रासायनिक खेती करने वाले किसान अब जैविक खेती की ओर रुख करने लगे हैं. सरकार और सरकारी संस्थाएं भी आगे बढ़कर किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं. आखिर जैविक खेती क्यों है फायदेमंद? पढ़िए और जानिए विशेषज्ञों की बातें.
किसानों के लिए हुई संगोष्ठी
हाल ही में जैविक खेती को लेकर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में किसान संगोष्ठी का आयोजन हुआ. यह खास आयोजन उदयपुर के कीट विज्ञान विभाग में जैविक कृषि द्वारा कौशल विकास विषय पर हुआ. अनेक कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को कुछ ऐसी बातें बताईं, जिन्हें आप के लिए भी जानना जरूरी है.
कुलपति डा. प्रताप सिंह ने क्या कहा
विश्वविद्यालय के कुलपति डा. प्रताप सिंह ने जैविक कृषि की उपयोगिता एवं महत्ता पर प्रकाश डालते हुए किसानों को जैविक कृषि की विभिन्न विधाओं के बारे में बताया. उन्होंने किसानों से कहा कि जैविक कृषि के द्वारा गुणवत्तायुक्त फसल से किसान अपना और समाज के स्वास्थ्य को अच्छा रख सकते हैं, साथ ही जैविक तरीके से की गई फसल को बाजार में बेचने पर अधिक लाभ भी प्राप्त होता है.
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में परमानंद, चित्तौड़ प्रांत संगठन मंत्री, भारतीय किसान संघ ने भी किसानों को संबोधित किया और किसानों को गौ आधारित कृषि की महत्ता और उपयोगिता के बारे में बताया.

डा. जेपी मिश्रा, निदेशक अटारी का क्या है कहना
कृषि विज्ञान केंद्रों के द्वारा किसानों और जैविक कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार प्रयासरत है, विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को कृषि तकनीकी पहुंचाकर उन्हें कैसे लाभान्वित किया जा सकता है, उन योजनाओं के बारे में निदेशक ने विस्तृत जानकारी दी.
कीट नियंत्रण में जैविक तरीका है कारगर :
राजस्थान कृषि महाविद्यालय के प्रोफेसर डा. मनोज कुमार महला ने विभिन्न फसलों में लगने वाले कीट और उनसे होने वाले नुकसान व नियंत्रण के बारे में बारीकी से बताया. फेरोमौन ट्रैप और वनस्पतियों से बनाए जाने वाली दवाओं के द्वारा कीट नियंत्रण पर चर्चा कर जानकारी दी.
वहीँ डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के प्रोफेसर डा. लोकेश गुप्ता ने जैविक कृषि में पशुधन के रखरखाव और आहार के बारे में किसानों को बताया. इस कार्यक्रम में 160 किसानों, विद्यार्थियों और विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. कार्यक्रम में किसानों को जैविक कृषि से संबंधित किट वितरित किए गए. महाविद्यालय के डा. जगदीश चौधरी, आचार्य एवं विभागाध्यक्ष, शस्य विज्ञान विभाग ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.





