Fish Farming : उत्तर प्रदेश में मत्स्यपालन (Fish Farming) के विकास हेतु पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध हैं, जिन का सदुपयोग करते हुए प्रदेश को मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित करते हुए आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. भारत को विकसित राष्ट्र बनाए जाने में मत्स्यपालन (Fish Farming) की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. प्रदेश में पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध होने के फलस्वरूप मत्स्य विकास के अनुकूल अवसर एवं प्रचुर संभावनाएं हैं. प्रदेश में गंगा, यमुना, चंबल, बेतवा, गोमती, घाघरा, राप्ती नदी सहित कई सदा बहने वाली नदियां हैं, जिन के दोनों किनारे और आसपास मछुआ समुदाय की घनी आबादी निवास करती है, जो आजीविका हेतु मत्स्यपालन, मत्स्याखेट और मत्स्य विपणन कार्यों पर निर्भर है.
मत्स्यपालन (Fish Farming) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बेकार पड़ी कृषि हेतु अनुपयुक्त भूमि तालाब, पोखरों, जलाशयों का उपयोग कर के अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है. प्रदेश सरकार ग्रामीण अंचल के विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और समाज के निर्बल, भूमिहीन, मजदूर एवं बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार के साधन जुटाने और सामाजिक व आर्थिक दशा सुधारने का एक अच्छा अवसर सुलभ करा रही है.
प्रदेश को वन ट्रिलियन डौलर इकोनौमी बनाने में प्रदेश में सब से तेज वृृद्धि मत्स्य उत्पादन की है. वर्ष 2018 में प्रदेश में मछली उत्पादन 6.3 लाख मीट्रिक टन था, जो वर्ष 2025 में बढ़ कर 13.3 लाख मीट्रिक टन हो गया है. यह दोगुने से भी अधिक की वृद्धि है. वर्ष 2022-23 की तुलना में पिछले 3 वर्षों में 50 प्रतिशत से अधिक मत्स्य उत्पादन की वृृद्धि हुई है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 26 फीसदी की रिकौर्ड वार्षिक वृृद्धि हुई है. वर्ष 2020 से अब तक राज्य एवं केंद्र पुरोनिधानित योजनाओं के अंतर्गत कुलमिला कर 15,542 लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं, जिन्हें अब तक कुल 437.26 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया है.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
मत्स्य विभाग उत्तर प्रदेश में नीली क्रांति योजना वर्ष 2019-20 तक संचालित थी जिस के स्थान पर भारत सरकार द्वारा नई उपयोजनाओं को सम्मिलित कर योजनाओं की प्रोजैक्ट कास्ट में वृद्धि करते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना संचालित की है.
इस योजना का उद्देश्य मात्स्यिकी उत्पादन में विस्तारीकरण में सघनता लाना, विविधीकरण के माध्यम से वृद्धि करना और भूमि व जल का उपजाऊ उपयोग करना है. वर्ष 2020 से वर्ष 2025 तक संचालित इस योजना के अंतर्गत केंद्र पोषित एवं केंद्र पुरोनिधानित परियोजनाएं संचालित हैं. केंद्र पुरोनिधानित परियोजनाएं लाभार्थीपरक और अलाभार्थीपरक प्रकृति की हैं.
केंद्र पोषित परियोजनाओं में अनुदान की धनराशि का सौ फीसदी वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है. केंद्र पुरोनिधानित परियोजनाओं में अनुदान की धनराशि में से 60 फीसदी अंश केंद्र सरकार द्वारा और 40 फीसदी अंश राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा हैं. इस के अंतर्गत सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत अनुदान और महिला व अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग को 60 फीसदी अनुदान दिया जाता है.
संदर्भित योजना के अंतर्गत 31 परियोजनाओं का संचालन किया जाता है. विभागीय पोर्टल पर औनलाइन आवेदन जनपद स्तर पर जिलास्तरीय समिति द्वारा आवेदनपत्रों का निस्तारण, तत्पश्चात पात्र आवेदकों का भारत सरकार से प्राप्त प्रशासनिक अनुमोदन के सापेक्ष लक्ष्य एवं धनराशि का आवंटन किया जाता है.
प्रदेश में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत 2,210 हेक्टेयर तालाब का निर्माण, 282 हेक्टेयर रियरिंग इकाई, 1,045 बायोफ्लौक, 67 मत्स्य बीज हैचरी, 1,099 आरएएस, 1,286 बैकयार्ड आरएएस, 47 इंसुलेटेड व्हीकल, 338 मोटरसाइकिल, 110 थ्रीव्हीलर, 2210 साइकिल, 71 कियोस्क, 100 जिंदा मछली विक्रय केंद्र, 935 केज, 155 फीड मिल, 4 मोवाइल लैब और 4 और्नामैंटल रियरिंग यूनिट के काम पूरे कराए गए.
प्रदेश में केंद्र पुरोनिधानित परियोजनांतर्गत वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक 11,654 लाभार्थी अनुदानित, जिन का कुल परियोजना लागत 1,158.55 करोड़ रुपए रहा है. वर्ष 2020-21 से 2023-24 तक अनुसूचित जाति के 1,384, महिला के 4,344, सामान्य वर्ग के 5,926 लाभार्थियों हेतु क्रमशः 47.86 रुपए, 222.40 रुपए, और 139.76 रुपए; कुल 410.02 करोड़ रुपए धनराशि का अनुदान वितरित किया गया है.
वर्ष 2024-25 के सापेक्ष वर्ष 2025-26 में 1650 लाभार्थी अनुदान हेतु चयनित हैं, जिन की कुल परियोजना लागत 73.90 करोड़ रुपए है. वर्ष 2025-26 में योजनांतर्गत लाभार्थीपरक परियोजनाओं हेतु धनराशि 50.00 करोड़ रुपए निर्गत किए गए हैं. अनुसूचित जाति/महिला लाभार्थी को परियोजना लागत का 60 फीसदी अनुदान और अन्य लाभार्थियों को परियोजना लागत का 40 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है.
सभी लाभार्थी प्रदेश में मछली उत्पादन और उत्पादकता की वृद्धि में अत्यधिक सहायक सिद्ध हो रहे है. इस के अतिरिक अलाभार्थी परक परियोजना के रूप में जनपद चंदौली में धनराशि 61.8770 करोड़ रुपए लागत की अल्ट्रा मौडल होलसेल फिश मार्केट की स्थापना की गई है, जिस में 30 करोड़ रुपए केंद्रांश, 20 करोड़ राज्यांश और 11.8770 करोड़ रुपए मंडी परिषद के अंश के रूप में सम्मिलित हैं.