कभी खेती का एक दौर था, जब किसान और उसके परिवार के लोग दिन-रात खेती में लगे रहते थे और जब छमाही फसल की रकम हाथ आती तो उससे पहले ही बनिए, काश्तकारों और पिछले लेन-देन में ही रकम बराबर हो जाती थी और किसान फिर खाली हाथ. बस, बचता था तो गुजारा करने लायक कुछ अनाज और भूसा जो उनके परिवार और पशुओं का पेट भरने के काम आता था. अब कृषि क्षेत्र में महिला किसान भी कृषि यंत्रों को धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रही हैं और खेती में अपनाअलग मुकाम बना रही हैं. जानिए, उन कृषि यंत्रों के बारे में जो बन रहे हैं उनके मददगार-
महिला किसानों की बड़ी जिम्मेदारी
जी हां, यह कुछ सालों पहले की हकीकत है, जब महिला किसान खुरपी और दरांती या फावड़ा लेकर दिन-रात खेतों में मेहनत करती थीं और किसान मुंह-अंधेरे ही बेलों की जोड़ी लेकर खेतों में जुताई करने या सिंचाई या अन्य कोई भी काम हो, करने चला जाता था और चढ़ती दोपहरी में महिलाएं फिर उनके लिए खाना लेकर खेतों में पहुंचती थीं. दोपहर बाद फिर पशुओं के लिए चारा-पानी करना, यह सब भी महिला किसानों के जिम्मे था.
कृषि यंत्रों ने कैसे बदली महिलाओं की जिंदगी
लेकिन अब किसानों के हालात बदल रहे हैं. किसान महिलाओं के लिए भी अनेक तरह के कृषि यंत्र मौजूद हैं जो उनके खेती के कामों को आसान और लाभकारी बना रहे हैं. किसान को कृषि यंत्र आत्मनिर्भर बना रहे हैं. महिलाएं भी पारंपरिक तरीके छोड़कर आधुनिक यंत्रों की सहायता से कम समय, कम मेहनत और कम लागत में अधिक उपज और लाभ कमा रही हैं. अब अनेक कृषि यंत्र भी महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं.
महिलाओं के लिए ये हैं खास कृषि यंत्र
अब महिला किसान साइकिल वीडर, रोटरी डिबलर, मक्का सेलर, पावर वीडर और सोलर ड्रायर जैसे यंत्रों को बड़ी आसानी से इस्तेमाल कर रही हैं. साइकिल वीडर जैसे यंत्र विशेष रूप से सब्जी उत्पादन में सहायक होते हैं, जिससे खरपतवार का नियंत्रण आसान हो जाता है. ये यंत्र न केवल श्रम को घटाते हैं, बल्कि उत्पादकता को भी बढ़ाते हैं. इसी तरह रोटरी डिबलर सिर्फ मक्का ही नहीं, बल्कि राजमा, चना, मटर जैसी फसलों की बोआई में भी उपयोगी है. यह यंत्र बीजों को उचित दूरी और गहराई पर बोता है, जिससे फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है और पैदावार में इजाफा होता है. अब किसान महिलाएं इन तकनीकों को अपनाकर समय की भी बचत कर खुद खेती कर रही हैं.
हैंड रिजर कृषि यंत्र
यह हाथ से चलने वाला किसान महिलाओं द्वारा खेत में नाली बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लाइन में मेंड़ पर लगाई जाने वाली सब्जियों की खेती के लिए यह एक सस्ता और आसानी से चलने वाला उपकरण है. मेंड़ बनाने के लिए इसे 2 महिलाओं द्वारा चलाया जाता है.
सीड ड्रिल यंत्र
यह भी हाथ से चलने वाला बीज बुआई यंत्र है. इस यंत्र का उपयोग गेहूं, सोयाबीन, मक्का, चना, अरहर में बोआई के लिए किया जाता है. एक इसे खींचता है तथा दूसरा इसे सही दिशा व गति से धकेलता है. इस उपकरण से एक कतार में बोआई की जा सकती है, इसलिए इसमें निराई-गुड़ाई की लागत कम की जा सकती है.
निराई यंत्र कोनो वीडर
इस यंत्र से लाइन में बोई गई फसल की निराई बड़ी आसानी से की जाती है. धान की फसल से भी यह खरपतवार को उखाड़कर उसे मिट्टी में मिलाने का काम करता है. कोनो निराई यंत्र से मिट्टी की ऊपरी सतह को पलटा जा सकता है, जिससे मिट्टी में हवा का आवागमन बना है. इस यंत्र को सीधे खड़े होकर चलाया जाता है.
द्विपहिया निराई यंत्र (हो)
लाइन में बोई गई फसल से खरपतवार उखाड़ने व निराई-गुड़ाई के लिए यह एक हस्तचालित उन्नत ‘हो’ निराई यंत्र है. इस द्विपहिया यंत्र ‘हो’ को आगे-पीछे धकेलकर चलाया जाता है. यह यंत्र हर जगह आसानी से उपलब्ध होता है.
मूंगफली फली तुड़ाई यंत्र
मूंगफली की फलियों को पौधों से अलग करने के लिए इस यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है. इस फली तुड़ाई यंत्र (स्ट्रिपर) में क्षैतिज दिशा में कंघी के आकार की धातु की पटि्टयां लगाई गई हैं. मूंगफली के तुड़ाई के लिए मूंगफली के पौधों को कंघीनुमा पटि्टयों में फंसाकर खींचा जाता है. इस प्रकार पौधे से मूंगफलियां अलग हो जाती हैं. इस मूंगफली अलग करने वाले यंत्र पर एक-साथ 4 महिलाएं कार्य कर सकती हैं और कम समय में अधिक काम किया जा सकता है.
