काछोली गांव के प्रगतिशील किसान ने सौंफ की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिसमें बेहतर स्वाद और उच्च उत्पादकता के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी हैं. जानें कि क्या है इस सौंफ की विशेषताएं-
छोटे किसान की बड़ी उपलब्धि
काछोली गांव (सिरोही, राजस्थान) के प्रगतिशील किसान ईशाक अली ने यह साबित किया है कि नवाचार (innovation) और परंपरागत कृषि ज्ञान के बल पर छोटे किसान भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकते हैं। उनकी विकसित की गई सौंफ किस्म “आबू सौंफ-440” को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पंजीकरण, संरक्षण और कृषक अधिकार प्रमाणपत्र (PPVFRA) प्राप्त हुआ है.
भारत की पहली पंजीकृत किसान-विकसित सौंफ किस्म
‘आबू सौंफ-440’ सिरोही जिले से पंजीकृत होने वाली पहली किसान द्वारा विकसित सौंफ किस्म है। यह पंजीकरण पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA) के तहत हुआ है। इसकी घोषणा Plant Variety Journal of India (Vol. 19, No. 7, July 2025) में की गई, और प्रमाणपत्र इस माह किसान ईशाक अली को प्रदान किया जाएगा.
आबू सौंफ-440 की विशेषताएँ (Key Features of Abu Saunf-440)
‘आबू सौंफ-440’ मुख्य रूप से माउंट आबू की तराई क्षेत्रों में उगाई जाती है, जो लगभग 9,000 हेक्टेयर में फैली हुई है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं:
• हरे और मोटे दाने
• तीव्र सुगंध और चमकीला रंग
• बेहतर स्वाद और उच्च उत्पादकता
• रोग प्रतिरोधक क्षमता और अनुकूलनशीलता
• प्रति पौधा लगभग 80 से अधिक छत्रक (umbels)
वैज्ञानिक परीक्षण और संस्थागत सहयोग
इस सौंफ किस्म के पंजीकरण में दक्षिण एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (SABC), जोधपुर, काजरी आरआरएस, पाली, और बायोटेक किसान हब (DBT) की महत्वपूर्ण भूमिका रही.
इन संस्थानों ने DUS परीक्षण, फील्ड मूल्यांकन और अरोमेटिक कंपाउंड प्रोफाइलिंग की, जिसमें पाया गया कि ‘आबू सौंफ-440’ में एनेथोल (Anethole), फेंचोन (Fenchone) और मिथाइल चैविकोल (Methyl chavicol) की मात्रा अन्य सौंफ किस्मों की तुलना में अधिक है.

किसान नवाचार की पहचान (Recognition of Farmer Innovation)
यह पंजीकरण PPV&FR Act 2001 के तहत किसान नवाचारों को मान्यता देता है.
डा. भागीरथ चौधरी, निदेशक, SABC जोधपुर के अनुसार – “यह भारत सरकार द्वारा किसान द्वारा विकसित पहली सौंफ किस्म का पंजीकरण है। अगले चरण में ‘आबू सौंफ’ के लिए भौगोलिक संकेतक (GI Tag) प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा.”
डा. अनिल कुमार शुक्ला, प्रमुख, काजरी आरआरएस, पाली ने बताया- “यह उपलब्धि किसान नेतृत्व वाले नवाचार और बायोटेक किसान हब पहल के प्रभाव को दर्शाती है, जो सिरोही और जैसलमेर जैसे आकांक्षी जिलों में किसानों को सशक्त बना रही है.”
आबू सौंफ-440 पूरे सिरोही के किसानों की पहचान है। किसान ईशाक अली ने किसानों को अपने ‘आबू सौंफ कम्युनिटी जीन बैंक’ में आने का निमंत्रण दिया है, जहाँ वे वैज्ञानिक खेती (Scientific Farming) और उन्नत तकनीक से उत्पादन बढ़ाने के तरीके सीख सकते हैं.
‘आबू सौंफ-440’ का पंजीकरण सिरोही जैसे आकांक्षी जिले के किसानों के लिए एक ऐतिहासिक उदाहरण है। यह बताता है कि स्थानीय जैव विविधता (Biodiversity), परंपरागत ज्ञान (Traditional Knowledge) और वैज्ञानिक सहयोग (Scientific Collaboration) से किसान भी बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) अर्जित कर सकते हैं, नए बाजार अवसर (Market Opportunities) बना सकते हैं और अपने क्षेत्र की पहचान को वैश्विक स्तर तक पहुँचा सकते हैं.





