भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा में 6th International Agronomy Congress (IAC–2025) का आयोजन होने जा रहा है, जिसमें दुनिया-भर के कृषि वैज्ञानिक पहुंचेंगे. यह आयोजन इस वर्ष 24 से 26 नवंबर तक नई दिल्ली के पूसा कृषि संस्थान में होने जा रहा है. क्या होगी इसकी खासियतें , जानें –
वैश्विक भूमिका और नवाचार को मिलेगी मजबूती
Agronomy Congress का उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे. उनके साथ राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट, टीएएएस के अध्यक्ष डॉ. आर. एस. परोड़ा और इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी के अध्यक्ष डॉ. एस. के. शर्मा भी कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. संस्थान में होने वाला यह आयोजन कृषि क्षेत्र में भारत की वैश्विक भूमिका और नवाचार क्षमता को और मजबूत करेगा.
देश-भर से प्रगतिशील किसानों की होगी उपस्थिति
यह प्रतिष्ठित आयोजन इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी (Indian Society of Agronomy) द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इस 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश-विदेश के 1,000 से अधिक कृषि वैज्ञानिक, नीति-निर्माता, उद्योग प्रतिनिधि और शोधकर्ता भाग लेंगे. 3 दिवसीय इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सैकड़ों प्रगतिशील किसानों की भी मौजूदगी होगी, जहां उनके द्वारा किए जा रहे नवाचारों की भी जानकारी मिलेगी.
क्या है उद्देश्य
विश्व-भर की साझेदारी में इसका उद्देश्य ऐसे स्मार्ट और टिकाऊ कृषि मॉडल विकसित करना है जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करते हुए पर्यावरण की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सके. इसके अलावा कृषि नवाचारों पर भी फोकस होगा .
भारत कृषि नवाचार की राह पर अग्रसर
डीएआरई के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट ने बताया कि, भारत कृषि नवाचार और आत्मनिर्भरता की नई राह पर अग्रसर है और फसल अवशेष जलाने में इस बार 95 प्रतिशत की कमी हुई है. साथ ही, आईएसी 2025 का खेती और जैव विविधता में डिजिटल प्रणाली के उपयोग पर फोकस होगा.
इस कार्यक्रम की क्या होगी खासियतें
इसमें 1000 से अधिक वैश्विक प्रतिभागियों की उपस्थिति होगी जो इस आयोजन को और अधिक भव्य बनाएंगी. वैश्विक मंच पर भारत की खास भूमिका रहेगी. 6th International Agronomy Congress (IAC–2025) में भारत अपनी अनेक प्रमुख सरकारी योजनाओं की उपलब्धियां भी भी प्रदर्शित करेगा, जिनमें शामिल हैं-
- राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA)
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
- पीएम-प्रणाम (Mother Earth Programme)
- डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (DAM)
- प्राकृतिक खेती मिशन
- पीएम-किसान योजना
इस तरह की पहलों के माध्यम से भारत यह संदेश देना चाहता है कि कृषि नवाचार, डिजिटल तकनीक और टिकाऊ खेती के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटना संभव है.
विशेषज्ञों का क्या हैं कहना
डॉ. शांति कुमार शर्मा, अध्यक्ष, आईएसए एवं एडीजी (एचआरएम) आईसीएआर ने कहा, “हमारी प्राथमिकता है विज्ञान को समाज से जोड़ना. यह मंच भविष्य की ऐसी नीतियों के निर्माण में सहायक होगा जो कार्बन-न्यूट्रल कृषि, जल-कुशल खाद्य प्रणालियां और लैंगिक समावेशी आजीविका मॉडल को समर्थन दे, जिससे विकसित भारत बने.”
डॉ. संजय सिंह बिल्डर, रजिस्ट्रार सचिव, 6वीं आईएसी एवं अध्यक्ष एसएसआई सेक्टर, आईएआरआई ने कहा, “आधुनिक शस्य विज्ञान को इस पारंपरिक ज्ञान को AI, डिजिटल सेंसर ,जीनोमिक्स और सटीक प्रबंधन जैसी नई-तकनीकों के साथ जोड़कर स्मार्ट खेती प्रणाली विकसित करनी होगी.”
डॉ. एम.एल. जाट, सचिव डीएआरई एवं महानिदेशक, ICAR ने कहा कि, “भारत का शस्य विज्ञान अनुसंधान तंत्र ICAR, कृषि विश्वविद्यालयों एवं राष्ट्रीय कार्यक्रमों के माध्यम संसाधन उपयोग दक्षता, मृदा स्वास्थ्य और कार्बन संचयन में सफल मॉडल प्रस्तुत कर चुका है. सूखे, संरक्षण कृषि, पोषण प्रबंधन और प्राकृतिक खेती में भारत का अनुभव वैश्विक स्तर पर अत्यंत उपयोगी है.”
इस अवसर पर सम्मेलन के विषय, एजेंडा और वैश्विक प्रासंगिकता को मीडिया के माध्यम से साझा किया जाएगा. इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी के सचिव डॉ. संजय सिंह राठौर ने बताया कि, यह आयोजन कृषि क्षेत्र में भारत की नवाचार क्षमता को विश्व स्तर पर प्रस्तुत करने का एक बड़ा अवसर है.
कृषि में जलवायु अनुकूलता पर केंद्रित होगा सम्मेलन
6th International Agronomy Congress (IAC–2025) में विशेषज्ञ कई प्रमुख विषयों पर मंथन करेंगे, जैसे- कार्बन न्यूट्रल कृषि, रीजनरेटिव (Regenerative) फार्मिंग, डिजिटल कृषि प्रणालियां, किसान-नेतृत्व वाले नवाचार इकोसिस्टम, एग्रीकल्चर एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट. इन विषयों के माध्यम से भारत यह दिखाना चाहता है कि भविष्य की कृषि न केवल उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और पौष्टिक खाद्य सुरक्षा पर भी केंद्रित है.
इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी की भूमिका
1955 में स्थापित इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रोनॉमी देश की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थाओं में से एक है. यह संगठन ‘Indian Journal of Agronomy’ प्रकाशित करता है और कृषि अनुसंधान, शिक्षा एवं एक्सटेंशन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करता है.
पूसा संस्थान दिल्ली में होने वाला छठा अंतर्राष्ट्रीय शस्य विज्ञान कांग्रेस का आयोजन केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि भविष्य की कृषि की दिशा तय करने वाला मंच होगा, जहां नई तकनीकों, नवाचारों और वैज्ञानिक शोध पर आधारित यह आयोजन न केवल किसानों की पैदावार बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि नवाचारों, पर्यावरण संतुलन, खाद्य सुरक्षा और कृषि क्षेत्र के विकास को भी नई दिशा देगा.