मूंगफली फोड़क यंत्र
यह यंत्र मूंगफली फोड़ने के लिए खासकर ग्रामीण महिलाओं के लिए बनाया गया है. यह भी एक हस्तचालित उपकरण है. यह फली को फोड़कर दाने को अलग करता है. इस उपकरण को खड़े होकर आसानी से महिलाओं द्वारा चलाया जाता है. इस यंत्र से एक बार में लगभग 2 किलो मूंगफली फोड़ने के लिए डाली जा सकती हैं. इस यंत्र की कार्य-क्षमता 40 किलो प्रति घंटा है और एक महिला द्वारा ही इस यंत्र को चलाया जाता है.
सीड प्लांटर (डिबलर)
बीज बोने वाले इस यंत्र से कई प्रकार के बीजों की बोआई की जा सकती है. यह यंत्र छोटे खेतों और पहाड़ी क्षेत्रों में सोयाबीन, ज्वार, चना तथा मक्के की बोआई के लिये उपयुक्त हैं. इस यंत्र से लाइन में बोआई की जाती है, जिससे खरपतवार के नियंत्रण की लागत में कमी आती है.
मक्का शेलर यंत्र
महिलाओं के लिए यह हाथ से चलाया जाने वाला यह यंत्र है जो छीले गए भुट्टों से मक्के के दाने अलग करता है. इस यंत्र में भुट्टे को डालकर घुमाया जाता है, जिससे दाने अलग हो जाते हैं. इस यंत्र की कार्यक्षमता 20-25 किलो प्रति घंटा है. इसे केवल एक महिला द्वारा ही चलाया जा सकता है.
रोटरी मक्का शेलर यंत्र
यह यंत्र भी छीले गए मक्के के भुट्टों से दाने अलग करने के लिए उपयोगी यंत्र है. इस यंत्र को चलाने के लिए एक हाथ से भुट्टे को मशीन में डाला जाता है तथा दूसरे हाथ से उपकरण को चलाया जाता है. छीले गए भुट्टे की गुल्ली दूसरी ओर सिरे से बाहर निकल आती है और मक्का के दाने अलग हो जाते हैं.
पैडलचालित धान थ्रेशर
यह महिलाओं द्वारा चलाए जाने वाला धान थ्रेसर यंत्र है. इस थ्रेशर में एक सिलेंडर लकड़ी या एल्यूमीनियम स्ट्रिप्स के साथ होता है. इस थ्रेशर में वायर लूप बनाकर उन्हें इन पट्टियों पर वेल्ड करके जोड़ा गया है. पैर के पैडल से पॉवर ट्रांसमिशन सिस्टम के माध्यम से एक रोटरी गति दी जाती है. धान के बंडलों को इस घूमते हुए सिलेंडर पर पकड़कर रखा जाता है, जिससे धान की थ्रेशिंग होती है. इसकी यंत्र की कार्यक्षमता 35 किलो प्रति घंटा है. इससे धान की थ्रेशिंग के दौरान झुककर कार्य करने की आवश्यकता नहीं होती. धान की झड़ाई आसानी से हो जाती है, जबकि पारंपरिक तरीके से धान के बंडल को बार-बार पटका जाता है जब पुआल से धान अलग होता है.
अनाज सफाई यंत्र
महिलाओं द्वारा हाथ से चलने वाले इस द्विछलनी अनाज सफाई यंत्र से अनाज की सफाई की जाती है. यह थ्रेशिंग के बाद अनाज में मौजूद ठूंठ, भूसी और मिट्टी आदि को साफ करने का काम करता है. इस अनाज सफाई यंत्र से गेहूं, चना, सोयाबीन तथा अन्य अनाजों और दलहनी फसलों से अलग करता है. इस यंत्र में सफाई के लिए अनाज को तय मात्रा में डाला जाता है.
पैडलचालित अनाज सफाई यंत्र
इस मशीन का उपयोग अनाजों की सफाई व श्रेणीकरण के लिए किया जाता है. इसकी कार्यक्षमता 330 से 880 किलोग्राम प्रति घंटा है. इसमें 0.5 अश्वशक्ति की सिंगल फेज बिजली मोटर लगी होती है.
कृषि यंत्र बैंक शुरू कर सकती हैं महिलाएं
महिला किसान चाहें तो वे गांव स्तर पर छोटे कृषि यंत्रों का ‘कृषि यंत्र बैंक’ शुरू कर सकती हैं, जिससे अन्य महिलाएं भी लाभ उठा सकती हैं. इससे समूह आधारित आय को भी बढ़ावा मिलेगा. इन यंत्रों की मदद से महिलाएं खेती को सिर्फ जीविका का साधन नहीं, बल्कि किसान उद्यमी बन सकती हैं.
देखा जाए तो अब महिला किसान भी कृषि यंत्रों का उपयोग कर खेती को कहीं अधिक लाभकारी बना रही हैं और अनेक महिलाएं तो फल ,अनाज, सब्जी की प्रोसेसिंग कर अपना रोजगार भी कर रही हैं.





