेहूं की फसल ले सकते हैं.