Mushroom : मशरूम एक ऐसी खेती है जिसे बिना जमीन के भी किया जा सकता है और रोजगार का अच्छा जरीया बनाया जा सकता है. जरुरत है कि मशरूम के काम को करने से पहले इस की तकनीकी जानकारी ली जाए. उस के लिए आप को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग लेनी होगी. मशरूम उत्पादन कैसे किया जाए इस की ट्रेनिंग अनेक कृषि संस्थानों में मुफ्त में दी जाती है. जिसे कर के आप अपना रोजगार भी कर सकते हैं. मशरूम की प्रोसैसिंग कर इसे कहीं अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है. इसी विषय पर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मशरूम उत्पादन तकनीक पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया. इस प्रशिक्षण में हरियाणा व राजस्थान के विभिन्न 14 जिलों के प्रतिभागियों ने भाग लिया.

कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान के सहनिदेशक डा. अशोक कुमार गोदारा ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज के मार्गदर्शन में आयोजित किए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य युवाओं का कौशल विकास कर के उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. मशरूम के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं.

उन्होंने आगे बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा मशरूम के उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर अनुदान दे कर युवाओं को इसे एक रोजगार के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने बटन मशरूम के अलावा खाद्य और औषधीय मशरूम जैसे किंग ओयस्टर, शिटाके, कीड़ाजड़ी और गैनोडर्मा मशरूम के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण संस्थानों में युवाओं का कौशल विकास कर के उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए मधुमक्खीपालन, केंचुआ खाद उत्पादन, संरक्षित खेती, बेकरी, फल और सब्जी संरक्षण, डेयरी फार्मिंग, नर्सरी उत्पादन जैसे रोजगारन्मुखी प्रशिक्षण समयसमय पर आयोजित किए जाते हैं. यह प्रशिक्षण डा. सतीश कुमार महता व संस्थान के अन्य वैज्ञानिकों की देखरेख में आयोजित किया गया. प्रशिक्षण के दौरान डा. सतीश कुमार, डा. संदीप भाकर, डा विकास कंबोज, डा. राकेश कुमार चुघ, डा. प्रियंका, डा. डीके शर्मा, डा. भूपेंद्र सिंह, डा. विकाश हुड्डा ने विभिन्न विषयों पर विस्तार से जानकारी दी. प्रशिक्षण के समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र दिए गए.

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