Krishi Sakhi: राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र, फलोज, डूंगरपुर में आयोजित पांच दिवसीय ‘कृषि सखी’ (Krishi Sakhi) प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ. यह कार्यक्रम संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, डूंगरपुर द्वारा प्रायोजित दिनांक 25 अगस्त से 29 अगस्त, 2025 तक आयोजित किया गया.

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी, डा. सीएम बलाई ने बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में महिला किसानों को प्राकृतिक कृषि पद्धतियों की जानकारी देना और उन्हें कृषि सखी (Krishi Sakhi) के रूप में सशक्त बनाना है, ताकि वे अपनेअपने गांवों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे सकें.

डा. सीएम बलाई ने महिलाओं की कृषि क्षेत्र में भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि, प्राकृतिक कृषि भविष्य की आवश्यकता है और कृषि सखी (Krishi Sakhi) को इस दिशा में प्रशिक्षण दे कर हम एक स्थायी और रसायनमुक्त कृषि प्रणाली की ओर बढ़ सकते हैं.

उन्होंने भूमि की तैयारी से ले कर फसल काटने तक बीज बैंक की स्थापना एवं प्रबंधन, मृदा स्वास्थ्य, मृदा नमी संरक्षण, एकीकृत कृषि प्रणाली, बायो इनपुट की तैयारी, उपयोग एवं कृषि सखी (Krishi Sakhi) के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया.

केंद्र के वैज्ञानिक, डा. बीएल रोत ने प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, मल्चिंग, वापसा, नीमास्त्र, अग्नि अस्त्र एवं प्राकृतिक कीट नियंत्रण तकनीकों पर सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारी दी. साथ ही, खेत पर प्रदर्शन और समूह चर्चाओं के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव भी कराया.

प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के तकनीकी सहायक कैलाश चंद्र खराड़ी ने बताया कि प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है. यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है. प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है.

कृषि अधिकारी सोनू काला ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती में जो तत्त्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में काम में लिया जाता है. उन्होंने प्राकृतिक खेती के लिए गाय से प्राप्त गोबर, गौमूत्र, गुड़, बेसन, पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी से जीवामृत तैयार करने की प्रायोगिक विधि भी बताई. इसी तरह बीजोपचार के लिए बीजामृत एवं अन्य प्राकृतिक कीटनाशकों की विस्तार से जानकारी दी. साथ ही, जिले के विभिन्न हिस्सों से सफल प्रगतिशील महिला कृषकों की कहानियां भी साझा की गईं.

प्रशिक्षण पाने वालों को जिले के राज्यस्तरीय पुरस्कृत नवोनमेषी कृषक अब्बासी चिखली, गांव खांटवाड़ा के प्राकृतिक खेती मौडल फार्म पर भ्रमण करवाया गया, जहां अब्बासी चिखली ने समन्वित कृषि प्रणाली मौडल के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए व्यावसायिक बकरीपालन, मुरगीपालन, गाय और भैंसपालन व प्राकृतिक खेती के बारे में अपने अनुभव साझा किए. इस प्रशिक्षण में 45 चयनित कृषि सखियों ने भाग लिया.

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